सॉफ्टवेयर टेस्टिंग Software Testing, सॉफ्टवेयर उत्पादों के गुणवत्ता और प्रदर्शन को मापने और निरीक्षण करने की एक प्रक्रिया है। यह सॉफ्टवेयर उत्पादों की समुचितता, विशेषताएं, व्यवहार, सुरक्षा और सामर्थ्य को सुनिश्चित करने में मदद करता है।
सॉफ्टवेयर टेस्टिंग उत्पाद के विभिन्न पहलुओं की जांच करता है जैसे कि उत्पाद के फंक्शनल योग्यता, उपयोगकर्ता अनुभव, सुरक्षा, उपयोगी जीवन, तंत्रिक संगतता, विशेषताएं, और अन्य असंगतियों का पता लगाता है। सॉफ्टवेयर टेस्टिंग के माध्यम से उत्पाद की गुणवत्ता सुनिश्चित की जाती है जिससे उपयोगकर्ता को उत्पाद का उचित उपयोग होता है और सॉफ्टवेयर डेवलपर को अपने उत्पाद को बेहतर बनाने के लिए आवश्यक कदम उठाने में मदद मिलती है।
इसके द्वारा आपको यह पता चल जाता है कि आपका सॉफ्टवेयर कितना सही है जिससे आगे सॉफ्टवेयर पर कार्य करते समय आपको किसी प्रकार का कोई नुकसान ना हो। जिससे इसका इस्तेमाल सुचारू रूप से किया जा सके।
कंपनी द्वारा तैयार सॉफ्टवेयर को ग्राहक की जरूरतों के अनुसार विकसित किया जाता है और ग्राहक जिन परिस्थितियों में तैयार सॉफ्टवेयर का उपयोग करेगा, उस तरह की परिस्थितियों को लैब में तैयार कर सॉफ्टवेयर को परखा जाता है।
सही तरीके से होने पर यह सॉफ्टवेयर में मौजूद सभी तरह के बग्स को हटा देता है। किसी सॉफ्टवेयर को बनाने के लिए डेवलपमेंट टीम द्वारा कार्य किया जाता है और उसके बाद सॉफ्टवेयर को एरर फ्री बनाने के लिए सॉफ्टवेयर टेस्टर कार्य करता है। तो आइये इस आर्टिकल में सॉफ्टवेयर टेस्टिंग के बारे में विस्तार से जानते हैं सॉफ्टवेयर टेस्टिंग क्या है? What is software testing?
जब भी किसी चीज को बनाया जाता है तो सबसे पहले उसका टेस्ट जरूर किया जाता है। क्योंकि नयी चीज को विकसित करने में कहीं कोई कमी तो नहीं रह गयी है इसके लिए उसकी टेस्टिंग करना बहुत ज़रुरी होता है। यह इसलिए भी जरुरी होता है कि बाद में उसको यूज करने पर कोई परेशानी या किसी भी प्रकार का कोई नुकसान ना हो।
ठीक ऐसे ही जब सॉफ्टवेयर बनाया जाता है तो ये देखने के लिए कि उसमें कहीं कोई एरर तो नहीं है उसके लिए सॉफ्टवेयर टेस्टिंग Software Testing की जाती है। क्योंकि यदि सॉफ्टवेयर में थोड़ा सा भी एरर Error आ जाता है या कोई भी खराबी होती है तो इससे बहुत बड़ा नुकसान हो सकता है।
इसलिए सॉफ्टवेयर को एरर फ्री बनाने के लिए सॉफ्टवेयर टेस्टर कार्य करता है और देखता है कि इसमें कहाँ एररआ रहा है। तो चलिए आज इस लेख के द्वारा जानते हैं कि सॉफ्टवेयर टेस्टिंग क्या है और इसकी आवश्यकता क्यों पड़ती है ?
