"वन्यजीवों का संरक्षण" "Protection Of Wildlife" हमें उन संसाधनों को बचाने में मदद करता है जो हमें प्रकृति द्वारा उपहार के रूप में प्रदान किए गए हैं इसलिए हमारा भी फ़र्ज है कि हम सब मिलकर इसको सहेज कर रखें। वन्यजीव से मतलब उन जानवरों से है जो पालतू या समझदार नहीं हैं, वो सिर्फ जंगली जानवर हैं और जंगल में रहते हैं। इन्सान अपनी जीवनशैली और आधुनिकता में उन्नति कर रहा है। पेड़ों और जंगलों की भारी कटाई से वन्यजीवों के आवास नष्ट हो रहे हैं। देखा जाये तो आज मनुष्य अपने कर्मों से वन्यजीव प्रजातियों के बड़े पैमाने पर विलुप्त होने के लिए जिम्मेदार हैं। किसी भी मानव वन्यजीव की प्रजाति को अपने आनंद के उद्देश्य से मार रहे हैं। अवैध रूप से शिकार करना भी एक दंडनीय अपराध है। वन्यजीव संरक्षण का तात्पर्य है कि हम सबको जानवरों और पौधों की प्रजातियों का संरक्षण करना है क्योंकि वो विलुप्त होने की कगार पर हैं। यानि लुप्त होने की कगार पर पहुँचे वन्य जीवों के नस्ल को सुरक्षित रखना हमारा मुख्य उद्देश्य होना चाहिए। हमें इन प्रजातियों के अस्तित्व को सुनिश्चित करना है और लोगों को अन्य प्रजातियों के साथ स्थायी रूप से रहने के लिए शिक्षित करना है। ऐसा नहीं है कि इन विलुप्त होते जीवों को बचाने की कोशिश नहीं की जा रही है। इसके लिए सरकार की ओर से भी कोशिश शुरू कर दी गयी है। अभी हाल ही में नामीबिया से लाए जा रहे आठ चीते भारत आ गए हैं। दरअसल देश में 1952 में चीतों के विलुप्त होने की घोषणा की गई थी और करीब 70 साल बाद देश में चीते दिखाई देंगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा यह पहल की गयी है और कूनो नेशनल पार्क में इन चीतों को छोड़ा गया है। सरकार की योजना अगले पांच साल तक अफ्रीका के अलग-अलग देशों से चीते लाकर हिन्दुस्तान में बसाने की है। वास्तव में ये वन्यजीव विश्व के पारिस्थितिक तंत्र के रूप में, प्रकृति की प्रक्रियाओं को संतुलन और स्थिरता प्रदान करते हैं। तो चलिए आज इस लेख में जानते हैं कि वन्यजीवों का संरक्षण क्यों आवश्यक है?
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“वन्यजीवों का संरक्षण" Wildlife Protection यह शब्द अपने आपमें बहुत कुछ समेटे हुए है। इस शब्द से न जाने कितने जीवों का जीवन जुड़ा है। यदि वक्त रहते हमने इस शब्द को नहीं समझा और इस पर ध्यान नहीं दिया तो तब तक बहुत देर हो जायेगी। प्रकृति का संतुलन बनाये रखने के लिए " वन्यजीवों का संरक्षण" "Protection Of Wildlife" आवश्यक है। दरअसल प्रकृति और अन्य वन्यजीव प्रजातियों के महत्व को पहचानने के लिए वन्यजीवों का संरक्षण बेहद जरुरी है। वन्यजीव प्रकृति की प्रक्रियाओं को संतुलन और स्थिरता प्रदान करते हैं। हमें जंगली जानवरों के संरक्षण की आवश्यकता इसलिए है क्योंकि हमें वन्यजीव की प्रजातियों के अस्तित्व को सुनिश्चित करना है। अब धीरे-धीरे कई पौधे और जानवरों की प्रजातियाँ लुप्त हो रही हैं। इन लुप्तप्राय पौधों और जानवरों की प्रजातियों को उनके प्राकृतिक निवास स्थान के साथ रक्षा करना भी ज़रूरी है। सबसे प्रमुख चिंता का विषय यह है कि वन्यजीवों के निवासस्थान की सुरक्षा किस प्रकार की जाए जिससे भविष्य में वन्यजीवों की पीढ़ियां सुरक्षित रख सकें और फिर हम इंसान भी इसका लुत्फ़ ले सकें। तो चलिए आज इस आर्टिकल में विस्तार से जानते हैं कि वन्यजीवों के संरक्षण की आवश्यकता क्यों है और कैसे करें वन्यजीवों का संरक्षण।
