भारतीय अर्थव्यवस्था में सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (MSMEs) महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। MSMEs (सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम) भारतीय अर्थव्यवस्था को वैश्विक स्तर पर आगे बढ़ाने वाली प्रमुख ताकतों में से एक हैं।
उद्यम पोर्टल के अनुसार, MSME दो करोड़ से अधिक लोगों को रोजगार देते हैं, जो उन्हें अर्थव्यवस्था की रीढ़ की हड्डी के रूप में स्थापित करता है।
MSME विनिर्माण, सेवाओं और कृषि क्षेत्रों में महत्वपूर्ण योगदान करते हैं। वे भारत के कुल निर्यात का लगभग 50% हिस्सा भी योगदान करते हैं।
ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को आय के अवसर प्रदान करके और उन्हें गरीबी से बाहर निकलने में मदद करके समावेशी विकास को बढ़ावा देने में MSME महत्वपूर्ण भूमिका MSME role in promoting inclusive growth निभाते हैं।
सरकारी समर्थन और सुधारवादी पहलों तथा तकनीकी नवाचारों की सहायता से MSME क्षेत्र तेजी से बढ़ा है, जो भारत के कुल निर्यात का लगभग 46% हिस्सा है।
2024 में, भारत में 6.32 करोड़ से अधिक पंजीकृत MSME हैं, जो देश के कुल उद्यमों का 99.67% हिस्सा हैं। वे देश के सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में लगभग 30% योगदान करते हैं और 11 करोड़ से अधिक लोगों को रोजगार प्रदान करते हैं।
सरकार MSMEs के विकास को बढ़ावा देने के लिए कई पहल कर रही है, जिनमें RAMP योजना, प्रधान मंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम (PMEGP), और उद्यम पोर्टल शामिल हैं।
यह लेख MSMEs की भूमिका, भारत में उनकी वर्तमान स्थिति, और सरकार द्वारा उनके विकास को बढ़ावा देने के लिए किए जा रहे प्रयासों पर चर्चा करेगा।
MSME भारत के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। वे रोजगार सृजन, आर्थिक विकास, निर्यात और समावेशी विकास में योगदान करते हैं। सरकार MSME के विकास को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है, और उनका मानना है कि वे भारत को एक मजबूत और समृद्ध राष्ट्र बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।
MSME को समर्थन और बढ़ावा देने के लिए, MSME मंत्रालय ने विभिन्न योजनाएँ शुरू की हैं और उन्हें लागू किया है, जो MSME को क्रेडिट सहायता, नए उद्यम विकास, औपचारिकता, तकनीकी सहायता, बुनियादी ढांचा विकास, कौशल विकास और प्रशिक्षण, और बाजार सहायता प्रदान करती हैं। इन पहलों में शामिल हैं:
सरल और आसान पंजीकरण: उद्यम पंजीकरण पोर्टल उपयोगकर्ता के अनुकूल है और MSME को कुछ सरल चरणों में पंजीकरण करने की अनुमति देता है।
कोई पंजीकरण शुल्क नहीं: MSME के लिए उद्यम पंजीकरण पोर्टल पर पंजीकरण पूरी तरह से मुफ्त है।
स्व-घोषणा आधारित: MSME को अपनी जानकारी स्वयं घोषित करने की आवश्यकता होती है, जिससे पंजीकरण प्रक्रिया तेज और आसान हो जाती है।
डिजिटल प्रमाणपत्र: पंजीकरण के सफल समापन पर, MSME को एक डिजिटल प्रमाणपत्र प्रदान किया जाता है जिसे वे विभिन्न सरकारी योजनाओं और लाभों का लाभ उठाने के लिए उपयोग कर सकते हैं।
सरकारी योजनाओं तक पहुंच: उद्यम प्रमाणपत्र MSME को विभिन्न सरकारी योजनाओं और लाभों तक पहुंच प्रदान करता है, जैसे कि ऋण, सब्सिडी, कर छूट, और बाजार पहुंच सहायता।
समय की बचत: MSME पारंपरिक तरीकों का उपयोग करने के बजाय ऑनलाइन पंजीकरण करके समय बचा सकते हैं।
