आप के साथ कभी ना कभी ऐसा ज़रूर हुआ होगा जब आपको लगा होगा कि आप कोई काम नहीं कर सकते हैं और बिना किसी कोशिश के आप पहले से ही तय कर लेते हैं कि ये तो मेरे बस की बात नहीं है। ये एक तरह का सेल्फ रिजेक्शन Self-Rejection है, जब कोई और नहीं बल्कि आप खुद ही ये तय कर लेते हैं कि आप किसी विशेष काम को नहीं कर सकते हैं। ऐसे में किसी भी काम को ट्राई किए बिना ही आप यह निर्णय ले लेते हैं कि अगर मैंने कोशिश भी की तो भी मैं इस विशेष काम को नहीं कर पाऊंगा। ऐसे करने पर धीरे-धीरे आप सेल्फ रिजेक्शन के जाल में उलझते रहते हैं और कोई भी काम करने से पहले ही आप ये ठान लेते हैं कि मुझसे ये काम नहीं हो पाएगा।
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आप के साथ कभी ना कभी ऐसा ज़रूर हुआ होगा जब आपको लगा होगा कि आप कोई काम नहीं कर सकते हैं और बिना किसी कोशिश के आप पहले से ही तय कर लेते हैं कि ये तो मेरे बस की बात नहीं है। ये एक तरह का सेल्फ रिजेक्शन Self-Rejection है, जब कोई और नहीं बल्कि आप खुद ही ये तय कर लेते हैं कि आप किसी विशेष काम को नहीं कर सकते हैं। ऐसे में किसी भी काम को ट्राई किए बिना ही आप यह निर्णय ले लेते हैं कि अगर मैंने कोशिश भी की तो भी मैं इस विशेष काम को नहीं कर पाऊंगा। ऐसे करने पर धीरे-धीरे आप सेल्फ रिजेक्शन के जाल में उलझते रहते हैं और कोई भी काम करने से पहले ही आप ये ठान लेते हैं कि मुझसे ये काम नहीं हो पाएगा।
The greatest trap in our life is not success, popularity or power, but self-rejection. - Henri Nouwen
शुरुआत में इसके लक्षण पहचानना थोड़ा मुश्किल है क्योंकि हम सब कभी ना कभी खुद को रिजेक्ट करते हैं लेकिन जब ये आदत बन जाए तो ये गंभीर समस्या का रूप ले लेती है। आइए Self-rejection के लक्षण को जानते हैं-
खुद की तुलना दूसरों से करना नॉर्मल है लेकिन जब आप हर बात पर दूसरों से तुलना करते हैं तो धीरे-धीरे ये एक ऑब्सेशन बन जाता है और ये आपको तंग करने लगता है। किसी काम को करने में आपको 5 घंटे लगते हैं वहीं आपके दोस्त उसी काम को 3 घंटे में कर लेते हैं, इस पर भी आप अपनी तुलना उनसे ये कहकर करते हैं कि मैं क्यों उस काम को 3 घंटे में नहीं कर पा रहा हूं।
आप खुद को परफेक्ट बनाइए लेकिन अपनी तुलना खुद से करिए। क्या आप कल से बेहतर काम कर रहे हैं, क्या आप एक अच्छा रूटीन फॉलो कर रहे हैं। दूसरों से तुलना करके आप अपने काम से ज्यादा उनके काम पर फोकस करेंगे और आप अपने काम में अच्छा नहीं कर पाएंगे।
“Comparison with myself brings improvement, comparison with others brings discontent.” – Betty Jamie Chung
ऐसा अक्सर होता है कि हम अपने लिए कई बड़े-बड़े गोल्स goals सेट करते हैं, फिर कुछ समय बाद हमें यह पता चलता है कि उन गोल्स को अचीव करना इतना आसान नहीं है तो फिर हम छोटे-छोटे गोल्स बनाते हैं, गोल्स को मोडिफाई और एडजस्ट करते हैं और ऐसा करना बिलकुल जायज़ है, पर कुछ लोगों में ये आदत होती है कि वे कभी बड़े गोल्स बनाते ही नहीं है क्योंकि उन्हें लगता है कि ये उनके बस की बात ही नहीं है। वे हमेशा आसान गोल्स बनाते हैं और कभी-कभी उन्हें अचीव करते हैं और खुश रहते हैं। स्किल्स के होने के बावजूद भी वे खुद को हमेशा ये कहकर रिजेक्ट Self-rejection करते हैं कि ये काम मुश्किल है, मुझसे नहीं होगा, मुझे एक्सपीरियंस नहीं है, मेरी उम्र कम है, आदि।
आप खुद को ये सोचकर आइसोलेट isolating yourself कर लेते हैं कि अगर आप दूसरों से अपने बारे में बात करेंगे तो लोग आपकी बात में रुचि नहीं दिखाएंगे और आपसे बात नहीं करेंगे इसीलिए किसी के रिजेक्ट करने से पहले ही आप खुद को रिजेक्ट कर लेते हैं।
