आज पूरी दुनिया में भारतीय, बिजनेस के शीर्ष पर हैं। आज कई भारतीय पूरे विश्व में नाम कमा रहे हैं। जीवन में परेशानियां भी आती हैं इसलिए इन्हें दूर करने के लिए और परेशानियों के उपचार के बाद सफल होने के लिए कुछ प्रयास करने होते हैं, और ऐसे ही हमारे देश भारत में पैदा हुई कुछ ऐसी महान हस्तियां हैं जिनके अंदर जुनून passion और दृढ़ता perseverance की कोई कमी नहीं है।
आज इस आर्टिकल में हम बात करेंगे दुनिया के 10 शीर्ष भारतीय मूल के सीईओ Top 10 Indian CEOs in the World की । इन्होंने अपनी क़ाबलियत और टैलेंट के दम पर दुनिया में अपना ढंका बजाया है।
एक मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) एक संगठन का सर्वोच्च रैंकिंग वाला कार्यकारी होता है और ऐसे बहुत से भारतीय हैं जिन्होंने माइक्रोसॉफ्ट से लेकर गूगल, आईबीएम, Starbucks और कई अन्य दुनिया की विभिन्न प्रमुख कंपनियों के सीईओ के रूप में सेवा की है या कर रहे हैं।
दुनिया की बड़ी-बड़ी कंपनियां इनके दम पर चलती हैं। जीवन में सफलता इतनी आसानी से नहीं मिलती है यानि इसके लिए आपको निरंतर मेहनत करनी पड़ती है। चीजें एक सेकंड के भीतर नहीं बदलती हैं, इसमें समय लगता है।
ये CEOs जोश और उत्साह से भरपूर हैं और उनके अंदर कुछ नया करने का और आगे बढ़ने का जूनून हमेशा सवार रहता है। उनका मानना है कि आपको जीवन में कभी भी हार नहीं माननी चाहिए। बस तब तक आगे बढ़ते रहना है जब तक आपको सफलता नहीं मिल जाती है।
तो चलिए इस आर्टिकल में इन दस भारतीय मूल के सीईओ Indian origin CEOs के बारे में जानते हैं जिनके हाथों में दुनिया की टॉप कंपनियों की पावर और बागडोर है।
हर व्यक्ति अपनी जिंदगी मे सफलता के ऊंचे पायदान पर पहुँचने का सपना जरूर देखता है लेकिन इनमे से कुछ लोग ही भाग्यशाली होते हैं जो वास्तव में असल जिंदगी मे उन बुलंदियों तक पहुँच पाते हैं, जहाँ पहुँचने की उनकी ख्वाहिश होती है।
ऐसे लोग अक्सर हमारे ओर आपके लिए एक मोटिवेशन Motivation की तरह काम करते हैं और पूरी दुनिया में मिसाल बन जाते हैं। हमारे देश भारत में ऐसे ही कुछ लोगों का जन्म हुआ है। जिनका परचम आज पूरे विश्व में लहरा रहा है।
भारतीय मूल के ऐसे कई व्यक्ति हैं जिन्होंने भारत का नाम रोशन करने के साथ साथ पूरे विश्व में आज एक अलग मुक़ाम हासिल किया है। हम बात कर रहे हैं दुनिया के 10 शीर्ष भारतीय मूल के सीईओ Top 10 Indian CEOs in the World की।
इनकी गिनती दुनिया के शीर्ष सीईओ world's top CEOs में की जाती है और हम भारतीयों को इन पर गर्व है। इनके अंदर हमेशा कुछ बड़ा करने का जज्बा है ये दुनिया में सबसे हटकर एक अलग मुक़ाम हासिल कर रहे हैं। हम कह सकते हैं कि भारतीय मूल के व्यक्ति (पीआईओ) वास्तव में एक लंबा सफर तय कर चुके हैं। ऐसे लोग सकारात्मक दृष्टिकोण positive outlook से भरपूर होते हैं।
भारत देश के ये लोग अपने हुनर और पढ़ाई के दम पर दुनिया में अपना सिक्का अच्छी तरह जगह जमा चुके हैं। इनकी बुद्धिमता की ताकत इतनी है कि अगर वो अपनी Services न दे तो दुनिया का आगे बढ़ना इतना आसान नहीं होगा। दरअसल भारत के लोग टेक्नोलॉजी, आईटी सेक्टर के मामले में काफी आगे हैं।
