पुरुष समाज में पहचान बनाती महिलाएं

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25 Sep 2021
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वो समय चला गया जब महिलाओं को कोई काम करने के लिए अपने घर के बड़ों से इजाज़त लेनी पड़ती थी। महिलाएं अब अपने स्पष्ट लक्ष्य के साथ वातावरण को बदल रही हैं। ये औरतें इस दिशा में एक बेहतरीन उदाहरण हैं। चूँकि सूची बहुत लम्बी है, महिलाएं अपने हाथ की हथकड़ियों को खुद खोलते हुए समाज का चेहरा बदल रही हैं। जैसा कि महिलाओं की सुरक्षा का विषय लगातार बढ़ता जा रहा है, महिलाएं अत्याचारों के खिलाफ पूरी क्षमता के साथ लड़ रही हैं। 

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नारी और पुरुष के बल में, केवल नारी को ना बाँटो , 

बराबर तो नहीं होती हैं, हाथों की उँगली भी पाँचों... 

महिलाएं एक बीज के समान होती हैं, जिनका यदि रोपण किया जाये तो, वह विशाल वृक्ष बन कर सबका हित करती हैं। सांसारिक मामलों पर चिल्लाये बिना कन्धों पर कई जिम्मेदारियां लिए, बिना थके, बिना पलके झुकाये, ये सारी जिम्मेदारियों को पूरा करती हैं। पहले महिलाओं को परदे के अंदर रखा जाता था और वो पुरुष प्रधान समाज में दासी जैसे बनकर रहती थीं। बावजूद इसके उन्होंने अपने साथ हो रहे अन्याय का कभी विरोध नहीं किया। 'घर में काम करने वाली महिला' इस वाक्य को एक औरत की बेइज्जती के तौर पर इस्तेमाल किया जाता था, क्योंकि यह विचारधारा उस सभ्यता का हिस्सा है, जिसमें हम रहते हैं। दौर बदला, हालात बदले और बदला लोगों के सोचने का नजरिया। अब वह समय चला गया है। अब यदि कोई ऐसी वजह है जिस पर जीवन चलाने के लिए प्रश्न किया जा सकता है, तो वो है केवल हुनर का। अब महिलाएं पुरुषों के पीछे नहीं खड़ी रहतीं और ना ही पुरुषों को प्रभावित करने के लिए कोई काम करती हैं। आज के समय में महिलाएं अकेले रास्ते को तय कर रही हैं और निराशा के स्वाद को अपनी थाली से निकाल कर अलग कर रही हैं। आज स्वतन्त्रता दिवस है। आज हम आपको ऐसी कहानियों से रूबरू कराएंगे जिसमें भारतीय महिलाओं ने हर कठिनाई को पार करते हुए समाज में अपनी जगह बनाई है।        

आज के हालातों से हम सब परिचित हैं, क्या हम नहीं हैं? आज महिलाएं प्रत्येक विषय पर सबके सामने खुल कर बात कर रही हैं और अपनी एक पहचान बना रही हैं। 

समकालीन समाज में महिलाओं की स्थिति 

महिलाएं सदियों से चली आ रही मान्यताओं को तोड़ रही हैं, जिनमे उन्हें बच्चे सँभालने वाले के तौर पर ही देखा जाता था। उद्योग के क्षेत्र में भी जिसे अब तक पुरुषों का क्षेत्र कहा जाता था, इस रूप को भी बदल रही हैं। इस रूप को बदलने के लिए कई बहादुर महिलाओं ने एक अनियमित रास्ते का चुनाव किया। 

तकनीकी के क्षेत्र में महिलाओं की उन्नति 

चंडीगढ़ में पैदा हुई हिना जयसवाल ने देश की पहली महिला फ्लाइट इंजीनियर बनकर इतिहास बनाया। हिना ने पंजाब यूनिवर्सिटी से इंजीनियरिंग में ग्रेजुएशन किया। केवल देश में ही नहीं देश के बहार भी महिलाओं ने खूब नाम कमाया। प्रिया बालसुब्रमण्यम देश की पहली वो एकलौती महिला बनीं जिन्होंनें 2001 में एप्पल की कंपनी में वाईस-प्रेसिडेंट के पद पर काम किया।    

हर क्षेत्र में चमकती महिलाएं 

गाँव में सेनेटरी पैड को खुले में हाथ में लेके आना-जाना, उसके बारे में बात करना निषेध समझा जाता था, वहां पर माहवारी के परिपेक्ष में इन विचारों में बदलाव लाने के लिए महिलाएं हर संभव प्रयास कर रही हैं। जयश्री परवार ने गोवा के एक गाँव में रहने वाली महिलाओं के लिए पर्यावरण के अनुकूल वाले सेनेटरी पैड से परिचित कराया। इन्होनें देवदार की लकड़ी तथा किसी और लकड़ी से बने पेपर तथा कॉटन का इस्तेमाल करके पैड बनाना सिखाया। पर्यावरण के अनुकूल यह पैड यूवी रेडिएशन के माध्यम से कीटाणुओं से लड़ने में मदद करता था। 

शीला डाउलरे समाज की सारी मिथ्याओं को तोड़ कर, पुरुष प्रधान समुदाय में खुद को स्थापित करते हुए देश की पहली महिला ऑटो चालक बनीं। महिला चालकों की संख्या में अब लगातार वृद्धि हो रही है। ग्रामीण क्षेत्र की महिलाएं निर्माण कार्यों में गर्मी और धूल-मिट्टी से झेलते हुए काम करने का साहस जुटा रही हैं। चाहे किसी घर की दीवार पेंट करना हो या खुद घर को बनाना, औरतें अब हर काम में बढ़-चढ़ कर हिस्सा ले रही हैं।   

ग्रामीण क्षेत्र में बदलाव लाती महिलाएं

कहते हैं औरतों को गहना बहुत पसंद है पर एक महिला ऐसी भी है जिन्होनें गहनों से ज्यादा स्वच्छता को तवज्जो दी। छत्तीसगढ़ के एक गाँव असाना में रहने वाली काजल रॉय ने अपने गहनों को गिरवी रखकर अपने ईंट बनाने की कला और करीब 100 महिलाओं को बनाने का हुनर सिखाकर गाँव के लिए कुल 100 शौचालय बना कर खड़ा कर दिए। 

चारों तरफ हो रहा है अब गुणगान महिलाओं का,

पुरुषों की कदम समानता में है सम्मान महिलाओं का... 

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