माना जाता है राम नाम का जप करने वालों पर कोई भी विपदा हावी नही होती, यहाँ तक कि यदि कोई मनुष्य अपने अंतिम क्षणों में भगवान राम का नाम लेता है तो उसकी आत्मा को मोक्ष की प्राप्ति होती है। आज राम नाम की इस महिमा की गुणगान के अलावा और भी बहुत कुछ, जानने और समझने के लिए आपको इस आर्टिकल में मिलेगा, जैसे राम नाम या गुणगान और राम जन्मोत्सव का महत्त्व। तो पढ़ते रहिये -TWN
राम भरोसो राम बल राम नाम बिस्वास।
सुमिरत शुभ मंगल कुसल माँगत तुलसीदास।।
पुराणों और शास्त्रों के अनुसार राम का नाम तो स्वयं श्री राम से भी बड़ा है, स्वयं महादेव भी राम के नाम का जाप करते हैं। हम सभी जानते हैं कि राम का नाम दुखों को हरने वाला है।
माना जाता है राम नाम का जप करने वालों पर कोई भी विपदा हावी नही होती, यहाँ तक कि यदि कोई मनुष्य अपने अंतिम क्षणों में भगवान राम का नाम लेता है तो उसकी आत्मा को मोक्ष की प्राप्ति होती है। आज इस आर्टिकल में, राम नाम की महिमा के गुणगान के अलावा और भी बहुत कुछ, जानने और समझने को होगा जैसे राम नाम या राम जन्मोत्सव केवल भगवान विष्णु के रामवतार का जन्मोत्सव नहीं है, बल्कि ये एक प्रकाश है जो बताता है कि अच्छाई, मानवता और करुणा का जहाँ भी विद्यमान होगी, वहाँ रामराज्य होगा।
हिंदू धर्म में प्रत्येक त्योहार का एक अपना विशेष महत्व है। वर्ष में चार बार नवरात्र आते हैं जिसमें से शारदीय नवरात्रि और चैत्र नवरात्रि का विशेष महत्व है। चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से यह नवरात्रि प्रारंभ होते हैं। नवरात्रि के इन पवित्र दिनों में माता आदिशक्ति के 9 स्वरुपों की पूजा की जाती है यानी नौ दिन देवी के इन नौ रूपों के अलग-अलग दिन होते हैं, और हर दिन देवी के इन अलग-अलग रूपों की आराधना की जाती है। क्यूंकी माता का प्रत्येक रूप, हर अलग गुण और शक्तियों से सम्पन्न होता है। यहाँ तक की स्वयं श्री राम द्वारा भी देवी उपासना का भी उल्लेख किया है, और उनकी पत्नी माता सीता ने भी देवी गौरी की पूजा की थी।
1-शैलपुत्री
2-ब्रह्मचारिणी
3-चंद्रघण्टा
4-कूष्माण्डा
5-स्कंदमाता
6-कात्यायिनी
7-कालरात्रि
8-महागौरी
9-सिद्धिदात्री
नवरात्र, स्त्री शक्ति के महत्व के विषय में भी जाना जाता है, और इसी नवरात्रि के आखिरी दिन रामनवमी का पर्व मनाया जाता है। यानी वह पर्व जब नन्हे से रामलला ने अयोध्या के राजा दशरथ के घर में शिशु रूप में जन्म लिया था।
रामनवमी का यह त्योहार भगवान राम (Lord Shri Ram) के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है।
धार्मिक मान्यता के अनुसार श्री राम को भगवान विष्णु का सातवां अवतार माना जाता है। शास्त्रों में उल्लेख है कि त्रेता युग में पृथ्वी पर असुरों का प्रकोप बढ़ गया था। जिसके बाद असुर, ऋषियों के यज्ञों को भंग कर दिया करते थे। पृथ्वी पर असुरी शक्तियों का विनाश करने के लिए भगवान विष्णु ने पृथ्वी पर साधारण मानव श्री राम के रूप में अवतार लिया था, यहाँ साधारण शब्द का प्रयोग इसलिए कर रही हूँ क्यूंकी यह सत्य है कि वह राजमहल में महाराज दशरथ और महारानी कौशल्या के पुत्र के रूप में जन्मे थे, राजकुमार थे, किन्तु मानवता में, विनम्रता में, करुणा में और मानव मर्यादा का पालन करने में वह संसार के हर व्यक्ति में सर्वश्रेष्ठ थे इसलिये राम मर्यादा पुरुषोत्तम कहलाए और यही मानव मूल्य, मनुष्यों को सिखाने के लिये वह अवतरित हुए थे।