ये Top 10 Indian CEOs दुनिया की बड़ी कंपनियों को सफलता की राह पर चला रहे हैं। तो चलिए जानते हैं इन दस भारतीय मूल के सीईओ के बारे में जो दुनिया के कुछ सबसे शक्तिशाली निगमों powerful corporations को चलाते हैं।
लीना नायर ने झारखंड के जमशेदपुर स्थित जेवियर्स स्कूल ऑफ मैनेजमेंट (XLRI) से पढ़ाई (1990-92) की है और वहां से गोल्ड मेडल भी जीता है। 1969 में जन्मीं नायर ने 2013 में भारत से लंदन का रुख कर लिया था। उस समय उन्हें Anglo-Dutch कंपनी के लंदन हेक्वार्टर में लीडरशिप और ऑर्गेनाइजेशन डवलेपेंट का ग्लोबल वाइस प्रेसिडेंट बनाया गया था।
लीना नायर यूनिलीवर की पहली महिला, पहली एशियाई और सबसे कम उम्र की सीएचआरओ हैं। अब उनके प्रोफाइल में Chanel की ग्लोबल सीईओ global chief executive officer (CEO) की एक और उपलब्धि भी जुड़ गयी है। भारतीय मूल की लीना नायर भारत का नाम खूब रोशन कर रही हैं। लीना को जब Chanel ब्रांड ने अपना ग्लोबल सीईओ बनाया तो अचानक उनकी चर्चा दुनियाभर में होने लगी।
यूनिलीवर की सीएचआरओ (CHRO) के तौर पर उनके ऊपर 100 से अधिक देशों में काम कर रहे करीब 1.50 लाख कर्मचारियों की बड़ी जिम्मेदारी थी। उन्हें Fortune ने 2021 की सबसे ताकतवर भारतीय महिलाओं की सूची list of most powerful Indian women में स्थान दिया है।
यह बहुत बड़ी बात है जब किसी एचआर एक्सीक्यूटिव को किसी ग्लोबल कंपनी में सीईओ की जिम्मेदारी मिली हो। लीना नायर के महाराष्ट्र के कोल्हापुर से लंदन तक का सफर इतना आसान नहीं था। भारत की एक फैक्टरी शॉप फ्लोर पर काम करने वाली महिला आज दुनिया के दिग्गज फैशन ब्रांड Chanel के ग्लैमरस ऑफिस में बतौर CEO हैं।
एक्सएलआरआई जमशेदपुर (XLRI Jamshedpur) से गोल्ड मेडलिस्ट लीना करीब 30 साल से यूनिलीवर के साथ जुड़ी हुई हैं। इस सफर की शुरुआत उन्होंने यूनिलीवर की भारतीय सब्सिडियरी हिंदुस्तान यूनिलीवर लिमिटेड (HUL) Hindustan Unilever Limited के साथ 1992 में की।
सुंदर पिचाई का जन्म 10 जून 1972 को तमिलनाडु के मदुरै (Madurai) में हुआ था। इनकी शुरुआती पढ़ाई चेन्नई (Chennai) से हुई थी। सुंदर पिचाई ने IIT खड़गपुर (IIT Kharagpur) से इंजीनियरिंग की थी और आगे की पढ़ाई स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी Stanford University और फिर पेन्सिल्वेनिया यूनिवर्सिटी University of Pennsylvania से की।
इन्होंने स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय से भौतिक विज्ञान और इंजीनियरिंग के विषय में मास्टर ऑफ साइंस की डिग्री प्राप्त की थी और व्हार्टन स्कूल ऑफ पेंसिल्वेनिया से एमबीए की पढ़ाई की। 2004 में पिचाई ने गूगल कंपनी ज्वाइन किया और सुंदर पिचाई एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर हैं, आज वह उस कंपनी के CEO हैं। भारत में जन्मे पिचाई एक दशक से अधिक समय से इस कंपनी से जुड़े हुए हैं और इस कंपनी के साथ जुड़कर इन्होंने कई उपलब्धियां प्राप्त की हैं।