किसी भी कंप्यूटर पर कार्य करने के लिए आपको एक सॉफ्टवेयर की जरूरत पड़ती है। सॉफ्टवेयर टेस्टिंग एक ऐसा तरीका है, जिसकी मदद से किसी सॉफ्टवेयर में खराबियों को खोजा जाता है और सही तरीके से होने पर यह सॉफ्टवेयर में मौजूद सभी तरह के bugs को हटा देता है। यानि जब कोई सॉफ्टवेयर तैयार किया जाता है तो तब उसकी गुणवत्ता जांचने के लिए सॉफ्टवेयर टेस्टिंग की जाती है।
सॉफ्टवेयर में किये जाने वाले सभी तरह के टेस्ट को पहले से ही प्लान कर लिया जाता है। इसके द्वारा यह देखा जाता है कि सॉफ्टवेयर उपयोगकर्ता की सभी जरूरतों को सही से पूरा करे। कंपनी द्वारा तैयार सॉफ्टवेयर को ग्राहक की जरूरतों के अनुसार विकसित किया जाता है और ग्राहक जिन परिस्थितियों में तैयार सॉफ्टवेयर का उपयोग करेगा, उस तरह की परिस्थितियों को लैब में तैयार कर सॉफ्टवेयर को परखा जाता है।
Software testing का अर्थ किसी सॉफ्टवेयर को एरर फ्री करने से है। जिससे इसका इस्तेमाल सुचारू रूप से किया जा सके। किसी सॉफ्टवेयर को बनाने के लिए डेवलपमेंट टीम द्वारा कार्य किया जाता है और सॉफ्टवेयर टेस्टिंग का कार्य किसी भी कंपनी में मुख्य रूप से सॉफ्टवेयर टेस्टर software tester के द्वारा किया जाता है।
टेस्टिंग का यह फायदा होता है कि जब भी कोई उपयोगकर्ता उस सॉफ्टवेयर का प्रयोग करे तो उसमें कोई भी टेक्निकल कमी न आने पाये। क्योंकि यदि सॉफ्टवेयर में थोड़ा सा भी एरर हो तो आपको काफी नुकसान हो सकता है।
तो कुल मिलाकर सॉफ्टवेयर टेस्टिंग किसी भी सॉफ्टवेयर की गुणवत्ता, शुद्धता, प्रमाणिकता और तकनीकी क्षमता की जांच करने की एक प्रक्रिया है।
मुख्य तौर पर किसी भी सॉफ्टवेयर को जांचने के लिए सॉफ्टवेयर टेस्टिंग करना जरुरी होता है। जिससे यह स्पष्ट हो जाता है, कि उपरोक्त software bug और error free है। ये तो हम जान गए हैं कि सॉफ्टवेयर टेस्टिंग के बाद ही कोई सॉफ्टवेयर यूजर की आवश्यकताओं पर खरा उतरता है।
सॉफ्टवेयर टेस्टिंग यह सुनिश्चित करता है कि सिस्टम किसी भी बग से मुक्त है जो किसी भी प्रकार की विफलता का कारण बन सकता है।
सॉफ्टवेयर की विश्वसनीयता की जांच के लिए सॉफ्टवेयर टेस्टिंग आवश्यक है। साथ ही सॉफ्टवेयर टेस्टिंग के माध्यम से यह सुनिश्चित हो जाता है कि यह software उपयोगकर्ता के लिए सही है।
दरअसल एक बार सॉफ्टवेयर टेस्टिंग से यह मालूम पड़ जाता है कि इसमें क्या कमी है जिससे उन कमियों को दूर किया जा सकता है और फिर उसमें सुधार किया जाता है। जिससे सॉफ्टवेयर बिना किसी परेशानी के कार्य कर सके।
सॉफ्टवेयर टेस्टिंग एक सिस्टम में दोष खोजने के लिए एक ऑर्गनाइज तरीके से किया जाता है। हम सब ये बात अच्छी तरह से जानते हैं कि टेक्नोलॉजी technology आगे बढ़ रही है जिसकी वजह से सब कुछ डिजिटल हो रहा है।
आप आजकल कोई भी काम घर बैठे ही आसानी से कर लेते हैं फिर चाहे ऑनलाइन कोई भी सामान मंगवाना हो या फिर अपने बैंक से संबंधित कोई भी काम करना हो। लेकिन थोड़ी देर के लिए सोचिये अगर ये सिस्टम ख़राब हो जाए तो क्या होगा। सिस्टम में एक छोटी सी कमी आपका नुकसान करा सकती है और आपको परेशानी में डाल सकती है। यही वजह है कि सॉफ्टवेयर टेस्टिंग आज आईटी में एक बहुत बड़े स्तर पर उभर कर आ रहा है।
