एक कोरी पुस्तिका तब कीमती होती है जब उसपर हर रोज़ कुछ न कुछ अच्छे से अच्छा लिखा जाए, और एक दिन वह किताब का विराट रूप ले लेने हेतु तैयार हो जाती है। विराट कोहली के पिता ने भी वही काम किया एक रोज़ अपने बेटे को बल्ला पकड़ाया और वह बच्चा पूरी दुनिया में अपना नाम बल्लेबाजी के दम पर इतना विराट कर लिया कि दुनिया उसको सलाम करती है और भारत के लोग उसके इस हुनर के कायल हैं। मगर कैसे-कैसे एक सफर शुरू हुआ और आज भी वह सफर निरंतर चल रहा है।
भारतीय क्रिकेट indian cricketer के चाहने वाले दुनिया भर में मौजूद हैं। आप किसी भी दौर में देख लीजिये Indian cricketer हमेशा से पूरी दुनिया में अपनी पहचान बनाते आये हैं। कपिल देव kapil dev के बाद से क्रिकेट का लोगों के दिलों में अलग ही पागलपन देखने को मिला है, जब से उन्होंने भारत को पहला विश्व कप first world cup दिला कर इतिहास में अपना नाम दर्ज करा लिया। ये कहानी तब से सिलसिलेबार चलती ही आ रही है। फिर चाहे हम भारत रत्न सचिन तेंदुलकर sachin tendulkar की बात करें, या युवाओं की धड़कन युवराज सिंह yuvraj singh की बात करें या फिर सुपर कूल कप्तान कूल महेंद्र सिंह धोनी की बात करें। इतने सारे सुनहरे नाम हैं भारतीय क्रिकेट टीम में कि यदि एक-एक नाम गिनाने बैठ जाएँ तो ये लिस्ट कभी न खत्म होने वाली लिस्ट बन जाएगी। सबने अपने-अपने समय में बेहतर से बेहतर पारियां खेल कर क्रिकेट जगत में एक अलग ही रुतवा कायम किया है।
मगर जब कई बहुत बेहतरीन खिलाड़ी देश का सम्मान बढ़ा रहे थे उसी वक्त एक और नया हुनर पैदा हो रहा था जिसको आज पूरी दुनिया कोहली के नाम से जानती है। खुद को क्रिकेट जगत में विराट बनाने वाले विराट कोहली virat kohli कभी सूक्ष्म स्तर पर रहें होंगे। आइये जानते हैं उनके सूक्ष्म से विराट होने तक सफर और कैसे शुरू हुआ भारतीय टीम की कप्तानी से कप्तानी छोड़ने तक का सफर।
कौन जानता था 5 नवम्बर 1988 को जन्म लेने वाला विराट नाम का बालक एक दिन सच में क्रिकेट जगत का विराट प्लेयर virat player बन के उभरेगा। दिल्ली में पैदा हुए विराट ने अपने बचपन से ही क्रिकेट को एक अलग एहमियत दे रखी थी। पिता पेशे से वकील रहें है, जिनका नाम प्रेम जी था। बचपन में उनको चीकू chikoo के नाम से पुकारा जाता था। वैसे तो मजाक-मजाक में टीम के सदस्य उनको चीकू बुला देते हैं। कभी-कभी देखने को मिलता है कि जो आप बनने के लिए इस दुनिया में आये हैं उसकी झलक बचपन से ही थोड़ी-थोड़ी मिलने लगती है। जब इनके पिता इनके लिए खिलौना लेकर आते थे, तो तीन साल की उम्र से ही ये उन खिलोनों में बल्ला अधिक पसंद किया करते थे। हालाँकि बल्ला पसंद करने का एक कारण ये भी था क्योंकि इनके पिता अधिकतर इनके साथ बैट-बॉल खेलते थे। पिता ने जब विराट की रूचि को क्रिकेट की तरफ बढ़ते देखा तो पिता ने रोज़ प्रैक्टिस कराने के लिए नज़दीकी क्रिकेट क्लब में इनको सीखने के लिए ले जाना शुरू कर दिया।
क्रिकेट सफर की शुरुआत और अंडर नाइनटीन विश्वकप under nineteen world cup