गूगल के सीईओ सुंदर पिचाई (Google CEO Sundar Pichai) आज किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं। सुंदर पिचाई की गिनती भारतीय मूल के उन एक्जीक्यूटिव्स में होती है, जिन्होंने सिलिकॉन वैली में बड़ा नाम कमाया है लेकिन अभी भी वह जमीन से जुड़े हुए शख्स हैं। बेहद साधारण बैकग्राउंड से निकलकर आईटी जगत के शिखर तक का सफर करने वाले हैं सुंदर पिचाई।
गूगल का हिस्सा बनने से पहले सुंदर पिचाई मैकिंसे एंड कंपनी में कार्य किया करते थे और इन्होने कुछ सालों तक इस कंपनी में कार्य किया। इसके बाद इन्होंने गूगल कंपनी को ज्वाइन कर लिया था। जब इन्होंने इस कंपनी को ज्वाइन किया था, तब ये इस कंपनी की एक छोटी सी टीम का हिस्सा थे, जो कि गूगल सर्च टूलबार पर कार्य किया करती थी। गूगल क्रोम Google Chrome, ब्राउजर को बनाने के पीछे सुंदर पिचाई की अहम भूमिका रही थी।
क्रोम कम समय में ही दुनिया का नंबर 1 ब्राउजर बन गया था। साल 2012 में ये क्रोम और ऐप्स के वरिष्ठ उपाध्यक्ष बन गए थे। फिर इनके कार्यों को देखते हुए इन्हे गूगल का सीईओ बना दिया गया था। इस कंपनी के महत्वपूर्ण उत्पादों को बनाने के पीछे सुंदर पिचाई का ही हाथ है। दुनिया की सबसे बड़ी इंटरनेट कंपनियों में से एक गूगल (Google) को लीड करना वैसे भी कोई मामूली बात नहीं है।
संजय मेहरोत्रा माइक्रोन टेक्नोलॉजी के सीईओ CEO of Micron Technology के रूप में कार्यरत हैं। मेहरोत्रा सैनडिस्क कॉपोर्रेशन SanDisk में एक लंबे करियर के बाद मई 2017 में माइक्रोन में शामिल हुए। सैनडिस्क से पहले, उन्होंने इंटीग्रेटेड डिवाइस टेक्नोलॉजी, एसईईक्यू टेक्नोलॉजी और इंटेल कॉरपोरेशन में डिजाइन इंजीनियरिंग पदों पर कार्य किया।
मेहरोत्रा का जन्म कानपुर Kanpur में हुआ था और उन्होंने दिल्ली के सरदार पटेल विद्यालय से अपनी शिक्षा पूरी की। इसके बाद 18 साल की उम्र में, मेहरोत्रा अमेरिका चले गए, जहां उन्होंने इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग Electrical engineering और कंप्यूटर विज्ञान में स्नातक और मास्टर दोनों डिग्री हासिल की। उन्हें बोइस स्टेट यूनिवर्सिटी से डॉक्टरेट की मानद उपाधि से सम्मानित किया गया था, और उनके पास लगभग 70 पेटेंट हैं।
माइक्रोन टेक्नोलॉजी नैस्डैक-लिस्टेड कंपनी है जो इनोवेटिव मेमोरी और स्टोरेज सॉल्यूशन पर ध्यान केंद्रित करती है। मेहरोत्रा ने अपना विजन शेयर करते हुए कहा था कि वह न्यूयॉर्क को लीडिंग एज सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग का हब बनाना चाहते हैं।
कानपुर में जन्मे भारतीय-अमेरिकी सीईओ संजय मेहरोत्रा पोस्ट में कहा, 'अगले दो दशकों में उनकी कंपनी सेमीकंडक्टर निर्माण में 100 अरब डॉलर का निवेश करेगी'। इसके अलावा उन्होंने न्यूयॉर्क में 50,000 नौकरियां पैदा करने का भी विजन साझा किया है।
दरअसल माइक्रोन टेक्नोलॉजी के भारतीय-अमेरिकी सीईओ संजय मेहरोत्रा ने न्यूयॉर्क में आने वाले 20 सालों में 100 अरब डॉलर के निवेश और हजारों नौकरियां देने का वादा किया है।
सत्या नडेला Satya Nadella आज टेक्नोलॉजी इंडस्ट्री में सबसे महान व्यक्तित्वों में से एक, वे कई युवाओं के लिए एक जीवित प्रेरणा हैं। जी हाँ हम बात कर रहे हैं, माइक्रोसॉफ्ट के सीईओ सत्या नडेला Microsoft CEO Satya Nadella की, जो आज माइक्रोसॉफ्ट कंपनी की बागडोर अपने कंधों पर लेकर चल रहे हैं।