पारदर्शिता: पंजीकरण प्रक्रिया पारदर्शी है और MSME को सभी आवश्यक जानकारी आसानी से उपलब्ध है।
सुविधा: MSME घर बैठे ही पंजीकरण कर सकते हैं, जिससे यह प्रक्रिया अधिक सुविधाजनक हो जाती है।
अनुपालन में सुधार: उद्यम पंजीकरण MSME को सरकारी नियमों और विनियमों का अनुपालन करने में मदद करता है।
व्यापार का विस्तार: उद्यम प्रमाणपत्र MSME को नए बाजारों तक पहुंचने और अपने व्यवसाय का विस्तार करने में मदद करता है।
उद्यम पंजीकरण पोर्टल की आधिकारिक वेबसाइट https://udyamregistration.gov.in/ पर जाएं।
"नया पंजीकरण" बटन पर क्लिक करें।
आवश्यक जानकारी दर्ज करें और स्व-घोषणा पत्र जमा करें।
पंजीकरण शुल्क का भुगतान करें (यदि लागू हो)।
अपना डिजिटल प्रमाणपत्र डाउनलोड करें।
उद्यम पंजीकरण पोर्टल MSME के लिए एक महत्वपूर्ण उपकरण है जो उन्हें आसानी से पंजीकरण करने और विभिन्न सरकारी योजनाओं और लाभों का लाभ उठाने में सक्षम बनाता है। यह पोर्टल MSMEs को औपचारिक अर्थव्यवस्था में शामिल होने और भारत के विकास में योगदान करने में मदद करता है।
अतिरिक्त जानकारी:
उद्यम पंजीकरण पोर्टल के बारे में अधिक जानकारी के लिए, आप आधिकारिक वेबसाइट https://udyamregistration.gov.in/ पर जा सकते हैं।
आप उद्यम पंजीकरण पोर्टल हेल्पलाइन 1800-208-3736 पर भी कॉल कर सकते हैं।
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भारत सरकार और भारतीय लघु उद्योग विकास बैंक (SIDBI) Small Industries Development Bank of India (SIDBI) के तहत संचालित CGTMSE, MSME को जमानत राशि या तीसरे पक्ष की गारंटी के झंझटों के बिना बैंक ऋण प्राप्त करने में मदद करने के लिए ऋण गारंटी प्रदान करता है। MSME CGTMSE के तहत कई ऋण श्रेणियों के लिए अधिकतम 85% गारंटी कवरेज के साथ 5 करोड़ रुपये तक के संपार्श्विक-मुक्त ऋण प्राप्त कर सकते हैं।
इस योजना ने अपने अस्तित्व के पहले 22 वर्षों में 67 लाख से अधिक लाभार्थियों को कवर किया है और MSE क्षेत्र में छह प्रमुख क्षेत्रों पर सकारात्मक प्रभाव डाला है, जैसे प्रौद्योगिकी उन्नयन, कौशल विकास, बाजार विकास, योजना की स्थिरता, आर्थिक प्रभाव और सामाजिक प्रभाव। जनवरी-नवंबर 2023 के दौरान, 12.50 लाख गारंटी स्वीकृत की गईं, जिनकी राशि 1.46 लाख करोड़ रुपये थी।
प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम (PMEGP) भारत सरकार की एक पहल है जिसका उद्देश्य ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में बेरोजगार युवाओं और कारीगरों के लिए स्व-रोजगार के अवसर पैदा करना है। यह योजना सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (MSMEs) की स्थापना और विकास को वित्तीय सहायता प्रदान करके करती है।
अधिकतम ऋण राशि: ₹25 लाख
सब्सिडी: 15% से 25% (उद्यमी के प्रकार और स्थान के आधार पर)
अधिकतम ऋण राशि: ₹10 लाख
सब्सिडी: 10% से 20% (उद्यमी के प्रकार और स्थान के आधार पर)
रोजगार सृजन: PMEGP नए रोजगारों के सृजन में महत्वपूर्ण योगदान देता है, जिससे बेरोजगारी कम होती है और गरीबी उन्मूलन में मदद मिलती है।
आय के अवसर: PMEGP युवाओं और कारीगरों को स्व-रोजगार के अवसर प्रदान करके उनकी आय में वृद्धि करने में मदद करता है।
आर्थिक विकास: PMEGP देश के आर्थिक विकास में योगदान देता है, MSMEs के माध्यम से उत्पादन और सेवाओं को बढ़ावा देता है।
समावेशी विकास: PMEGP ग्रामीण क्षेत्रों और पिछड़े वर्गों के लोगों को सशक्त बनाने में मदद करता है, जिससे समावेशी विकास को बढ़ावा मिलता है।
