सन फार्मा - बुलंद हौसलों से बनी सफल कंपनी

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16 Apr 2022
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यदि आज हर युवा दिलीप सांघवी की तरह दृढ़ संकल्प और पूरी लगन के साथ कार्य करे तो हर कदम पर सफलता जरूर मिलेगी और हर जीत आपकी होगी। दिलीप सांघवी ने अपनी विवेकशीलता और बुद्धिमता से छोटी सी कंपनी को दुनिया की बड़ी कंपनियों में शामिल कर दिया। दिलीप सांघवी ने अपनी इच्छाशक्ति की बदौलत एक छोटे से बिजनेस से स्टार्ट करके बुलंदियों को छुआ और सिर्फ देश में ही नहीं पूरे विश्व में भी अपना परचम लहराया है। अगर आप अपने लक्ष्य और मंजिल के प्रति समर्पित हैं तो आपको आगे बढ़ने से कोई नहीं रोक सकता है। ऐसे ही निरंतर प्रगति करने वाली फार्मा कंपनियों में से एक है सन फार्मास्युटीकल्स कंपनी (Sun Pharmaceuticals), जिसकी स्थापना करने वाले दिलीप संघवी Dilip Shanghvi एक प्रसिद्ध भारतीय उद्योगपति और देश के सबसे धनी लोगों में से एक हैं। 

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यदि आप अपने लक्ष्य के प्रति समर्पित हैं और उस पर फोकस करते हैं तो आप अपनी एक अलग पहचान बनाने में कामयाब हो जाते हैं। क्योंकि लक्ष्य के प्रति समर्पित होने से आप सुनियोजित सोच के साथ आगे बढ़ोगे और आपकी सोच और भावनाएं भी उसी के अनुसार होंगी। साथ ही आपके अंदर कुछ कर गुजरने का जज़्बा भी कायम रहेगा और फिर आपके लिए कोई भी राह मुश्किल नहीं होगी। ऐसे ही सुनियोजित सोच और रणनीति के साथ अपने सपनों को पूरा कर दिखाया है सन फार्मास्युटीकल्स कंपनी Sun Pharmaceuticals company की स्थापना करने वाले दिलीप संघवी Dilip Shanghvi ने। दिलीप सांघवी इस कंपनी के MD मैनेजिंग डायरेक्टर (Managing Director) हैं। वैसे भारत में कई सारी फार्मा कंपनी हैं लेकिन सन फार्मा Sun Pharma ने सिर्फ भारत मे ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया मे एक अलग ही पहचान बनाई है। 

Dilip Shanghvi का प्रारंभिक जीवन और शिक्षा

दिलीप सांघवी का जन्म 1अक्टूबर 1955 को अमरेली, गुजरात Amreli, Gujarat में हुआ था। उनके पिता का नाम Shantilal Shanghvi शांतिलाल सांघवी और माता का नाम Kumud Shanghvi कुमुद सांघवी था। इनके पिता जेनेरिक दवाओ के होलसेल डिस्ट्रीब्यूटर wholesale distributor थे। दिलीप ने अपनी स्कूली पढाई जे जे अजमेरा स्कूल J.J Ajmera High School से की है और कोलकाता में स्थित भवानीपुर एजुकेशन सोसाइटी कॉलेज THE BHAWANIPUR EDUCATION SOCIETY COLLEGE से कॉमर्स में स्नातक किया है। दिलीप संघवी ने अपना बचपन कोलकाता के बुर्राबाजार इलाके में बिताया था। ग्रेजुएशन के बाद इन्होने कुछ समय तक अपने पिता के कारोबार में काम किया और फिर मन में कुछ बड़ा करने के इरादे से 1982 में अपने पिता से ₹10000 उधार लेकर अपनी खुद की दवा कंपनी बनाने की सोची और मुंबई आ गए। उन्होंने केवल दो लोगों की मार्केटिंग टीम के साथ 5 मनोचिकित्सा की दवाइयों (साइकियाट्रिक ड्रग्स) psychiatric drugs के साथ सन फार्मा की शुरुआत की और आज उसका परिणाम सबके सामने है। उन्होंने अपने बुलंद होसलों और बड़ी सोच से खड़ी कर दी इंडिया की नंबर वन और विश्व की पांचवीं नंबर की जेनरिक दवाई बनाने वाली सबसे बड़ी कंपनी Sun pharma सन फार्मा। वर्तमान समय की बात करें तो दिलीप संघवी Mumbai Maharashtra मुंबई महाराष्ट्र (भारत) में रहते हैं। दिलीप संघवी (Dilip Shanghvi) का विवाह विभा संघवी से हुआ है। दिलीप संघवी की दो संतान हैं। जिनमें एक बेटा है जिसका नाम आलोक संघवी है और एक बेटी है जिनका नाम विधि संघवी है। 

