ये तो हम सब जानते हैं कि पूरे संसार में घटी हुई विभिन्न घटनाओं की जानकारी हमें मीडिया के माध्यम से ही मिलती है।
यदि ये जानकारी सकारात्मक रूप से पेश की जाती है तो समाज में ईमानदारी शांति, नैतिकता, सौहार्द कायम रह सकता है और यदि यही जानकारी नकारात्मक तरीके से पेश की जाती है तो समाज में भ्रष्टाचार लालच, भय, द्वेष, दुर्भावना, दंगे, असंतुलन और अव्यवस्था फ़ैल जाती है।
इन सभी चीज़ों को देखते हुए मीडिया साक्षरता आज के समय में बहुत जरुरी है। मीडिया साक्षरता का मतलब है बच्चों को या लोगों को मीडिया के प्रति जागरूक बनाना और समाज में मीडिया के फैलते स्वरूप और बहुत बड़े स्तर पर उनके प्रभाव को देखते हुए उन्हें मीडिया के बारे में जागरूक करना।
आज के समय में मीडिया एक महत्वपूर्ण स्रोत है जो हमें समाचार, जानकारी और विभिन्न माध्यमों से सेवाएं प्रदान करता है। आधुनिक दुनिया डिजिटल युग में बदल रही है और इसमें मीडिया साक्षरता की भूमिका Role of Media Literacy बड़ी है।
अब लोग समाचार और जानकारी को इंटरनेट और सोशल मीडिया के माध्यम से हासिल करते हैं। इसलिए, मीडिया साक्षरता आवश्यक होती है। इस लेख में हम मीडिया साक्षरता के बारे में विस्तार से बात करेंगे।
आज के समय में मीडिया की उपयोगिता एवं भूमिका अत्यंत महत्त्वपूर्ण हो गयी है। यहाँ तक कि मीडिया को लोकतंत्र का चौथा स्तम्भ भी कहा जाता है। क्योंकि मीडिया की जनता को जागरूक करने में बहुत बड़ी भूमिका होती है।
दरअसल समाज के निर्माण में सूचनाओं का बहुत अहम् योगदान होता है और इन्हीं सूचनाओं को जन-जन तक पहुँचाने का काम करता है मीडिया।
मीडिया Media प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से समाज में योगदान दे रहा है और वे अपने उत्तरदायित्वों के निर्वहन के समय समाज पर कैसा प्रभाव छोड़ रहे हैं, ये जानना अत्यंत आवश्यक है। क्योंकि आज मीडिया का लोगों पर सकारात्मक प्रभाव Positive impact, के साथ साथ नकारात्मक प्रभाव negative impact भी अधिक पड़ रहा है।
हम मीडिया की उपयोगिकता, समाज में उनकी शक्ति और उनके महत्व को नकार नहीं सकते हैं लेकिन साथ साथ उनके नकारात्मक प्रभाव को भी अनदेखा नहीं कर सकते हैं।
मीडिया ने जहाँ जनता को जागरूक कर निर्भीक बनाने का और पूरे विश्व में घटित विभिन्न घटनाओं की जानकारी देने और भ्रष्टाचार को उजागर करने का काम किया है ।
वहीं दूसरी ओर मीडिया ने चटपटी खबरों को ज्यादा बढ़ा चढ़ा कर पेश करना और, दंगे भड़काने वाली खबरे प्रकाशित करना, खबरों को तोड़-मरोड़कर पेश करना, लालच में सत्तारूढ़ दल की चापलूसी करना और लालच, भय, राजनैतिक जाल में फंसकर अपनी भूमिका को खराब भी किया है। मीडिया के इस आचरण से समाज में अव्यवस्था फ़ैल रही है।
इन्हीं सब चीज़ों को समझने के लिए आजकल एक शब्द का इस्तेमाल बहुत अधिक किया जा रहा है वो है media literacy मीडिया साक्षरता। मीडिया साक्षरता को जानना और समझना हम सबके लिए बहुत जरुरी है तभी जाकर हम एक अच्छे समाज का निर्माण करने में अपनी भागीदारी दे सकते हैं तो चलिए जानते हैं क्या है मीडिया साक्षरता और इसका क्या महत्व है।