बारहवीं क्लास की पढ़ाई चल रही थी जब विराट का समय विराट रूप लेने के लिए तैयार था यूँ समझो कि इनके करियर की शुरुआत होने ही वाली थी क्योंकि इनका चयन उस समय अंडर 15 में हो गया। खेल का प्रदर्शन दिन व दिन निखर रहा था, एक के बाद एक उपलब्धि जैसे पंख पसार रही हों। अंडर-15 under fifteen की प्रतियोगिता 2002 में सम्पन्न हुई। उसके 4 साल के इंतज़ार के अंतराल में विराट के खेल की अलग-अलग वेरिएशन को देखते हुए इनको 2006 में अंडर-17 में भी चांस मिला जिसको जीत कर इन्होने अपनी छवि एक क्रिकेटर के रूप में अर्जित कर ली। अब तो समय और नए-नए सूरजों को उगाने का था। 2006 में पिता का देहांत हो गया उस वक्त ये कर्नाटक karnataka में रणजी खेल रहे थे। पिता जिन्होंने उनके हाथ में बल्ला पकड़ाकर, क्रिकेट युग को एक उगता हुआ सूरज देकर इस दुनिया से विदा हो गए। दो बरस और बीते मगर विराट ने विराट होने का हुनर नहीं त्यागा और वो दिन आ गया जब विराट को अंडर-19 विश्व कप का कप्तान captain बनाया गया। बतौर कप्तान विराट ने अंडर-19 विश्वकप का ख़िताब अपने नाम किया और भारत को अंडर19 का कप दिलाया। यह विश्वकप मलेशिया में हुआ था जिसमें भारत ने न्यूज़ीलैंड को हरा कर ये ख़िताब अपने नाम किया था।
पूरे देश में विराट कोहली का नाम सुनाई देने लगा मगर अभी वो मंजिल दूर थी जिसके लिए क्रिकेटर्स इतनी मेहनत करते हैं। विराट कोहली को अपने हुनर और मेहनत पर पूरा भरोसा था, कि एक रोज़ वे अपनी जगह ODI या यूँ कहें की one day international की भारतीय क्रिकेट टीम में बना ही लेंगे। कुछ महीने बाद, 19 साल की उम्र में श्रीलंका के खिलाफ भारत के लिए अपने पहले ओ॰डी॰आई॰ में पदार्पण debut किया। शुरुआत में भारतीय टीम में रिजर्व बल्लेबाज के रूप में खेलने के बाद, उन्होंने जल्द ही ओ॰डी॰आई॰ के मध्य क्रम में नियमित रूप से अपने आप को स्थापित किया।
इंटरनेशनल करियर international career
अपना पहला इंटरनेशनल मैच श्रीलंका sri lanka के खिलाफ खेलने से अपने करियर की शुरुआत करने वाले विराट कोहली के पाँव आज तक चल रहे हैं। 19 साल की उम्र में अपना पहला इंटरनेशनल मैच खेल कर उन्होंने ये तो जता ही दिया था कि वे लम्बे टिकने वाले खिलाड़ी बनकर उभरेंगे। 2011 का वर्ल्डकप और उसमें भारत का नायब प्रदर्शन हर किसी को याद है कप्तान कूल ने इसे भारत के खाते में डाल कर एक नया इतिहास रच दिया। इसे विराट का सौभाग्य ही कहा जायेगा कि अपने पहले ही विश्व कप में खेल कर उन्होंने भारत को क्रिकेट जगत का सरताज बनते देखा। उस पूरी टीम का हिस्सा बनना उनके करिअर का एक प्लस पॉइंट साबित हुआ। धीरे-धीरे उन्होंने अपनी जगह टेस्ट मैच में भी बना ली अब वे एक क्रिकेट स्टार होने से बस एक दो कदम दूर थे। अपनी बेहतरीन पारियों के चलते लोग उनसे यहाँ तक उम्मीद करने लगे थे कि कोहली ही हैं, जो सचिन के रिकॉर्ड schin’s records तोड़ने में सक्षम हैं। ऐसा लोगों को इसलिए लगने लगा था क्योंकि 2013 में पहली बार ओ॰डी॰आई॰ बल्लेबाजों की आई॰सी॰सी॰ रैंकिंग में उन्हें नंबर एक का स्थान प्राप्त हुआ। नम्बर एक पर पहुँचने के बाद, कोहली को ट्वेंटी20 प्रारूप में भी सफलता मिलना शुरू हो गयी। गौरतलब बात है कि आई॰सी॰सी॰ विश्व ट्वेंटी 20 (2014 और 2016 में) में वे मैन ऑफ द टूर्नामेंट man of the tournament दो बार जीते। 