रतन टाटा भारत के उन उद्योगपतियों में से एक हैं, जिन्होंने केवल कंपनी के विकास के बारे में ही नहीं बल्कि देश के विकास के बारे में भी सोचा। अपने उद्योग में वृद्धि करने के साथ ही इन्होनें समाज सेवा को भी अपना कर्तव्य माना और समाज हित में कई फैसले किये। रतन टाटा शिक्षा को विकास का आधार मानते हुए कई अभूतपूर्व काम किये हैं। इनके द्वारा स्थापित टाटा इंस्टिट्यूट शिक्षा के विकास का एक अच्छा माध्यम है। रतन टाटा आज देश के लगभग प्रत्येक व्यक्ति के आदर्श हैं। इनके चाहने वाले केवल देश में ही नहीं बल्कि देश के बाहर भी हैं। शायद ही कोई ऐसा व्यक्ति होगा जो रतन टाटा के उदार व्यक्तित्व से परिचित नहीं होगा।
रतन टाटा के बारे में यह भी बताया जाता है कि उन्हें कुत्तों से बहुत लगाव है। उनके मुंबई वाले घर में आवारा कुत्तों के लिए केनेल बना हुआ है, जिसमें खिलौनों,पानी और भोजन हर चीज की व्यवस्था कुत्तों के लिए की गयी है। उनके पास दो पालतू कुत्ते टिटो और मैक्सिमम हैं जो उनके साथ रहते हैं। रतन टाटा एक कुशल पायलट भी हैं जिन्हें प्लेन उड़ानें का बहुत शौक है। रतन टाटा के पास प्लेन उड़ानें का वैधानिक लाइसेंस भी है, उन्हें उड़ानें बहुत अधिक पसंद हैं। रतन टाटा ने शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए जिस विद्यालय से पढाई की थी उस हॉर्वर्ड विद्यालय को 50 मिलियन डॉलर का दान दिया था। इसके साथ में इन्होनें भारतीय विद्यालयों को भी शिक्षा के लिए दान दिए।
आपको जानकर हैरानी होगी कि टाटा कंपनी तब से भारत में अपना पैर जमाये हुए मजबूती से खड़ी है, जब अंग्रेज भारतीयों को फर्श पर ही रखने की कोशिश में लगा था। टाटा कंपनी की स्थापना जमशेदजी टाटा ने एम्प्रेस मिल्स के नाम पर की थी। इस मिल को इन्होनें नागपुर में कपड़े बनाने के लिए स्थापित किया था। बाद में यह कंपनी और भी कई तरीके के उत्पाद को बाजार में लाने लगी। आज समय यह है कि बाजार में मौजूद प्रत्येक उत्पाद में एक ब्रांड टाटा का अवश्य होता है।
अगर हम बात रतन टाटा कि करें तो 1991 में टाटा कंपनी के मुखिया बनने के बाद इन्होनें कंपनी की उपलब्धता को और बढ़ाया। सबसे पहले इन्होनें अपनी कम्पनी में अपना स्थान बनाया, इनका मानना था कि किसी भी व्यवसाय का सफल होना तभी सुनिश्चित हो सकता है, जब मालिक और कर्मचारी के बीच में कोई बड़ा या छोटा ना हो, उसके बाद इन्होनें कंपनी का विस्तार करना शुरू किया। कई क्षेत्र में काम करते हुए टाटा कंपनी ने कार की दुनिया में इंडिका के नाम से प्रवेश किया। भारत में इंडिका के लॉन्च से पहले ही 1,00,000 लोगों ने इसके लिए बुकिंग की। इंडिका का भारत में लॉन्च सफल रहा और टाटा कार की दुनिया में भी भारत में राज करने लगा। रतन टाटा ने बदलते समय के साथ कंपनी के तकनीकों में भी बदलाव किया तथा यह आज भी भारत की पहली पसंद बना हुआ है। अपनी कंपनी को विस्तारित करते हुए रतन टाटा ने कुछ अन्य कंपनियों का अपनी कंपनी में विलय किया। विश्व प्रसिद्ध कार कंपनी जगुआर को टाटा मोटर्स में, टेटली को टाटा टी में, तथा कोरस को टाटा स्टील में विलय करके उन्होनें अपनी कंपनी को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाई। आपको जान कर हैरानी होगी कि रतन टाटा की अध्यक्षता में उनकी कंपनी द्वारा दिया जाने वाला टैक्स भुगतान पहले से 40 प्रतिशत बढ़ गया था। आज के समय में टाटा कंपनी सुई से लेकर कार तक हर क्षेत्र में मौजूद है।
व्यक्ति का व्यवहार उसकी छवि का निर्माण करती है। समाज में उसकी उपस्थिति को कितना महत्व दिया जायेगा, उसके नियमों पर लोग कितना यकीन करेंगे, और समाज उनका कितना सम्मान करेगा यह केवल उस व्यक्ति के द्वारा समाज के लिए किये कार्यों और समाज के प्रति उदार व्यवहार से ही निर्धारित होता है। संसार में ऐसी कई हस्तियों की कहानी आपको और हमको सुनने-पढ़ने को मिल जाएगी, जिन्होंने अपने देश हित में, समाज हित में कई ऐसे कार्य किये जिनके लिए उन्हें आज भी याद किया जाता है। जिनके द्वारा किया गया कार्य आज भी देश और दुनिया की भलाई कर रहा है। लोगों के प्रति उदार भाव रखना भी इन शख्सियतों को याद रखे जाने का बड़ा कारण है। हमारे देश में भी ऐसी कई हस्तियों ने जन्म लिया है, जिन्होंने देश के नाम को दुनिया में और ऊंचाई पर ले जाने का कार्य किया है। जिनकी मेहनत, ईमानदारी तथा लगन के किस्से लोगों की प्रेरणा की वजह हैं। हम कह सकते हैं कि देश को फर्श से अर्श तक पहुँचाने के उद्देश्य से इन लोगों ने कई विकास के कार्य किये, जो आज न केवल देश में बल्कि विदेशों में भी मशहूर हैं। इन्हीं नामों में एक नाम है रतन टाटा। रतन टाटा को हम भारत के उन रत्नों में से एक कह सकते हैं, जिन्होंने अपने गुणों से देश की कीमत बढ़ाई है। उद्योग के साथ-साथ सामाजिक हित में इनके द्वारा किये जा रहे कार्य हमेशा इनकी शख्सियत को मजबूत बनाती है।