सॉफ्टवेयर टेस्टिंग अब सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट Software Development का एक बहुत महत्वपूर्ण हिस्सा है इसलिए सॉफ्टवेयर टेस्टिंग की आवश्यकता सिस्टम के मूल्यांकन के लिए आवश्यक है।
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Software testing के कई types हैं। इनमें से मुख्य निम्न हैं -
यूनिट टेस्टिंग एक प्रकार की functional testing है जिसमें प्रत्येक units या components को test किया जाता है। इस टेस्टिंग को सॉफ्टवेयर के coding phase में पूरा किया जाता है। यानि इसके अंतर्गत सॉफ्टवेयर की testing को coding या programmer के द्वारा किया जाता है। इसे component testing भी कहते हैं।
इसमें सभी units और components को एक समूह में या एकजुट करके उनका परीक्षण किया जाता है। इस टेस्टिंग के द्वारा यह देखा जाता है कि ये units आपस में एक साथ कार्य कैसे करते हैं। यह टेस्टिंग 4 टाइप की होती हैं:- top down, bottom up, sandwich और big-bang बिग बैंग।
Alpha Testing सबसे अधिक प्रयोग की जाने वाली testing है। इस टेस्टिंग के द्वारा किसी सॉफ्टवेयर को release से पहले उसमें आने वाले परेशानियों और errors को देखा जाता है।
इस टेस्टिंग को कस्टमर के द्वारा पूरा किया जाता है और इसके लिए सॉफ्टवेयर के एक version को उपयोगकर्तों के लिए release किया जाता है और यह कुछ ही users के लिए ही होता है। इसके बाद उपयोगकर्ता के feedback के आधार पर सॉफ्टवेयर में आने वाले bugs या error का पता चलता है। यानि इसमें users feedback देते हैं। जब customer इस सॉफ्टवेयर से satisfy होते हैं तब जाकर बीटा टेस्टिंग सफल होती है।
इस टेस्टिंग के द्वारा किसी भी software की reliability विश्वसनीयता और स्थिरता stability को मापा जाता है। इसके अलावा software की capacity क्षमता का पता लगाया जाता है कि यह कितना load ले सकता है। यानि यह कितना data स्टोर कर सकता है और कितने प्रोग्राम को एक साथ खोल सकता है आदि कई चीज़ों का पता लगाया जाता है।
Recovery Testing यह निर्धारित करती है कि एक सॉफ्टवेयर के crash हो जाने के बाद वह वापस फिर से कार्य कर सकता है या नहीं। यानि जब कोई software crash हो जाता है तो उसे recover कैसे किया जा सकता है इस Testing द्वारा देखा जाता है।
Security Testing के द्वारा यह यह देखा जाता है कि यह सॉफ्टवेयर data को सुरक्षित रख सकता है या नहीं। मतलब इसमें यह जांच की जाती है कि क्या software error free रह सकता है और यदि इसमें किसी hacker ने अटैक कर दिया तो इसके क्या परिणाम होंगे और कैसे डाटा को सुरक्षित रखा जा सकता है।
Software testing team द्वारा यह सुनिश्चित किया जाता है कि सॉफ्टवेयर में किसी प्रकार का कोई बग bug या इशू तो नही है। इस टेस्टिंग को बिल्ड वेरिफिकेशन टेस्टिंग build verification testing भी कहते हैं।
इसके द्वारा यह पता लगाया जाता है कि यदि सॉफ्टवेयर में कुछ बदलाव करें तो सॉफ्टवेयर में कोई बुरा प्रभाव पड़ रहा है या नहीं। यानि सॉफ्टवेयर की working में कोई समस्या पैदा हो रही है या नहीं।
