भ्रष्टाचार पूर्ण रूप से ख़त्म नहीं हो रहा परन्तु सुकून इस बात का भी है कि इस समाज में ऐसे भी कई लोग है जो सदाचार को ही अपना कर्तव्य मानते हैं और इसी रास्ते पर सदैव चलते हैं। भ्रष्टाचार को ख़त्म करने के लिए हमें सबसे पहले स्वयं में परिवर्तन लाने की आवश्यकता है, यदि हम स्वयं को दृढ़ बना लेंगे तो इसे ख़त्म करने की पहल अपने आप शुरू हो जाएगी।
व्यवहार मनुष्य की ऐसी प्रवृत्ति है जिसके कारण वह हमेशा लोगों के ज़हन में रहता है। यह हमेशा से कहा जाता रहा है कि समाज को सभ्य होना चाहिए, जहां पर सदाचार, अनुशासन हो तथा वह सबके हित के लिए निर्मित होना चाहिए। कुछ सिद्धांतों का निर्माण इसीलिए किया गया है ताकि वह लोगों के हित में सिद्ध हों। सदियों से यही व्यवस्था चली आ रही है। परन्तु इसके साथ यह भी सत्य है कि अच्छाई और बुराई दोनों ही एक साथ चलती हैं और सदैव समाज का हिस्सा बनीं रहती हैं। आखिरकार मनुष्य का व्यवहार भी इसी सिद्धांत पर तो लोगों द्वारा याद किया जाता है कि वह अच्छा है या बुरा। वह किस प्रकार का कार्य करता है उसके आधार पर ही उसके व्यवहार का आंकलन किया जाता है। दुनिया में आज वह दौर चल रहा है जहां पर अधिकतम व्यक्ति केवल अपने तथा अपने कुछ चाहने वालों के फ़ायदे के बारे में सोच रहा है। अब वह किसी भी कार्य को मनुष्य सिर्फ़ इसलिए करता है ताकि वह अपनी जीवनशैली को अधिक सहज बना सके। इसी विचारधारा के कारण आज दुनिया में भ्रष्टाचार Corruption का दायरा इतना बढ़ गया है कि प्रत्येक क्षेत्र में आम लोगों को मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है।
भ्रष्टाचार एक ऐसी कुरीति है, जो आज दुनिया के प्रत्येक कोने में अपना पैर पसारे हुए है। जिससे कोई भी वर्ग, कोई भी क्षेत्र आज अछूता नहीं है। भ्रष्टाचार आज शिक्षा Education, स्वास्थ्य Health, विकास Development और न्याय को इस क़दर प्रभावित कर रहा है कि जिन्हें वास्तव में सुविधाओं की आवश्यकता होती है वे इससे अछूते रह जाते हैं तथा जिनके पैसे और पावर जैसे तत्व होते हैं वे कठिन से कठिन कार्य को आसानी से करवा लेते हैं। परन्तु सोचने वाली बात यह है कि आख़िरकार इसमें से भ्रष्टाचार को जन्म कौन दे रहा है वह जो अनुचित कार्य करने को कह रहा या फिर वह जो इस अनुचित कार्य को कर रहा है।
कोई भी अनुचित कार्य भ्रष्टाचार की श्रेणी में आता है, चाहें वह किया जाये या कराया जाये। अपने जीवन को सहज बनाने के लिए दूसरों के जीवन को कठिन बनाना किसी भी प्रकार से सही नहीं होता है। यही कारण है कि विश्व की सबसे बड़ी संस्था United Nation पूरे विश्व में 9 दिसम्बर को अंतर्राष्ट्रीय भ्रष्टाचार विरोधी दिवस मनाता है ताकि प्रत्येक व्यक्ति को गलत कार्यों के प्रति जागरूक Awareness किया जा सके।
प्रत्येक वर्ष 9 दिसम्बर को यह मनाया जाता है तथा प्रति वर्ष इसकी अलग-अलग थीम होती है जो भिन्न-भिन्न विषयों से संबंधित होता है। दुःख की बात यह है कि इतने वर्षों से जागरूकता अभियान चल रहा है परन्तु भ्रष्टाचार पूर्ण रूप से ख़त्म नहीं हो रहा परन्तु सुकून इस बात का भी है कि इस समाज में ऐसे भी कई लोग हैं जो सदाचार को ही अपना कर्तव्य मानते हैं और इसी रास्ते पर सदैव चलते हैं। भ्रष्टाचार को ख़त्म करने के लिए हमें सबसे पहले स्वयं में परिवर्तन लाने की आवश्यकता है, यदि हम स्वयं को दृढ़ बना लेंगे तो इसे ख़त्म करने की पहल अपने आप शुरू हो जाएगी।