आज हिंदुस्तान यूनिलीवर (Hindustan Unilever) को हर कोई जानता है। साबुन, तेल और क्रीम जैसी रोजमर्रा में इस्तेमाल होने वाले सामानों को बनाने वाली देश की सबसे बड़ी फ़ास्ट मूविंग कंस्यूमर गुड्स (Fast-moving consumer goods) कंपनी का उत्पाद आज हर घर में मौजूद है। भारत में हर कोई इस कंपनी के प्रोडक्ट जैसे लाइफबॉय (Lifebuoy ), लक्स (Lux), फेयर & लवली (Fair & Lovely) आदि जैसे उत्पादों का इस्तेमाल करता है। तो इस आर्टिकल में आज हम जानेंगे कि कैसे हिंदुस्तान यूनिलीवर की शुरुआत हुई और कैसे इस कंपनी ने फ़र्श से अर्श तक का सफर तय किया।
हिंदुस्तान यूनिलीवर लिमिटेड (Hindustan Unilever Limited) एक भारतीय उपभोक्ता सामान कंपनी (Indian consumer goods company) है, जिसका मुख्यालय मुंबई में है। आपको बता दें कि यह ब्रिटिश-डच कंपनी (British-Dutch company) "यूनिलीवर" (Unilever) की सहायक कंपनी है। हिंदुस्तान यूनिलीवर के उत्पादों में सफाई, डिटर्जेंट, भोज्य पदार्थ, पेय पदार्थ, वाटर प्यूरीफायर, स्किन केयर प्रोडक्ट्स (cleaning detergents, food, beverages, water purifiers, personal care products) आदि शामिल हैं। वर्ष 1931 में हिंदुस्तान वनस्पति मैनुफैक्चरिंग कंपनी (Hindustan Vanaspati Manufacturing Co.) के रूप में हिंदुस्तान यूनिलीवर लिमिटेड (HUL) की स्थापना हुई थी। जिसका नाम बदलकर हिंदुस्तान लीवर लिमिटेड (Hindustan Lever Limited) कर दिया गया था, इसके बाद जून 2007 में फिर इसका नाम बदलकर हिंदुस्तान यूनिलीवर लिमिटेड (Hindustan Unilever Limited) कर दिया गया।
मुंबई के अँधेरी में हिंदुस्तान यूनिलीवर का कॉर्पोरेट मुख्यालय स्थित है। इस कैंपस को यूनाइटेड स्टेट्स ग्रीन बिल्डिंग काउंसिल (U.S. Green Building Council) के लाइसेंस के तहत इंडियन ग्रीन बिल्डिंग काउंसिल (Indian Green Building Council), हैदराबाद द्वारा 'न्यू कंस्ट्रक्शन' श्रेणी (New Construction category) में लीडरशिप इन एनर्जी एंड एनवायरनमेंटल डिज़ाइन (Leadership in Energy and Environmental Design) से गोल्ड सर्टिफिकेशन (Gold certification) हासिल करने के लिए जाना जाता है। इसका परिसर 12.5 एकड़ से अधिक भूमि क्षेत्र में फैला हुआ है, जिसमें 1,600 कर्मचारियों के लिए घर भी हैं। साथ ही कर्मचारियों के लिए फूड कोर्ट, स्वास्थ्य केंद्र, (food court, a healthcare centre) और जिम सहित कई अन्य सुविधाएं भी हैं। इस परिसर को मुंबई की एक प्रसिद्ध आर्किटेक्चर कंपनी, कपाड़िया एसोसिएट्स (Architecture company, Kapadia Associates) द्वारा डिजाइन किया गया है। 46 वर्षों तक हिंदुस्तान यूनिलीवर का पुराना मुख्यालय मुंबई में बैकबे रिक्लेमेशन (Backbay Reclamation) लीवर हाउस (Lever House) में स्थित रहा, जिसे 1966 में स्थापित किया गया था।
