"महिलाओं की भूमिका ने बदला व्यवसाय का रूप" -The role of women changed the form of business यह विषय बताता है कि महिलाओं के उत्पादक एवं उद्यमी के रूप में सक्रिय होने से व्यवसाय का आकार बदलता जा रहा है। अब महिलाएं भी उद्योग के क्षेत्र में अपनी एक पहचान बना रही हैं और स्वयं के उद्यमों को सफल बनाने के लिए पूरी तरह से जुट रही हैं।
देश और समाज आज उस दौर में आ गया है जहाँ पर किसी भी पद पर, किसी भी काम के लिए किसी व्यक्ति की नियुक्ति करने से पहले यह नहीं सोचना पड़ता है कि इस पद के लिए महिलाएं उचित होंगी या नहीं। कोई भी काम हो उसके लिए अब केवल काबिलियत को ही देखा जाता है। महिलाओं के कार्य और मार्गदर्शन करने की क्षमता ने दुनिया को नया रूप दिया और समाज में महिलाओं की ज़रूरत को मजबूत आधार दिया।
हाल ही में प्रकाशित एक रिपोर्ट में बताया गया है कि भारत में महिला उद्यमिता Women Entrepreneurship in India का स्तर तेजी से बढ़ रहा है। इस रिपोर्ट के अनुसार, भारत में लगभग 14 करोड़ महिला उद्यमी हैं, जो विभिन्न क्षेत्रों में अपने उद्योगों को चला रही हैं। इसके अलावा, भारत में स्वयं रोजगार करने वाली महिलाओं की संख्या भी बढ़ती जा रही है।
विश्व भर में भी महिला उद्यमिता का स्तर बढ़ता जा रहा है। एक रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिका में लगभग 12.3 मिलियन महिला उद्यमी women entrepreneurs हैं, जो विभिन्न क्षेत्रों में अपने व्यवसायों को चला रही हैं। इसके अलावा, अमेरिका में महिलाएं दुनिया के सबसे बड़े उद्योग में भी शामिल हो रही हैं।
इस समय, जहां महिलाओं के उद्यमों और उत्पादकों को सफल बनाने के लिए सरकारों द्वारा नई पहल शुरू की जा रही हैं, वहीं विभिन्न निजी संगठन भी महिलाओं को उद्योग के क्षेत्र में जुड़ने के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं।
इस तरह से व्यवसाय दुनिया भर में महिलाओं के लिए उद्यम निर्माण का एक अभूतपूर्व दौर चल रहा है। इंडिया में भी महिलाओं द्वारा संचालित उद्यमों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। अनुमान है कि इंडिया में महिलाओं द्वारा संचालित उद्यमों की संख्या 2025 तक 25 लाख से ज्यादा हो जाएगी।
इस समय, महिलाएं अलग-अलग क्षेत्रों में अपने उद्यमों को सफल बनाने के लिए कड़ी मेहनत और अधिकारपूर्वक काम कर रही हैं। सरकारों द्वारा विभिन्न समूहों के लिए ऋण उपलब्ध कराने के साथ ही, महिलाओं के लिए स्वयं सहायता समूहों के गठन और उन्हें उनके उद्यमों के लिए प्रशिक्षण प्रदान करने जैसी कई पहलुओं की शुरुआत हुई है। इससे महिलाएं आर्थिक रूप से स्वतंत्र होती हैं और समाज के साथ-साथ देश के विकास में भी अहम भूमिका निभाती हैं।
इस तरह से, महिलाओं की भूमिका व्यवसाय के क्षेत्र में बदलते वक्त का सबूत है।
एक अकेली लकड़ी को कोई भी आसानी से तोड़ सकता है। परन्तु यदि कई लकड़ियां एक साथ गठ्ठर के रूप में हो तो उसे तोड़ पाना बहुत मुश्किल हो जाता है। यह कहावत हम सबने सुनी है और कभी न कभी इसका प्रयोग भी अवश्य किया है। यह तथ्य प्रत्येक परिपेक्ष में सही साबित होता है।
बात परिवार की हो या बाहर के किसी काम की वह तभी मजबूती से लम्बे समय तक टिका रहता है जब उसमें मौजूद प्रत्येक व्यक्ति साथ मिलकर काम करता है और एक साथ आगे बढ़ने की कोशिश करता है।
