आत्मनिर्भर साइकिल…

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19 Aug 2021
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कोविड महामारी ने न जाने कितने परिवारों को प्रभावित किया, न जाने कितने लोगों को अपनी नौकरी से हाथ धोना पड़ा। न जाने कितने लोगों का व्यवसाय चौपट हो गया। ऐसे में कुछ लोग सब कुछ ख़त्म हो जाने का बस अफ़सोस कर रहे हैं, तो कुछ ने खुद को अपनी काबिलियत से आत्मनिर्भर बनाया है। इसी बीच एक शख़्स ने एक ऐसा कारनामा कर दिखाया, जिसे सिर्फ भारत में नहीं बल्कि अन्य देशों में भी सराहा जा रहा है।

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कोविड महामारी ने न जाने कितने परिवारों को प्रभावित किया, न जाने कितने लोगों को अपनी नौकरी से हाथ धोना पड़ा। न जाने कितने लोगों का व्यवसाय चौपट हो गया। ऐसे में कुछ लोग सब कुछ ख़त्म हो जाने का बस अफ़सोस कर रहे हैं, तो कुछ ने खुद को अपनी काबिलियत से आत्मनिर्भर बनाया है। इसी बीच एक शख़्स ने एक ऐसा कारनामा कर दिखाया, जिसे सिर्फ भारत में नहीं बल्कि अन्य देशों में भी सराहा जा रहा है।

पंजाब के जिरकपुर के रहने वाले 40 वर्षीय बढ़ई धनी राम सग्गू ने आत्मनिर्भरता की मिसाल पेश की है। लॉकडाउन के पहले तक, बढ़ई के तौर पर काम करने वाले धनी राम लोगों के घरों के दरवाजे, खिड़कियाँ आदि बनाया करते थे। लेकिन लॉकडाउन के दौरान उनका यह काम ठप्प पड़ गया। आमदनी का रास्ता बंद हो गया लेकिन निराश होने की बजाय धनीराम ने इस समय को कुछ नया सीखने में लगाने का फैसला किया।

वह बताते हैं कि उनके घर पर कुछ प्लाईवुड, उनकी इलेक्ट्रिक आरी और कुछ अन्य उपकरण पड़े हुए थे। उन्होंने सोचा कि क्यों न इन्हें ही कुछ इस्तेमाल में लाया जाया। अपने बढ़ई के काम के दौरान वह काफी मैकेनिक कारीगरों के आस पास भी रहे। उनके कई दोस्त मैकेनिक हैं और उन्हें उन्होंने बहुत बार साइकिल ठीक करते और बनाते देखा था। वहीं से उन्हें आईडिया आया कि क्यों न लकड़ी की साइकिल बनाई जाए।

मैंने खुद कभी साइकिल नहीं बनाई थी पर अपने मैकेनिक दोस्तों को देखा था। इसलिए थोड़ा-बहुत पता था कि कैसे और क्या करना होता है। उन्होंने सबसे पहले एक कागज पर डिज़ाइन बनाया और फिर अपने घर पर पड़ी प्लाई वुड से उन्होंने साइकिल का फ्रेम, हैंडल और पहियों की रिम बनाई। एक पुरानी साइकिल से उन्होंने पैडल, चैन, पहिये और सीट आदि निकाली। इन सबको उन्होनें लकड़ी के फ्रेम पर लगाया।

हालांकि, उनका पहला प्रयास सफल नहीं रहा। थोड़ी बहुत उनसे चूक हुई थी और इसे एक बार फिर उन्होंने सुधारने का प्रयास किया। धनी राम बताते हैं कि फाइनल मॉडल उन्होंने एक महीने में तैयार किया और यह सफल रहा।

साइकिल लगभग तैयार थी लेकिन उन्होंने इसमें आगे एक टोकरी और पहिये पर गार्ड लगाने की सोची। यह साइकिल 20 किलोग्राम की है और लगभग 150 किलो वजन उठा सकती है। उन्होंने अपनी साइकिल को पेंट नहीं किया सिर्फ पॉलिश की ताकि इस पर चमक आए। उनके एक दोस्त ने इस साइकिल के बारे में सोशल मीडिया पर शेयर किया और वहाँ से उन्हें ऑर्डर मिलना शुरू हो गया। धनी राम की इस साइकिल की कीमत 15 हज़ार रुपये है।

राकेश दिन में एक बार तो ज़रूर साइकिल का इस्तेमाल करते हैं और वह कहते हैं कि भले ही सामान्य साइकिल से इसका वजन थोड़ा ज्यादा है लेकिन धनी राम की कारीगरी कमाल की है। वजन ज्यादा होने पर भी साइकिल की गति कम नहीं है और न ही चलाने वाले को कोई असहजता होती है बल्कि यह वर्कआउट के लिए काफी अच्छी है।

धनी राम पहले जब काम करते थे उनकी दूकान का नाम नूर इंटीरियर्स था। उन्होंने अपनी साइकिल को भी यही नाम दिया है, ‘नूर इंटीरियर्स!’

पहली साइकिल बनाने में उन्हें एक महीना लग गया था। पर अब वह एक हफ्ते में एक साइकिल तैयार कर देते हैं। सोशल मीडिया पर उनकी साइकिल को देखकर उन्हें विदेशों से भी ऑर्डर मिले हैं। वह कहते हैं कि उनकी आगे की योजना इस साइकिल में डिस्क ब्रेक्स और गियर लगाने की है और उन्हें उम्मीद है कि वह कामयाब होंगे।

कुछ ना करने के लिए एक बहाना ही काफी है मगर आप कुछ करने की ठान लें तो कोई भी समस्या आपके काम के आड़े नहीं आ सकती। आपको बस यह निर्धारित करना है कि कैसे एक छोटे व्यवसाय को और बेहतर किया जाये। ऐसे ही कोई भी व्यवसाय छोटा या बड़ा नहीं होता बस आपको शुरुआत करनी है एक बेहतर कल के लिए । 

कुछ ना करने के लिए एक बहाना ही काफी है मगर आप कुछ करने की ठान लें तो कोई भी समस्या आपके काम के आड़े नहीं आ सकती। आपको बस यह निर्धारित करना है कि कैसे एक छोटे व्यवसाय को और बेहतर किया जाये। ऐसे ही कोई भी व्यवसाय छोटा या बड़ा नहीं होता बस आपको शुरुआत करनी है एक बेहतर कल के लिए । आप भी सीखिए TWN के इस लेख के जरिये कि कैसे इस व्यवसाय से अपने और समाज के लिए कुछ बेहतर कर सकते हैं। 

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