ये तो हम सब जानते हैं कि जैव-विविधता के बिना पृथ्वी पर मानव जीवन का कोई अस्तित्व नहीं है। क्योंकि प्रकृति को बनाये रखने में जैव विविधता की मह्त्वपूर्ण भूमिका है। जैव-विविधता पारितंत्र को स्थिरता प्रदान कर पारिस्थितिक संतुलन को बनाये रखने में भी मदद करती है। जैव-विविधता भोजन, कपड़ा, लकड़ी, ईंधन तथा चारा की आवश्यकताओं को भी पूरा करती है। इसके अलावा वानस्पतिक जैव-विविधता औषधीय आवश्यकताओं को भी पूरा करती है। देखा जाए तो भारत बायोडायवर्सिटी की दृष्टि से काफी समृद्ध देश है और भारत विश्व के 17 बड़े विविधता वाले देशों में से एक है।
जैव विविधता शब्द एक बहुत ही विशाल शब्द है जो अपने आप में बहुत कुछ समेटे हुए है। इस शब्द के अंदर न जाने कितनी चीज़ें आ जाती हैं। जैव-विविधता जीवों के बीच पायी जाने वाली विभिन्नता को कहते हैं। जो कि अलग अलग-अलग प्रजातियों की विविधता को दर्शाती हैं। इस पृथ्वी पर सब लोग जैव-विविधता के महत्त्व से अनजान हैं लेकिन जैव-विविधता का मानव जीवन में महत्त्वपूर्ण स्थान है। हम यह भी कह सकते हैं कि जीव जन्तु, पेड़ पौधे तथा जैविक घटकों की संख्या ही जैव विविधता (Biodiversity) है। चलिए जानते हैं क्या है जैव विविधता।
जैव विविधता मतलब शब्द के अंदर पृथ्वी पर रहने वाली सारी जैविक प्रजातियाँ biological species आ जाती हैं। इसमें सभी प्रकार के जीव जंतु, स्तनधारी, पक्षी प्रजातियाँ, सरीसर्प, कीड़े -मकोड़े, उभयचर, पेड़-पौधे, सूक्ष्म जीव, प्रोटोजोआ, बैक्टीरिया, वायरस, शैवाल, कवक आदि आते हैं। जैव-विविधता (जैविक-विविधता) जीवों के बीच पायी जाने वाली विभिन्नता है जो कि प्रजातियों के बीच और उनकी पारितंत्रों की विविधता को दर्शाती है। सर्वप्रथम वाल्टर जी. रासन ने 1985 में जैव-विविधता शब्द का प्रयोग किया था। भारत विश्व के 17 बड़े विविधता वाले देशों में से एक है। विश्व की लगभग 70 प्रतिशत बायोडायवर्सिटी इन्ही 17 देशों में पायी जाती है। पूरे विश्व में ब्राजील में जैव विविधता का स्तर सर्वाधिक है।
जैव विविधता के संरक्षण से तात्पर्य है जैव विविधता को बचाना। बिना इसके हम पृथ्वी में जीने की कल्पना भी नहीं कर सकते हैं। प्रकृति में संतुलन बनाए रखने के साथ ही जैव विविधता का संरक्षण करना अत्यंत आवश्यक है। हम इंसान अपनी सुख-सुविधा के लिए प्रकृति से छेड़छाड़ कर रहे हैं जिसका असर साफ़ तौर से जैव विविधता पर पड़ रहा है। प्रकृति में किसी भी प्रकार के जीव तथा वनस्पति का विनाश करना हम सबके लिए खतरनाक हो सकता है। जैव विविधता का संरक्षण इसलिए सबसे आवश्यक हो जाता है क्योंकि जीव जन्तु तथा वनस्पति पर्यावरण का संतुलन बनाए रखने में मदद करते हैं। इसका असर दिख भी रहा है जैसे ओजोन परत में छेद, वातावरण में गर्मी का बढ़ना Global warming आदि समस्याएं पैदा हो रही हैं। जहाँ एक तरफ आबादी बढ़ने से भोजन की अधिक आवश्यकता हो रही है वहीँ इंसान वनों का विनाश, बांधों का निर्माण, उद्योगों का अधिक निर्माण, शिकार, आदि करके जैव विविधता को नुकसान पहुंचा रहा है। ये सब देखते हुए इसका संरक्षण अत्यंत आवश्यक हो गया है। जैव विविधता संरक्षण के लिए विभिन्न राष्ट्रीय उद्यान, वन्य जीव अभयारण्य, जैव मंडलीय सुरक्षित क्षेत्र की स्थापना तथा बाघ परियोजनाएं आदि चल रही हैं। इसके अलावा कुछ शोध संस्थान भी इसमें कार्य कर रहे हैं। साथ ही विश्व प्रकृति निधि World Wide Fund for Nature (WWF) के द्वारा भी इस जैव-विविधता के संरक्षण के लिए कार्य किया जा रहा है। उष्ण कटिबंधीय क्षेत्रों में सर्वाधिक जैव विविधता पाई जाती है जबकि धुर्वो पर बायोडायवर्सिटी कम है।