मीडिया साक्षरता का अर्थ होता है कि व्यक्ति की मीडिया के प्रति संवेदनशीलता व उसके साथ सक्रिय रहने की योग्यता हो। अर्थात्, मीडिया साक्षरता एक ऐसी क्षमता होती है, जिससे व्यक्ति को समाचार, जानकारी और अन्य मीडिया से आती सेवाओं को समझने और समझाने की योग्यता होती है।
मीडिया साक्षरता आवश्यक होती है क्योंकि मीडिया एक अत्यंत महत्वपूर्ण स्रोत होता है जो समाज की समस्याओं, विवादों, नीतियों और क्रियाकलापों को बताने व व्याख्यान करने के लिए उपयोग किया जाता है।
इसलिए, मीडिया साक्षरता के बिना, लोग समाचारों और अन्य मीडिया से आती सेवाओं के साथ जुड़े मुद्दों को समझने में असमर्थ होते हैं और इसका परिणाम नुकसानदायक हो सकता है।
मीडिया साक्षरता के बिना, लोग समाचारों को समझने में असमर्थ होते हैं और इससे उन्हें गलत समाचार या भ्रामक जानकारी से गुजरना पड़ सकता है। इसलिए, मीडिया साक्षरता आवश्यक है ताकि हम समाचार को सही ढंग से समझ सकें।
मीडिया साक्षरता के बिना लोग समाचारों को समझने में असमर्थ होते हैं क्योंकि अधिकांश समाचार मीडिया के माध्यम से हमें पहुंचाए जाते हैं। विभिन्न मीडिया प्लेटफॉर्म्स जैसे टीवी, अखबार, रेडियो और इंटरनेट से हमें समाचार और जानकारी मिलती है।
इसलिए यदि हम मीडिया साक्षरता नहीं रखते हैं तो हम इस जानकारी को समझने में असमर्थ होते हैं और इससे हमारे जीवन में भ्रामक जानकारी का उभरोत्तर होता है।
इससे हमें कई समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है जैसे नकली समाचार, अफवाहें, गलत जानकारी और उल्लंघनकारी जानकारी। इससे अधिकतर लोगों के विचार और व्यवहार पर बुरा प्रभाव पड़ता है।
जब हम असंतोषजनक जानकारी को सही जानकारी से अलग करते हैं, तो हम विभिन्न समस्याओं से बच सकते हैं जो हमारे समाज और देश के लिए नुकसानदायक हो सकते हैं।
मीडिया साक्षरता की महत्ता इस बात में है कि यह नागरिकों को उनकी सरकारों और समाज की गतिविधियों से जोड़ती है। समाचार और मीडिया उत्पादों का ज्ञान रखना समाज के भागीदारों को उनके देश और समाज के मुद्दों को समझने में मदद करता है और उन्हें सक्षम बनाता है ताकि वे अपनी सरकारों पर निगरानी रख सकें और समाज में अधिक सक्रिय भूमिका निभा सकें।
एक स्वतंत्र मीडिया जो सत्यता के आधार पर समाचार और जानकारी प्रदान करता है, लोगों को अधिक स्वतंत्र और न्यायपूर्ण समाज की ओर ले जाता है। इसके बिना, जनता अपने देश और समाज में न्याय के लिए संघर्ष करने में कमजोर हो जाती है।
सार्थक विचारधारा का विकास समाज के लिए बेहद आवश्यक है। एक स्वस्थ मीडिया जो सत्यता, विवेक और ज्ञान के आधार पर समाचार और जानकारी प्रदान करता है, लोगों को सही तरीके से सोचने और अपनी सोच विकसित करने में मदद करता है।
इसके अलावा, सार्थक विचारधारा वाले लोग अपने विचारों को स्पष्ट और समझाने में सक्षम होते हैं, जो उन्हें अपनी जिंदगी में सफलता और संतोष प्राप्त करने में मदद करता है।
एक सार्थक विचारधारा के विकास से समाज में सकारात्मक बदलाव भी आ सकते हैं। इससे समाज में जातिवाद, असमानता, भेदभाव और द्वेष की भावनाएं कम होती हैं और लोग एक-दूसरे के साथ समझौता करने में सक्षम होते हैं।
