भारत का संविधान सबसे अनोखा और सुंदर है लेकिन जब तक भारतीय नागरिक अपने कर्तव्यों को लेकर पूर्ण रूप से सजग और गंभीर नहीं होंगे, तब तक संविधान को बनाते समय जिन लक्ष्यों को तय किया गया था वे कभी पूरे नहीं होंगे। इसको इन शब्दों से भी समझ सकते हैं कि जब तक हाथ से हाथ जुड़कर इस संविधान की गरिमा को नहीं बनाये रखना चाहेंगे तब तक यह एक सबसे अच्छा संविधान नहीं होगा।
पूरी दुनिया ये बात जानती है की जितनी धार्मिक, जातीय, और भाषाई विविधता भारत में हैं, ऐसी विविधताएं किसी भी अन्य देश में नहीं हैं। जितना भारत देश अनोखा है उतना ही अनोखा भारत का संविधान है। हर संस्थान को चलाने के लिए कुछ नियम होते हैं, ठीक उसी प्रकार देश को चलाने के लिए भी एक नियम पुस्तक की जरूरत पड़ती है जिसे संविधान constitution कहते हैं।
बात 1858 की है जब भारत में कंपनी शासन खत्म हुआ था और भारत के सभी नेताओं के मन में कई राजनीतिक महत्वाकांक्षाएं उमड़ने लगी थीं। हर भारतीय को लगने लगा था कि अब उनके सपने पूरे होंगे और इन्हीं कारणों से ये मांग हुई कि देश के पास अपना संविधान होना चाहिए। इस पर महात्मा गांधी के कहा कि संविधान में प्रत्येक भारतीय की इच्छा का ध्यान रखा जाएगा। आपको बता दें कि सबसे पहले संविधान बनाने की मांग को कम्युनिस्ट पार्टी के जाने माने नेता एमएन रॉय ने प्रस्तुत किया था।
वास्तव में तो संविधान की यात्रा भारत में रेग्यूलेटिंग ऐक्ट Regulating Act of 1733 और पिट्स इंडिया ऐक्ट Pitt's India Act of 1784 के लागू करने पर ही शुरू हो गई थी क्योंकि भारतीय संविधान में गवर्नमेंट ऑफ इंडिया ऐक्ट, 1935 Government of India Act, 1935 के कई भाग लिए गए हैं लेकिन मूल रूप से इसपर काम होना शुरू हुआ 9 अगस्त, 1946 को जब देश में 296 सदस्यों की भारतीय संविधान सभा बनी थी। इसके बाद देश का विभाजन हुआ और इसमें 89 सदस्य चले गए। अब भारतीय संविधान सभा में केवल 207 सदस्य बचे थे और संविधान सभा Constituent Assembly की पहली बैठक में 207 सदस्य ही उपस्थित हुए थे।
भारतीय संविधान Indian Constitution को बनाने में 2 वर्ष, 11 महीने और 18 दिन लग गए क्योंकि भारतीय संविधान को पास करने के लिए उसे 2,473 संशोधनों amendments से गुजरना पड़ा था, वहीं दूसरे देशों के संविधान जिस रूप में प्रस्तुत किए गए थे वैसे ही पास कर दिए गए थे।
क्या आपको पता है कि भारत के संविधान को ना तो प्रिंट किया गया है और ना ही टाइप किया है बल्कि इसे बिहारी नारायण रायजादा ने खुद अपने हाथों से लिखा है। बिहारी नारायण रायजादा ने 6 महीने में 254 पेन होल्डर को इस्तेमाल करके भारत का संविधान लिखा।
इसमें कोई दोराय नहीं है कि भारत का संविधान सबसे अनोखा और सुंदर है लेकिन जब तक भारतीय नागरिक अपने कर्तव्यों को लेकर पूर्ण रूप से सजग और गंभीर नहीं होंगे, संविधान को बनाते समय जिन लक्ष्यों को तय किया था वे कभी पूरे नहीं होंगे।
भारतीय संविधान निर्माता दूरदर्शी थे और उन्हें भारतीय राष्ट्रवाद पर बेहद विश्वास था। भारत को लेकर जो सपना भारतीय संविधान के पिता कहे जाने वाले डॉ. भीमराव आंबेडकर Dr. B. R. Ambedkar और राष्ट्र के पिता माने जाने वाले महात्मा गांधी Mahatma Gandhi ने देखा था वह तब तक पूरा नहीं होगा जब तक संविधान पूरे तरीके से कामयाब नहीं होगा। स्वयं बाबा साहब डॉ. भीमराव आंबेडकर ने कहा था कि मैं कह सकता हूँ कि "अगर कभी कुछ गलत हुआ तो इसका कारण यह नही होगा कि हमारा संविधान खराब था बल्कि इसका उपयोग करने वाला मनुष्य अधम था"।
संयुक्त राष्ट्र ने विश्व को बेहतर बनाने का सपना तो देख लिया है लेकिन वह सपना तभी पूरा हो पाएगा जब विश्व भर में एकता होगी, समता होगी, गरीबी नहीं होगी, सभी को शिक्षा मिलेगी और समानता होगी। विश्व भर की आबादी 7 बिलियन है और 120 करोड़ की आबादी वाले देश यानी भारत में जब तक यह सपना पूरा नहीं होता, संयुक्त राष्ट्र का विश्व को बेहतर बनाने का सपना भी पूरा नहीं हो पाएगा इसीलिए अगर विश्व को बेहतर बनाना है तो भारत में भारतीय संविधान को पहले सही तरीके से लागू करना होगा।