माइक्रोसॉफ्ट कंपनी को ऊंचाइयों पर ले जाने का श्रेय जिस भारतीय को जाता है, वह सत्या नडेला ही हैं। सत्य नारायण नडेला माइक्रोसॉफ्ट के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) हैं, जो पर्सनल कंप्यूटर सॉफ्टवेयर सिस्टम personal computer software system और एप्लिकेशन के अग्रणी डेवलपर हैं।
4 फरवरी 2014 को, नडेला को माइक्रोसॉफ्ट के नए सीईओ के रूप में घोषित किया गया था, जो बिल गेट्स और स्टीव बाल्मर के बाद कंपनी के इतिहास में तीसरे सीईओ थे। उन्होंने माइक्रोसॉफ्ट कंपनी में एंट्री-लेवल इंजीनियरिंग की नौकरी की और फिर कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा।
अपने परिश्रम के बल पर ही उन्होंने एक इंजीनियर से माइक्रोसॉफ्ट के सीईओ बनने तक का सफर तय किया है।
सत्या नडेला ने मणिपाल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी को चुनकर वर्ष 1988 में इलेक्ट्रॉनिक्स और कम्युनिकेशन इंजीनियरिंग में बीएससी पूरा किया। 1990 में कंप्यूटर साइंस में मास्टर्स पूरा करने के कुछ समय बाद उन्होंने माइक्रोसॉफ्ट में अपना बड़ा ब्रेक पाने से पहले सन माइक्रोसिस्टम्स में टेक टीम के सदस्य के रूप में काम किया।
माइक्रोसॉफ्ट में, नडेला ने प्रमुख परियोजनाओं का नेतृत्व किया है जिसमें क्लाउड कंप्यूटिंग Cloud Computing के लिए कंपनी का कदम और दुनिया के सबसे बड़े क्लाउड इन्फ्रास्ट्रक्चर में से एक का विकास शामिल है।
एक कंपनी जो, क्लाउड कंप्यूटिंग के युग में अपने उत्पादकता उपकरणों के साथ पुरानी समझी जाती हैं, सत्य नडेला के सक्षम नेतृत्व की बदौलत आज सफलतापूर्वक बाजार में अपनी पकड़ बना रही है।
2014 में, माइक्रोसॉफ्ट के साथ नडेला का पहला अधिग्रहण Mojang का था, जो एक स्वीडिश गेम कंपनी थी, जिसे कंप्यूटर गेम Minecraft के लिए $2.5 बिलियन में जाना जाता था। उसके बाद उन्होंने एक अज्ञात राशि में ज़ामरीन को खरीदा।
उन्होंने 2016 में 26.2 बिलियन डॉलर (26.20 अरब INR) में पेशेवर नेटवर्क लिंक्डइन की खरीद का निरीक्षण किया। 26 अक्टूबर 2018 को, माइक्रोसॉफ्ट ने 7.5 बिलियन अमेरिकी डॉलर (750 करोड़) में गिटहब GitHub का अधिग्रहण किया।
एक और भारतीय महिला का नाम बिजनेस जगत में छाया हुआ है। जयश्री वी उल्लाल (Jayshree V Ullal) को फोर्ब्स Forbes ने अमेरिका की सबसे अमीर सेल्फ-मेड महिलाओं की सूची List of America's Richest Self-Made Women में 15वां स्थान दिया है। फोर्ब्स मैग्जीन की लिस्ट में शुमार होना बड़ी-बड़ी हस्तियों के लिए भी बड़ी बात है। इस लिस्ट में उनका नाम शुमार करने का आधार 2022 में उनकी 2.1 अरब डॉलर की नेटवर्थ थी।
वे लंदन में पैदा हुईं, लेकिन उनकी परवरिश भारत के शहर दिल्ली में हुई। उन्होंने सैन फ्रांसिस्को स्टेट यूनिवर्सिटी से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग और सैंटा क्लारा यूनिवर्सिटी से इंजीनियरिंग मैनेजमेंट की पढ़ाई की है।
