भारत में 18वीं लोकसभा के लिए चुनाव होने का समय नज़दीक है, जो 16 जून 2024को समाप्त होने वाली है। यह चुनाव (Lok Sabha Elections 2024) अप्रैल और मई 2024 के बीच होने की उम्मीद है।
पिछला लोकसभा चुनाव अप्रैल-मई 2019 में हुआ था, जिसमें भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने बहुमत हासिल किया था।
भारत निर्वाचन आयोग Election Commission of India को चुनाव आयोग के नाम से भी जाना जाता है जो भारत में संघ और राज्य चुनाव प्रक्रियाओं का संचालन करता है।
यह यह एक स्वायत्त संवैधानिक संस्था Autonomous Constitutional Body है जो संविधान के आर्टिकल 324 के तहत भारत में होने वाले चुनावों और चुनावी प्रक्रिया के लिए जिम्मेदार है। जिसकी स्थापना 25 जनवरी, 1950 को की गई थी।
देश की उच्च न्यायपालिका, केंद्रीय लोक सेवा आयोग और भारत के नियंत्रक और महालेखापरीक्षक (Comptroller & Auditor General of India-CAG) के अलावा निर्वाचन आयोग ही ऐसी संस्था है जो स्वायत्त और स्वतंत्र है। चुनाव आयोग के कार्यों और अधिकारों Functions and powers of the Election Commission का उल्लेख भारत के संविधान Constitution of India में किया गया है।
निर्वाचन आयोग का मुख्य कार्य देश में पारदर्शी तरीके से चुनाव कराना Conducting elections in a transparent manner in the country होता है, इसमें राज्यों के साथ केन्द्र से जुड़े चुनाव और नगर पालिका के चुनाव भी शामिल हैं।
इसके अलावा राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति के चुनावों का दायित्व भी भारत निर्वाचन आयोग का होता है। निर्वाचन आयोग का सबसे बड़ा काम है नियमित समय पर लोकतांत्रिक तरीके से चुनाव कराना। आयोग चुनावों से पहले आचार संहिता Code of conduct लागू करता है जिससे स्वतंत्र और पारदर्शी चुनाव कराए जा सकें।
चुनाव आयोग भारत में लोकसभा, राज्यसभा, राज्य विधानसभाओं, राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति के चुनाव की संपूर्ण प्रक्रिया entire selection process का संचालन, निर्देशन और नियंत्रण करता है।
इस विशेष ब्लॉग पोस्ट में हम जानेगें की भारत में क्यों महत्वपूर्ण है निर्वाचन आयोग की भूमिका Why is the role of the Election Commission important in India? और उससे जुड़े अन्य महत्वपूर्ण पहलुओं को भी समझेगें।
जब देश में चुनावी माहौल चल रहा होता है तो तब नई सरकारों के चुनाव का बिगुल बज जाता है। फिर स्टार प्रचारक चुनावी प्रचार जोर-शोर से करते हैं। पार्टियां लगातार अपने स्टार प्रचारकों के साथ रैलियां और जन सभाएं करती हैं।
इन्हीं चुनाव के दौरान आपने कई बार सुना होगा कि चुनाव आयोग के द्वारा ये कहा गया है कि अगर कोई भी चुनावी रैलियों या प्रचार से जुड़े नियमों का उल्लंघन करता है तो उस पर निर्वाचन अधिकारी फैसला करके उन्हें रैली करने से रोक सकते हैं या फिर चुनाव आयोग ने रोड शो, पदयात्रा, वाहन रैलियों और जुलूसों पर प्रतिबंध लगा दिया है।
इसके अलावा आपको कई बार ये भी सुनने को मिल सकता है कि चुनाव के लिए ECI ने जारी की नई गाइडलाइन या फिर चुनाव प्रचार के लिए समय बढ़ाया। चुनावों में राजनीतिक दल अपनी पूरी ताकत झोंक देते हैं ।
लेकिन इस सबके बीच, इन सबसे बढ़कर एक संस्था ऐसी है जो यह तैयारी करती है कि चुनाव बिना किसी परेशानी के पूरे हों और वह संस्था है ECI भारतीय निर्वाचन आयोग (इलेक्शन कमिशन ऑफ इंडिया) Election Commission of India जो कि चुनावों की तैयारी में पूरी तरह से जुटी रहती है।
हर 5 साल में राज्य और केंद्र के होने वाले चुनावों को कराने की पूरी जिम्मेदारी इलेक्शन कमिशन ऑफ इंडिया यानी भारत निर्वाचन आयोग की होती है। लेकिन क्या आपको पता है कि ये ECI, Election Commission of India यानि भारत निर्वाचन आयोग कौन है, जो इस तरह से गाइडलाइन लागू करता है और जो चुनावों को कराने की पूरी जिम्मेदारी लेता है।