श्री राम ने न अपने जीवन में किसी भी चमत्कारी तरीके से कुछ अर्जित किया और न ही धैर्य और विवेक खोया, अपने जीवन में सभी सुखों से आगे बढ़कर और कष्टों को पार कर जो कुछ भी उन्होंने पाया वह सब उन्होंने अपने धैर्य, पराक्रम, साधना और तपस्या से पाया और यही मानव आदर्श स्थापित करना उनका उद्देश्य भी था। तभी तो जैसे राम थे, वैसी ही थी उनकी पत्नी सीता और वैसे ही थे उनके तीनों भाई- भरत, लक्ष्मण, शत्रुघ्न।
धर्म की स्थापना के लिए भगवान श्री राम ने जीवनभर अपार कष्ट सहे और स्वयं को एक आदर्श नायक के रूप में स्थापित किया। उन्हें मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम ऐसे ही नहीं कहा जाता है। कठिन से कठिन परिस्थितियों में भी भगवान राम ने धर्म का त्याग नहीं किया।
बड़े धूमधाम से रामनवमी मनाई जाती है। बहुत सारी जगहों पर रामकथा का मंचन किया जाता है, कई जगहों पर राम स्त्रोत, रामचरितमानस का पाठ रखवाया जाता है। रामनवमी को उपवास भी रखा जाता है, विशेष प्रकार से पूजा-अर्चना की जाती है और कुछ लोग तो रातभर जागकर अपने घरों में प्रसाद स्वयं बनाते हैं। पूजा अर्चना के अलावा मंदिरों में दर्शन, रामकथा और दान आदि भी किया जाता है।
श्री राम के जन्मस्थल अयोध्या में तो यह बड़े उत्सव का दिन होता है। क्यूंकी यह उनके रामलला का जन्मोत्सव का दिन होता है। इस दिन अयोध्यावासी और बाहरी लोग भी अयोध्या आकर सरयू नदी में स्नान करते हैं क्योंकि मान्यता है कि ऐसा करने से सारे पाप-कर्म नष्ट हो जाते हैं और गलतियां माफ हो जाती है।
यदि आप रामलीला के विषय में सोच रहें हैं तो वह प्रथा अक्टूबर माह वाली यानी शारदीय नवरात्रि के 9 दिनों के नवरात्र उत्सव के दौरान अधिक प्रचलित रहती है। उसमें बस यह अंतर है कि यह चैत्र नवरात्रि में देवी के नौ रूपों और रामनवमी राम जन्मोत्सव के रूप में मनाई जाती है। शारदीय नवरात्र में फिर से नौ दिन नवरात्र में दुर्गा के नौ रूपों और दसवाँ दिन, श्री राम द्वारा रावण के अंत के दिन यानी - विजयादशमी के रूप में मनाया जाता है। यानी एक नवरात्र में रामनवमी यानि रामजन्मोत्सव मनाया जाता है और दूसरे नवरात्र में विजयादशमी मनाई जाती है, जो अच्छाई द्वारा बुराई का अंत, राम द्वारा रावण का अंत, और उस उद्देश्य की संपन्नता है, जिसके लिये श्री राम, लक्ष्मण और सीता ने वनवास लिया था।
आज अयोध्या के महाराज दशरथ का वह महल जहाँ श्री राम अपने परिवार और चारों भाइयों के साथ पाले बढ़े, वह राम मंदिर के रूप में परिवर्तित होकर पूजनीय स्थल हो गया है । इसके अलावा श्रीराम के और भी की मंदिर हैं जैसे-
1-कलाराम मंदिर, नासिक Kalaram temple, Nashik
2-रघुनाथ मंदिर, जम्मू Raghunath temple, Jammu
3-राम मंदिर, भुवनेश्वर उड़ीसा Ram temple, Bhuvneshwar (odisha)
4-कोडांडरमा मंदिर, Kodandarama Temple, Chikmagalur
5-कोनथाडरमर मंदिर, Kothandaramar Temple, Thillaivilagam
6- कोथानदरमास्वामी मंदिर, रामेश्वरम Kothandaramaswamy Temple, Rameswaram
7-उदगांव रघुनाथ मंदिर Odagaon Raghunath Temple, Odisha
8- रामचौरा मंदिर, बिहार Ramchaura Mandir, Bihar
9-श्रीराममंदिर, रामापुरम Sri Rama Temple, Ramapuram
10-भद्रचालम मंदिर, तेलंगाना Bhadrachalam Temple, Telangana(Previously Andhra pradesh
रामनवमी के पावन अवसर पर प्रभु श्रीराम की कृपा सभी पर बनी रहे यही कामना है। प्रभु राम के चरित्र से हमे बहुत कुछ सीखने के लिए मिलता है। आशा है आप भी उनके जीवन को अपने चरित्र में उतारेंगे।
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