सार्थकता का प्रभाव सिर्फ समाचार विज्ञापनों और समाज सेवा कार्यों तक ही सीमित नहीं होता। एक सार्थक विचारधारा से सशक्त मीडिया, संगठन, और सरकार समाज की समस्याओं को समझते हैं और समाधान के लिए उचित कदम उठाते हैं। इससे समाज में विकास और प्रगति होती है और लोगों के जीवन में सकारात्मक बदलाव आते हैं।
इसलिए, सार्थकता का प्रभाव समाज के विकास और संवृद्धि के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।
आधुनिक दुनिया डिजिटल युग में बदल रही है और इसमें मीडिया साक्षरता की भूमिका बड़ी है। अब लोग समाचार और जानकारी को इंटरनेट और सोशल मीडिया के माध्यम से हासिल करते हैं।
डिजिटल युग में मीडिया साक्षरता का अर्थ यह है कि लोग दूसरों द्वारा बनाई गई जानकारी को अनुसरण करने से पहले उसकी सत्यता और वैधता का जांच करते हुए समझें। वे सावधान रहते हैं कि वे भ्रामक जानकारी या फेक न्यूज़ से दूर रहें।
इसके अलावा, डिजिटल मीडिया ने समाचार को जल्दी और व्यापक ढंग से पहुंचाने की क्षमता भी बढ़ा दी है। यह लोगों को अधिक जानकारी प्राप्त करने में मदद करता है, लेकिन साथ ही साथ लोगों को भ्रामक जानकारी और फेक न्यूज़ से बचने के लिए उन्हें मीडिया साक्षरता का ज्ञान होना आवश्यक होता है।
इस तरह से, डिजिटल युग में मीडिया साक्षरता न केवल समाचार और जानकारी को समझने में मदद करती है, बल्कि इससे लोग अपनी निजी जानकारियों को सुरक्षित रख सकते हैं। यह भी सुनिश्चित किया जाता है कि लोग इंटरनेट पर उपलब्ध संसाधनों का सही तरीके से उपयोग करते हुए अपनी निजी जानकारी को सुरक्षित रखते हैं।
डिजिटल युग में, अनेक लोग सोशल मीडिया के माध्यम से जानकारी और समाचार प्राप्त करते हैं। मीडिया साक्षरता उन्हें समाचार या जानकारी की सत्यता और विश्वसनीयता की जांच करने के लिए जानने की क्षमता प्रदान करती है।
इससे लोग भ्रामक जानकारी और फेक न्यूज से बच सकते हैं। इसके अलावा, डिजिटल साक्षरता सेट करने और अपनी निजी जानकारी को सुरक्षित रखने की क्षमता भी उन्हें मिलती है।
एक अच्छी मीडिया साक्षरता स्तर रखने से लोग इंटरनेट पर उपलब्ध सामग्री को जानते हैं जो उनकी निजी जानकारी को सुरक्षित रखने में मदद करती है।
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आज हमारे पास इतनी सूचनाओं का अंबार pile of information होता है कि हम सही और गलत में फर्क नहीं कर पाते हैं। इस समय राजनीतिक विचारधारा, आर्थिक और सामाजिक मुद्दों पर हर दिन झूठी खबरें आती हैं।
वहीं अगर देखा जाये तो आज मीडिया का हस्तक्षेप हमारे जीवन के हर हिस्से में हैं, चाहे वह हमारा व्यक्तिगत जीवन हो या सामाजिक।
हम सब आजकल मीडिया पर बहुत अधिक निर्भर भी हो गए हैं, फिर चाहे हमें किसी सूचना को प्राप्त करना हो या फिर किसी सूचना को लोगों तक पहुँचाना हो। अब लोगों पर उसका प्रभाव कैसा पड़ता है यह इस बात पर भी निर्भर करता है कि मीडिया ने उसे किस तरह से परोसा है।