एक ओर आज इन्सान जहाँ अपनी जीवनशैली और आधुनिकता में उन्नति कर रहा है। वहीं दूसरी ओर पेड़ों और जंगलों की भारी कटाई से destruction of wildlife habitat वन्यजीवों के आवास नष्ट हो रहे हैं। हम अपनी सुख सुविधाओं के चक्कर में प्रकृति से अत्यधिक छेड़छाड़ excessive tampering with nature कर रहे हैं। मानव इन वन्यजीव प्रजातियों के बड़े पैमाने पर विलुप्त होने के लिए पूरी तरह जिम्मेदार है। इसके अलावा मनुष्य अपने मनोरंजन के लिए शिकार करता है और ये हम सबको पता होना चाहिए कि अवैध रूप से जानवरों का शिकार करना एक दंडनीय अपराध Illegal hunting of animals is a punishable offense है। अपने आनंद के लिए किसी भी वन्यजीव को नहीं मारना चाहिए। वन्यजीव से मतलब उन जानवरों से है जो पालतू या समझदार नहीं हैं, वो सिर्फ जंगली जानवर हैं और जंगल में रहते हैं। यानि वन्यजीवों में ऐसे वनस्पति और जीव (पौधें, जानवर और सूक्ष्मजीव) शामिल हैं, जिनका मनुष्यों के द्वारा पालन-पोषण नहीं होता है। इन्सान अपनी जीवनशैली और आधुनिकता में उन्नति कर रहा है। देखा जाये तो आज मनुष्य अपने कर्मों से वन्यजीव प्रजातियों के बड़े पैमाने पर विलुप्त होने के लिए जिम्मेदार हैं। वन्यजीव संरक्षण का तात्पर्य है कि हम सबको जानवरों और पौधों की प्रजातियों का संरक्षण Conservation of animal and plant species करना है क्योंकि वो विलुप्त होने की कगार पर हैं हमें उन विलुप्त होते वन्यजीवों को बचाना है। यानि लुप्त होने के कगार पर पहुँचे वन्य जीवों की नस्ल को सुरक्षित रखना हमारा मुख्य उद्देश्य होना चाहिए। हमें इन प्रजातियों के अस्तित्व को सुनिश्चित करना है और लोगों को अन्य प्रजातियों के साथ स्थायी रूप से रहने के लिए शिक्षित करना है। वन्य जीवों, वनस्पतियों और उनके आवासों की सुरक्षा करना ही वन्यजीव संरक्षण है। लुप्तप्राय पौधें और जानवरों की प्रजातियों को उनके प्राकृतिक निवासस्थान के अंतर्गत सुरक्षा प्रदान करने के लिए वन्यजीवों का संरक्षण महत्वपूर्ण है। दरअसल जंगली जानवर और पौधे पारिस्थितिक संतुलन को बनाए रखने maintaining ecological balance में बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं और ये वन्यजीव विश्व के पारिस्थितिक तंत्र Ecosystem के रूप में, प्रकृति की प्रक्रियाओं को संतुलन और स्थिरता प्रदान करते हैं। ऐसे अनेक कारक हैं जो वन्यजीव प्राणियों के लिए खतरा हैं। जैसे बढ़ता प्रदूषण, संसाधनों का अत्यधिक दोहन, तापमान और जलवायु परिवर्तन, निवास स्थान से छेड़छाड़, अवैध शिकार Increasing pollution, overexploitation of resources, temperature and climate change, habitat destruction, poaching आदि वन्यजीवों के विलुप्त होने के प्रमुख कारण हैं। वैसे वन्यजीवों के संरक्षण की दिशा में सरकार द्वारा कई कार्य और नीतियां तैयार और संशोधित की गईं हैं और आगे भी की जा रही हैं। जंगली जानवर और पौधे पारिस्थितिक संतुलन को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इसलिए इन सब चीज़ों के आधार पर हम कह सकते हैं कि प्रकृति और अन्य वन्यजीवों की प्रजातियों के महत्व को पहचानने के लिए वन्यजीवों का संरक्षण आवश्यक है। क्योंकि वन्यजीवों के महत्व को नकारा नहीं जा सकता। " वन्यजीवों का संरक्षण" हमें उन संसाधनों को बचाने में मदद करता है जो हमें प्रकृति द्वारा उपहार के रूप में प्रदान किए गए हैं इसलिए हमारा भी फ़र्ज है कि हम सब मिलकर इसको सहेज कर रखें। यह प्रत्येक मनुष्य की व्यक्तिगत आधार पर, सामाजिक जिम्मेदारी है कि हम अपने अक्षय संसाधनों के संरक्षण conserve renewable resources के लिए प्रयास करें क्योंकि वे बहुमूल्य हैं। वन्यजीव प्राणी और पौधे हमारी प्रकृति में सुंदरता को जोड़ते हैं। उनकी विशिष्टता, कुछ पक्षियों और जानवरों की सुंदर आवाज, वातावरण और निवास स्थान को बहुत ही खूबसूरत और अद्भुत बनाती है।