कोई भी परिवार सुचारू रूप से तभी चल पता है जब महिला और पुरुष दोनों ही साथ में मिलकर काम करते हैं और उसे सजोते हैं। यदि हम व्यवसाय की बात करें तो देश में हमेशा से पुरूष प्रधान रहे इस क्षेत्र ने एक अभूतपूर्व बदलाव देखा।
भारत सफलता की सीढ़ियों पर और ऊपर चढ़ता गया, जब व्यवसाय की दुनिया में महिलाओं ने अधिकाधिक हिस्सा लेना शुरू किया। महिलाओं ने व्यवसाय के क्षेत्र में अपना योगदान देते हुए नयी बुलंदियों को हांसिल किया और समाज को व्यवसाय में महिलाओं के होने की ज़रूरत को बताया।
महिलाओं की अधिकाधिक हिस्सेदारी ने देश की अर्थव्यवस्था और व्यवसाय Economy and Business का नया चित्र बनाया है, जो पहले की अपेक्षा अधिक दृढ होकर देश को आगे ले जा रहा है।
आज देश की बड़ी से बड़ी कंपनियां ऐसी हैं, जो महिलाओं को उच्च पदों पर नियुक्त करने के लिए उत्साहित रहती हैं। ऐसा इसलिए हुआ है क्योंकि महिलाओं ने यह साबित किया कि उनके अंदर भी व्यवसायिक दुनिया में कुछ कर दिखाने का और लोगों का मार्गदर्शन करने का हुनर है। महिलाओं के मार्गदर्शन women's guidance ने अनेक कंपनियों को नयी पहचान दिलायी और उसे सफल कंपनी के तौर पर स्थापित किया।
फाल्गुनी नायर, सुचि मुखर्जी, इन्दु जैन, शहनाज़ हुसैन, नैनालाल किदवई, इंदिरी जैन जैसी कई महिला शख्सियतों ने अपनी मेहनत और कला से ना केवल कई कंपनियों को नयी उपलब्धियां दिलाई, बल्कि खुद भी नए व्यवसाय को शुरू किया और उसे एक पहचान दी।
आज इनके द्वारा शुरू की गयी कम्पनियां न केवल देश में बल्कि अन्य मुल्कों में भी अपनी मांग रखती हैं। जिसने भारत की अर्थव्यवस्था पर अच्छा प्रभाव डाला है। इनके मार्गदर्शन ने देश की जीडीपी ग्रोथ को और बढ़ाया है। पर दुर्भाग्यवश अभी भी इनकी उतनी साझेदारी नहीं हो पा रही है, जितने की इनकी साझेदारी होनी चाहिए।
कुछ स्थानों पर एक ही कंपनी में महिला और पुरूष के साथ दोहरे व्यवहार ने कई महिलाओं को अपना खुद का व्यवसाय शुरू करने के लिए प्रेरित किया। भारत सरकार ने महिला उद्यमियों को उन उद्यमियों में शामिल किया है जो देश की 51% अर्थव्यवस्था को सुनिश्चित करती हैं और देश की 51% महिलाओं के लिए व्यवसाय और रोजगार के अवसर दे रही हैं।
वूमेन इन बिज़नेस एंड मैनेजमेंट की एक रिपोर्ट के मुताबिक 57% प्रतिवादियों ने इस बात पर सहमति जताई है कि महिलाओं को समान रूप से मौका मिलने के कारण व्यवसाय में मुनाफे की दर बढ़ी है। उन कंपनियों के 5-20% के बीच मुनाफे की दर में वृद्धि हुई जिन्होंने इस पहलु पर ध्यान देकर काम किया।
व्यवसाय का यह रूप केवल उन महिलाओं के लिए ही नहीं जो शहरी क्षेत्र में काम करती हैं, ग्रामीण क्षेत्र में रहने वाली महिलाओं ने भी खुद को आत्मनिर्भर करने के लिए व्यवसाय का रास्ता चुना और आज वो देश की अर्थव्यवस्था में अपना महत्वपूर्ण योगदान दे रही हैं।
महिलाओं के औद्यगिक क्षेत्र में योगदान से देश को व्यवसाय में फायदा तो हो ही रहा है, इसके साथ ही व्यवसाय करने के तरीके में भी बदलाव आया है।
आखिर क्यों बदला व्यवसाय का रूप
महिलाओं के अंदर किसी और कंपनी, पार्टनर और शेयरहोल्डर से अच्छे व्यावसायिक रिश्ते स्थापित करने में ज्यादा सक्षमता होती हैं। यह गुण किसी भी नेतृत्व करने वाले व्यक्ति के अंदर होना आवश्यक होता है। इससे किसी भी व्यवसाय में फायदा होता है क्योंकि वो उन तथ्यों को भी आसानी से हल कर ले जाती हैं जो उन्हें पीछे की ओर धकेलता है। यह स्वभाव दूसरी आर्गेनाईजेशन को कंपनी की तरफ आकर्षित करता है।
