महान व्यक्ति वह व्यक्ति होते हैं जो अपने कार्यों द्वारा समाज या विश्व के उत्थान तथा विकास में कोई महत्वपूर्ण योगदान देते हैं। ऐसी महान हस्तियां किसी परिचय की मोहताज नही होती हैं। महान व्यक्तियों को सिर्फ अपने देश में ही नही अपितु पूरे विश्व में सम्मान प्राप्त होता है। महान लोगों द्वारा किये गए कार्यों का सिर्फ भारत ही नहीं सम्पूर्ण विश्व सदैव ऋणी रहेगा।
हर व्यक्ति को इनके महान गुणों की जानकारी होनी चाहिए जिससे हम सब लोग उनको प्रेरणादायक और महान मानकर, उनसे शिक्षा प्राप्त करके उनके बताये गए मार्ग का अनुकरण कर सके। इन महान लोगों की प्रतिभा से सम्पूर्ण विश्व परिचित है। ऐसे ही भारत को विकास की ओर ले जाने वाले एक श्रेष्ठ विचारक, महान व्यक्तित्व और कर्मयोध्दा थे डॉ भीमराव अंबेडकर।
हर साल 6 दिसंबर को भारत डॉ. बीआर अंबेडकर की पुण्यतिथि Death anniversary of Dr. BR Ambedkar को महापरिनिर्वाण दिवस के रूप में मनाता है। एक दूरदर्शी नेता, अंबेडकर भारत के संविधान के प्रमुख निर्माता और एक प्रमुख समाज सुधारक थे। जाति-आधारित भेदभाव और अस्पृश्यता के खिलाफ उनकी अथक लड़ाई ने भारतीय समाज पर एक स्थायी प्रभाव छोड़ा है।
महान व्यक्ति वह व्यक्ति होते हैं, जिनका समाज में कोई विशेष योगदान होता है। ऐसी कई महान विभूतियाँ हैं जिन्होंने अपने कार्यों द्वारा ना सिर्फ भारत बल्कि पूरे विश्व world को भी प्रभावित किया है। वे अपने प्रत्येक क्षण को सृजनात्मक तरीके से जीते हैं।
महान लोग अपने दृढ़ संकल्प और अपने कार्य के प्रति लगन की वजह से ही महान बनते हैं। भारत के इतिहास में बहुत से लोग महान व्यक्तित्व के स्वामी हैं जिन्होंने अलग-अलग क्षेत्र में अपना विशेष योगदान दिया है। उनके कार्यों की वजह से हम सब उन पर गर्व करते हैं। ऐसे ही एक विलक्षण प्रतिभा के धनी और महान विभूति हैं डॉ भीमराव अंबेडकर। जानते हैं उनके और उनके कार्यों के बारे में।
डॉ भीमराव आंबेडकर जन्म और शिक्षा Dr. Bhimrao Ambedkar Birth and Education
बाबा साहेब डॉ भीमराव आंबेडकर Dr. Bhimrao Ambedkar का जन्म 14 अप्रैल 1891 को ब्रिटिश भारत के मध्यप्रदेश प्रान्त के महू सैन्य छावनी में हुआ था। ये हिन्दू धर्म की महार जाति से थे। उस वक्त इस जाति के साथ काफी भेदभाव किया जाता था। इस कारण इन्हें समाज में बुरी तरह का भेदभाव सहन करना पड़ा था। इसी वजह से इन्हें अपनी प्रारंभिक शिक्षा बहुत ही अपमान के साथ प्राप्त हुई थी लेकिन आज अगर हम देखें तो यह कह सकते हैं कि भीमराव आंबेडकर आजादी से पूर्व के भारत के सबसे शिक्षित व्यक्तिओं में से एक थे।
डॉ भीमराव अंबेडकर ने स्नातक की डिग्री बॉम्बे विश्वविद्यालय से और कोलंबिया विश्वविद्यालय Columbia University से एमo एo, पीo एचo डीo और एलo एलo डीo की उपाधि हासिल की। इसके अलावा एमo एस सीo और डीo एस सीo की उपाधि भी उन्होंने हासिल की। ये अर्थशास्त्र में डॉक्टरेट करने वाले प्रथम भारतीय थे।
डॉ भीमराव आंबेडकर को हर क्षेत्र में महारत हासिल थी। ये दार्शनिक, लेखक , पत्रकार, प्रोफ़ेसर, अर्थशास्त्री, राजनीतिज्ञ शिक्षाविद् मानवविज्ञानी, विद्वान, न्यायविद् और भी बहुत कुछ थे।
1990 ईo में इन्हे मरणोपरांत देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न Bharat Ratna से सम्मानित किया गया। राजनीतिक समानता के अलावा सामाजिक समानता social equality को हासिल करने के लिए वह लड़ते रहे। उन्होंने देश की राजनीति में आकर इस क्षेत्र में आजीवन अपना योगदान दिया।
डॉ भीमराव अंबेडकर Dr. Bhimrao Ambedkar श्रेष्ठ विचारक ही नहीं, महान कर्मयोध्दा भी थे। उन्होंने वर्ण, जाति, नस्ल, रंग जैसे सभी विभेदकारी तत्वों से मुक्त होने की होने की राह दिखाई। देश में सर्वाधिक शिक्षित व बुद्धिजीवी व्यक्तियों में होते हुए भी इन्हे हिन्दू धर्म की जाति व्यवस्था के कारण समाज में अछूत शब्द का भी सामना करना पड़ा। उन्होंने वर्ण, जाति, नस्ल, रंग जैसे सभी विभेदकारी तत्वों से मुक्त होने की होने की राह दिखाई।
