सुरों की मलिका- लता दीदी

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07 Feb 2022
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"रहें न रहें हम, महका करेंगे ,बन के कली ,बन के सबा, बाग-ऐ-वफ़ा में"। भारत की स्वर कोकिला लता मंगेशकर जी अब इस दुनिया से हमेशा के लिए अपने हजारों-करोड़ों फैन्स को छोड़कर रुख़सत हो गई,,लेकिन उनके यादगार गीत कभी भुलाए नहीं जा सकते । इसलिए आज इस पोस्ट में हम उनके सम्पूर्ण जीवन से आपको रूबरू करवाएंगे की कैसा रहा उनका 28 सितंबर 1929 से 6 फ़रवरी 2022 तक का जीवन सफ़र।

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भारत रत्न से सम्मानित लता मंगेशकर (Lata Mangeshkar) जी भारत की सबसे सर्वश्रेष्ठ आदरणीय गायिका famous singer रहीं है। भारतीय सिनेमा की बात करें तो लता मंगेश्कर एक ऐसा नाम है जिन्होंने करोड़ों लोगों के दिलों में राज किया है,और करती रहेंगी, फिर चाहें वह कोई किसी के प्यार में दिवाना हो या सरहद पे बैठा कोई फ़ौजी हो सबके दिलों में बस राज किया है। लता जी की आवाज में इतनी साधना थी जो लोगों के लिए श्रद्धा और स्वरों की देवी बन गई। इनका जन्म 28 सितंबर 1929 में इंदौर शहर के मध्यवर्गीय परिवार में हुआ। लता जी के पिता का नाम दीनानाथ मंगेशकर Dinanath Mangeshkar था जो अपने ज़माने में महाराष्ट्र के एक थिएटर कंपनी Theater Company लाने वाले मशहूर कलाकार थे और माता का नाम शेवन्ति मंगेशकर Shevanti Mangeshkar था। ये 4 भाई बहन थे जिसमें लता जी सबसे बड़ी थी और 3 बहने और 1 छोटा भाई था। ये सभी भाई बहन संगीत की कला से जुड़े हुए है।

लता मंगेशकर जी की शिक्षा (lata mangeshkar education)

लता जी की शिक्षा की बात करें तो ये अपने जीवन में केवल एक ही बार स्कूल गई है। ऐसा इसलिए क्योंकि जिस दिन लता जी स्कूल गई वह अपनी बहन आशा जी को भी साथ ले गई लेकिन क्लास कि अध्यापिका  ने आशा को लता जी के साथ बैठने की अनुमति नहीं दी, जिस कारण वे कभी स्कूल ही नहीं गई।

लता मंगेशकर जी को बचपन से ही था संगीत से लगाव

लता जी के पिता कला के काफी धनी थे वे बहुत बेहतरीन संगीतज्ञ थे। पिता जी के साथ-साथ उनके आदर्शों पर चलते-चलते लता जी को भी संगीत से काफी लगाव और जुड़ाव हो गया था । ये बात लता जी ने अपने एक interview में कही और बोला कि  जब में 5 साल की थी तो अपनी माँ को हमेशा गीत गा कर सुनाती थी और  मेरी माँ मेरी बहुत तारीफ किया करती थी। यही नहीं उन्होंने बताया किमैं  बचपन से ही महान गायिका बनना चाहती थी। 

तो आइए नीचे जानते है कैसा रहा उनका स्वर कोकिला बनने का सफर-

छोटी उम्र में लता मंगेशकर जी के पिता का देहांत हो गया

लता जी के पिता का देहांत 1942 में हुआ तब लता जी मात्र 13 वर्ष की थी। उस समय ऐसे में सभी भाई बहनों में सबसे बड़े होने के नाते उनके सर पर मुसीबतों का पहाड़ टूट पड़ा । लता जी एक मध्यवर्गीय परिवार से थी जिसकी वजह से उन्होंने अपने परिवार की सारी जिम्दारियों को अपने नाजुक कंधो पर उठाने का निर्णय लिया। लेकिन सवाल था कि अब किया क्या जाए?

लता मंगेशकर जी के करियर की शुरुआत(filmy career):-

लता जी ने संगीत के साथ- साथ अभिनय भी करती थी हालांकि अभिनय करना इन्हें पसन्द नहीं था लेकिन परिवार की मुसीबतों को कम करने के लिए इन्होनें अपने पिता जी के दोस्त अभिनेता श्रीपद जोशी Shripad Joshi से बात की जोशी जी ने फिल्म्स डिरेक्टर करने वाले मास्टर विनायक से बात की जिससे उन्हें कई मराठी फ़िल्मों (Marathi Films) में छोटे मोटे रोल किये और गाना गाने का मौका मिला। 

वर्ष 1942 में मंगला गौर फ़िल्म

1943 में माझे बाल 

1944 में गजभाऊ,

1945 में बड़ी मां,

1946 में जीवन यात्रा जैसी कई फिल्‍मों में लता मंगेशकर ने कई छोटे-मोटे किरदार निभाए 

