द ग्रेट रेजिग्नेशन (The great resignation), जिसमें कर्मचारियों ने रिकॉर्ड दरों पर अपनी नौकरी छोड़ी उसको डिकोड करना या उसके कारण को समझना हाल के दिनों में संगठनों और शोधकर्ताओं के लिए एक प्रमुख प्राथमिकता रही है। अर्थशास्त्रियों का मानना है कि द ग्रेट रेजिग्नेशन का मूल कारण कुछ कठोर बदलाव हैं जिन्हें महामारी के दौरान कॉरपोरेट्स को अपनाने के लिए मजबूर किया गया था। इससे ज्यादातर कर्मचारियों को थकावट और भावनात्मक व मानसिक तनाव पैदा हुआ।
यह लेख विनीता जी के इंग्लिश लेख का मंजू गुप्ता के द्वारा किया गया हिंदी रूपांतरण है।
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"माइक्रोसॉफ्ट के 2021 वर्क ट्रेंड इंडेक्स (Microsoft's 2021 Work Trend Index) के अनुसार, विश्वभर के 40% से अधिक कर्मचारी 2021 में अपनी नौकरी छोड़ने पर विचार कर रहे थे। अगस्त 2021 की शुरुआत में किए गए प्राइस वाटर हाउस कूपर्स सर्वेक्षण (PricewaterhouseCoopers survey) के अनुसार, 65% कर्मचारियों ने कहा कि वे एक नई नौकरी (New job) की तलाश में थे, और 88% अधिकारियों ने कहा कि उनकी कंपनी सामान्य से अधिक कारोबार का अनुभव कर रही है। फॉर्च्यून पत्रिका ( Fortune magazine) में अक्टूबर 2021 में प्रकाशित एक डेलॉइट ( Deloitte ) अध्ययन में पाया गया कि फॉर्च्यून 1000 कंपनियों में से, 73% सीईओ ने अनुमान लगाया कि अगले 12 महीनों में काम की कमी उनके व्यवसायों को बाधित करेगी, 57% का मानना था कि कर्मचारियों को आकर्षित करना उनकी कंपनी की सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक है, और 35% कंपनियों ने कर्मचारी ठहराव को बढ़ावा देने के लिए पहले से ही कंपनी के लाभों को विस्तारित कर दिया।”
महामारी (Pandemic) की शुरुआत के साथ, सभी संगठनों को लगभग रातोंरात अपना व्यवसाय डिजिटल (Digital) तरीके से या ऑनलाइन करने के लिए मजबूर होना पड़ा। और इस वजह से दुनिया भर में तकनीकी कर्मचारियों की भारी मांग देखी गयी। इसके साथ ही स्वास्थ्य इंडस्ट्री (Health industry) ने भी पिछले वर्षों की तुलना में एक तेज गति देखी क्योंकि महामारी की वजह से विश्व भर में एक बड़ा परिवर्तन हुआ जिसमें स्वास्थ्य कर्मियों को अपने काम के समय को भी बढ़ाना पड़ा। इन दोनों ही उद्योगों में मुख्य रूप से भारी परिवर्तन (change) देखा गया, जिसके परिणामस्वरूप काम का बोझ कर्मचारियों पर ज्यादा रहा।
महामारी के दौरान, विनिर्माण, खाद्य, हॉस्पिटैलिटी और मनोरंजन (manufacturing, food & hospitality, and entertainment) जैसे उद्योगों में भारी इस्तीफे देखने को मिले । कर्मचारियों की मांग को पूरा करने हेतु संगठनों ने स्वचालन के साथ-साथ अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी हायरिंग (Hiring) के अवसरों का पता लगाना जारी रखा। लाखों कर्मचारियों की पहुंच अब अपने देश से बाहर भी है जो पहले केवल एक कंफर्ट जोन (comfort zone) में रहकर काम करते थे, उनको अब बाहर भी अवसर मिल रहे हैं। इस प्रतिस्पर्धी माहौल में जहाँ कंपनियां कर्मचारियों को आकर्षित करने के लिए तेजी से अपने व्यापार मॉडल को हाइब्रिड (hybrid) में बदल रहे हैं या उच्च वेतन देने के लिए भी राजी हो रहे हैं। चूंकि अधिकांश संगठन अभी भी अपनी पुरानी कार्य नीतियों से काम कर रहे हैं, इससे कर्मचारियों का नौकरी छोड़ना आने वाले दिनों में भी ज़ारी रहेगा।
5 से 10 वर्षों के अनुभव वाले मध्य-कैरियर कर्मचारियों (mid-career employees) में इस्तीफे की दर सबसे अधिक है। और नियोक्ताओं का मानना है कि नए या कम अनुभव वाले कर्मचारियों को ऐसे वातावरण में ढालना मुश्किल हो सकता है जिसमें फिजिकल कनेक्शन, मेंटरशिप या सलाह और रियल-टाइम ट्रेनिंग ( physical connection, mentorship, and real-time training) का आभाव हो। मध्य कैरियर कर्मचारियों की मांग है कि उन्हें एक सुरक्षित या सिक्योर नौकरी मिले जिसमें उनकी ग्रोथ (Growth) भी लगातार बढ़ती रहे। मध्य-कैरियर कर्मचारी अब फिर से वही ऑफिस एन्वॉयरमेंट या वातावरण नहीं चाहते जहाँ उनके ऊपर अधिक काम का भोझ रहे और उन्हें ज़्यादा घंटे काम करना पड़े।
कई संस्थानों में, पुराने श्रमिकों ने जल्दी रेटायर्मेंट (retirement) लेने का विकल्प चुना क्योंकि उनके फाइनेंस का काफी हद तक ध्यान रखा गया था और उनके पास काफी सेविंग्स थीं। कई परिवारों में जहाँ दो लोग यानि पति और पत्नी दोनों काम करते थे, महामारी के समय घर और बच्चों की देखभाल के लिए एक सदस्य ने नौकरी छोड़ दी। हालांकि, लॉकडाउन (Lockdown) ने लोगों को ये सोचना का मौका दिया कि या लोगों को ये महसूस हुआ कि हम सबकी नार्मल लाइफ (normal life) या जीवन कैसा होना चाहिए।
क्या अब यह कहना सही होगा कि द ग्रेट रेजिग्नेशन (the great resignation ) एक आम हड़ताल है? क्या कोई बड़ा पद छोड़ना केवल नाराजगी जताने का एक तरीका है?