वन्य जीवों की उपस्थिति से पृथ्वी की प्राकृतिक सुंदरता में वृद्धि होती है। मनुष्य द्वारा बड़े पैमाने पर जंगली जानवरों और पक्षियों की हत्या करना भी एक गंभीर खतरा है जिसके कारण खाद्य श्रृंखला और पारिस्थितिक तंत्र food chain and ecosystem असंतुलित हो जाता है। जंगल में जंगली जानवर पारिस्थितिक तन्त्र के जैविक घटक biotic factors होते हैं। एक जंगली जानवर के रूप में सांप की त्वचा से फैंसी चमड़े के सामान को बनाने की बहुत ज्यादा मांग है, इसलिए साँप और अन्य कई जानवरों की त्वचा बाजार में बेची जाती है। लोगों ने इन जानवरों को बड़ी संख्या में मारना शुरू कर दिया है जिसके कारण प्रकृति में असंतुलन पैदा हो रहा है। इसलिए प्रकृति में पारिस्थितिक संतुलन बनाए रखने और संरक्षण के लिए वन्य जीवन को संरक्षित करना बहुत ही जरुरी है इसलिए जंगली जानवरों की सुरक्षा के लिए सरकार द्वारा समय समय पर कई महत्वपूर्ण कदम उठाये गये हैं जो कि निम्न हैं-
जंगली पक्षियों और जानवरों की अंधाधुंध हत्या की वन अधिकारियों द्वारा अनुमति नहीं दी जानी चाहिए।
वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम 1972 के प्रावधानों के तहत वन्यजीवों के शिकार के खिलाफ कानूनी संरक्षण Legal protection against hunting of wildlife प्रदान किया गया है
भारत में वनों की सुरक्षा के लिए 1981 में फारेस्ट सर्वे ऑफ़ इंडिया (FSI) की स्थापना की गई थी।
जुलोजिकल सर्वे ऑफ इण्डिया ZSI (Zoological Survey of India) का प्रमुख उद्देश्य जन्तुओं का सर्वेक्षण, अनुसंधान तथा पर्यवेक्षण है।
केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को वन्यजीव संरक्षण अधिनियम 1972 के तहत वन्य जीवन के खिलाफ अपराध करने वाले लोगों को गिरफ्तार करने का अधिकार दिया गया है।
वन्य जीवन भारतीय परिषद् IBWL (Indian Board for Wildlife) का गठन भी वन्य जीवों के संरक्षण के लिये ही किया गया। इसका प्रमुख कार्य राष्ट्रीय उद्यानों, जन्तु विहारों तथा चिड़ियाघरों द्वारा जन्तुओं का संरक्षण करना है।
भारतीय संविधान में जंगली जीवों के शिकार पर प्रतिबन्ध लगाया गया है।
वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम 1972 के प्रावधानों के तहत संरक्षित क्षेत्र तैयार किए गए हैं जिनमें देश भर में राष्ट्रीय उद्यानों, अभयारण्यों, महत्वपूर्ण वन्यजीवों के आवास National parks, sanctuaries, important wildlife habitats शामिल हैं ताकि वन्यजीव और उनके निवास सुरक्षित हो सकें।
वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम 1972 अपने प्रावधानों के उल्लंघन से संबंधित अपराधों के लिए दंड के प्रावधान प्रदान करता है।
पूरे देश में जंगली जानवरों और पक्षियों के प्राकृतिक आवासों के संरक्षण के लिए राष्ट्रीय उद्यानों और अभयारण्यों की अधिक संख्या की स्थापना की जानी चाहिए।
ईंधन के लिए जंगल में पेड़ों से लकड़ियों का अनाधिकृत रूप से काटना तुरंत बंद होना चाहिए। क्योंकि वनों की कमी जंगली जानवरों और पक्षियों के प्राकृतिक आवास को नष्ट कर देती है।