जैसा की हम सभी को पता है की 2024 के चुनाव 2024 elections जल्द ही होने वाले है। 2024 के लोकसभा चुनाव भारत के लिए एक महत्वपूर्ण चुनाव होंगे।चुनावों के दौरान सभी राजनेता और जो भी दल मैदान में होते हैं उन्हें इन गाइडलाइन्स को फॉलो करना ही होता है।
चलिए आज विस्तार से जानते हैं कि भारत में निर्वाचन आयोग की क्या भूमिका है और ये क्यों महत्वपूर्ण है।
भारत निर्वाचन आयोग को चुनाव आयोग के नाम से भी जाना जाता है। यह एक स्वायत्त संवैधानिक संस्था autonomous constitutional body है जो संविधान के आर्टिकल 324 के तहत भारत में होने वाले चुनावों और चुनावी प्रक्रिया के लिए जिम्मेदार है।
जिसकी स्थापना 25 जनवरी, 1950 को की गई थी। भारत को दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र Democracy कहा जाता है। भारत में राज्य एवं केंद्र सरकारों का फैसला आम लोगों के वोट से होता है। हर 5 साल में राज्य और केंद्र के होने वाले चुनावों को कराने की पूरी जिम्मेदारी Election Commission of India यानी भारत निर्वाचन आयोग की होती है।
यह देश में लोकसभा, राज्यसभा, राज्य विधानसभाओं, राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति के चुनाव का संचालन करता है। देश की उच्च न्यायपालिका, केंद्रीय लोक सेवा आयोग और भारत के नियंत्रक और महालेखापरीक्षक (Comptroller & Auditor General of India-CAG) के अलावा निर्वाचन आयोग ही ऐसी संस्था है जो स्वायत्त और स्वतंत्र है।
चुनाव आयोग के कार्यों और अधिकारों functions and rights का उल्लेख भारत के संविधान Constitution of India में किया गया है। डेप्युटी इलेक्शन कमिश्नर और डायरेक्टर जनरल मुख्यालय में सबसे सीनियर अधिकारी होते हैं।
निर्वाचन आयोग में मूलतः केवल एक चुनाव आयुक्त का प्रावधान था, लेकिन राष्ट्रपति की एक अधिसूचना के ज़रिये 16 अक्तूबर, 1989 को इसे तीन सदस्यीय बना दिया गया। इसमें दो अतिरिक्त कमिश्नरों की नियुक्ति की गई थी।
यह नियुक्ति केवल 1 जनवरी 1990 तक ही थी। इसके बाद कुछ समय के लिये इसे एक सदस्यीय आयोग बना दिया गया और 1 अक्तूबर, 1993 को दो अतिरिक्त चुनाव कमिश्नरों की नियुक्ति की गई थी और इसका तीन सदस्यीय आयोग वाला स्वरूप फिर से बहाल कर दिया गया।
मतलब चुनाव आयोग में तीन सदस्य होते हैं। मुख्य चुनाव आयुक्त के अलावा दो और चुनाव आयुक्त होते हैं। मुख्य चुनाव आयुक्त का कार्यकाल 6 साल या 65 वर्ष की उम्र, दोनों में से जो पहले हो, की आयु तक होता है। चुनाव आयुक्तों election commissioners की नियुक्ति राष्ट्रपति करते हैं।
मुख्य निर्वाचन अधिकारी IAS रैंक का अधिकारी होता है। यानि आईएएस, ईआरएस या फिर सिविल सर्विस civil service का कोई अधिकारी ही मुख्य निर्वाचन आयुक्त की जिम्मेदारी संभालता है। जैसे कि आपको पता है भारत का चुनाव आयोग एक संवैधानिक और स्वायत्त संस्था है इसलिए सरकार इसके कामकाज में दखल नहीं दे सकती है मतलब सरकार किसी भी तरह इसके कामकाज को प्रभावित नहीं कर सकती है।
चुनाव आयुक्त को किसी एक आदेश से पद से नहीं हटाया जा सकता। इसके लिए संसद से महाभियोग प्रस्ताव को मंजूरी दिलाने की जरूरत होती है। मुख्य चुनाव आयुक्त का दर्जा देश के सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के बराबर होता है।.इसका मुख्यालय निर्वाचन सदन, अशोक रोड नई दिल्ली में स्थित है।
