जानकारियों का वजन बढ़ने के बाद इंसान के दिमाग का हाल यह होता है कि वह मामूली चीजों पर भी एकाग्र चित्त होकर काम नहीं कर पाता। अगर आप भी इन दिनों किसी काम पर एकाग्र चित्त नहीं कर पा रहे हैं और आपको लगता है कि आप के दिमाग पर भार बढ़ता जा रहा है तो यह लेख आपके लिए है।
आजकल की तेज चलती ज़िन्दगी में हर क्षेत्र का इंसान कुछ बड़ा काम करना चाहता है आगे बढ़ना चाहता है और इसमें कोई गलत बात भी नहीं है, लेकिन रफ़्तार भरी ज़िन्दगी में जानकारियों का वजन भी इंसान पर बढ़ता जा रहा है। नतीजा यह है कि इंसान इतनी जानकारियों के बीच अपनी एकाग्रता खो बैठा है। कई मर्तबा देखा जाता है कि बात किसी और विषय पर चल रही होती है और इंसान का ध्यान उस पर होता ही नहीं है। कोरोना काल के बाद तो ऐसे मामले और भी बढ़ गए हैं। लोगों के मन में चिंताएं इतनी बढ़ गई हैं कि किसी एक बात पर ध्यान लगाना बेहद मुश्किल है। चाहे दिमाग की बात हो या आंखों की या कान की हर तरफ से जानकारियां इंसान को भटका रही हैं। इन जानकारियों का वजन बढ़ने के बाद इंसान के दिमाग का हाल यह होता है कि वह मामूली चीजों पर भी एकाग्र चित्त होकर काम नहीं कर पाता। अगर आप भी इन दिनों किसी काम पर एकाग्र चित्त नहीं कर पा रहे हैं और आपको लगता है कि आप के दिमाग पर भार बढ़ता जा रहा है तो यह लेख आपके लिए है।
शोध में भी आया सामने
किसी भी काम में फोकस ना करने को लेकर देश और दुनिया में कई शोध हो चुके हैं। जिसमें यह जानकारी निकलकर सामने आती है कि बात बिल्कुल सत्य है, लोग कहीं भी अपना दिमाग पूरी तरह नहीं लगा पा रहे हैं। जिसकी सबसे बड़ी वजह यह है कि इंसान के दिमाग में कई विचार एक साथ चलते हैं। विचार चलना कोई बुरी बात नहीं है, लेकिन विचारों की अधिकता इंसान को एकाग्रता से भटका रही है।
तनाव करता है इंसान के दिमाग पर तांडव
कई आंकड़े यह भी बताते हैं कि इस फोकस ना कर पाने की समस्या पर सबसे बड़ा प्रभाव तनाव का रहता है। विशेषज्ञ बताते हैं कि इंसान सामान्य अवस्था में भी कई चिंताओं में डूबा रहता है। चाहें अच्छे विचार हों या बुरे विचार, विचारों के बीच तनाव पनपता रहता है। इस तनाव की बदौलत इंसान एकाग्रता को भूल जाता है। दिमाग के अंदर एक वर्किंग मेमोरी काम कर रही होती है और यह मेमोरी बिल्कुल उस पेपर की तरह मान सकते हैं जहां पर आप कुछ लिखें और वह पेपर भर जाए उसके बावजूद भी आप लिखते रहें, तो क्या उस पेपर पर लिखा हुआ कुछ भी असर कर पाएगा। इसी तरह जब दिमाग में नई सूचना के लिए जगह ही नहीं बचेगी, तो इंसान एकाग्रता बरकरार कैसे रख पाएगा।
एकाग्रता ना रख पाना तो इसका एक विषय है इसके अलावा इंसान इस समस्या से जूझते हुए लोगों से चिड़चिड़ा व्यवहार भी करने लगता है। खुद को दोषी समझने जैसे भाव भी पैदा होने लगते हैं।
कैसा बढ़ाया जा सकता है फोकस
विशेषज्ञों की राय मानी जाए तो ऐसे मामलों में कुछ साधारण व्यायाम आपका फोकस बढ़ा सकते हैं। सांसों पर ध्यान देना और प्राणायाम की क्रियाओं से काफी फायदा होता है। जो भी व्यक्ति एकाग्रता से भटक रहा है उसे अपने जीवन में योग को शामिल कर लेना चाहिए। क्योंकि एक्सरसाइज से आपके रक्त संचार में काफी बदलाव होते हैं और आपका दिमाग भी सक्रिय रहता है। कुछ विशेषज्ञों ने इसके लिए 15 से 30 मिनट के सांसो पर ध्यान लगाने वाली क्रियाएं निर्धारित की है। इन क्रियाओं का मकसद सिर्फ यही है कि इंसान जब जिस पल जी रहा है, वह उसी पल का आनदं ले।
सांसों पर ध्यान लगाकर मिलेगा आराम
कई योग गुरु और स्वास्थ्य चिकित्सा से जुड़े विशेषज्ञ मानते हैं कि सांसों पर ध्यान देने से एकाग्रता में काफी बढ़ोतरी होती है। विशेषज्ञों द्वारा बनाई गई 15 से 30 मिनट की क्रिया में अब एकाग्र चित्त होकर अपनी सांसों और अपने विचारों पर ध्यान केंद्रित करें। जिसकी मदद से कुछ दिनों में आप इसके आदि हो जाएंगे और धीरे-धीरे आपको जब परिणाम मिलेंगे तो आप देखेंगे कि आपके अंदर बदलाव हो रहे हैं। इस तरह की क्रियाओं को अपनी रोजमर्रा की ज़िन्दगी में शामिल कर लेना ही एकाग्रता के लिए सबसे बेहतरीन उपाय है।
अगर आप भी किसी काम को लेकर फोकस नहीं रख पाते हैं, तो इन छोटी क्रियाओं पर ध्यान दें। इसके अलावा अपने आप को शांत रखने के लिए दिमाग को थोड़ा हल्का रखें। अपने ऊपर जानकारियों का भार ज्यादा ना बढ़ने दें, जितनी ज़रूरत हो उसके मुताबिक ही ज्ञान अर्जित करें, शांत दिमाग ही आपको भविष्य में अच्छे परिणाम देगा। इसलिए आज से ही इस विषय पर काम करना शुरू कर दें।