भारत की "मेक इन इंडिया" पहल देश की सुरक्षा और आर्थिक विकास को मजबूत बनाने के लिए स्वदेशी रक्षा उत्पादन को प्राथमिकता देती है। इस लक्ष्य को हासिल करने में अहम भूमिका निभाता है टेक्नोलॉजी डेवलपमेंट फंड (TDF) Technology Development Fund (TDF). यह रक्षा मंत्रालय (MoD) द्वारा 2016 में शुरू किया गया कार्यक्रम है।
TDF योजना सिर्फ आर्थिक मदद से कहीं ज्यादा है. यह भारतीय उद्योगों, खासकर स्टार्टअप्स को आधुनिक रक्षा तकनीक विकसित करने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए बनाई गई है। 2023 के अनुसार, TDF योजना स्टार्टअप्स को ₹1 करोड़ तक की लागत वाले प्रोजेक्ट्स के लिए अहम फंडिंग मुहैया कराती है।
साथ ही, इनक्यूबेटरों को भी 20% तक की अतिरिक्त राशि मिल सकती है। यह वित्तीय सहायता स्टार्टअप्स को फंड की कमी को दूर करने और महत्वपूर्ण रक्षा तकनीकों के विकास में तेजी लाने में मदद करती है।
TDF योजना में भाग लेने से नवाचार, सहयोग और उद्यमिता का एक मजबूत माहौल बनता है। यह भारत की रक्षा क्षमताओं को और भी मजबूत और तकनीकी रूप से उन्नत बनाने का मार्ग प्रशस्त करता है।
आने वाले लेख में हम TDF योजना के उद्देश्यों Objectives of TDF Scheme, उद्योग जगत को मिलने वाले बहुआयामी लाभों और स्टार्टअप्स के लिए इस कार्यक्रम का लाभ उठाने के तरीकों पर विस्तार से चर्चा करेंगे।
देश की रक्षा जरूरतों को पूरा करने के लिए भारत को खुद ही हथियार बनाने की जरूरत है। इसी लक्ष्य को हासिल करने के लिए रक्षा मंत्रालय ने TDF फंड बनाया है। आइए जानते हैं इसके मुख्य उद्देश्य:
TDF फंड न सिर्फ बड़ी कंपनियों बल्कि स्टार्टअप्स और रिसर्च संस्थानों को भी आर्थिक मदद देता है। 2023 तक, यह योजना 1 करोड़ रुपये तक की लागत वाली परियोजनाओं पर काम करने वाले स्टार्टअप्स को ग्रांट देती है। साथ ही, इनके इनक्यूबेटरों को भी 20% तक की अतिरिक्त राशि देकर सहयोग करती है। इससे नई रक्षा तकनीक विकसित करने में मदद मिलती है। उदाहरण के लिए, 2022 में "आराव अनमैन्ड सिस्टम्स" नामक स्टार्टअप को ड्रोन बनाने के लिए TDF फंड से अनुदान मिला था।
TDF फंड शिक्षा संस्थानों और रक्षा उद्योगों को साथ लाने का काम करता है। इससे रक्षा क्षेत्र में नई तकनीक विकसित करने में तेजी आती है। उदाहरण के लिए, IIT दिल्ली ने DRDO के साथ मिलकर कई TDF फंडेड परियोजनाओं पर काम किया है। IIT दिल्ली की विशेषज्ञता का इस्तेमाल करके कृत्रिम बुद्धिमत्ता और रोबोटिक्स Artificial Intelligence and Robotics जैसे क्षेत्रों में रक्षा उपकरण बनाए गए हैं।
TDF फंड का लक्ष्य विदेशों से हथियार खरीदने की जरूरत को कम करना है। इससे भारत रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बन सकेगा। साथ ही, देश में रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे। उदाहरण के लिए, फ्यूचरिस्टिक इन्फैंट्री कॉम्बैट व्हीकल (FICUS) परियोजना TDF फंड से चल रही है। इस परियोजना का लक्ष्य पूरी तरह से स्वदेशी तकनीक का इस्तेमाल करके अगली पीढ़ी का युद्ध वाहन बनाना है।