1927 में, डच-मार्जरीन निर्माता (Dutch-Margarine producer), मार्जरीन यूनी और ब्रिटिश साबुन निर्माता (Margarine Unie and British soapmaker), लीवर ब्रदर्स ( Lever Brothers) ने यूनिलीवर (Unilever) बनाने के लिए अपनी कंपनियों को मिला दिया। यूनिलीवर एक ब्रिटिश-डच फास्ट-मूविंग कंज्यूमर गुड्स (British-Dutch fast-moving consumer goods) कंपनी है। यूनीलीवर द्वारा वर्ष 1933 में भारत में लीवर ब्रदर्स के रूप में इस कंपनी की स्थापना की गयी। जो वर्ष 1956 में लीवर ब्रदर्स, हिंदुस्तान वनस्पति मैन्युफैक्चरिंग कंपनी लिमिटेड और यूनाइटेड ट्रेडर्स लिमिटेड के जुड़ने पर परिणामस्वारूप ‘हिंदुस्तान लीवर लिमिटेड’ के नाम से जाना जाने लगा। यह 16,000 से अधिक लोगों को रोज़गार (employment) देता है। वर्ष 1984 में ब्रुक बॉन्ड (Brooke Bond) यूनीलीवर से जुड़ गया इसके बाद 1986 में चेसेब्रो (Cheesebro) पोंड्स (Ponds) लिमिटेड भी यूनीलीवर में शामिल हो गयी। इसके बाद जून 2007 में कंपनी का नाम बदलकर ‘हिंदुस्तान यूनीलीवर लिमिटेड’ कर दिया गया था। विदेशी सहायक कंपनियों में से यह सबसे पहली कंपनी थी जिसने भारतीय जनता को अपनी इक्विटी (Equity) का 10% देने का प्रस्ताव दिया।
1937 में इन्होंने घी की एवज़ में डालडा (Dalda) को प्रस्तुत किया। लेकिन इसकी बिक्री शुरु होने से पहले ही खत्म हो गयी, क्योंकि भारत की जनता को विश्वास नहीं हो रहा था कि घी का भी कोई अन्य विकल्प हो सकता है। तब लीवर कंपनी ने इसको लोगों के समक्ष विज्ञापन (advertising) के द्वारा पेश किया। उस समय डालडा का कोई भी अन्य प्रतिद्वंद्वी नहीं था, लेकिन लोगों ने इसपर विवाद करना शुरू कर दिया। 1950 के दशक में इसे बंद करने का यह विवाद तेज हुआ लोगों ने कहा कि डालडा देसी घी का एक मिलावटी रूप था, जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक था। तब तत्कालीन प्रधान मंत्री जवाहरलाल नेहरू ने राष्ट्रव्यापी राय सर्वेक्षण की मांग की, जो अनिश्चित साबित हुई। इसके उपरांत घी में मिलावट को रोकने के तरीकों का सुझाव देने के लिए सरकार द्वारा एक समिति की स्थापना की गई थी, लेकिन उससे भी कोई हल नहीं निकला। फिर 1990 के दशक तक डालडा को काफी नुक्सान झेलना पड़ा क्योंकि तब डालडा के प्रतिद्वंद्वी तेल या परिष्कृत वनस्पति तेल बाजार में आ चुके थे। इसके बाद 2007 में डालडा के तहत खाद्य तेल का निर्माण किया गया था।
धीरे-धीरे हिन्दुस्तान यूनीलीवर ने भारत में अपने पंख फैलाये और हर घर में अपनी पहुंच बनानी शुरू कर दी। जैसा कि पहले बताया है कि 1931 में, यूनिलीवर ने अपनी पहली भारतीय सहायक कम्पनी हिंदुस्तान वनस्पति निर्माण कंपनी शुरू की, उसके बाद सन 1933 में लीवर ब्रदर्स इंडिया लिमिटेड और 1935 में यूनाइटेड ट्रेडर्स लिमिटेड की स्थापना की। इन तीनों कंपनियों का विलय नवंबर 1956 में एचयूएल यानि हिंदुस्तान यूनिलीवर के रूप में हुआ और HUL ने अपनी इक्विटी का 10% भारतीय जनता को देने की योजना बनायी, हिंदुस्तान यूनिलीवर ऐसा करने वाली पहली विदेशी सहायक बनी।