2014 में, वह आई॰सी॰सी॰ रैंकिंग में शीर्ष रैंकिंग वाले टी 20 आई बल्लेबाज बने, तथा 2017 तक तीन लगातार वर्षों की स्थिति संभाली। अक्टूबर 2017 के बाद से, वह दुनिया में शीर्ष रैंकिंग ओ॰डी॰आई॰ बल्लेबाज भी रहे हैं। एक ऐसा समय भी आया जब 13 दिसंबर 2016 को वह आई॰सी॰सी॰ रैंकिंग में तीनों फॉर्मैट के प्रथम 3 स्थानों में शामिल थे। उन्होंने कब ज़मी पर चलते-चलते आसमान छू लिया उन्हें खुद भी पता नहीं चला। महज़ 30 साल की उम्र आते-आते उन्होंने कई ख़िताब और सम्मान अपने नाम कर लिए।
IPL का करिअर Indian Premier League - Wikipedia
बतौर RBC royal challengers bangalore के कप्तान विराट कोहली captain virat kohli काफी समय तक उसमें रहे, लेकिन इसको इनका बुरा समय कहो या लक कहो इनका जादू यहाँ उतना नहीं चल पाया जितना कि इनके दर्शकों और इनके चाहने वालों इनसे उम्मीद थी। बतौर खिलाड़ी विराट का प्रदर्शन काफी सराहनीय रहा मगर कप्तान के हिसाब से विराट को IPL में निराशा ही हाथ लगी।
कप्तानी का सफर एक झलक में
अगर हम इनके टेस्ट मैच की कप्तानी की बात करें तो इनका प्रदर्शन बतौर कप्तान बहुत अच्छा रहा है एक्सपर्ट्स के साथ-साथ आंकड़े बताते हैं कि गांगुली ganguli तथा धोनी dhoni से अधिक मैच जिताने वाले विराट एक सफल टेस्ट कप्तान रहें हैं। 2014 को धोनी के कप्तानी छोड़ने और विराट द्वारा इस ज़िम्मेदारी को सँभालने के बाद से उन्होंने कई सीरीज़ अपने नाम की और सबसे अधिक मैच जिताने वाले कप्तान बने। अपने टेस्ट करियर के शुरुआती 4 साल के भीतर ही 5000 रनों का आंकड़ा पार का पूरी दुनिया को चौंका दिया। धोनी के ODI खेल से सन्यास लेने के बाद एक दिवसीय फॉर्मेट की कप्तानी का सरताज भी इनको सौप दिया गया, जिसको इन्होनें बखूबी निभाने का प्रयास किया। 2017 की शुरुआत में, वह धोनी के द्वारा कप्तानी छोड़ने के बाद सीमित ओवर के कप्तान बन गए। ओडीआई में, कोहली 205 पारी में सबसे तेज बल्लेबाज के लिए 10,000 रन बनाने का विश्व रिकॉर्ड अपने नाम कर चुके हैं। ओ॰डी॰आई॰ में, कोहली की दूसरी सबसे ज्यादा शतक और दुनिया में रन-चेस में शतक की सबसे ज्यादा संख्या है। कोहली के सबसे तेज ओ॰डी॰आई॰ शतक सहित कई भारतीय बल्लेबाजी रिकॉर्ड इनके नाम हैं। t-20 फॉर्मेट में भी इन्होंने अपना दबदबा कायम रखा है जैसे ट्वेन्टी-20 अंतरराष्ट्रीय विश्व रिकॉर्ड में से हैं- सबसे तेज बल्लेबाज 2,000 रनों और 1,000 रनों के लिए, कैलेंडर वर्ष में सबसे ज्यादा रन बनाए गए और प्रारूप में सबसे अधिक अर्धशतक। वह विश्व ट्वेंटी 20 और आई॰पी॰एल॰ दोनों के एक टूर्नामेंट में अधिकांश रनों के रिकॉर्ड भी रखते हैं।
कप्तानी से किया अलविदा
