विज्ञान और प्रौद्योगिकी का भविष्य बहुत ही आशाजनक लगता है। नियमित घर के कार्यों से लेकर प्रौद्योगिकी तक सब कुछ तकनीक पर ही निर्भर हो गया है कंप्यूटिंग, रोबोटिक्स, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, जेनेटिक्स, न्यूरोसाइंस और बायोटेक्नोलॉजी में अभूतपूर्व प्रगति हमारी दुनिया को बेहतर बना रही है।
आज के युग में टेक्नोलॉजी के बिना जीवन की कल्पना करना जैसे असंभव है। तकनीक के बिना जिंदगी की कल्पना भी नहीं की जा सकती। यह हमारे जीवन का वह हिस्सा बन गई है जिसपर आज प्रत्येक काम निर्भर हो चुका है। विज्ञान और प्रौद्योगिकी का भविष्य बहुत ही आशाजनक लगता है। नियमित घर के कार्यों से लेकर प्रौद्योगिकी तक सब कुछ तकनीक पर ही निर्भर हो गया है कंप्यूटिंग Computing, रोबोटिक्स Robotics, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस Artificial Intelligence, जेनेटिक्स, न्यूरोसाइंस और बायोटेक्नोलॉजी Neuroscience and Biotechnology में अभूतपूर्व प्रगति हमारी दुनिया को बेहतर बना रही है। इसमें तो कोई शक नहीं कि तकनीक ने मानव जीवन को बहुत ही आसान बना दिया है।
प्रौद्योगिकी और मानव भेद्यता
प्रौद्योगिकी कई तरह से मनुष्य को लाभ पहुंचाती है, लेकिन फिर भी इसका समाज पर बहुत हद हानिकारक प्रभाव भी पड़ा है। शोधकर्ताओं का दावा है कि तकनीकी प्रगति ने समाज के सदस्यों के बीच तनाव के स्तर और सामाजिक अलगाव को बढ़ा दिया है। उभरती हुई तकनीक खूबसूरत तो है लेकिन इसका काला पहलू उतना ही भयावह भी है। प्रौद्योगिकी के चलते आज आपराधिक गतिविधियों में बहुत ही तेज़ी से वृद्धि हुई है। इसका सबसे बड़ा उदाहरण हम मोबाइल फोन से समझ सकते हैं। मोबाइल फोन के विकास से अनेक आपराधिक गतिविधियों को बढ़ावा मिल गया है। साइबर क्राइम, ड्रग तस्करी, आतंकवाद, ऑनलाइन डेटा अपराध आदि अपराध मोबाइल फोन की सहायता से संभव हो गए हैं।
प्रौद्योगिकी ने हमारी दुनिया को तेजी से खुला बना दिया है जिससे समाज को बहुत बड़ा लाभ मिला है। लेकिन फिर भी इसके दुष्परिणाम भी भयानक हैं। जैसा कि हमने 2008 के हुए मुंबई आतंकवादी हमले में देखा है। आतंकवादी विस्फोटक explosives, एके-47 (AK-47), और हथगोले hand grenades से परिपूर्ण थे, जो इसी प्रौद्योगिकी से उत्पन्न हुए हैं। इसके अलावा आतंकवादियों ने पीड़ितों का पता लगाने के लिए स्मार्टफोन सैटेलाइट इमेजरी, नाइट-विज़न चश्मे सहित कई उपकरणों का इस्तेमाल अपने घातक इरादों को कामयाब होने के लिए किया था।
हमारे पास इसके अलावा भी कई ऐसे उदाहरण सामने आते हैं, जो बढ़ती प्रौद्योगिकी के दुष्प्रभाव को भी सामने लाते हैं। हालांकि यह पूरी तरह से तकनीकों को इस्तेमाल करने वाले लोगों पर निर्भर करता है कि वह उसका इस्तेमाल किस इरादे से करते हैं। एक तरफ देखा जाए तो मानव विकास के लिए प्रौद्योगिकी एक बड़ा हथियार है लेकिन दूसरी ओर यह मानवता को नष्ट करने का भी काम करती है। ऐसे कई अनगिनत तरीके हैं जिसके द्वारा तकनीकों का गलत इस्तेमाल किया जाता है। कई बार तो यह अपराधिक होता है लेकिन कई बार कुछ घटनाएं आम इंसान की जाने अनजाने की गई गलतियों के कारण भी होती हैं। आज लोग सोशल मीडिया साइट्स पर अपनी छोटी बड़ी गतिविधियों को पोस्ट करते हैं कि और जाने अनजाने में ऐसी गलतियां करना गलत लोगों को उससे कहीं अधिक जानने देता है जितना आप जताना चाहते हैं। इसलिए यह आवश्यक है कि जब भी कोई इन तकनीकों का इस्तेमाल करें तो पूरी सावधानी अवश्य बरतें। निजी तौर पर देखें तो ऐसा नहीं है कि तकनीक सिर्फ दुष्परिणाम ही देती है बल्कि हम प्रौद्योगिकी को किस तरह लागू करते हैं यह उसकी उपयोगिता को निर्धारित करती है।