Dilip Shanghvi का करियर और बिज़नेस 

जीवन में सफ़ल होने वाले व्यक्ति अपने लक्ष्य को निश्चित कर लेते हैं और हर सफल व्यक्ति की यही सबसे बड़ी खासियत होती है। दिलीप संघवी (Dilip Shanghvi) भी उन्ही में से एक हैं। उनके पास विज्ञानं विषय की डिग्री नहीं थी और ना ही उनके पास कोई बड़ी पूंजी थी। लेकिन फिर भी उन्हें कुछ नया करने की चाह थी और वह दवाई के कारोबार में ही आगे बढ़ना चाहते थे। वो इस बात को अच्छी तरह जानते थे कि भविष्य अनिश्चित है इसलिए तूफान कभी भी आ सकता है और उससे निपटने के लिए इन्सान को हमेशा तैयार रहना चाहिए। मुंबई शहर में आने के बाद उन्होंने कुछ वक्त मनोचिकित्सा की दवाई की मार्केटिंग की। उसके बाद गुजरात के वापी शहर में उन्होंने दवाई बनाने की एक छोटी सी फैक्ट्री शुरू की। इस कंपनी का नाम उन्होंने सन फार्मास्यूटिकल Sun Pharmaceuticals रखा जो आज भारत की सबसे बड़ी फार्मा कंपनी बन चुकी है। शुरआत में सन फार्मास्यूटिकल कंपनी मे केवल 5 तरह की दवाई का उत्पादन किया जाता था। उनकी सप्लाई शुरुआत में कुछ शहरों तक सीमित थी लेकिन दिलीप सांघवी और उनकी टीम ने दिन रात कड़ी मेहनत की और सिर्फ 4 साल के भीतर उनके उत्पाद पूरे देश भर में बिकने लगे। अब सन फार्मा के उत्पाद देश के कोने-कोने में उपलब्ध हैं। देखते ही देखते सन फार्मा का कारोबार बढ़ता चला गया और इन्होने पडोसी देशो में भी एक्सपोर्ट का काम शुरू कर दिया। 1996 में इन्होने महाराष्ट्र के अहमदनगर में भी उत्पादन संयंत्र लगाया और आज के समय में सन फार्मा एक मल्टीनेशनल कंपनी बन चुकी है और इसके फाउंडर दिलीप सांघवी भारत के सबसे अमीर लोगो की लिस्ट में शामिल हैं। दिलीप सांघवी जी का मानना है कि हमें रिस्क लेना चाहिए लेकिन रिस्क लेने से पहले हमें रिस्क कैलकुलेट Risk Calculate जरूर करना चाहिए। 

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Sun Pharmaceutical के बारे में