जैविक संसाधनों के क्षय को ही जैव विविधता का क्षरण कहा जाता है। जैव विविधता के क्षरण से हम इंसानो के लिए खतरा पैदा हो गया है। जैव विविधता क्षरण के मुख्य कारण हैं - जनसंख्या विस्फोट population explosion जनसंख्या विस्फोट ही वनों के विनाश का प्रमुख कारण है। वन ही ऑक्सीजन के प्रमुख उत्सर्जक तथा कार्बन डाइऑक्साइड के अवशोषक होते हैं। इंसान अपने सुख और ऐशो आराम के लिए लगातार वनों का दोहन कर रहा है जिसका खामियाजा पूरे विश्व को भुगतना पड़ेगा। अन्य कारण जैसे, वन्य-जीवों का शिकार, चिड़ियाघर तथा शोध हेतु प्रजातियों का उपयोग, चराई, बीमारी, पर्यावरण प्रदूषण, आदि हैं। जैव विविधता के क्षरण से पारितंत्र में खाद्य शृंखला अव्यवस्थित हो जाती है। चराई जैव-विविधता क्षरण का एक प्रमुख कारण है। चिड़ियाघर के लिये जानवरों को पकड़ने के कारण इनकी जनसंख्या में गिरावट होने की संभावना रहती है। जिस कारण से धीरे-धीरे ये जानवर विलुप्त हो जाते हैं। इसके अलावा जैव विविधता के क्षरण का मुख्य कारण शिकार भी है। क्योंकि जानवरों की खाल, दांत, सींग का इस्तेमाल किया जाता है। शिकार Hunt के कारण ये जानवरों की प्रजातियाँ भी लुप्त हो रही हैं।
जैव विविधता को तीन स्तरों बांटा जा सकता है।
1 -आनुवांशिक जैव विविधता (Genetic biodiversity)
2 -प्रजातीय विविधता (Species biodiversity)
3 -परितंत्रीय विविधता (Ecological biodiversity)
प्रजातियों में पायी जाने वाली आनुवंशिक विभिन्नता या एक प्रजाति के अंदर ही जीनों का अंतर, आनुवंशिक विविधता के नाम से जाना जाता है । प्रजातियों में पायी जाने वाली विभिन्नता को प्रजातीय विविधता कहते हैं। प्रजातीय विविधता का होना इसलिए भी जरुरी है क्योंकि पारितंत्र Ecosystem के उचित कार्य के लिये यह मह्त्वपूर्ण है और पारितंत्र विविधता का मतलब उस विभिन्नता से है जिसमें प्रजातियों का निवास होता है।
हमारी पृथ्वी पर जीवों की 50 से 300 लाख प्रजातियाँ पाई जाती है। आज पारिस्थितिक संतुलन, मनुष्य की विभिन्न आवश्यकताओं की पूर्ति एवं प्राकृतिक आपदाओं जैसे बाढ़, सूखा, भू-स्खलन आदि से मुक्ति के लिये जैव-विविधता का संरक्षण आज के समय की सबसे बड़ी आवश्यकता है। राष्ट्रीय पार्क national park, जैवमण्डल रिजर्व Biosphere Reserve, अभ्यारण्य Sanctuary, जीन कोष आदि के माध्यम से जैव-विविधता का संरक्षण conservation of biodiversity किया जाता है। घरेलू पौधों तथा जन्तुओं की प्रजातियों की सुरक्षा करके भी जैव विविधता संरक्षण किया जाता है। इसके अलावा बिना जाँच के विदेशी मूल के पौधों के प्रवेश पर रोक के द्वारा। भारत में लगभग 45000 पेड-पौधों व 81000 जानवरों की प्रजातियां पाई जाती है जो विश्व की लगभग 7.1 प्रतिशत वनस्पति और 6.5 प्रतिशत जीवों का भाग हैं। 2002 के बायोडायवर्सिटी संरक्षण अधिनियम के द्वारा अपने इस अभियान में गैर सरकारी संगठनों, वैज्ञानिकों, पर्यावरणविदों तथा आम जनता को भी सरकार ने शामिल किया है। जैव विविधता संरक्षण अधिनियम का कार्य ये है कि जैव विविधता के संरक्षण के लिए आम जनता को भी जरुरी कदम उठाने होंगे और उन स्थानों पर ध्यान देना है जहाँ जैव विविधता सबसे अधिक खतरे में है।
Highlight - ये तो हम सब जानते हैं कि जैव-विविधता के बिना पृथ्वी पर मानव जीवन का कोई अस्तित्व नहीं है। क्योंकि प्रकृति को बनाये रखने में जैव विविधता की मह्त्वपूर्ण भूमिका है। जैव-विविधता पारितंत्र को स्थिरता प्रदान कर पारिस्थितिक संतुलन को बनाये रखने में भी मदद करती है। जैव-विविधता भोजन, कपड़ा, लकड़ी, ईंधन तथा चारा की आवश्यकताओं को भी पूरा करती है। इसके अलावा वानस्पतिक जैव-विविधता औषधीय आवश्यकताओं को भी पूरा करती है। देखा जाए तो भारत बायोडायवर्सिटी की दृष्टि से काफी समृद्ध देश है और भारत विश्व के 17 बड़े विविधता वाले देशों में से एक है। ब्राजील के बाद विश्व में सर्वाधिक जैव विविधता भारत में ही पाई जाती है। जैव विविधता का विनाश पूरी मानव जाति के लिए बहुत महंगा पड़ सकता है इसलिए हम सबको एकजुट होकर इसका संरक्षण करना होगा।