मीडिया साक्षरता का अर्थ सिर्फ अखबार, रेडियो और टेलीविज़न का प्रशिक्षण देने से नहीं है बल्कि लोगों को मीडिया के प्रति जागरूक media conscious बनाने से है। पहले टेलीविजन, रेडियो और अखबार के द्वारा ही सूचनाओं का आदान प्रदान होता था लेकिन आज सोशल मीडिया social media के द्वारा भी सूचनाओं का आदान-प्रदान बहुत सरल हो गया है।
क्योंकि आज शायद ही कोई ऐसी जगह है जहाँ मोबाईल और इंटरनेट mobile and internet की पहुँच न हो। जिसके कारण लोग सोशल मीडिया पर चलने वाली हर ख़बर और हर बात पर बिना सोचे समझे विश्वास कर लेते हैं।
जिसका नतीजा बहुत ही भयानक रूप ले रहा है इसलिए मीडिया साक्षरता के द्वारा समाज में होने वाली चीज़ों के प्रति सही समझ उत्पन्न करने और नज़रिए में पारदर्शिता लाना जरुरी है। क्योंकि झूठी ख़बरों के द्वारा लोग मानसिक रूप से परेशान रहने लगे हैं।
मीडिया द्वारा खबरों को तोड़-मरोड़कर पेश करना और दंगे भड़काने वाली खबरे प्रकाशित करना। इसके अलावा किसी की बहुत अधिक प्रशंसा करना और किसी दूसरे की आलोचना करना।
साथ ही टेलीविज़न न्यूज़ चैनल टीआरपी की होड़ और अधिक मुनाफा कमाने के चक्कर में सामाजिक सरोकार, समाज के प्रति अपने दायित्व और नैतिकता को भूलकर खुद एक-दूसरे को टक्कर दे रहे हैं, एक दूसरे को गलत-सही ठहरा रहे हैं। उन्हें फर्क नहीं पड़ता है कि समाज पर इसका क्या प्रभाव पड़ेगा।
शायद वो ये भूल जाते हैं कि उन पर पूरा देश आँख बंद करके भरोसा कर लेता है फिर चाहे वो सही हो या गलत। बस इसी सही और गलत की जानकारी को देखते हुए मीडिया साक्षरता को लेकर एक उचित कदम उठाने की ज़रूरत है।
आम जनता को इसके प्रति जागरूक करने का अभियान शुरू किया जाना चाहिए। स्कूली स्तर से ही बच्चों को मीडिया के प्रयोग, खबरों के प्रति जागरूक करने और सही व गलत खबरों में अंतर सिखाने का अध्ययन एवं प्रशिक्ष्ण देना चाहिए, जिससे बच्चों में मीडिया के प्रति समझ विकसित हो सके और वो गलत और सही जानकारी की पहचान कर सकें।
क्योंकि बच्चे ही देश का भविष्य होते हैं। इसके अलावा मीडिया साक्षरता की जरुरत सिर्फ स्टूडेंट या बच्चों के लिए जरुरी नहीं है बल्कि समाज के हर नागरिक के लिए जरुरी है जिससे एक स्वस्थ समाज का निर्माण हो सके।
मिडिया साक्षरता Media literacy का मतलब लोगों की उस क्षमता से है जो उन्हें विविध प्रकार के मिडिया के लिये संदेशों का विश्लेषण करने फिर मूल्यांकन करने और अंत में सृजन करने के लायक बनाती है और ये सब एक स्वस्थ मानसिक समृद्धि व समझ से ही संभव है।
अभी जब पूरा विश्व कोरोना महामारी corona pandemic के खतरनाक प्रकोप से गुजर रहा था। उस समय हमें मीडिया के माध्यम से इतनी सूचनायें मिली कि उन सूचनाओं में से यह चुनना मुश्किल हो गया कि किस सूचना पर विश्वास करें और किस पर नहीं।
लोग समझ नहीं पाये कि क्या करना है और क्या नहीं ऐसी स्थिति एक विमर्श को जन्म देती है वो है मीडिया साक्षरता।
आज फेक न्यूज अपने आप में एक बड़ा व्यापार बन गया है और डिजिटल मीडिया digital media ने भी इसे और भी बढ़ावा दिया है। ऐसे में मीडिया साक्षरता की आवश्यकता और भी अधिक हो गयी है।
इसके लिए हमें स्कूली कोर्स, पढ़ाने के तरीकों और शिक्षा व्यवस्था में बदलाव करने होंगे। कुछ ऐसे तरीके ढूंढने होंगे, जिनसे तथ्यों और काल्पनिक बातों में फर्क किया जा सके।