महिलाओं के अंदर व्यक्ति को समान रूप से व्यवहार करने की ख़ासियत होती है, यह किसी आर्गेनाईजेशन में लिंग-भेदों को पूरी तरह से ख़त्म करता है, जो किसी भी कंपनी में सामंजस्य बना कर चलने के लिए आवश्यक होता है। महिलाओं के नरम स्वभाव की प्रवृत्ति किसी भी कंपनी की मुखिया के लिए उचित गुण होता है।
पुरुषों की अपेक्षा महिलाओं में यह गुण अधिक होने के कारण कंपनी के अंदर और बाहर दोनों ही जगह लोग किसी प्रोजेक्ट को अपना काम समझ कर कार्य करते हैं। यही कारण है कि महिलाओं की भागेदारी से कोई भी व्यवसाय सफलता की बुलंदियों को छू रहा है।
भारत में महिलाओं के उद्यमों का बढ़ता कारोबार वहीं महिला उद्यमी की सफलता भी विशेष रूप से चर्चित होती जा रही है। यहां हम आपको भारत की कुछ सफल महिला उद्यमियों के बारे में बता रहे हैं।
फाल्गुनी नायर ने वर्ष 2012 में Nykaa नामक ऑनलाइन कॉस्मेटिक्स कंपनी की स्थापना की थी। यह कंपनी आज भारत की सबसे बड़ी ऑनलाइन कॉस्मेटिक्स कंपनियों में से एक है। न्यका के स्टार्टअप के रूप में शुरू होने के बाद से अब तक, इसकी मूल्यांकन 1.2 बिलियन डॉलर से भी अधिक हो गया है। फाल्गुनी नायर एक सफल महिला उद्यमी हैं जिन्होंने भारत में डिजिटल विपणन में एक परिवर्तन लाया है।
वंदना लूथरा ने VLCC नामक स्वास्थ्य और सौंदर्य कंपनी की स्थापना की थी। यह कंपनी भारत में स्वास्थ्य और सौंदर्य के क्षेत्र में एक लीडिंग नाम है। इसकी स्थापना 1989 में हुई थी और आज तक यह कंपनी अपने सेवाओं को भारत के साथ-साथ विदेशों में भी प्रदान करती है।
सूची मुख़र्जी ने Limeroad की स्थापना महिलाओं के लिए एक ऑनलाइन शॉपिंग प्लेटफॉर्म के रूप में की थी, जो स्त्रियों को फैशन, ज्वेलरी, और घरेलू उत्पादों की विस्तृत श्रृंखला प्रदान करती है। लाइमरोड भारत में एक प्रमुख ई-कॉमर्स कंपनी बन गयी है।
सूची मुख़र्जी ने अपने स्टार्टअप के साथ एक विशिष्ट अनुभव प्रदान किया है जो महिलाओं के लिए अधिक संवेदनशील होता है। उन्होंने अपनी वेबसाइट पर एक समूह टीम बनाई, जो इसे फैशन संसाधनों के लिए एक मंच बनाने में मदद करती है। उन्होंने लाइमरोड को सफलता के साथ निपटाने के लिए एक अद्भुत टीम का निर्माण किया है।
वर्ष 2020 में, Limeroad ने अपने ग्राहकों की संख्या को 100 लाख से अधिक कर दिया था। इसके साथ ही, कंपनी ने बाजार में अपनी उपस्थिति बढ़ाई और अपनी उपभोक्ताओं के लिए नए उत्पाद विस्तार किए।
ऋचा कर ने भारत की पहली ऑनलाइन इंटिमेट वियर कंपनी Zivame की स्थापना की थी। इसके जरिए वह महिलाओं को फिटिंग के साथ-साथ सुंदर और स्टाइलिश इंटिमेट वियर का विकल्प देने के लिए प्रेरित हुई थी। वह 2011 में इस कंपनी की शुरुआत की थी और अब यह कंपनी भारत की एक अग्रणी ऑनलाइन इंटिमेट वियर कंपनी है।
इसके साथ ही, Zivame ने अपनी वेबसाइट के माध्यम से फिटिंग टूल के लिए भी जानी जाती है। इसके अलावा, यह कंपनी आज महिलाओं के लिए नाईटवियर, स्विमवियर और एक्सेसरीज जैसे विभिन्न उत्पादों का भी विकल्प प्रदान करती है।
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वाणी कोला भारत की एक अग्रणी वेंचर कैपिटलिस्ट और एंजेल इंवेस्टर हैं। उन्होंने Kalaari Capital नामक अपनी खुद की फर्म की स्थापना की है, जो भारत में वेंचर कैपिटल स्थापित करने वाली सबसे लोकप्रिय फर्मों में से एक है। उन्होंने अपनी फर्म के माध्यम से से कई महत्वपूर्ण स्टार्टअप्स में निवेश किया है,