भारत निर्वाचन आयोग का मुख्य कार्य देश में पारदर्शी तरीके से चुनाव कराना होता है इसमें राज्यों के साथ केन्द्र से जुड़े चुनाव और नगर पालिका के चुनाव भी शामिल हैं। इसके अलावा राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति के चुनावों का दायित्व भी भारत निर्वाचन आयोग का होता है।
निर्वाचन आयोग का सबसे बड़ा काम है नियमित समय पर लोकतांत्रिक तरीके से चुनाव कराना। आयोग चुनावों से पहले आचार संहिता Code of conduct लागू करता है जिससे स्वतंत्र और पारदर्शी चुनाव कराए जा सकें।
चुनाव आयोग भारत में लोकसभा, राज्यसभा, राज्य विधानसभाओं, राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति के चुनाव की संपूर्ण प्रक्रिया entire selection process का संचालन, निर्देशन और नियंत्रण करता है। राजनीतिक दलों और नेताओं को इसी के तहत आचार करना होता है।
चुनाव लड़ने वाली पार्टियां आयोग के पास खुद को रजिस्टर कराती हैं। आयोग ही पार्टियों को चुनाव चिन्ह प्रदान करता है और साथ ही चुनाव में होने वाले खर्च की सीमा भी तय करता है। इलेक्टोरल रोल electoral roll और वोटर्स की लिस्ट Voters' list को भी समय-समय पर चुनाव आयोग के द्वारा अपडेट किया जाता है।
यदि चुनाव आयोग चाहे तो चुनाव से जुड़े प्रकाशन, ऑपिनियन पोल या एग्जिट पोल पर रोक लगा सकता है। निर्वाचन आयोग मतदान एवं मतगणना केंद्रों के लिये जगह, मतदाताओं के लिये मतदान केंद्र तय करना, मतदान एवं मतगणना केंद्रों counting centers में सभी प्रकार की आवश्यक व्यवस्थाओं का संचालन करना और इससे जुड़े अन्य सभी कार्यों का प्रबंधन करता है।
कोई अनुचित कार्य न करे या कोई शक्तियों का दुरुपयोग न करे इसके लिए चुनाव आयोग, चुनाव में ‘आदर्श आचार संहिता’ Model Code of Conduct भी जारी करता है। इसके अलावा चुनाव आयोग सरकार को भी निर्देश जारी कर सकता है। चुनाव संबंधित नियमों का उल्लंघन करने पर चुनाव आयोग राजनीतिक पार्टियों और उम्मीदवारों के खिलाफ कार्रवाई तक कर सकता है।
ये तो अब आप अच्छी तरह से समझ गये हैं कि देश में चुनाव करवाने की जिम्मेदारी भारत के चुनाव आयोग की है। यही निर्वाचन आयोग की सबसे बड़ी ताकत है और ये बात अपने आप में बहुत महत्व रखती है। चुनाव आयोग के द्वारा ही राजनीतिक दलों को मान्यता और चुनाव चिन्ह प्रदान किया जाता है।
मतदाता सूची तैयार करना आचार संहिता तैयार करना और उसको फिर लागू करना भी चुनाव आयोग की मुख्य जिम्मेदारी है। इस बात से हम समझ सकते हैं कि भारत का चुनाव आयोग बहुत अधिक ताकतवर है। इसके अलावा सरकार इसके कामकाज में दखल नहीं दे सकती है।
यदि उम्मीदवारों के द्वारा चुनाव नियमों का उल्लंघन किया जाता है तो उनके खिलाफ केस दर्ज करवा सकते हैं और यहाँ तक गिरफ्तार भी करवा सकते हैं। साथ ही ऐसे उम्मीदवारों का साथ देने वाले अधिकारियों पर भी कड़ी कार्रवाई कर सकते हैं यहाँ तक उन अधिकारियों को निलंबित भी कर सकते हैं।
चुनाव आयोग संविधान में निहित मूल्यों को मानता है और चुनाव में समानता equality in elections, निष्पक्षता fairness, स्वतंत्रता स्थापित करता है जिससे पारदर्शिता और विश्वसनीयता बनी रहती है। चुनाव आयोग ही वो संस्था है जिसके कारण देश की चुनाव प्रणाली के प्रति लोगों का विश्वास बरक़रार है।
साथ ही इसके कारण राजनीतिक दल भी अनुशासित रहते हैं। कुल मिलाकर हम कह सकते हैं कि निर्वाचन आयोग की ताकत और महत्व की वजह से ही देश की चुनाव प्रणाली में निष्पक्षता और मज़बूती कायम है।
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भारतीय संविधान का भाग XV (अनुच्छेद 324-329): यह चुनावों से संबंधित है और इन मामलों हेतु एक आयोग की स्थापना करता है।
अनुच्छेद 324: चुनाव का अधीक्षण, निर्देशन और नियंत्रण चुनाव आयोग में निहित है।