1912 में, ब्रूक बॉन्ड इंडिया लिमिटेड Brooke Bond & Co. India Limited का गठन किया गया था। ब्रुक बॉन्ड 1984 में एक अंतरराष्ट्रीय अधिग्रहण (international acquisition) के माध्यम से यूनिलीवर फोल्ड में शामिल हुए। भारत के साथ तत्कालीन यूनिलीवर ने 1972 में लिप्टन (Lipton ) का अधिग्रहण किया और 1977 में लिप्टन टी (इंडिया) लिमिटेड को शामिल किया गया। पॉन्ड्स (इंडिया) लिमिटेड (Pond's (India) Limited ) 1947 से भारत में मौजूद था। यह 1986 में चेसब्रू पॉन्ड्स (Chesebrough Pond's) के अंतर्राष्ट्रीय अधिग्रहण के माध्यम से यूनिलीवर फोल्ड में शामिल हो गया।
शुरूआती वर्षों से ही, हिंदुस्तान यूनिलीवर ने आर्थिक विकास के प्रोत्साहन के लिए जोरदार प्रतिक्रिया दी है और यह प्रक्रिया विवेकपूर्ण विविधीकरण (judicious diversification) के साथ हमेशा भारतीय विचारों और आकांक्षाओं (Indian opinions and aspirations) के अनुरूप रही है।
1991 में शुरू हुए भारतीय अर्थव्यवस्था के उदारीकरण ने स्पष्ट रूप से एचयूएल और समूह के विकास की यात्रा में एक मोड़ लिया। भारत के कॉर्पोरेट इतिहास की सबसे बड़ी घटना तब हुई जब 1 अप्रैल 1993 को पूर्ववर्ती टाटा ऑयल मिल्स कंपनी (Tata Oil Mills Company) एचयूएल में शामिल हो गयी। 1996 में, एचयूएल और एक अन्य टाटा कंपनी, लैक्मे लिमिटेड (Lakmé Limited) का HUL में विलय हो गया ।
एचयूएल ने 1994 में अमेरिका स्थित किम्बर्ली क्लार्क कॉरपोरेशन (Kimberly Clark Corporation), किम्बर्ली-क्लार्क लीवर लिमिटेड (Kimberly-Clark Lever Ltd) के साथ 50:50 का संयुक्त उद्यम बनाया था, जो हग्गीज डायपर (Huggies Diapers) और कोटेक्स सेनेटरी पैड (Kotex Sanitary Pads) की सेलिंग करता था।
एचयूएल ने नेपाल में यूनिलीवर नेपाल लिमिटेड (Unilever Nepal Limited ) नामक एक सहायक कंपनी भी स्थापित की जिसका कारखाना हिमालयी साम्राज्य में सबसे बड़े विनिर्माण निवेश का प्रतिनिधित्व ( largest manufacturing investment) करता है। यूएनएल फैक्ट्री एचयूएल के उत्पादों जैसे साबुन, डिटर्जेंट और अन्य उत्पादों का निर्माण घरेलू बाजार और भारत में निर्यात दोनों के लिए करती है।
1990 के दशक में खाद्य और पेय पदार्थ के मोर्चे पर अधिग्रहण और गठजोड़ (acquisitions and alliances on the Foods and Beverages) की एक कड़ी देखी गई। 1992 में, तत्कालीन ब्रुक बॉन्ड (Brooke Bond) ने इंस्टेंट कॉफी में महत्वपूर्ण हितों के साथ कोठारी जनरल फूड्स (Kothari General Foods) का अधिग्रहण किया। 1993 में, इसने यूबी समूह से किसान व्यवसाय (Kissan business from the UB Group) और कैडबरी इंडिया से डॉलप्स आइसक्रीम व्यवसाय (Dollops Icecream business from Cadbury India) का भी अधिग्रहण किया।