TDF फंड भविष्य में काम आने वाली रक्षा तकनीकों परियोजनाओं को प्राथमिकता देता है। इसमें हाइपरसोनिक मिसाइल, लेजर गन और एडवांस कम्युनिकेशन सिस्टम शामिल हैं। इससे यह सुनिश्चित होता है कि भारत रक्षा क्षेत्र में हमेशा आगे रहेगा।
TDF फंड इन उद्देश्यों को पूरा करके भारत के रक्षा क्षेत्र को आत्मनिर्भर बनाने में अहम भूमिका निभाता है। यह नवाचार, सहयोग और उद्यमिता को बढ़ावा देता है, जिससे भारत की रक्षा क्षमता मजबूत होगी।
TDF योजना सिर्फ पैसा देने से कहीं ज्यादा है। यह भारतीय उद्योगों को रक्षा क्षेत्र में नई तकनीक बनाने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए कई फायदे देती है। आइए देखें उद्योगों को मिलने वाले मुख्य लाभ:
TDF योजना में कंपनियां रक्षा मंत्रालय के DRDO विभाग के साथ मिलकर काम करती हैं। साथ मिलकर बनाई गई तकनीक पर दोनों का हक होता है। इससे कंपनियां उस टेक्नोलॉजी को व्यावसायिक रूप से इस्तेमाल कर सकती हैं। उदाहरण के लिए, कोई भारतीय कंपनी DRDO के साथ मिलकर एन्क्रिप्टेड संचार प्रणाली बनाती है। इस टेक्नोलॉजी के साझा स्वामित्व के कारण, कंपनी इसका लाइसेंस लेकर सेना के अलावा आम लोगों के लिए भी बना सकती है और अच्छा मुनाफा कमा सकती है।
उदाहरण: बेंगलुरु की कंपनी Milagrow Avionics ने TDF योजना के तहत DRDO के साथ मिलकर एक छोटा बिना पायलट वाला विमान (UAV) बनाया। अब Milagrow Avionics रक्षा विभाग को विमान तो बेचती ही है, साथ ही इसी तकनीक का इस्तेमाल कर इमारतों की जांच और हवाई फोटोग्राफी जैसे कामों के लिए भी UAV बनाती है।
TDF योजना में भाग लेने वाली कंपनियां रक्षा क्षेत्र में मुख्य ठेकेदार या छोटे ठेकेदार बन सकती हैं। नई तकनीक बनाकर वे भारतीय सेना और अन्य रक्षा संगठनों के लिए विश्वसनीय आपूर्तिकर्ता बन जाती हैं। इससे उन्हें भविष्य में बड़े कॉन्ट्रैक्ट मिलने और उनकी आमदनी बढ़ने की संभावना रहती है।
उदाहरण: टाटा पावर एडवांस्ड सिस्टम्स लिमिटेड (टीपीएएस) Tata Power Advanced Systems Limited (TPAS) ने TDF योजना के तहत DRDO के साथ मिलकर एक हाई-पावर माइक्रोवेव सोर्स बनाया। इससे न सिर्फ TPAS, DRDO की भरोसेमंद आपूर्तिकर्ता बन गई बल्कि दूसरी रक्षा एजेंसियों के साथ भी काम करने के दरवाजे खुल गए।
TDF योजना के तहत बनने वाली कई टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल रक्षा क्षेत्र के साथ-साथ आम जिंदगी में भी किया जा सकता है। इससे कंपनियां अच्छा मुनाफा कमा सकती हैं। उदाहरण के लिए, कोई कंपनी सेना के लिए नई तरह का नेविगेशन सिस्टम बनाती है। TDF योजना की मदद से वे इस टेक्नोलॉजी को बिना ड्राइवर वाली गाड़ियों में इस्तेमाल के लिए बदल सकती हैं।
उदाहरण: TDF योजना के तहत बनी रात में देखने वाली दूरबीन की टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल कर आम लोगों के लिए भी दूरबीन बनाई गई, जिससे रात में तलाशी अभियान और जंगली जानवरों को देखना आसान हो गया।
TDF योजना उन परियोजनाओं को मदद देती है जिनमें दोहरे इस्तेमाल वाली टेक्नोलॉजी बनाई जाती है। इससे कंपनियां ज्यादा ग्राहकों तक पहुंच सकती हैं और अपना मुनाफा बढ़ा सकती हैं। नए बाजार मिलने से कंपनियां ना सिर्फ शुरुआती खर्च निकाल सकती हैं बल्कि रक्षा क्षेत्र को भी मजबूत बना सकती हैं।