विलुप्त होने वाले जंगली जानवरों और पक्षियों के लुप्तप्राय प्रजातियों के संरक्षण के लिए भी ध्यान दिया जाना चाहिए ताकि वे विलुप्त होने से बच सकें।
वृक्षारोपण का कार्यक्रम राष्ट्रीय स्तर पर चलाया जा रहा है।
हम सबका कर्तव्य है कि हम अपने आसपास पेड़ लगाएं और अन्य लोगों को भी ऐसा करने के लिए प्रेरित करें।
भारतीय जन्तु सर्वेक्षण विभाग द्वारा संकटग्रस्त जातियों का अध्ययन किया जा रहा है जिसे (Red Data Book) रेड डाटा बुक में सूचीबद्ध किया जा रहा है।
भारत सरकार द्वारा वर्ष 1992 में हाथियों की संख्या को संरक्षित करने, उनके आवास के रखरखाव के साथ-साथ शिकार और अवैध शिकार को कम करने के लिए हाथी परियोजना Elephant project को आरंभ किया गया था।
यानि भारत में वनों और वन्यजीवों की सुरक्षा के लिए 'पर्यावरण संरक्षण अधिनियम', 'वन संरक्षण अधिनियम', 'राष्ट्रीय वन्य जीव कार्य योजना', 'टाइगर परियोजना', 'राष्ट्रीय उद्यान और अभयारण्य', 'जैव-क्षेत्रीय रिजर्व कार्यक्रम' आदि चल रहे हैं।
प्रोजेक्ट टाइगर Tiger Project, यह परियोजना 1973 में भारत सरकार द्वारा बाघों की घटती जनसंख्या के संरक्षण और प्रबंधन के लिए एक पहल के साथ शुरू की गई थी। इस परियोजना का मुख्य उद्देश्य बाघों के आवास को विनाश से बचाना था और साथ ही साथ दूसरे बाघों की संख्या में वृद्धि सुनिश्चित करना था।
दुनियाभर के वैज्ञानिक, सभी समझदार लोग, पर्यावरण विशेषज्ञ, आदि वन संरक्षण की आवश्यकता पर जोर दे रहे हैं।
हाल ही में नामीबिया से भारत लाये गए आठ चीते
ऐसा नहीं है कि इन विलुप्त होते जीवों को बचाने की कोशिश नहीं की जा रही है। इसके लिए सरकार की ओर से भी कोशिश शुरू कर दी गयी है। अभी हाल ही में नामीबिया Namibia से लाए जा रहे आठ चीते भारत आ गए हैं। दरअसल देश में 1952 में चीतों के विलुप्त होने की घोषणा की गई थी और करीब 70 साल बाद देश में चीते दिखाई देंगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी Prime Minister Narendra Modi द्वारा Project Cheetah की पहल की गयी है और कूनो नेशनल पार्क Kuno National Park में इन चीतों को छोड़ा गया है। सरकार की योजना अगले पांच साल तक अफ्रीका के अलग-अलग देशों से चीते लाकर हिन्दुस्तान में बसाने की है। वास्तव में ये वन्यजीव विश्व के पारिस्थितिक तंत्र के रूप में, प्रकृति की प्रक्रियाओं को संतुलन और स्थिरता प्रदान करते हैं। अब सरकार वन्यजीव प्रजातियों को विलुप्त होने के खतरे से बाहर निकालने की कोशिश में है। चीतों को वापस लाने का विचार काफी लोकप्रिय रहा है। पीएम मोदी (PM Modi) करिश्माई जंगली प्रजातियों के मूल्य को पहचानने वाले पहले नेता नहीं हैं। भारत पहुंचे आठ चीतों में तीन नर और पांच मादा चीते हैं। दो नर चीतों की उम्र साढ़े पांच साल है। दोनों भाई हैं और दोनों नामीबिया के ओटजीवारोंगो स्थिति निजि रिजर्व से लाए गए हैं। तीसरे नर चीते की उम्र साढ़े चार साल है और इसे एरिंडी प्राइवेट गेम रिजर्व से लाया गया है। पांच मादा चीतों में एक दो साल, एक ढाई साल, एक तीन से चार साल तो दो पांच-पांच साल की हैं। इससे पहले भी ऐसी कोशिश की गयी है और भारत में वन्यजीवों के संरक्षण का बड़ा इतिहास रहा है। 1971 के चुनावों में अपनी शानदार जीत के बाद इंदिरा गांधी ने वन्यजीव संरक्षण अधिनियम 1972 को लागू किया और 1974 में पोखरण परमाणु परीक्षण करने से पहले प्रोजेक्ट टाइगर लॉन्च किया।