महामारी ने कर्मचारियों को अपने दीर्घकालिक लक्ष्यों (long-term goals) पर पुनर्विचार करने का मौका दिया, लोग ये सोचने लगे कि उनके लिए सबसे महत्वपूर्ण क्या है, महामारी के दौरान बहुत से कर्मचारी सोचने लगे कि जो काम अभी कर रहे है क्या हमेशा से वो यही करना चाहते थे या क्या ये उनके पसंद का काम है। इसके अलावा उन्हें इसपर भी विचार किया कि जीवन सबसे महत्वपूर्ण है और जीवन में खुशियां उससे भी अधिक महत्वपूर्ण हैं तो क्या उनकी वर्क लाइफ और पर्सनल लाइफ में संतुलन (work and personal life balance) है? जैसे-जैसे संगठन कर्मचारियों को कार्यालय में लौटने के लिए बुलाने लगे तो कर्मचारी लगातार ऑनलाइन काम या वर्क फ्रॉम होम (Work from home) की इच्छा जाहिर करने लगे।
कई लोग ऐसे भी उद्योगों और क्षेत्रों में जाने की सोच रहे हैं जिसका उन्हें कोई अनुभव नहीं है। वर्तमान में जहाँ स्टार्टअप (Startup) तेज़ी से आगे बढ़ रहे हैं, ऐसे में कर्मचारियों के पास मौजूदा स्टार्ट-अप में शामिल होने का विकल्प है, क्योंकि स्टार्ट-अप के भीतर विशेष कौशल की मांग बढ़ रही है। स्टार्ट-अप कॉलेजों और अनुभवी कर्मचारियों को समान रूप से काम पर रखने के लिए उत्साहित हैं। इसके अलावा ज्यादातर अनुभवी पेशेवर थोड़ी पूंजी के साथ अपने स्वयं के स्टार्ट-अप स्थापित करने के लिए अपनी दैनिक नौकरी छोड़ रहे हैं। अर्थशस्त्रियों का मानना है सर्वश्रेष्ठ प्रतिभाओं को अपनी कंपनियों में शामिल करने के लिए, कर्मचारियों को मिलने वाले लाभों के रूप में कर्मचारियों का वेतन बढ़ाने के लिए उद्योगों को मजबूर होना पड़ेगा।
ज्यादातर कंपनियां कम ड्रॉपआउट अनुपात सुनिश्चित करने के लिए वेलकम बोनस (Welcome bonus) भी दे रहीं हैं। इसके साथ ही ज्यादातर संगठन छोटे और अधिक लचीले वर्कवीक यानि शार्ट और फ्लेक्सिबल वीकेंड्स को काम करने का एक मानक तरीका मान रहे हैं। छोटे शहरों में रहकर, घर से काम करने पर कर्मचारियों के खर्च में गिरावट होती है और यही कारण है कि कर्मचारी रिमोट वर्क (Remote work) की मांग कर रहे हैं। क्योंकि एक बड़े शहर में एक छोटे से अपार्टमेंट को किराए पर लेने से बेहतर एक छोटे शहर में एक बड़े घर का मालिक होना है। इसके अलावा बड़े संगठन भी छोटे व्यवसायों और स्टार्ट-अप का समर्थन करने के लिए छोटे शहरों में जा रहे हैं। इस महामारी के दौर में बड़े स्तर पर पैदा हुई कर्मचारियों या प्रतिभाओं की कमी से निपटने के लिए, और इस तरह की चुनौतियों से निपटने के लिए ज्यादातर संगठन अपनी स्वचालन यात्रा ( automation journey) को तेज करने के साथ-साथ आउटसोर्सिंग (contemplating outsourcing partners) पर विचार कर रहे हैं।
पहले कहते थे कि "काम पहले आता है" (work comes first) और अब कहते हैं कि "जीवन पहले आता है" (life comes first) यह महत्वपूर्ण संदेश है जिसे कॉर्पोरेट्स को समझने की आवश्यकता है। महामारी के वजह से अब कर्मचारी उन जगहों पर जाते हैं जो उन्हें कैरियर पथ चुनने और काम करने की बेहतर गुणवत्ता (Better quality) का अवसर देता है और जो उनकी आवश्यकताओं के लिए सबसे अच्छा है।
अंततः अब काम की दुनिया या वर्क लाइफ पहले से कहीं अधिक स्थिर (Stable) होगी।
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यह लेख विनीता कुकरेती जी द्वारा लिखे गए लेख का हिंदी रूपांतरण है।
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