सिस्टम टेस्टिंग के द्वारा यह पता लगाया जाता है कि सॉफ्टवेयर का ऑपरेटिंग सिस्टम operating system कैसे कार्य कर रहा है। मतलब वह अलग-अलग ऑपरेटिंग सिस्टम में अच्छी तरह कार्य करता है या नहीं।
इस टेस्टिंग के द्वारा सॉफ्टवेयर की स्पीड speed और प्रभावशीलता को टेस्ट किया जाता है और यह देखा जाता है कि स्पीड कैसी है। इसमें कई प्रकार के प्रदर्शन performance और लोड टूल्स load tools का प्रयोग किया जाता है।
सॉफ्टवेयर टेस्टिंग के लिए जिन Tools का इस्तेमाल किया जाता है वो निम्न हैं -
सॉफ्टवेयर टेस्टिंग एक ऐसा करियर विकल्प है जो पिछले कुछ वर्षों में तेजी से बढ़ा है। सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट जीवनचक्र (SDLC) का एक अनिवार्य हिस्सा होने के नाते, सॉफ्टवेयर परीक्षक यह सुनिश्चित करते हैं कि विकसित सॉफ़्टवेयर सभी आवश्यकताओं को पूरा करता है और उपयोगकर्ताओं के लिए त्रुटि-मुक्त है।
सॉफ्टवेयर परीक्षकों की जिम्मेदारियों में शामिल हैं:
सॉफ़्टवेयर की आवश्यकताएं और डिज़ाइन दस्तावेज़ों को समझना और सत्यापित करना
विभिन्न प्रकार के परीक्षणों का उपयोग करके सॉफ़्टवेयर की कार्यक्षमता, सुरक्षा, प्रदर्शन और उपयोगिता का परीक्षण करना
परीक्षण के परिणामों का दस्तावेजीकरण और विश्लेषण करना
डेवलपर्स के साथ मिलकर बग्स को ठीक करना और सॉफ़्टवेयर की गुणवत्ता में सुधार करना
सॉफ्टवेयर टेस्टिंग में करियर बनाने के लिए, निम्नलिखित कौशल और योग्यताएं आवश्यक हैं:
कंप्यूटर विज्ञान और सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग की मूलभूत समझ
परीक्षण के विभिन्न प्रकारों का ज्ञान, जैसे कि कार्यात्मक परीक्षण, गैर-कार्यात्मक परीक्षण, एकीकरण परीक्षण, सिस्टम परीक्षण और स्वीकृति परीक्षण
विभिन्न परीक्षण उपकरणों और प्रौद्योगिकियों का ज्ञान
विश्लेषणात्मक और समस्या-समाधान कौशल
मजबूत संचार और सहयोग कौशल
सॉफ्टवेयर परीक्षकों की मांग सभी उद्योगों में बढ़ रही है, विशेष रूप से आईटी, वित्तीय सेवाओं और स्वास्थ्य सेवा क्षेत्रों में। सॉफ्टवेयर टेस्टर विभिन्न भूमिकाओं में काम कर सकते हैं, जैसे कि:
गुणवत्ता आश्वासन (QA) इंजीनियर Quality Assurance (QA) Engineer
सॉफ्टवेयर परीक्षण इंजीनियर Software testing engineer
स्वचालन परीक्षण इंजीनियर Automation test engineer
प्रदर्शन परीक्षण इंजीनियर Performance testing engineer
सुरक्षा परीक्षण इंजीनियर Pecurity test engineer
सॉफ्टवेयर टेस्टिंग में करियर की संभावनाएं बहुत अच्छी हैं। सॉफ्टवेयर परीक्षकों के लिए वेतन पैकेज भी काफी आकर्षक हैं। इसके अलावा, सॉफ्टवेयर परीक्षकों के पास विदेशों में नौकरी पाने के भी अच्छे अवसर हैं।
सॉफ्टवेयर टेस्टिंग में करियर बनाने के लिए, आप निम्नलिखित कदम उठा सकते हैं:
सॉफ्टवेयर परीक्षण में एक प्रमाणित पाठ्यक्रम करें।
सॉफ्टवेयर परीक्षण परियोजनाओं में स्वयंसेवक या इंटर्नशिप करें।
ओपन सोर्स सॉफ्टवेयर में योगदान दें।
सॉफ्टवेयर परीक्षण समुदायों में सक्रिय रहें।
सॉफ्टवेयर परीक्षण नौकरियों के लिए आवेदन करें।
यदि आप सॉफ्टवेयर टेस्टिंग में करियर बनाने के बारे में सोच रहे हैं, तो यह एक अच्छा समय है ऐसा करने के लिए। सॉफ्टवेयर परीक्षकों की मांग बढ़ रही है, और इस क्षेत्र में करियर की संभावनाएं बहुत अच्छी हैं।