दिलीप सांघवी एक भारतीय अरबपति व्यवसायी Indian billionaire businessman हैं सन फार्मा भारत की सबसे बड़ी फार्मा कंपनी है और नेटवर्थ के मामले में दिलीप देश के 9वें सबसे अमीर व्यक्ति 9th richest person हैं। वह सन फार्मास्युटिकल्स Sun Pharmaceuticals के संस्थापक founder हैं, जो 31 मार्च, 2021 को समाप्त वित्तीय वर्ष के लिए 4.5 बिलियन डॉलर $4.5 billion के राजस्व revenue के साथ एक जेनेरिक निर्माता generic manufacturer है। मुंबई स्थित फर्म 150 से अधिक देशों में 30,000 से अधिक लोगों और सेवाओं को रोजगार देती है। उन्हें उनके महान कार्यों के लिए कई पुरस्कारों से नवाजा गया है। 2016 में, भारत सरकार ने उन्हें पद्म श्री Padma Shri के नागरिक सम्मान से सम्मानित किया। उन्हें 2017 में इंडिया टुडे की देश के सबसे शक्तिशाली व्यक्तियों की सूची में 8वें स्थान पर रखा गया था। 4.5 बिलियन डॉलर के वार्षिक राजस्व yearly revenue के साथ, यह फर्म भारत की सबसे मूल्यवान सूचीबद्ध दवा कंपनी India's most valued listed pharmaceutical company है। उन्होंने अधिग्रहण की एक श्रृंखला के माध्यम से सन का निर्माण किया, जिनमें से सबसे उल्लेखनीय 2014 में स्कैंडल-पीड़ित प्रतिद्वंद्वी रैनबैक्सी लैबोरेटरीज Ranbaxy Laboratories की $ 4 बिलियन की खरीद है। सन फार्मा कंपनी आज दुनिया मे फार्मा सेक्टर की लीडर Pharma sector leader बनी हुई है और इस सफलता का श्रेय दिलीप सांघवी और उनकी मेहनत को जाता है। क्योंकि दूसरी कम्पनियां किस रणनिति से काम कर रही है इसकी चिंता छोड़ कर वह सिर्फ अपने लक्ष्य को हासिल करने मे लगे रहे। 

Dilip Shanghvi द्वारा खरीदी गई अन्य कंपनियां 

देखा जाये तो आज सन फार्मा कंपनी के दिलीप सांघवी के नाम का डंका बजता है इसलिए उन्हें फार्मा किंग pharma king की उपाधी दी जाती है। भारत के बाज़ार मे पहले से मौजूद बड़ी फार्मास्यूटिकल कंपनियां जैसे रेनबक्सी, डॉ. रेड्डीज लैबोरेटरी और सिप्ला Ranbaxy, Dr. Reddy's Laboratory and Cipla जैसी बड़ी बड़ी कंपनियां होने के बावजूद भी उन्होंने इन सबके बीच अपनी अलग पहचान बनाई और उन सबको पीछे छोड़ दिया। उन्होंने आम दवाइयों के बजाय “लंबी और असाध्य बीमारियों की दवाइयों के उत्पादन करने मे अपना ध्यान केंद्रित किया। उन्होंने बिजनेस को आगे बढ़ाने के लिए बाकी के लोगों से हट कर काम किया। यह वह समय था जब इंडियन फार्मास्यूटिकल इंडस्ट्री में ज्यादातर पेटेंट और अधिक मार्जन वाली मेडिसिंस Medicines पर मल्टीनेशनल या cipla और रैनबैक्सी जैसी कंपनियों का एकाधिकार था। उस समय दिलीप सांघवी कम प्रतिस्पर्धा और बिना पेटेंट वाली GENERIC जेनेरिक दवाओं में अपना पोर्टफोलियो धीरे धीरे बढ़ाते जा रहे थे। उनके प्रतिद्वंदियों की प्राथमिकता में ये प्रोडक्ट नहीं आते थे। दिलीप सांघवी जी ने ब्रांड, सेल और डिस्ट्रीब्यूशन पर ज्यादा ध्यान दिया जिस वजह से उनकी कंपनी कुछ ही सालों में इतनी बड़ी कंपनी बन गई। 1989 में दिलीप सांघवी ने पडोसी देशो में दवाओ का निर्यात करना शुरू कर दिया था। 1991 में उन्होंने कंपनी के लिए एक रिसर्च सेंटर की स्थापना की और 1994 में उन्होंने अपनी कंपनी का पब्लिक इशू public issue निकाला। 