जीवन यात्रा (1946),

माँद (1948),

छत्रपति शिवाजी (1952) में अभिनेत्री के रूप में काम किया।

मास्टर विनायक master vinayak ने लता के परिवार और लता का काफी साथ दिया और अपनी फिल्मों में काम दिया वे जान चुके थे कि लता जी  एक बहुत ही प्रतिभाशाली गायिका है। जिसे निखारना चाहिए।

लता मंगेशकर जी का पहला संगीत व करियर

लता जी ने अपने परिवार की मजबूरियों के लिए फिल्मों में काम करती रही और मुंबई चली गई जहां उन्हें काफी संधर्ष करना पड़ा पर मास्टर विनायक का हाथ सदा उनके सर पर रहा। उन्हें धीरे -धीरे playback singer के तोर पर गाना गाने के अवसर मिलने लगे। लता मंगेशकर को एक्टिंग में बिल्कुल रुचि नहीं थी तो जैसे ही गाने का काम ज्यादा मिलने लगा तो लता जी ने 1947 में एक्टिंग के सफर को अलविदा बोल दिया और अपने महान गायिका बनने के सपने को साकार किया ।

1947 में फिल्मों को छोड़कर लता मंगेशकर जी ने पहला गाना गाया।(lata mangeshkar first songs)

“नाचू या गडे, खेलू सारी मनी होस भाड़ी”

इस संगीत में पहली आवाज लता ने वसंग जोगलेकर Vasang Joglekar द्वारा निर्देशित एक फ़िल्म कीर्ती हसाल के लिये दी। यह लता मंगेशकर के जीवन का सबसे पहला फ़िल्मी गीत था जो उन्ही के द्वारा गया गया। इस गाने के बदले उन्हें उस समय 25 रुपए मिले जो आज के समय में 25000₹ के बराबर है।

फिर लता जी ने 1949 में "महल" के "आयेगा आनेवाला" गीत गाया जो उस समय की सबसे खूबसूरत और प्रसिद्ध अभिनेत्री मधुबाला Madhubala के लिए फिल्माया था। जो लता और मधुबाला दोनों के लिए काफी अच्छा और शुभ साबित हुआ क्योंकि ये गीत लता जी का पहला सुपर हिट गीत बन गया जिसके बाद लता ने अपने करियर में काफी कामयाबियां हासिल की और अपनी एक नई पहचान बना ली।

लता मंगेश्कर के गानों (Lata Mangeshkar songs) की बात करें तो आज वे 20 से ज्यादा भाषाओं में 30,000 से अधिक गाने गा चुकी है।

किन-किन पुरस्कारों से समानित है लता जी:-

 लता जी पे हमेशा ही माँ सरस्वती की अपार कृपा रही है। लता जी ने  अपने जीवन में कई पुरस्कार जीते और कई (filmfare award) पुरस्कारों से इन्हें सम्मानित किया गया है।

फिल्म फेयर पुरस्कार (1958, 1962, 1965, 1969, 1993 and 1994)राष्ट्रीय पुरस्कार (1972, 1975 and 1990)

महाराष्ट्र सरकार पुरस्कार (1966 and 1967)

1969 - पद्म भूषण

1974 - दुनिया में सबसे अधिक गीत गाने का गिनीज़ बुक रिकॉर्ड

1989 - दादा साहब फाल्के पुरस्कार

1993 - फिल्म फेयर का लाइफ टाइम अचीवमेंट पुरस्कार

1996 - स्क्रीन का लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार

1997 - राजीव गाँधी पुरस्कार

1999 - एन.टी.आर. पुरस्कार

1999 - पद्म विभूषण

1999 - ज़ी सिने का लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार

2000 - आई. आई. ए. एफ. (आइफ़ा) का लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार

2001 - स्टारडस्ट का लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार

2001 - भारत का सर्वोच्च नागरिक सम्मान "भारत रत्न"

2001 - नूरजहाँ पुरस्कार

2001 - महाराष्ट्र भूषण

लता मंगेशकर के जीवन व करियर से जुड़े रोचक तथ्य

जब भी हम किसी इतनी बड़ी- बड़ी हस्तियों की बात करतें हैं तो हमेशा उनसे जुड़े कुछ रोचक तथ्यों को जानने की जिज्ञासा रखतें है। इसलिए हमनें आशा जी के भी कुछ रोचक तथ्यों को कवर किया है-

1.कम उम्र में परिवार को संभालने के निर्णय में लता जी इतनी व्यस्त हो गई कि इन्होंने शादी नहीं हालांकि कई खबरों और इंटरव्यू में लता जी की शादी न करने की वहज का कारण उनकी अधूरी लव स्टोरी भी बताया जाता है,जिसका कभी पूरा खुलासा नहीं हुआ है।

2.लता जी को दिग्गज फिल्म निर्माता शशधर मुखर्जी जी Shashadhar Mukherjee ने सुनने ही रिजेक्ट कर दिया था और कहा आपकी आवाज बहुत पतली है।

