बीते कुछ समय से शेयर मार्केट को लेकर क्रेज काफी बढ़ गया है। आजकल हर कोई अक्सर स्टॉक मार्केट में इनवेस्ट करने के बारे में जरूर सोचता है। तमाम लोग इसमें पैसा इन्वेस्ट करते हैं और बेहतर मुनाफा कमाते हैं। लेकिन शेयर मार्केट Share Market को काफी रिस्की माना जाता है। ये जितनी तेजी से मुनाफा करवाता है, उतनी ही तेजी से आपको पैसों का नुकसान भी करवा सकता है। इसलिए ये जरूरी है कि स्टॉक मार्केट की दुनिया में कदम रखने से पहले आप इसको लेकर स्टडी कर लें और कुछ बेसिक बातों को अच्छी तरह से जान लें। आज बड़े पैमाने पर कई लोग अच्छी इन्वेस्टमेंट स्ट्रेटजी good investment strategy को अपनाकर करोड़ों रुपयों की कमाई कर रहे हैं। हाल में भारत की कई कंपनी भी अपने आईपीओ के जरिए स्टॉक मार्केट में लिस्ट हो चुकी हैं। स्टॉक मार्केट की दुनिया में आपने IPO का जिक्र जरूर सुना होगा। आईपीओ (IPO) Initial Public Offering इनीशियल पब्लिक ऑफरिंग आजकल चर्चा का विषय बना हुआ है। कंपनी अपना विस्तार करने के लिए और फंडिंग इकट्ठा करने के लिए आईपीओ जारी करती है। पिछले साल भी आईपीओ टर्म काफी ट्रेंड में था। कई बड़ी कंपनियां जैसे पारस डिफेंस, पेटीएम, जोमेटो आदि आईपीओ के जरिए अपने स्टॉक मार्केट में लेकर आई थीं। ये ऐसी कुछ कंपनियां हैं जो सार्वजनिक हुईं और उनके शेयर की कीमतों में वृद्धि देखी गई जैसे-Alibaba, General Motors Company, ICBC Group, Industrial and Commercial Bank of China, Agricultural Bank of China, Saudi Aramco, Visa Inc., AIA Group Limited, आदि। वैसे अभी भी कुछ लोग ऐसे हैं, जो आईपीओ के विषय में नहीं जानते। तो आईपीओ (IPO) क्या है, इस आर्टिकल के माध्यम से आप आसानी से जान सकते हैं।
आजकल हर कोई अक्सर स्टॉक मार्केट में इनवेस्ट करने के बारे में जरूर सोचता है। क्योंकि ये दौर निवेश का है और (IPO) आईपीओ, इनवेस्टिंग INVESTING का ही एक तरीका है । वैसे भी आईपीओ (IPO) Initial Public Offering इनीशियल पब्लिक ऑफरिंग आजकल चर्चा का विषय बना हुआ है। आपने भी IPO और Stock के बारे में काफी सुना होगा। आजकल हर कोई अधिक से अधिक पैसे कमाना चाहता है और प्रत्येक व्यक्ति यही चाहता है कि पैसे कहीं इन्वेस्ट करके और भी ज्यादा पैसे कमाए जाये। ऐसे ही बहुत सारी बड़ी और छोटी कंपनियां भी इन्वेस्ट करती हैं और उन्ही इन्वेस्ट करने के तरीकों में से एक है, IPO (आईपीओ)। आजकल कई कंपनियां अपना विस्तार करने के लिए और फंडिंग इकट्ठा करने के लिए आईपीओ जारी करती हैं। यानि कंपनियां अपने IPO को समय-समय पर लॉन्च करती हैं और लोग उसमें अपना पैसा लगाते हैं। चलिए जानते हैं अब तक के कुछ सबसे बड़े आईपीओ के बारे में। आपने भी IPO और Stock के बारे में सुना होगा लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं कि IPO क्या है, तो चलिए आज विस्तार से जानते हैं कि IPO आइपीओ क्या है और अब तक के कुछ सबसे बड़े आईपीओ कौन हैं।