आवेदक भारत का नागरिक होना चाहिए।
आवेदक की आयु 18 से 65 वर्ष के बीच होनी चाहिए।
आवेदक को कम से कम 10वीं पास होना चाहिए।
आवेदक का परिवार की वार्षिक आय ₹1 लाख से अधिक नहीं होनी चाहिए।
आवेदक को पहले से ही किसी भी चल रहे व्यवसाय में स्वामित्व नहीं होना चाहिए।
आवेदक PMEGP पोर्टल https://www.kviconline.gov.in/pmegpeportal/pmegphome/index.jsp के माध्यम से ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं।
आवेदक को आवश्यक दस्तावेजों के साथ आवेदन पत्र जमा करना होगा।
आवेदन का मूल्यांकन संबंधित बैंक द्वारा किया जाएगा।
यदि आवेदन स्वीकृत हो जाता है, तो बैंक आवेदक को ऋण और सब्सिडी प्रदान करेगा।
PMEGP भारत में MSME के लिए एक महत्वपूर्ण योजना है। यह योजना बेरोजगार युवाओं और कारीगरों को स्व-रोजगार के अवसर प्रदान करके रोजगार सृजन और उद्यमिता को बढ़ावा देती है।
अतिरिक्त जानकारी:
PMEGP के बारे में अधिक जानकारी के लिए, आप https://www.kviconline.gov.in/pmegpeportal/pmegphome/index.jsp पर जा सकते हैं।
प्रौद्योगिकी उन्नयन: MSME अपनी प्रतिस्पर्धात्मकता को बढ़ाने और वैश्विक बाजारों में प्रवेश करने के लिए प्रौद्योगिकी का तेजी से उपयोग कर रहे हैं। सरकार विभिन्न योजनाओं और पहलों के माध्यम से प्रौद्योगिकी उन्नयन को प्रोत्साहित कर रही है, जैसे कि:
नवोदय योजना Navodaya Scheme: यह योजना MSME को नई तकनीकों को अपनाने और अपने उत्पादों और सेवाओं की गुणवत्ता में सुधार करने के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करती है।
प्रधानमंत्री उद्योग प्रोत्साहन योजना (PM-RISP) Prime Minister's Industrial Promotion Scheme (PM-RISP): यह योजना MSME को अनुसंधान और विकास गतिविधियों के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करती है।
MSME के लिए प्राप्य वित्त पोषण Receivables Financing for MSMEs: MSME के लिए ऋण तक पहुंच एक बड़ी चुनौती बनी हुई है। सरकार विभिन्न योजनाओं और पहलों के माध्यम से MSME के लिए ऋण तक पहुंच को आसान बनाने के लिए काम कर रही है, जैसे कि:
क्रेडिट गारंटी फंड ट्रस्ट फॉर माइक्रो एंड स्मॉल एंटरप्राइजेज (CGTMSE): यह योजना MSME को बिना जमानत के ऋण प्राप्त करने में मदद करती है।
स्टैंड-अप इंडिया योजना Stand-up India scheme: यह योजना अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और महिला उद्यमियों को ऋण प्रदान करती है।
कौशल विकास Skill Development: MSME को प्रतिस्पर्धी बने रहने के लिए कुशल कर्मचारियों की आवश्यकता होती है। सरकार विभिन्न योजनाओं और पहलों के माध्यम से MSME के लिए कौशल विकास को बढ़ावा दे रही है, जैसे कि:
प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना (PMKVY): यह योजना युवाओं को कौशल प्रशिक्षण प्रदान करती है जो उन्हें MSME में रोजगार प्राप्त करने में मदद कर सकती है।
स्किल इंडिया योजना Skill India Scheme: यह योजना MSME को अपने कर्मचारियों के लिए कौशल प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करने में मदद करती है।
MSME प्रदर्शन को बढ़ाना और गति देना (RAMP) योजना जुलाई 2022 में MSME मंत्रालय द्वारा विश्व बैंक के सहयोग से शुरू की गई थी। इस योजना का मुख्य उद्देश्य MSME को वैश्विक बाजारों तक पहुंच प्रदान करना और ऋण प्राप्ति में आसानी लाना है।
केंद्र-राज्य सहयोग को मजबूत करना: MSME को बढ़ावा देने और विकसित करने के लिए केंद्र और राज्य सरकारों के बीच समन्वय और सहयोग को मजबूत करना।