उदाहरण: TDF योजना के तहत बने हाई-परफॉर्मेंस वाले सैन्य ड्रोन की टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल कर आम लोगों के लिए हवाई फोटोग्राफी और खेती में निगरानी करने वाले ड्रोन बनाए जा सकते हैं। TDF योजना से बड़े बाजार तक पहुंच कंपनियों को तरक्की करने का मौका देती है।
TDF योजना इन फायदों के कारण भारतीय उद्योगों के लिए एक आकर्षक अवसर है। यह योजना न सिर्फ रक्षा क्षेत्र को मजबूत बनाती है बल्कि कंपनियों को नई तकनीक बनाने, बाजार में अपनी जगह बनाने और मुनाफा कमाने में भी मदद करती है।
यह योजना भारत को रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने और एक मजबूत और समृद्ध अर्थव्यवस्था बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
रक्षा और अंतरिक्ष क्षेत्र के स्टार्टअप्स Defense and space sector startups के लिए TDF योजना कई तरह से फायदेमंद है:
TDF योजना से स्टार्टअप्स को आर्थिक मदद मिलती है। इससे वे अपने शुरुआती खर्चों को पूरा कर सकते हैं और नई रक्षा तकनीक विकसित करने में तेजी ला सकते हैं। यह नई कंपनियों के लिए काफी मददगार साबित होता है, जिनके पास अच्छे विचार तो होते हैं लेकिन फंडिंग की कमी होती है।
TDR योजना स्टार्टअप्स को रक्षा क्षेत्र के विशेषज्ञों से सलाह और मार्गदर्शन दिलाने में मदद कर सकती है। रक्षा तकनीक विकसित करने में आने वाली चुनौतियों से निपटने के लिए यह सलाह काफी महत्वपूर्ण होती है।
TDF कार्यक्रम में भाग लेने से स्टार्टअप की रक्षा क्षेत्र में पहचान बनती है और उसकी साख मजबूत होती है। इससे भविष्य में भारतीय सेना और रक्षा संगठनों के साथ मिलकर काम करने या कॉन्ट्रैक्ट पाने के रास्ते खुल सकते हैं।
Technology Development Fund (TDF) योजना के अंतर्गत अनुदान प्राप्त करने के लिए कुछ पात्रता मानदंड निर्धारित किए गए हैं। ये मानदंड यह सुनिश्चित करते हैं कि वही संस्थाएं अनुदान के लिए आवेदन करें जो रक्षा क्षेत्र में नई तकनीक विकसित करने में सक्षम हों। आइए देखें मुख्य पात्रता मानदंडों को:
आवेदन करने वाली कंपनी किसी मान्यता प्राप्त भारतीय संस्थान (Registered Indian Entity) का रूप ले सकती है, जैसे:
सार्वजनिक लिमिटेड कंपनी (Public Limited Company)
निजी लिमिटेड कंपनी (Private Limited Company)
पार्टनरशिप फर्म (Partnership Firm)
सीमित दायित्व भागीदारी (Limited Liability Partnership)
एक व्यक्ति कंपनी (One Person Company)
एकल स्वामित्व (Sole Proprietorship)
आवेदन करने वाली संस्था का स्वामित्व और नियंत्रण किसी भारतीय निवासी के पास होना चाहिए।
विदेशी निवेश 49% से अधिक नहीं होना चाहिए।
आवेदन करने वाली संस्था को रक्षा मंत्रालय के पोर्टल पर उद्योग के रूप में पंजीकृत होना चाहिए। इसके लिए MSME या Startup India की मान्यता प्रमाण पत्र जमा करना आवश्यक है।
TDF योजना के तहत प्रस्तावित परियोजनाओं का उद्देश्य रक्षा क्षेत्र के लिए नई या उन्नत तकनीक का विकास होना चाहिए।