हां, ये बिलकुल सच है कि कई बार लोग हमारे आइडियाज को पसंद नहीं करते हैं और हमसे बात नहीं करना चाहते हैं लेकिन ये हर बार नहीं होता है और इस डर से कि लोग आपको पसंद नहीं करेंगे, आप खुद को आइसोलेट करते हैं, ये बेहद गलत है। खुद को आइसोलेट कर लेने से आप कई चीजों को मिस कर देते हैं और कुछ समय बाद आप पहले जैसे कांफिडनेट नहीं रहते हैं।
लाइफ में अपने गोल्स को अचीव करने के लिए और रोज़ कल से बेहतर बनने के लिए मेंटर की मदद लेना, अपने से बड़े लोगों की सलाह लेना, दोस्तों से बात करना अच्छा होता है लेकिन उनकी बातें सुनने के बाद अपना निर्णय तुरंत बदलना सही नहीं है। आपको लोगों की बातें और उनके सजेशन suggestion सुनने चाहिए लेकिन अपने डिसीजन स्वयं ही लेने चाहिए। कई लोग अपने डिसीजन खुद नहीं लेते हैं और दूसरों की बातों को फॉलो करने लग जाते हैं। आपको जान के आश्चर्य होगा कि अपने डिसीजन खुद ना लेना भी सेल्फ रिजेक्शन Self-rejection का एक लक्षण है।
उदाहरण- आपको स्टार्टअप, बिज़नेस और उद्यमिता से जुड़े ब्लॉग्स लिखना पसंद है और आप ऐसे ब्लॉग्स लिखकर लोगों की मदद करना चाहते हैं लेकिन एक दिन आपके किसी दोस्त ने आपसे कहा कि आप एक बहुत अच्छे क्रिएटिव राइटर हैं और आपको एक नॉवेल लिखनी चाहिए। आपने स्टार्टअप, बिज़नेस और उद्यमिता से जुड़े क्षेत्र में बहुत रिसर्च करने के बावजूद भी अपने प्लांस बदल दिए और आपने ये तय किया कि आप अब स्टार्टअप, बिज़नेस और उद्यमिता जैसे टॉपिक्स पर लिखने की बजाय नॉवेल लिखेंगे। एक्सप्लोर करना गलत नहीं है लेकिन किसी की बात को तुरंत मान लेना और अपने प्लांस को तुरंत बदल लेना भी एक तरह का सेल्फ रिजेक्शन है।
कई बार ऐसा होता है जब हम कुछ गलत कर रहे होते हैं लेकिन हमें खुद इस बारे में पता नहीं होता है। सेल्फ रिजेक्शन को रोकने का सबसे अच्छा तरीका है ये मान लेना कि आपमें ये आदत है और आपको इसे सही करना है। बड़ी से बड़ी बुरी आदत को हम बस कुछ दिनों में सुधार सकते हैं, अगर हम ये मान लें कि हम कुछ गलत कर रहे हैं और ये ठान लें कि अब मुझे ऐसा नहीं करना है।
1. ये मान लें कि आप खुद को सबसे ज्यादा जज़ करते हैं।
आपको ये मानना पड़ेगा कि आप खुद को सबसे ज्यादा जज़ करते हैं। कई बार कोई बात हमें बहुत परेशान करती है कि लोग क्या सोचेंगे, क्या रिएक्शन देंगे, आपको क्या करना चाहिए लेकिन वास्तव में लोग आप पर ध्यान भी नहीं देते हैं इसीलिए खुद को रिजेक्ट मत करिए। आपको ख़ुद को बेहतर बनाने की कोशिश करनी चाहिए।
2. अपनी बात को सबके सामने रखिए।
ये सोचकर की लोगों को आपका आइडिया पसंद नहीं आएगा और लोग आपको जज करेंगे, आप खुद को आइसोलेट कर लेते हैं लेकिन क्या आपने कभी अपनी बात लोगों के सामने रखी है। लोगों के सामने अपना ओपिनियन रखने से मत डरिए क्योंकि हर विषय को लेकर सबका अलग नज़रिया होता है फिर हमेशा आप ही क्यों चुप रहें ?
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3. खुद को याद दिलाइए कि आप बेस्ट हैं।
हमें खुद को याद दिलाते रहना चाहिए कि मैं बेस्ट हूं। हम सबकी अपनी खामियां होती हैं लेकिन हम सब में कई गुण भी होते हैं। कुछ खामियों की वजह से खुद को हमेशा पीछे रखना सही नहीं है।
निष्कर्ष
सेल्फ रिजेक्शन डरावना होता है और हम सब इससे गुजरते हैं लेकिन अच्छी बात ये है कि अगर हम चाहें तो हम सब अपने विचारों पर काबू पा सकते हैं और ऐसा करने से आपकी सेल्फ रिजेक्शन की आदत भी धीरे-धीरे चली जाएगी।