पिछड़े एकीकरण (backward integration) के उपाय के रूप में, यूनिलीवर की दो बागान कंपनियों टी एस्टेट्स और डूम डूमा (Tea Estates and Doom Dooma) को ब्रुक बॉन्ड में मिला दिया गया। फिर 1994 में, ब्रुक बॉन्ड इंडिया और लिप्टन इंडिया का विलय ब्रुक बॉन्ड लिप्टन इंडिया लिमिटेड (Brooke Bond Lipton India Limited) के रूप में हुआ, जिससे व्यवसाय में अधिक मुनाफा हुआ। 1994 में Brooke Bond Lipton India Limited ने वॉल की फ्रोजन डेसर्ट लॉन्च (Wall's range of Frozen Desserts) की। वर्ष के अंत तक, कंपनी ने क्वालिटी आइसक्रीम समूह (Kwality Icecream Group) के साथ एक रणनीतिक गठबंधन बनाया और 1995 में मिल्कफूड (Milkfood) आइसक्रीम का भी अधिग्रहण कर लिया। अंत में, बीबीएलआईएल का 1 जनवरी, 1996 से हिंदुस्तान यूनिलीवर यानि एचयूएल में विलय (शामिल) हो गया। सन 1998 में एचयूएल के साथ पॉन्ड्स (इंडिया) लिमिटेड (पीआईएल) भी शामिल हो गयी।
जनवरी 2000 में, एक ऐतिहासिक घटना तब हुई जब सरकार ने एचयूएल को मॉडर्न फूड्स (Modern Foods) में 74 प्रतिशत इक्विटी देने का फैसला किया, जिससे public sector undertakings में सरकारी इक्विटी का निजी क्षेत्र के भागीदारों को विनिवेश शुरू हो गया। वर्ष 2002 में, एचयूएल ने मॉडर्न फूड्स में सरकार की शेष हिस्सेदारी का अधिग्रहण किया। एचयूएल ने 2000 के दशक की शुरुआत में कई नई व्यावसायिक पहल शुरू कीं। प्रोजेक्ट शक्ति (Project Shakti ) 2001 में शुरू की गई थी, यह एक ग्रामीण समृद्धि को उत्प्रेरित करती अनूठी पहल थी।
हिंदुस्तान यूनिलीवर नेटवर्क, डायरेक्ट टू होम बिजनेस (Direct to home business) को 2003 में लॉन्च किया गया था और इसके बाद 2004 में 'प्योरिट' वाटर प्यूरीफायर (‘Pureit’ water purifier) लॉन्च किया गया था। इसी तरह कारवां बढ़ता गया और 18 मई 2007 को 74वीं एजीएम (Annual general meeting) के दौरान शेयरधारकों की स्वीकृति प्राप्त करने के बाद कंपनी का नाम औपचारिक रूप से हिंदुस्तान यूनिलीवर लिमिटेड में बदल दिया गया था। ब्रुक बॉन्ड और सर्फ एक्सेल ने उसी वर्ष 1,000 करोड़ रुपये की बिक्री कर एक बड़ी कामयाबी हासिल की। और 2008 में 2,000 करोड़ की बिक्री कर मील का पत्थर बन गया। 17 अक्टूबर 2008 को, एचयूएल ने भारत में कॉर्पोरेट क्षेत्र के 75 वर्ष पूरे किए। जनवरी 2010 में, एचयूएल का मुख्य कार्यालय मुंबई के बैकबे रिक्लेमेशन (Backbay Reclamation, Mumbai ) में स्थित लैंडमार्क लीवर हाउस से अंधेरी (ईस्ट), मुंबई में नए परिसर में स्थानांतरित हो गया। 15 नवंबर, 2010 को, यूनिलीवर सस्टेनेबल लिविंग प्लान (Unilever Sustainable Living Plan) को आधिकारिक तौर पर नई दिल्ली में लॉन्च किया गया था। इसके बाद मार्च, 2012 में एचयूएल के अत्याधुनिक लर्निंग सेंटर का उद्घाटन मुंबई के अंधेरी में हिंदुस्तान यूनिलीवर परिसर में किया गया था। इसके अलावा अप्रैल, 2012 में, मुंबई के अंधेरी में हिंदुस्तान यूनिलीवर परिसर में ग्राहक अंतर्दृष्टि और नवाचार केंद्र (Customer Insight & Innovation Centre) का उद्घाटन किया गया था। और इस तरह एचयूएल ने 17 अक्टूबर, 2013 को भारत में कॉर्पोरेट यात्रा के 80 साल पूरे किए।