दिलीप सांघवी ने 19 से ज्यादा कम्पनीज का अधिग्रहण किया जबकि उनमे से ज्यादातर कंपनी घाटे में चल रही थी। दिलीप सांघवी ने 1987 में घाटे में चल रही अमेरिका की “कैरको फार्मा” CARACO Pharma कंपनी को 5 करोड़ डॉलर मे ख़रीदा, यह उनका पहला बड़ा इन्वेस्टमेंट था। फिर दिलीप संघवी नें अमेरिका America की ही अन्य दो कंपनियों “एबल फार्मा” और “वैलीएंट फार्मा” Able Pharma and Valeant Pharma को खरीदा। इसके बाद दिलीप सांघवी ने इजराइल की “टैरो फार्मा” Taro Pharma कंपनी को 45 करोड़ डॉलर में ख़रीदा और दिलीप संघवी के लिए टैरो फार्मा सबसे लाभदायक इन्वेस्टमेंट साबित हुई है। क्योंकि आज सन फार्मा की 50% आमदनी इसी कंपनी से आती है। 2014 में रैनबक्सी लैबोरेट्रीज को सन फार्मा ने खरीद कर कंपनी में विलय कर लिया और इसे देश की सबसे बड़ी फार्मा कंपनी बना दिया। दिलीप सांघवी की ये खासियत है कि वह घाटे में चल रही किसी भी फार्मा कंपनी को खरीद लेते हैं और फिर अपनी मेहनत के दम पर उसे सफलता की ऊंचाइयों तक पहुँचाते हैं। यानि दिलीप सांघवी की सफलता में घाटे में चलती हुई कंपनियों के अधिग्रहण का एक बहुत बड़ा रोल रहा है। आज दिलीप सांघवी का सेल नेटवर्क लगभग 24 से ज्यादा देशों में फैला हुआ है और उनकी कंपनी भारत की जेनेरिक दवा बनाने वाली नंबर 1 कंपनी है और विश्व की 5 वें नंबर की कंपनी बन गई है। 

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Dilip Shanghvi को मिले पुरस्कार और सम्मान 

दिलीप सांघवी को बिजनेस में मिली सफलता के लिए कई सम्मान और पुरस्कार भी मिल चुके है। दिलीप सांघवी को 2011 में ‘ सीएनएन-आईबीएन इंडियन ऑफ द ईयर ’ ‘CNN-IBN Indian of the Year’ - business category’ का अवार्ड मिला। दिलीप शांघवी, मुकेश अंबानी को देश के सबसे धनी व्यक्ति के पद से अलग करने वाले पहले व्यक्ति हैं। उन्होंने अंबानी के धन को पीछे छोड़ दिया और 2015 मे वह देश के सबसे अमीर आदमी बन गए। भारत सरकार ने उन्हें 2016 में देश के चौथे सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्मश्री highest civilian award Padmashree से भी सम्मानित किया है। इंडिया टुडे पत्रिका ने उन्हें 2017 के भारत के सबसे शक्तिशाली लोगों की सूची में 8 वां स्थान दिया।

फोर्ब्स Forbes के अनुसार, अक्टूबर 2021 तक, सांघवी 14.3 बिलियन अमेरिकी डॉलर US$14.3 billion की संपत्ति के साथ भारत के 14वें सबसे अमीर व्यक्ति हैं। कुल मिलाकर उद्योग जगत में अविरल योगदान देने वाले इस फार्मा इंडस्ट्रीयालिस्ट pharma industrialist की जीवन गाथा सबके लिए अति प्रेरणादायक है। किसी भी क्षतिग्रस्त कारोबार को पटरी पर लाने और बाज़ार की नब्ज़ अच्छे से पहचानने में उद्योगपति दिलीप सांघवी माहिर हैं। 

अपने दवा व्यवसाय के अलावा, दिलीप शांघवी Dilip Shanghvi एक व्यक्तिगत निवेशक individual investor हैं और उन्होंने अपने पसंदीदा क्षेत्र, अक्षय ऊर्जा renewable energy में काफी मात्रा में निवेश किया है। ऊर्जा के क्षेत्र में, तुलसी तांती, सुजलन ऊर्जा Tulsi Tanti, Suzlon Energy, की कीमत $ 300 मिलियन है, और दिलीप ने इसमें सफलतापूर्वक 23% हिस्सेदारी प्राप्त की है। सांघवी ने व्यक्तिगत रूप से अक्षय ऊर्जा, तेल और गैस में निवेश किया है।

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