जयश्री वी उल्लाल कंप्यूटर नेटवर्किंग कंपनी अरिस्टा नेटवर्क्स (Arista Networks) की प्रेसिडेंट और सीईओ हैं। मनीकंट्रोल की एक खबर के अनुसार, जून 2014 में अरिस्टा नेटवर्क का ऐतिहासिक और सफल IPO लाकर कंपनी को अरबों डॉलर का बिजनेस बनाने का भी श्रेय उल्लाल को जाता है। जयश्री ने कंपनी को मल्टीबिलियन डॉलर कारोबार करने वाली कंपनी बनाया।
वह कंपनी से उस समय जुड़ी थीं, जब उसका कोई रेवेन्यू नहीं था और 50 के आसपास ही इम्प्लॉई थे। मेहनत के दम पर जयश्री ने कंपनी को इस मुकाम तक पहुंचाया। जयश्री क्लाउड कंप्यूटिंग कंपनी स्नोफ्लेक के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स में हैं। इन्होंने अपने बूते एक ऐसा मुकाम हासिल किया है कि जो हर किसी के बस की बात नहीं है। उल्लाल को कई पुरस्कार मिले हैं।
जयश्री वी उल्लाल 2015 में ईएंडवाई का “Entrepreneur of the Year”, 2018 में Barron का “World’s Best CEOs” और 2019 में Fortune का “Top 20 Business persons” सहित कई पुरस्कार भी मिल चुके हैं।
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वर्तमान समय में शांतनु नारायण विश्व प्रसिद्ध टेक्नोलॉजी कंपनी Adobe के CEO के रूप में कार्य कर रहे हैं। शांतनु नारायण का जन्म 27 मई 1963 को हुआ था। उनका बचपन भारत के हैदराबाद में बीता है।
उनके पिता एक प्लास्टिक कंपनी चलाते थे और उनकी माता एक अमेरिकी अध्यापिका थी। 2004 में शांतनु नारायण एडोबी कंपनी के प्रेसिडेंट और सीईओ बने, वर्तमान समय में वह एडोबी के बोर्ड ऑफ मेंबर के प्रेसिडेंट है। Adobe के अलावा वह Dell, Viacom और Omniture के भी बोर्ड ऑफ मेंबर है।
2011 में उन्हें अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा के द्वारा अमेरिका के एडवाइजरी मेंबर का अध्यक्ष बनाया गया था।
शांतनु नारायण ने हैदराबाद से अपनी प्रारंभिक शिक्षा को पूरा किया है। अपनी इंजीनियरिंग की पढ़ाई को पूरा करने के बाद एमबीए करने के लिए वह अमेरिका गए थे। कंप्यूटर साइंस में इंजीनियरिंग उसके बाद कंप्यूटर साइंस में मास्टर और उसके बाद 1993 में Haas School Of Business से अपनी एमबीए की शिक्षा अमेरिका से पूरी करने के बाद उन्हें एप्पल कंपनी में एक वरिष्ठ पद पर काम मिला।
कुछ साल एप्पल के साथ काम करने के बाद उन्होंने एडोबी के साथ काम करना शुरू किया और यहां से उनका करियर परवान चढ़ने लगा। शांतनु नारायण एक प्रचलित व्यवसाय कार्यकारी और एक कंप्यूटर वैज्ञानिक हैं जिन्होंने अपने करियर में अलग-अलग प्रकार के कंपनियों में उच्च पद पर कार्य किया है। वर्तमान समय में उनके परिवार में उनकी पत्नी रेनी नारायण और उनके बच्चे हैं।
भारतीय महिलाएं तेजी से तरक्की की सीढ़ियां चढ़ रही हैं। मुंबई में जन्मीं 36 वर्षीय आम्रपाली गण Amrapali Gan एडल्ट कंटेंट क्रिएटर्स सब्सक्रिप्शन आधारित सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ONLYFANS की CEO बन गई हैं। OnlyFans के पूर्व संस्थापक 38 वर्षीय मिस्टर टिम स्टोकली ने अपनी पोस्ट से इस्तीफा दे दिया था जिसके बाद आम्रपाली को कार्यभार सौंपा गया।