2013 में, एचयूएल ने 'प्रभात' (‘Prabhat’ (Dawn)) - एक यूनिलीवर सस्टेनेबल लिविंग प्लान (Unilever Sustainable Living Plan) से जुड़ा कार्यक्रम शुरू किया, जो इसके निर्माण स्थलों के आसपास स्थानीय समुदायों के विकास योगदान करने के लिए था। इसके अलावा, एशिया में यूनिलीवर के पहले एरोसोल संयंत्र (aerosol plant) का उद्घाटन 2013 में महाराष्ट्र के खामगांव में किया गया था।
2013 में शुरू किये जाने वाले 'विनिंग इन मैनी इंडियाज' (Winning in Many Indias) ऑपरेटिंग फ्रेमवर्क को 2014 में राष्ट्रीय स्तर पर लॉन्च किया गया। दिल्ली, कोलकाता, मुंबई और चेन्नई में मौजूदा बिक्री कार्यालयों के अलावा लखनऊ, इंदौर और बैंगलोर में भी कार्यालयों का शुभारंभ किया गया जिससे कार्यालयों का विस्तार चार से सात तक हो गया। 2015 में, एचयूएल ने आयुर्वेद से जुड़ने के लिए प्रीमियम हेयर ऑयल ब्रांड इंदुलेखा (Indulekha) का अधिग्रहण किया। एचयूएल ने निम्मन फूड्स प्राइवेट लिमिटेड को (Nimman Foods Private Limited) "मॉडर्न" ब्रांड के तहत अपने ब्रेड और बेकरी व्यवसाय (bread and bakery business ) की बिक्री के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर किया। 2016 में, एचयूएल ने मुंबई की सबसे बड़ी मलिन बस्तियों में से एक, आजाद नगर, घाटकोपर में अपनी तरह का पहला शहरी जल, स्वच्छता और स्वच्छता सामुदायिक केंद्र 'सुविधा' (Suvidha) का अनावरण किया। इसके बाद 11 मार्च 2017 को असम के डूम डूमा इंडस्ट्रियल एस्टेट (Doom Dooma Industrial Estate) में एक नई अत्याधुनिक विनिर्माण सुविधा शुरू की गई।
2018 में, एचयूएल HUL ने विजयकांत डेयरी एंड फूड प्रोडक्ट्स लिमिटेड (Vijaykant Dairy and Food Products Limited) और उसकी समूह कंपनी के साथ अपने आइसक्रीम और फ्रोजन डेसर्ट व्यवसाय का अधिग्रहण करने के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर किए, जिसमें इसके प्रमुख ब्रांड 'आदित्य मिल्क' और फ्रंट-एंड वितरण नेटवर्क (Adityaa Milk’ and front-end distribution network) शामिल थे।
2020 में, एचयूएल ने महिलाओं की स्वच्छता हेतु में मार्केट लीडर वीवॉश (VWash) के अधिग्रहण की घोषणा की, 2020 में, हिंदुस्तान यूनिलीवर लिमिटेड के साथ जीएसके कंज्यूमर हेल्थकेयर (GSK Consumer Healthcare) के जुड़ने के साथ ही, आइकॉनिक हेल्थ फूड ड्रिंक ब्रांड - हॉर्लिक्स और बूस्ट एचयूएल के खाद्य और रिफ्रेशमेंट (foods & refreshment) में शामिल हो गए, जिससे यह भारत में सबसे बड़ा एफ एंड आर व्यवसाय (largest F&R business in India) बन गया।