प्रौद्योगिकी उन्नयन: MSME को अपनी उत्पादकता और प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ाने में मदद करने के लिए प्रौद्योगिकी उन्नयन को प्रोत्साहित करना।
वित्तीय पहुंच में सुधार: MSME को ऋण प्राप्त करने में आसानी लाने के लिए वित्तीय पहुंच में सुधार करना।
बाजार तक पहुंच में सुधार: MSME को घरेलू और वैश्विक बाजारों तक पहुंच प्रदान करना।
कौशल विकास: MSME कर्मचारियों के लिए कौशल विकास कार्यक्रमों को बढ़ावा देना।
डिजिटलीकरण: MSME को अपनी प्रक्रियाओं को डिजिटल बनाने और अपनी दक्षता में सुधार करने में मदद करना।
हरित MSME को बढ़ावा देना: पर्यावरण के अनुकूल प्रथाओं को अपनाने वाले MSME को प्रोत्साहित करना।
महिला उद्यमिता को बढ़ावा देना: महिला उद्यमियों को सशक्त बनाने और उन्हें व्यवसाय शुरू करने और चलाने में मदद करने के लिए पहल करना।
हरित MSME योजना भारत सरकार द्वारा शुरू की गई एक पहल है जो उन सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (MSME) को प्रोत्साहित करती है जो पर्यावरण के अनुकूल प्रथाओं को अपनाते हैं। इसका उद्देश्य स्थायी विकास को बढ़ावा देना और प्रदूषण को कम करना है।
योजना के लाभ:
अतिरिक्त जानकारी:
यहां कुछ अतिरिक्त जानकारी दी गई है जो उपयोगी हो सकती है:
यहाँ यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि यह जानकारी केवल सामान्य सूचना के उद्देश्यों के लिए है। समय-समय पर विभिन्न योजनाओं में बदलाव होते रहते हैं अतः योजनाओं के बारे में नवीनतम जानकारी के लिए,आपको हमेशा आधिकारिक स्रोतों का संदर्भ लेना चाहिए।
भारतीय अर्थव्यवस्था में सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (MSMEs) महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। वे देश के विकास और समृद्धि के लिए महत्वपूर्ण हैं, रोजगार सृजन, आर्थिक विकास, निर्यात और समावेशी विकास में योगदान करते हैं।
MSMEs भारत में रोजगार का दूसरा सबसे बड़ा स्रोत हैं, जो 11 करोड़ से अधिक लोगों को रोजगार प्रदान करते हैं। यह देश के कुल गैर-कृषि रोजगार का लगभग 45% हिस्सा है। MSMEs विभिन्न क्षेत्रों में रोजगार के अवसर पैदा करते हैं, जिसमें विनिर्माण, सेवाएं, कृषि और खुदरा शामिल हैं। वे ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में रोजगार प्रदान करते हैं, जो देश के समग्र विकास में योगदान करते हैं।
MSMEs भारत के सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में महत्वपूर्ण योगदान करते हैं, 2023-24 में ₹21.96 लाख करोड़ का योगदान करते हैं। यह देश के GDP का लगभग 30% है। MSMEs विनिर्माण, सेवाओं और कृषि क्षेत्रों में महत्वपूर्ण योगदान करते हैं। वे देश के औद्योगिक उत्पादन का लगभग 45% हिस्सा हैं। MSMEs घरेलू सामानों और सेवाओं का उत्पादन करते हैं, जो देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत करने में मदद करता है। वे आयात पर निर्भरता कम करते हैं और आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देते हैं।
MSMEs भारत के कुल निर्यात का लगभग 50% हिस्सा हैं, 2023-24 में ₹10.98 लाख करोड़ का निर्यात करते हैं। वे विभिन्न प्रकार के उत्पादों और सेवाओं का निर्यात करते हैं, जिसमें हस्तशिल्प, वस्त्र, इंजीनियरिंग सामान, रसायन और कृषि उत्पाद शामिल हैं। MSMEs विदेशी मुद्रा अर्जित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, जो देश के विकास के लिए आवश्यक है। वे भारत को वैश्विक बाजार में प्रतिस्पर्धी बनाते हैं और देश की ब्रांड छवि को मजबूत करते हैं।