टिम ने 2016 में OnlyFans की स्थापना की थी। आम्रपाली को दिसंबर 2021 में ओनली फैंस का सीईओ नामित किया गया था, जो संस्थापक टिम स्टोकली की भूमिका में थे। टिम ने कहा था आम्रपाली के पास संगठन की जबरदस्त क्षमता तक पहुंचने में मदद करने के लिए दूरदर्शिता और अभियान है।
आम्रपाली इससे पहले रेड बुल Red Bull Media House व क्वेस्ट न्यूट्रीशन के लिए काम कर चुकीं है। वह इस कंपनी के साथ साल 2020 में बतौर मुख्य मार्केटिंग और संचार अधिकारी की तरह जुड़ी थीं। आम्रपाली का कहना है कि मैं अपनी जिम्मेदारियों को पूरी मेहनत से निभाऊंगी और अपनी टीम के साथ मिलकर काम करूंगी।
आम्रपाली का जन्म मुंबई, भारत में हुआ था। इसके बाद उन्होंने बेहद कम समय ही यहां गुजारा और उनकी प्रारंभिक, साथ ही उच्च शिक्षा, कैलिफोर्निया, अमेरिका से हुई है।
वह वर्तमान में अमेरिका में ही रह रही हैं. उन्होंने FIDM से मर्चेंडाइज मार्केटिंग में आर्ट्स की एसोसिएट डिग्री हासिल की, फिर उन्होंने कैलिफोर्निया स्टेट यूनिवर्सिटी से PR में आर्ट्स ग्रेजुएट की पढ़ाई की। उन्होंने हार्वर्ड बिजनेस स्कूल ऑनलाइन से मैनेजमेंट का प्रमाण पत्र भी प्राप्त किया है।
निकेश अरोड़ा एक भारतीय-अमेरिकी बिजनेस एक्जीक्यूटिव Indian-American business executive हैं। अरोड़ा पहले Google में एक वरिष्ठ कार्यकारी थे और उन्होंने गूगल में भी महत्वपूर्ण पद संभाला था। उन्होंने अक्टूबर 2014 से जून 2016 तक सॉफ्टबैंक समूह के अध्यक्ष के रूप में कार्य किया। 1 जून, 2018 को, अरोड़ा ने पालो अल्टो नेटवर्क्स Palo Alto Networks में सीईओ और अध्यक्ष की भूमिका निभाई।
निकेश को इस सबसे बड़ी साइबर सिक्योरिटी सॉफ्टवेयर निर्माता कंपनी मे सीईओ के तौर पर कार्य करने के लिए करीब 858 करोड़ रुपये का कुल वेतन पैकेज मिला और इस पैकेज के साथ वे दुनिया में सबसे ज्यादा वेतन पाने वाले सीईओ में से एक बन गए।
ऐसा नहीं है कि निकेश को यह सफलता आसानी से मिल गई बल्कि इनकी जिंदगी मे एक वक्त तो ऐसा भी आया जब इन्हे जॉब पाने के लिए भी काफी मेहनत करनी पड़ी और एक जमाने में उन्होंने अपना खर्चा निकालने के लिए बर्गर बेचने का काम भी किया है।
आज वे दुनिया के सबसे ज्यादा सैलरी पाने वाले कुछ चंद लोगों मे शामिल हैं। निकेश अरोड़ा ने आइटी (आइआइटी) बीएचयू से इलेक्ट्रिकल व इलेक्ट्रानिक्स इंजीनियरिंग में स्नातक डिग्री (1985-1989) हासिल की थी। एक वक्त नौकरी के लिए भटकने वाले निकेश अरोड़ा को Financial Year 2015-16 में 73 करोड़ डॉलर यानी की लगभग 500 करोड़ रुपये की सैलरी का पैकेज मिला था।
इस पैकेज ने उन्हें उस समय दुनिया का तीसरा उच्चतम-भुगतान पाने वाला अधिकारी बना दिया था। निकेश अरोड़ा अपनी सफलता के लिए तीन बातों को श्रेय देते हैं-अपना भाग्य, कड़ी मेहनत और किसी भी स्थिति के अनुकूल होने की अपनी क्षमता। इन्होंने अपनी जिंदगी मे कभी भी हार नहीं मानी ओर हर परिस्थिति का डटकर सामना करते हुए आज उस मुकाम पर हैं जहाँ पहुँचने का सपना हर सफल व्यक्ति देखता है।
भारतीय मूल के लक्ष्मण नरसिम्हन (Laxman Narasimhan) को कॉफी की दिग्गज कंपनी स्टारबक्स (Starbucks) ने अपना नया मुख्य कार्यकारी अधिकारी (CEO) बनाया है। स्टारबक्स बोर्ड की अध्यक्ष मेलोडी हॉब्सन ने कहा कि, कंपनी का मानना है कि हमें अपने अगले सीईओ के रूप में एक असाधारण व्यक्ति मिला है। उन्होंने अपने कार्य क्षेत्र में कई महत्वपूर्ण कार्य किए हैं।