प्रांशु पाटनी ने 'हेलो इंग्लिश' नामक एप्लीकेशन की स्थापना की थी जो एक अंग्रेजी भाषा सीखने वाले लोगों के लिए बनाई गई है। इस एप्लीकेशन को बहुत अधिक सफलता मिली है और आज यह दुनिया भर में लोगों के लिए उपलब्ध है।
उपासना टाकू ने MobiKwik नामक डिजिटल वॉलेट कंपनी की स्थापना की थी। यह कंपनी भारत में डिजिटल वॉलेट की पहली कंपनियों में से एक थी जो लोगों को ऑनलाइन भुगतान करने की सुविधा प्रदान करती है। आज यह कंपनी भारत में सबसे ज्यादा उपयोग की जाने वाली डिजिटल वॉलेट कंपनियों में से एक है।
सावित्री देवी जिंदल, जिन्हें अक्सर "स्टील की रानी" के नाम से जाना जाता है, भारतीय व्यापार और परोपकार की एक धरोहर हैं। उनका जीवन राष्ट्र की आर्थिक यात्रा का एक मनोरम अध्याय है, जो लचीलेपन, दृढ़ संकल्प और अपने परिवार और व्यापारिक साम्राज्य के प्रति प्रतिबद्धता से चिह्नित है।
साधारण शुरुआत से कॉरपोरेट पावरहाउस तक:
1940 में जन्मीं, सावित्री की यात्रा बोर्डरूम के चकाचौंध और ग्लैमर से बहुत दूर से शुरू हुई। वह एक साधारण पृष्ठभूमि से आई थीं, 1970 में दूरदर्शी उद्योगपति ओ.पी. जिंदल O.P. Jindal से शादी की। 2005 में जब उनके पति का निधन हो गया, तभी सावित्री, जो उस समय एक गृहिणी थीं, विशाल ओ.पी. जिंदल समूह की मुखिया की चुनौतीपूर्ण भूमिका में आ गईं, जिसमें स्टील, पावर, सीमेंट और इन्फ्रास्ट्रक्चर शामिल थे।
पिछले किसी व्यावसायिक अनुभव के बावजूद, सावित्री के जन्मजात नेतृत्व गुणों और कुशल रणनीतिक सूझबूझ के प्रसार पर प्रकाश पड़ा। उनके मार्गदर्शन में, समूह न केवल शुरुआती अस्तिरता से उबर पाया, बल्कि सभी बाधाओं को धता बताते हुए फला -फूला। दो साल के भीतर, उन्होंने राजस्व में 50% की वृद्धि की, पोर्टफोलियो में विविधता ला दी और नए बाजारों में विस्तार किया। सावित्री के साहसी और निर्णायक नेतृत्व ने उन्हें उद्योग जगत के साथियों का सम्मान अर्जित किया और कॉर्पोरेट जगत में एक मजबूत ताकत के रूप में उनकी स्थिति को मजबूत किया।
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सावित्री का प्रभाव लाभ और बैलेंस शीट के दायरे से कहीं आगे तक फैला हुआ है। वह सामाजिक कारणों की एक धर्मनिष्ठ समर्थक हैं, जो खुद को स्वास्थ्य, शिक्षा और ग्रामीण विकास के लिए समर्पित करती हैं। 1982 में स्थापित J.L. जिंदल फाउंडेशन J.L. Jindal Foundation उनके परोपकारी भावना का प्रतीक है, जो पूरे भारत में वंचित समुदायों के जीवन को बेहतर बनाने पर केंद्रित है। शिक्षा के प्रति उनकी प्रतिबद्धता महाराजा अग्रसेन मेडिकल कॉलेज में परिलक्षित होती है, जो उनके नेतृत्व में स्थापित एक प्रमुख चिकित्सा संस्थान है।
पुरुष प्रधान क्षेत्र में, सावित्री ने अनगिनत अन्य महिलाओं के लिए मार्ग प्रशस्त किया है। उनकी सफलता की कहानी देश भर में इच्छुक उद्यमियों और व्यवसायियों के साथ प्रतिध्वनित होती है, जो समर्पण और धैर्य की शक्ति का प्रमाण है। महिला सशक्तीकरण women empowerment पहलों के लिए उनका लगातार समर्थन एक अधिक न्यायसंगत समाज बनाने के लिए उनकी प्रतिबद्धता को और मजबूत करता है।
आज, 83 वर्ष की आयु में, सावित्री जिंदल ओ.पी. जिंदल समूह में एक सक्रिय शक्ति बनी हुई हैं, जहां वह एमेरिटस चेयरपर्सन का पद संभाल रही हैं। उनकी यात्रा अदम्य मानवीय भावना का प्रमाण है, विपरीत परिस्थितियों का सामना कर रहे लोगों के लिए आशा की किरण है और आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत है। जैसा कि वह समूह को भविष्य की ओर ले जाती हैं।