MSMEs ग्रामीण क्षेत्रों और पिछड़े वर्गों में रोजगार और उद्यमिता के अवसर पैदा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। वे ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को आय के अवसर प्रदान करते हैं और उन्हें गरीबी से बाहर निकलने में मदद करते हैं। MSMEs महिलाओं, अल्पसंख्यकों और विकलांगों को भी रोजगार के अवसर प्रदान करते हैं। वे समाज के सभी वर्गों के लिए समावेशी विकास को बढ़ावा देते हैं।
अतिरिक्त बिंदु:
MSMEs भारत में महिला उद्यमिता को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
MSMEs ग्रामीण क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे के विकास में योगदान करते हैं।
MSMEs पर्यावरण के अनुकूल प्रथाओं को अपनाकर और स्वच्छ ऊर्जा का उपयोग करके स्थायी विकास को बढ़ावा देते हैं।
भारतीय अर्थव्यवस्था में सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (MSMEs) महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। वे देश के विकास और समृद्धि के लिए महत्वपूर्ण स्तंभ हैं, रोजगार सृजन, आर्थिक विकास, निर्यात और समावेशी विकास में योगदान करते हैं।
2024 में, भारत में 6.32 करोड़ से अधिक पंजीकृत MSMEs हैं, जो देश के कुल उद्यमों का 99.67% हिस्सा हैं। इनमें से 6.26 करोड़ सूक्ष्म श्रेणी में आते हैं, 0.05 करोड़ लघु श्रेणी में, और 0.01 करोड़ मध्यम श्रेणी में आते हैं।
MSMEs द्वारा उत्पादित वस्तुओं और सेवाओं का मूल्य 2023-24 में ₹21.96 लाख करोड़ होने का अनुमान है। यह भारत के सकल घरेलू उत्पाद (GDP) का लगभग 30% हिस्सा है। MSMEs भारत में औद्योगिक उत्पादन का लगभग 45% हिस्सा हैं। वे देश के कुल निर्यात का लगभग 50% हिस्सा भी योगदान करते हैं।
MSMEs पूरे भारत में फैले हुए हैं, शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में मौजूद हैं। 2023-24 में, भारत के कुल MSMEs में से 74% ग्रामीण क्षेत्रों में स्थित थे, जबकि 26% शहरी क्षेत्रों में थे।
MSMEs भारत में रोजगार का दूसरा सबसे बड़ा स्रोत हैं, जो 11 करोड़ से अधिक लोगों को रोजगार प्रदान करते हैं। यह देश के कुल गैर-कृषि रोजगार का लगभग 45% हिस्सा है। MSMEs विभिन्न क्षेत्रों में रोजगार के अवसर पैदा करते हैं, जिसमें विनिर्माण, सेवाएं, कृषि और खुदरा शामिल हैं।
MSMEs को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है, जिनमें शामिल हैं:
वित्त तक पहुंच: MSMEs को ऋण और अन्य वित्तीय सहायता प्राप्त करने में कठिनाई होती है।
बाजार तक पहुंच: MSMEs को अपने उत्पादों और सेवाओं के लिए बाजार तक पहुंचने में कठिनाई होती है।
कौशल की कमी: MSMEs में कुशल कर्मचारियों की कमी होती है।
बुनियादी ढांचे की कमी: MSMEs को पर्याप्त बुनियादी ढांचे की सुविधाओं तक पहुंच नहीं है।
निष्कर्ष Conclusion:
MSMEs भारत की अर्थव्यवस्था की रीढ़ की हड्डी हैं। वे देश के GDP, औद्योगिक उत्पादन और रोजगार सृजन में महत्वपूर्ण योगदान करते हैं। सरकार MSME के विकास को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न पहलों और सुधारों को लागू कर रही है। इन पहलों में प्रौद्योगिकी उन्नयन, MSME के लिए प्राप्य वित्त पोषण और कौशल विकास को बढ़ावा देना शामिल है।
MSME के सशक्तिकरण से भारत एक मजबूत और समावेशी अर्थव्यवस्था बनने की ओर अग्रसर होगा।