आईपीओ का मतलब प्रारंभिक पब्लिक पेशकश (Initial Public Offering) से है। आईपीओ एक कंपनी के द्वारा लाया जाता है। आईपीओ के जरिए एक कंपनी स्टॉक मार्केट में शेयर के बदले लोगों से धन उठाती है। कोई भी कंपनी जब अपने शेयर को पहली बार पब्लिक के लिए लेकर आती है, उसे ही IPO आईपीओ कहा जाता है। देश में तमाम प्राइवेट कंपनियां विभिन्न क्षेत्रों में काम करती हैं। जब इन कंपनियों को फंड की जरूरत होती है तो ये खुद को स्टॉक मार्केट में लिस्ट करवाती हैं और इसका सबसे बेहतर तरीका है आईपीओ। आईपीओ को जारी करने के बाद कंपनी शेयर मार्केट में लिस्ट हो जाती हैं। इसके बाद निवेशक उसके शेयर को खरीद और बेच सकते हैं। आईपीओ की मदद से कंपनियां कैपिटल इकट्ठा करने का काम करती हैं।
कंपनियां आईपीओ को तभी जारी करती हैं, जब उन्हें ज्यादा मात्रा में पूंजी की जरूरत होती है। यानि ऐसा करने से निवेशकों investors को शेयर की हिस्सेदारी मिल जाती है और इसके साथ ही कंपनियों को अपने बिज़नेस को करने के लिए अच्छी पूंजी भी मिल जाती है। इससे कंपनी को अपने बिज़नेस का विस्तार करने to expand business या बढ़ाने के लिए जरुरी खर्चों के लिए पूंजी मिल जाती है। अधिकतर उन छोटी और नई कंपनियों द्बारा IPO जारी किए जाते हैं जो अपने व्यापार को बढाने के लिए, विस्तार करने के लिए एवं आवश्यक खर्चों के लिए पूँजी चाहते हैं। आइपीओ (IPO) बड़ी निजी-स्वामित्व वाली कंपनियों द्वारा भी जारी किए जा सकते हैं।
IPO को लाने का मुख्य कारण Main reason for bringing IPO यह है कि जब किसी कंपनी को अतिरिक्त पूंजी की आवश्यकता होती है तो वह आईपीओ जारी करती है। ये आईपीओ कंपनी उस वक्त भी जारी कर सकती है जब उसके पास धन की कमी हो और वह बाजार से कर्ज लेने के बजाय आईपीओ से पैसा जुटाना ज्यादा बेहतर समझती है।
क्योंकि आज हर कोई कंपनी चाहती है कि वो अपना विस्तार और बड़े स्तर पर करे। इस तरह जब कोई कंपनी अपनी तरक्की चाहती है तो उसे इन्वेस्टमेंट निवेश की आवश्यकता होती है। जिसके लिए उसे अधिक पूंजी चाहिए होती है। बस इसी इन्वेस्टमेंट और पैसे के लिए कोई कंपनी अपने कम्पनी के शेयर बेच कर सार्वजानिक बन जाती है और इसमें लोगों का भी फायदा हो जाता है। क्योंकि जो भी इनवेस्टर आईपीओ में इनवेस्ट करते हैं उन्हें उस खरीदे गए आईपीओ के बदले में कंपनी में कुछ प्रतिशत की हिस्सेदारी मिल जाती है। यानि IPO किसी भी कंपनी की विस्तार योजना होती है।
शेयर बाजार में सूचीबद्ध होने के बाद listed on the stock market कंपनी अपने शेयरों को अन्य योजनाओं में लगा सकती है। भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड मतलब SEBI (Securities and Exchange Board of India) आईपीओ लाने वाली कंपनियो के लिए एक सरकारी रेग्युलेटरी है। यह आईपीओ लाने वाली कंपनियो से नियमों का सख्ती से पालन करवाती है और कंपनी हर तरह की जानकारी सेबी को देने के लिए बाध्य होती हैं। आईपीओ लाने के मुख्य कारण हैं कम्पनी का विस्तार करना, कर्ज कम करने लिए या फिर किसी नए प्रोडक्ट या सर्विस को लॉन्च करने के लिए भी कम्पनी आईपीओ जारी करती है। आईपीओ के माध्यम से जुटाई गई धनराशि सामान्य रूप से कंपनी के विस्तार, उसके तकनीकी विकास, नई संपत्ति खरीदने हेतु, कर्जे समाप्त करने आदि के लिए उपयोग में लाई जाती है।