लक्ष्मण नरसिम्हन एक भारतीय-अमेरिकी बिजनेस एक्यूटिव हैं, जो स्टारबक्स के पहले रेकिट बेंकिजर (Reckitt) के मुख्य कार्यकारी अधिकारी यानी सीईओ थे। उससे पहले वह पेप्सिको के ग्लोबल चीफ कमर्शियल ऑफिसर थे। नरसिम्हन का पालन-पोषण भारत के महाराष्ट्र राज्य के पुणे में हुआ है।
लक्ष्मण नरसिम्हन के दो बच्चे हैं। लक्ष्मण नरसिम्हन की शिक्षा की बात करें तो लक्ष्मण भारत के पुणे विश्वविद्यालय के इंजीनियरिंग कॉलेज से मैकेनिकल इंजीनियरिंग में ग्रेजुएट हैं। लक्ष्मण नरसिम्हन ने नसिलवेनिया विश्वविद्यालय के लॉडर संस्थान से जर्मन और अंतर्राष्ट्रीय अध्ययन में मास्टर डिग्री पूरी की है। उनके पास पेन्सिलवेनिया विश्वविद्यालय के व्हार्टन स्कूल से बिजनेस मैनेजमेंट की भी डिग्री है।
अरविंद कृष्णा एक भारतीय-अमेरिकी व्यवसाय कार्यकारी हैं जो आईबीएम के अध्यक्ष और सीईओ के रूप में कार्यरत हैं। ये देश के लिए गौरव की बात है कि IBM अमेरिका की आईटी कंपनी इंटरनेशनल बिजनेस मशीन्स जैसी नामी कंपनी में भारतीय मूल के अरविंद कृष्णा को CEO पद की जिम्मेदारी दी है।
वह अप्रैल 2020 से आईबीएम के सीईओ हैं और जनवरी 2021 में अध्यक्ष की भूमिका निभाई। कृष्णा ने 1990 में आईबीएम के थॉमस जे वाटसन रिसर्च सेंटर IBM's Thomas J. Watson Research Center में अपना करियर शुरू किया और आईबीएम क्लाउड एंड कॉग्निटिव सॉफ्टवेयर और आईबीएम रिसर्च डिवीजनों IBM Cloud & Cognitive Software and IBM Research divisions का प्रबंधन करते हुए 2015 में वरिष्ठ उपाध्यक्ष के रूप में पदोन्नत हुए।
वह कंपनी के इतिहास में सबसे बड़े अधिग्रहण रेड हैट के अधिग्रहण के मुख्य वास्तुकार थे। अरविंद वर्तमान में आईबीएम में एक एग्जीक्यूटिव के तौर पर काम कर रहे हैं। आईआईटी कानपुर (IIT Kanpur) से पढ़े अरविंद कृष्ण Arvind Krishna फेडरल रिजर्व बैंक ऑफ न्यूयार्क के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर में शामिल होंगे।
उन्हें बैंक ने क्लास बी निदेशक चुना है। बयान में कहा गया कि कृष्ण 31 दिसंबर 2023 तक इस पद पर रहेंगे। अरविंद कृष्ण ने यूनिवर्सिटी ऑफ इलनॉइज, अर्बाना शैंपेन से इलेक्ट्रिकल और कंप्यूटर इंजीनियरिंग में पीएच.डी. की पढ़ाई की। इससे पहले उन्होंने स्टेन्स हायर सेकेंडरी स्कूल, कुन्नूर, और भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान कानपुर उत्तर प्रदेश भारत (1980 से 1985 तक) से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में बैचलर इन इंजीनियरिंग की पढ़ाई की थी।
उन्होंने यूनिवर्सिटी ऑफ इलिनॉय से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में पीएचडी की। आईआईटी कानपुर (IIT Kanpur) से पढ़े अरविंद कृष्ण (Arvind Krishna) फेडरल रिजर्व बैंक ऑफ न्यूयार्क के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर में शामिल होंगे। उन्हें बैंक ने क्लास बी निदेशक चुना है।
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