आजकल सूचनायें प्राप्त करने के अनगिनत नेटवर्क हैं जिससे सूचनाओं के प्रवाह को रोकना बहुत ही मुश्किल है। हो गया है. ऐसे माहौल में लोगों के पास ऐसे कुछ तरीके होने चाहिए, जिससे वे उनका विश्लेषण करके उन्हें ख़ारिज कर सकें।
इसके लिए हमें बहुत कम उम्र से ही बच्चों में ये जागरूकता बढ़ानी होगी। लोगों को जिस बड़े पैमाने पर सूचनाओं से जूझना पड़ रहा है, उसमें वे सच या झूठ का फर्क़ करने में ख़ुद को असहाय महसूस कर रहे हैं। वैसे कुछ देशों ने इस परेशानी को समझ लिया है और वे इससे निपटने की कोशिश भी कर रहे हैं।
2016 की आईए इंटरनेशनल सिविक और सिटिजनशिप एजुकेशन स्टडी International Civic and Citizenship Education Study, 2016 के मुताबिक, फिनलैंड Finland में 82 पर्सेंट शिक्षक ‘छात्रों में विश्लेषणात्मक और स्वतंत्र सोच को बढ़ावा देने’ को बहुत ज़रूरी मानते हैं।
फैक्ट चेकिंग यानी सच्ची और झूठी खबरों का फर्क़ बताने वाले संस्थानों या जानकारों के साथ मिलकर फिनलैंड छात्रों को जागरूक बनाया गयाहै, जिससे वे झूठी खबरों की पहचान कर सकें।
ऑल्टन्यूज के Alt News अनुसार, “फेक न्यूज के फैलने की दो वजह हैं- पहली यह कि हाल के वर्षों में स्मार्टफोन के दाम लगातार कम हुए हैं, जिससे आज हर वर्ग और व्यक्ति के हाथ में स्मार्ट फोन है।
दूसरा इंटरनेट डाटा internet data के दामों में आने वाली कमी है। स्टैनफोर्ड हिस्ट्री एजुकेशन ग्रुप Stanford History Education Group की एक रिपोर्ट के अनुसार स्मार्टफोन और टैबलेट की संख्या बढ़ने से आज की पीढ़ी के छात्रों की पहले की तुलना में सूचनाओं तक पहुंच काफी आसान हो गई है।
वहीं व्हाट्सएप, ट्विटर, फेसबुक और अन्य सोशल नेटवर्क्स WhatsApp, Twitter, Facebook and other social networks, इस्तेमाल करने वाले लोगों की संख्या में भी इजाफा हो रहा है।
इसलिए जरुरी है कि सोशल प्लेटफोर्म पर दिखने वाली खबरों की जांच-पड़ताल करने के बाद ही विश्वास करें। साथ ही सरकार को भी आज हर वर्ग को मीडिया साक्षर बनाने के लिए एक बेहतर मानक better standards तैयार करने की जरुरत है और साथ ही मीडिया साक्षर बनाने के लिए एक सिलेबस तैयार कर इसे पाठ्यक्रम में शामिल करने की भी आवश्यकता है।
इंग्लिश में पढ़ने के लिए: What is Media Literacy, and Why is it Important?
निष्कर्ष
अंत में मैं यही कहूंगी कि मीडिया साक्षरता से सिर्फ एक इंसान का व्यक्तिगत हित ही नहीं बल्कि सामाजिक हित भी जुड़ा हुआ है इसलिए पूरे समाज को इसके प्रति जागरूक और मीडिया के इस्तेमाल की और उसके क्रिटिकल पाठ की चेतना को जाग्रत करना है।
यदि आप किसी कंटेंट को शेयर करते हैं तो पहले ये सोच ले कि उस कंटेंट से समाज व परिवेश पर क्या प्रभाव पड़ेगा। तभी जाकर उसको फॉरवर्ड करें।
जिस खबर को आप पढ़ रहे हैं ये जरूर देखें कि उसका सोर्स source क्या है और वह कितना विश्वसनीय है। क्योंकि अब समाचारों को आलोचनात्मक दृष्टि से पढ़ना होगा। सूचना का सच नहीं उसके पीछे के सत्य को समझना होगा और इसके लिए ‘मीडिया साक्षरता’ पर गंभीरता से विचार करना होगा।