आईपीओ में निवेश करने के लिए आपके पास डीमैट अकाउंट का होना बहुत जरूरी है। Demat account डीमैट अकाउंट खोलना इसलिए जरुरी है क्योंकि लेनदेन चेक और कैश में नहीं होता है यानि डीमैट अकाउंट से जुड़े खाते से लेनदेन होता है। डीमैट अकाउंट आप किसी भी ब्रोकिंग फर्म से खोल सकते हैं। आईपीओ जारी करने वाली कंपनी अपने आईपीओ को इनवेस्टर्स के लिए 3-10 दिनों के लिए ओपन करती है। मतलब जब कोई भी आईपीओ आता है तो उसे इनवेस्टर 3 से 10 दिनों के अंदर ही खरीद सकता है। कोई कंपनी अपने आईपीओ जारी करने की अवधि सिर्फ 3 दिन रखती है या कोई- कोई तीन दिन से ज्यादा भी रखती है। उतने दिनों के अंदर ही निवेशक कंपनी की साइट पर जाकर या ब्रोकरेज फर्म की मदद से आईपीओ में इन्वेस्ट कर सकते हैं। अगर आईपीओ फिक्स प्राईस इश्यू है तो आपको उसी फिक्स प्राईस पर आईपीओ के लिए अप्लाई करना होगा और अगर आईपीओ बुक बिल्डिंग इश्यू है तो आपको उस बुक बिल्डिंग इश्यू पर ही बिड लगानी होगी। जब कोई भी कंपनी अपना आईपीओ लाती है तो उसे सेबी SECURITIES AND EXCHANGE BOARD OF INDIA के नियमों का पालन करना होता है।
आईपीओ के दो प्रकार होते हैं। पहला फिक्स्ड प्राइस आईपीओ और दूसरा बुक बिल्डिंग आईपीओ।
फिक्स्ड प्राइस आईपीओ Fixed Price IPO
फिक्स्ड प्राइस IPO को इश्यू प्राइस के रूप में संदर्भित किया जा सकता है जो कुछ कंपनियां अपने शेयरों की प्रारंभिक बिक्री के लिए निर्धारित करती हैं। निवेशकों को उन शेयरों की कीमत के बारे में पता चलता है जिन्हें कंपनी सार्वजनिक करने का फैसला करती है। यदि निवेशक इस IPO में हिस्सा लेते हैं, तो उन्हें यह सुनिश्चित करना होगा कि वे आवेदन करते समय शेयरों की पूरी कीमत का भुगतान करें।
बुक बिल्डिंग आईपीओ Book Building IPO
बुक बिल्डिंग के मामले में IPO शुरू करने वाली कंपनी निवेशकों को शेयरों पर 20% मूल्य बैंड प्रदान करती है। इसमें निवेशक अंतिम कीमत तय होने से पहले शेयरों पर बोली लगाते हैं। यहां निवेशकों को उन शेयरों की संख्या निर्दिष्ट करने की आवश्यकता है जिन्हें वे खरीदना चाहते हैं और वह राशि जो वे प्रति शेयर भुगतान करने को तैयार हैं। इसमें शेयरों की कीमत के संबंध में अंतिम निर्णय निवेशकों की बोलियों द्वारा निर्धारित किया जाता है।
अब तक के सबसे बड़े आईपीओ Biggest IPO ever
नीचे ऐसी कुछ कंपनियां हैं जो सार्वजनिक हुईं और उनके शेयर की कीमतों में वृद्धि देखी गई।
ICBC Group
Industrial and Commercial Bank of China
Agricultural Bank of China
NTT DOCOMO, Inc.
Saudi Aramco
Visa Inc.
AIA Group Limited
Deutsche Telekom AG
Enel
कुछ नए आईपीओ की सूची
Harsha Engineers
Tracxn Technologies
Electronics Mart
DCX Systems Ltd.
DreamFolks Services
आईपीओ खरीदने वालों की कंपनी में हिस्सेदारी
कंपनी के आईपीओ खरीदने वालों की कंपनी में हिस्सेदारी हो जाती है और इस तरह कंपनी के पास फंड इकट्ठा हो जाता है। यानि आईपीओ को लाने के बाद उस कंपनी को चलाने वाला सिर्फ उसका मालिक या परिवार नहीं होता, बल्कि वो सभी investor निवेशक भी इसमें शामिल होते हैं जिनका अपना पैसा उसके शेयर में लगा होता है। निवेशकों से आए फंड को कंपनी अपना विस्तार करने के लिए, कंपनी की आगे बढ़ाने के लिए और अन्य कामों में खर्च कर सकती है।
वहीं ये बात हर किसी के मन में आती है क्या IPO में निवेश करना चाहिए या नहीं। जैसे कि आम तौर पर शेयर बाजार में निवेश के साथ होता है। इसके लिए आपको समझदारी के साथ चुनाव करने की जरूरत होती है। इसके लिए आपको इस बारे में अच्छे से जानकारी होनी चाहिए कि कंपनी कौन चलाता है और कंपनी के व्यवसाय मॉडल की दीर्घकालिक संभावनायें क्या हैं आदि।