3.लता जी ने कई बार अपने इंटरव्यू में बताया कि वो अपनी इस आवाज को साफ रखने के लिए हरि मिर्चियां खाया करती थी।

4.लता जी के कुछ लोगों के साथ इक्के-दुक्के रहे विवाद जिसका कारण लता जी ने सभी गीतकारों की रॉयल्टी की बात रखी थी जिसमें मोहम्मद रफ़ी Mohammad Rafi उनके खिलाफ हो गए और इन दोंनो ने 3 साल तक साथ में काम ही नहीं किया। इसके अलावा सी. रामचंद्र और ओपी नैयर C. Ramachandra and OP Nayyar से उनका छोटा-मोटा विवाद रहा। हालांकि इन्हें विवाद की बजाय मनमुटाव कहना ही ठीक होगा।

5.लता जी क्रिकेट(cricket) की बहुत बड़ी फैन थी जिसमें में सचिन तेंदुलकर (Sachin Tendulkar) उनका सबसे पसंदीदा खिलाड़ी थे, सचिन भी लता जी के गानों को बहुत पसंद करते है इन दोनों के रिश्ते की बात करें तो इनका रिश्ता माँ-बेटे का था।

6.लता जी अपने असूलों की बहुत पक्की थी वो हमेशा स्टूडियो में नंगे पैर और खाली पेट गाना गाती थी जिसकी वजह से वे एक बार स्टूडियो में बेहोश हो गई थी।

लता जी के 1980 की फेमस फिल्म के गाने (Lata Mangeshkar 1980 hit Songs) –

सिलसिला

चांदिनी

राम लखन

मैंने प्यार किया

एक दूजे के लिए

हीरो

लता मंगेशकर के 1990 की मोस्ट फेमस फिल्म के गाने (Lata Mangeshkar 1990 hit Songs):-

दिल वाले दुलहनिया ले जायेंगे

दिल तो पागल है

हम आपके है कौन

मोहब्बतें

वीर जारा

लम्हे

डर

इसके अलावा 2000 के बाद लता जी ने अपने स्वास्थ्य के चलते गिने चुने गाने ही गाये जिसमें शामिल है ‘ओ पालन हारे’ रंग दे बसंती ‘लुका छिपी’ व बेवफा का ‘कैसे पिया से कहे’ आदि।

लता मंगेशकर जी का निधन

लता जी का स्वास्थ्य कुछ समय से ठीक नहीं था जनवरी में लता जी करोना पॉजिटिव (corona positive) हो गई थी। जिसके बाद उन्हें मुंबई के ब्रीच कैडी हॉस्पिटल में दाखिल कराया गया। लेकिन लता जी को निमोनिया भी हो गया। लता जी की हालत धीरे-धीरे खराब हो गई और इन्हें वेंटिलेटर सपोर्ट पर रख दिया गया। कुछ समय बाद इनकी हालत में थोड़ा बहुत सुधार देखने को मिला लेकिन फिर 5 फरवरी को इनकी हालत अचानक से खराब हो गई और 6 फ़रवरी हमारे देश के एक युग का अंत हो गया और लता जी इस दुनियां से हमेशा के लिए सबको अलविदा कह गई। आश्यर्च की बात तो ये की माँ सरस्वती जी का अवतार माने जाने वाली लता मंगेशकर ठीक वसंत पंचमी के अगले दिन ही इस दुनिया से रुख़सत हो गई।

महान गायिका लता मंगेशकर जी की पॉपुलैरिटी संगीत की दुनियां में हमेशा बरकरार रहेगी

आज लता जी हमारे इस देश से जा चुकी है इसका सबसे बड़ा नुकसान ये है कि अब उनके हजारों फैंस उनके द्वारा गाये जाने वाले नए गाने नहीं सुन पाएंगे। लेकिन उन्होंने इतने गाने गाये हैं जो हमेशा हमेशा के लिए उन्हें सब के दिलों में जिंदा रहेंगी। लता जी फैंस की बात करें तो इन्होंने तीन पीढ़ियों तक को अपनी आवाज दी है जिसकी वजह से दुनियां भर में इनके करोड़ों फैंस है जो इन्हें दीदी कह कर बुलाते थे। लता जी के फैंस इन्हें माँ सरस्वती जी का अवतार भी मानते है। जो भारत ही नहीं बल्कि विदेश में भी मौजूद है। इनके निधन की खबर सुनते ही देश-विदेश के कई दिग्गजों ने सोशल मीडिया (social media) पर कुछ न कुछ पोस्ट कर अपना दुख जाहिर किया।

अंत में हम इनके जीवन संघर्ष और उनके संगीत की बात करें तो शायद कई पोस्ट अधूरे ही रह जाएंगे। लता जी ने  संगीत की दुनियां में अपना ऐसा नाम बनाया है जो शायद अब कोई न बना पाए। लता जी हमेशा नये संगीतकारों के लिए प्रेरणा बनी रहेंगी।

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