अभी हाल ही की खबर है जब कोहली ने अपने इस निर्णय से अपने चाहने वालों को चौंका दिया जब उन्होंने कहा की वे कप्तानी छोड़ रहे हैं। कारण पूछने पर वे कहते हैं कि मुझसे भी बेहतर खिलाड़ी टीम में उपस्थित है, जो कि अनुभवी भी हैं। मुझे लगता है कि ये अवसर अब दूसरे अनुभवी खिलाडियों में से किसी एक को मिलना चाहिए। विराट कोहली के इस निर्णय के बाद से ही कई लोगों ने उनको ट्वीट किये, massages भेजे और उनके उज्जवल भविष्य की कामनाएं की। इस मौके पर उनकी पत्नी अनुष्का शर्मा anushka sharma ने उनके लिए एक भावुकता से भरा हुआ खत भेंट किया।
विराट के कुछ रोचक रिकार्ड्स जैसे
एकदिवसीय मैचों में 10, 15, 20 और 25 शतक तक पहुंचने वाले सबसे तेज भारतीय।
टेस्ट, ODI और T20 में एक साथ 50 से अधिक का औसत रखने वाले इतिहास के एकमात्र बल्लेबाज।
वनडे में 30 और 35 शतक तक पहुंचने वाले दुनिया में सबसे तेज बल्लेबाज।
T20s में 1,000 रन तक पहुंचने वाले दुनिया में दूसरा सबसे तेज रिकॉर्ड।
ODI में लगातार तीन शतक बनाने वाले पहले भारतीय क्रिकेटर।
विराट कोहली को मिले सम्मानित अवार्डस
2012- पीपुल चॉइस अवॉर्ड फॉर फेवरेट क्रिकेटर
2012- आाईसीसी ओडीआई प्लेयर ऑफ द इयर अवॉर्ड
2013- अर्जुन अवॉर्ड फॉर क्रिकेट Arjuna Award for Cricket
2017- सीएनएन-आईबीएन इंडियन ऑफ द इयर
2017- पदम श्री अवॉर्ड Padma Shri Award
2018- सर गर्फिएल्ड सोबर्स ट्रॉफी से विराट को नवाजा गया।
कहने का मतलब है कि विराट ने कई ऐसे अवार्ड अपने नाम करके अपनी छवि को और विराट कर लिया। कोहली 2017 में सर गारफील्ड सोबर्स ट्रॉफी (वर्ष का आई॰सी॰सी॰ क्रिकेटर) जैसे कई पुरस्कार के प्राप्तकर्ता रहे हैं; 2012 में 2017 में आई॰सी॰सी॰ ओ॰डी॰आई॰ प्लेयर ऑफ द ईयर, और 2017 में दुनिया में विज़्डन अग्रणी क्रिकेट खिलाड़ी। 2013 में, उन्हें अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में उनकी उपलब्धियों के सम्मान में अर्जुन पुरस्कार दिया गया था। पद्मश्री को उन्हें खेल श्रेणी के तहत 2017 में सम्मानित किया गया था। 20 से अधिक ब्रांड समर्थन हैं। कोहली ई॰एस॰पी॰एन॰ द्वारा दुनिया के सबसे प्रसिद्ध एथलीटों में से एक है और फोर्ब्स द्वारा सबसे मूल्यवान एथलीट ब्रांडों में से एक है। 2018 में, टाइम पत्रिका ने कोहली को दुनिया के 100 सबसे प्रभावशाली लोगों में से एक नाम दिया। इन्हें 2018 में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद द्वारा राजीव गाँधी खेल रत्न पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
निष्कर्ष
एक कोरी पुस्तिका तब कीमती होती है जब उसपर हर रोज़ कुछ न कुछ अच्छे से अच्छा लिखा जाए, और एक दिन वह किताब का विराट रूप ले लेने हेतु तैयार हो जाती है। विराट कोहली के पिता ने भी वही काम किया एक रोज़ अपने बेटे को बल्ला पकड़ाया और वह बच्चा पूरी दुनिया में अपना नाम बल्लेबाजी के दम पर इतना विराट कर लिया कि दुनिया उसको सलाम करती है और भारत के लोग उसके इस हुनर के कायल हैं। मगर कैसे-कैसे एक सफर शुरू हुआ और आज भी वह सफर निरंतर चल रहा है।