अनुच्छेद 325: धर्म, जाति या लिंग के आधार पर किसी भी व्यक्ति विशेष को मतदाता सूची में शामिल न करने और इनके आधार पर मतदान के लिये अयोग्य नहीं ठहराने का प्रावधान। यानि धर्म, मूलवंश, लिंग या जाति के आधार पर शामिल करने या बहिष्कृत करने का कोई विशेष प्रावधान नहीं है।
अनुच्छेद 326: लोकसभा और राज्यों की विधानसभाओं के चुनाव वयस्क मताधिकार पर आधारित होंगे। मतलब संसद के दोनों सदनों के चुनावों में सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार का पालन किया जाना चाहिए।
अनुच्छेद 327: विधानसभाओं के चुनाव के संबंध में प्रावधान करने की संसद की शक्ति से संबंधित है।
अनुच्छेद 328: राज्य के विधानमंडल को ऐसे विधानमंडल के चुनावों के संबंध में प्रावधान करने की शक्ति से संबंधित है।
अनुच्छेद 329: चुनावी मामलों में अदालतों के हस्तक्षेप पर रोक। यानि चुनाव से संबंधित मामलों में हस्तक्षेप करने के लिए अदालत को प्रतिबंधित किया गया है।
राष्ट्रीय स्तर पर, चुनाव आयोग को उप चुनाव आयुक्तों द्वारा सहायता प्रदान की जाती है और इन्हें सिविल सेवाओं के माध्यम से नियुक्त किया जाता है।
जिला स्तर पर, एक जिला रिटर्निंग अधिकारी चुनाव आयोग को सहायता प्रदान करता है।
संविधान के तहत संसद और राज्य विधानसभाओं के मौजूदा सदस्यों के चुनाव के बाद अयोग्यता के मामले में आयोग के पास सलाहकार अधिकार क्षेत्र है।
इसके अलावा चुनाव में भ्रष्ट आचरण के दोषी पाए जाने वाले व्यक्तियों के मामले जो सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालयों के सामने आते हैं, को इस सवाल हेतु आयोग की राय के लिये भी भेजा जाता है कि क्या ऐसे व्यक्ति को अयोग्य घोषित किया जाएगा और यदि हांँ, तो कितने समय के लिये।
आयोग के पास मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों के विभाजन से संबंधित विवादों को निपटाने की अर्द्ध-न्यायिक शक्ति निहित है। इसके अलावा आयोग के पास ऐसे उम्मीदवार को अयोग्य घोषित करने की शक्ति भी है, जो समय के भीतर और कानून द्वारा निर्धारित तरीके से अपने चुनावी खर्चों का लेखा-जोखा करने में विफल रहा है।
चुनाव के लिये सरकारी वाहनों और भवनों का उपयोग कर निर्वाचन आयोग की आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन किया जाता है।
निर्वाचन आयोग के पास राजनीतिक दलों को विनियमित करने के लिये पर्याप्त शक्तियाँ नहीं हैं।
चुनाव आयोग के सदस्यों के लिए योग्यताएं संविधान में निर्दिष्ट नहीं हैं।
आयोग के जनादेश और जनादेश का समर्थन करने वाली प्रक्रियाओं को और अधिक कानूनी समर्थन प्रदान करने की आवश्यकता है।
किसी राजनीतिक दल के आंतरिक लोकतंत्र और पार्टी के वित्तीय विनियमन को सुनिश्चित करने की भी कोई शक्ति निर्वाचन आयोग के पास नहीं है।
एक अधिकारी के स्थानांतरण पर सरकार का एकमात्र अधिकार है।
वर्षों से राजनीति में हिंसा और चुनावी दुर्भावनाओं के साथ कालेधन और आपराधिक तत्त्वों का बोलबाला बढ़ा है और इसके परिणामस्वरूप राजनीति का अपराधीकरण हुआ है। इनसे निपटना निर्वाचन आयोग के लिये एक बड़ी चुनौती है।
चुनाव आयोग के सदस्यों की शर्तों का उल्लेख नहीं किया गया है।
कई बार EVM में खराबी, हैक होने और वोट रिकॉर्ड करने में विफल रहने के आरोपों ने चुनाव आयोग में जनता के विश्वास को कम किया है।
वर्तमान समय में सत्ताधारी दल के पक्ष में निचले स्तर पर नौकरशाही की मिलीभगत के खिलाफ सतर्क रहने की आयोग के सामने बड़ी चुनौती है।
राज्यों की सरकारों द्वारा सत्ता का बड़े पैमाने पर दुरुपयोग किया जाता है, जिसके तहत कई बार चुनावों से पहले बड़े पैमाने पर प्रमुख पदों पर तैनात योग्य अधिकारियों का स्थानांतरण कर दिया जाता है।
सेवानिवृत्त होने या छोड़ने के बाद, उन्हें भविष्य के कार्यों से प्रतिबंधित नहीं किया जाता है।