जातिवादी मानसिकता को बदलने का उन्होंने बहुत प्रयास किया लेकिन वे सवर्णो की मानसिकता को बदल नहीं पाए पाये। 13 अक्टूबर 1935 को नासिक में एक सम्मलेन के दौरान अपने धर्म परिवर्तन की घोषणा कर दी। बाबासाहेब Babasaheb के नाम से मशहूर डॉक्टर भीमराव अंबेडकर ने देश में दबे कुचले वर्गों को बराबरी दिलाने, देश में समता मूलक समाज की स्थापना करने और कानूनी तौर पर लोगों को सक्षम बनाने के लिए जीवन भर संघर्ष किया।
उन्होंने अपना जीवन दलित वर्ग के उत्थान के लिए समर्पित कर दिया। डॉ भीमराव अंबेडकर ने कहा था : "हमें अपना रास्ता खुद बनाना होगा। राजनीतिक शक्ति शोषितों की समस्याओं का निवारण नहीं हो सकती। उनका उद्धार समाज में उनका उचित स्थान पाने में निहित है"।
अंबेडकर सामाजिक बराबरी के साथ-साथ राष्ट्रीयता, धर्मनिरपेक्षता और सामाजिक न्याय Nationality, Secularism and Social Justice के सिद्धांतों की पैरवी करते रहे। भीमराव अंबेडकर को भारतीय संविधान का जनक Father of indian constitution भी कहा जाता है। अंबेडकर ने कहा कि धर्म नहीं बल्कि मानवीयता और सामाजिक बराबरी राष्ट्र की बुनियाद है। डॉ.अंबेडकर Dr.Ambedkar की दृष्टि अत्यंत व्यापक थी।
वो कहते थे हर व्यक्ति को अपने उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए सर्वश्रेष्ठ कोशिश करनी चाहिए। 1947 में जब देश आजाद हुआ तो हर किसी को यही चिंता थी कि देश अब कैसे आगे बढ़ेगा। देश का ढांचा लोकतांत्रिक democratic बन तो गया था लेकिन यह लोकतंत्र कैसा होगा यह अभी निश्चित नहीं हुआ था। भारत आजाद तो हो गया था लेकिन संविधान Constitution को तैयार करना अभी बाकी था और यह काम इतना आसान भी नहीं था। यह महत्वपूर्ण जिम्मेदारी एक ऐसे व्यक्ति को दी गयी जो एक प्रखर नेता के साथ-साथ समाज सुधारक, कानून और अर्थशास्त्र के भी ज्ञाता थे और वो महान व्यक्ति थे डॉ भीमराव अंबेडकर।
1947 को उन्हें संविधान मसौदा समिति का अध्यक्ष बनाया गया। कठोर परिश्रम और अथक प्रयासों से संविधान बनकर तैयार हुआ। इसके बाद 29 नवंबर 1949 को संविधान सभा constituent Assembly ने इसे मंजूरी दे दी।
जब भारत को 1947 में स्वतंत्रता मिली, तो स्वतंत्र भारत के प्रथम प्रधानमंत्री (पंडित जवाहरलाल नेहरू) ने बाबासाहेब अंबेडकर को #प्रथम विधि एवं न्याय मंत्री नियुक्त किया; तथा दो सप्ताह के पश्चात, उन्हें संविधान की प्रारूपण समिति का अध्यक्ष बनाया गया।
भारतीय संविधान भारत के नागरिकों को 7 मौलिक अधिकारों (प्रथम प्रारूप) की गारंटी देता है, अर्थात्- समानता का अधिकार, स्वतंत्रता का अधिकार, शोषण के विरुद्ध अधिकार, धर्म की स्वतंत्रता का अधिकार, सांस्कृतिक एवं शैक्षिक अधिकार, संपत्ति का अधिकार, तथा संवैधानिक उपचारों का अधिकार।
बाबासाहेब अंबेडकर ने महिलाओं के लिए व्यापक आर्थिक एवं सामाजिक अधिकारों के लिए लड़ाई लड़ी तथा अनुसूचित जातियों एवं अनुसूचित जनजातियों तथा अन्य पिछड़े वर्गों के सदस्यों के लिए नौकरियों, शैक्षणिक संस्थानों में आरक्षण की व्यवस्था शुरू करने के लिए विधानसभा को विश्वास में लिया; एक ऐसी व्यवस्था जो समान अवसर प्रदान करे।
भारत के संविधान को 26 नवंबर 1949 को संविधान सभा द्वारा अनुमोदित एवं अपनाया गया।
निष्कर्ष
डॉ. भीमराव अंबेडकर केवल भारत के संविधान के निर्माता ही नहीं थे, बल्कि वे एक महान विचारक, समाज सुधारक, और मानवता के सच्चे सेवक भी थे। उनकी जीवन यात्रा संघर्ष और प्रेरणा का अद्वितीय उदाहरण है। बाबा साहेब ने दलितों और वंचित वर्गों के उत्थान के लिए अपना पूरा जीवन समर्पित किया और उन्हें समाज में समान अधिकार दिलाने का हर संभव प्रयास किया। उनके प्रयासों ने भारत को एक लोकतांत्रिक और समतामूलक समाज बनाने की दिशा में अग्रसर किया।
अंबेडकर का मानना था कि सामाजिक समानता और न्याय ही किसी राष्ट्र की असली ताकत है। उनके विचार और कार्य हमें सिखाते हैं कि दृढ़ संकल्प, ज्ञान और परिश्रम से किसी भी बाधा को पार किया जा सकता है। वे आज भी अपने विचारों और सिद्धांतों के माध्यम से नई पीढ़ियों को प्रेरित कर रहे हैं। डॉ. अंबेडकर का जीवन और उनके योगदान हमेशा हमें सामाजिक समानता, न्याय और राष्ट्रीय एकता के मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करता रहेगा।