परियोजना अनुमानित विकास लागत के अधीन होनी चाहिए (वर्ष 2023 तक, स्टार्टअप्स के लिए ₹1 करोड़ तक)।
आवेदन करने वाली संस्था के पास अनुसंधान और विकास करने की पर्याप्त क्षमता होनी चाहिए।
रक्षा क्षेत्र में नई तकनीक विकसित करने के लिए इच्छुक स्टार्टअप्स को TDF योजना के तहत आवेदन करना होता है। आइए देखें आवेदन प्रक्रिया को:
स्टार्टअप्स को एक विस्तृत परियोजना प्रस्ताव जमा करना होता है।
प्रस्ताव में प्रस्तावित रक्षा तकनीक, भारतीय सेना के लिए इसके संभावित उपयोग और स्पष्ट लक्ष्यों एवं समयसीमा के साथ एक विस्तृत विकास योजना का उल्लेख होना चाहिए।
प्रस्ताव में यह भी बताया जाना चाहिए कि यह तकनीक भारत को रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने में कैसे मदद करेगी।
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रक्षा मंत्रालय (MoD) Ministry of Defense (MoD) जमा किए गए प्रस्तावों का सावधानीपूर्वक मूल्यांकन करता है।
मूल्यांकन कई कारकों के आधार पर किया जाता है, जैसे:
तकनीकी योग्यता (Technical Merit)
व्यावसायिक लाभ (Commercial Viability)
राष्ट्रीय रक्षा के लिए रणनीतिक महत्व (Strategic Importance for National Defense)
भारत को रक्षा प्रौद्योगिकी में आत्मनिर्भर बनाने में संभावित प्रभाव (Potential Impact on India's Self-Reliance in Defense Technology)
सभी पहलुओं पर विचार करने के बाद रक्षा मंत्रालय सर्वश्रेष्ठ परियोजनाओं का चयन करता है।
TDF योजना आवेदन के लिए अतिरिक्त टिप्स Additional Tips for TDF Scheme Application
TDF योजना के लिए आवेदन करने से पहले नवीनतम दिशानिर्देशों और पात्रता मानदंडों की जांच कर लें।
मजबूत और अच्छी तरह से तैयार किया हुआ प्रस्ताव जमा करें जो परियोजना के उद्देश्यों, तकनीकी दृष्टिकोण, और संभावित प्रभाव को स्पष्ट रूप से रेखांकित करे।
किसी भी प्रश्न या स्पष्टीकरण के लिए TDF योजना के नोडल अधिकारियों से संपर्क करें।
इन पात्रता मानदंडों को पूरा करने वाली संस्थाएं TDF अनुदान के लिए आवेदन करने के लिए प्रोत्साहित की जाती हैं। TDF योजना भारत को रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है और यह नई तकनीक के विकास को प्रोत्साहित करती है।
निष्कर्ष (Conclusion)
TDF योजना भारत के रक्षा क्षेत्र को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है। यह योजना आर्थिक मदद देकर, उद्योगों और शिक्षा संस्थानों के बीच सहयोग को बढ़ावा देकर, और निजी बाजार तक पहुंच बनाने में मदद देकर नई रक्षा तकनीक विकसित करने में अहम भूमिका निभाती है।
इससे न सिर्फ पहले से स्थापित कंपनियां बल्कि नई स्टार्टअप्स भी देश की रक्षा के लिए अत्याधुनिक तकनीक बनाने में मदद कर सकती हैं। TDF योजना भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा को मजबूत करने के साथ-साथ रक्षा क्षेत्र को मजबूत और लाभदायक बनाने में भी मदद करती है। आत्मनिर्भर रक्षा क्षेत्र के लक्ष्य को हासिल करने में TDF योजना निश्चित रूप से महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी और भारत की रक्षा क्षमता के भविष्य को सुनहरा बनाएगी।