किसी देश की जनसंख्या अधिक या कम होने के अपने फायदे और नुकसान हैं। इस बात से हम सब वाकिफ हैं कि अधिक जनसंख्या होने पर जनसंख्या एक संसाधन के रूप में काम आ सकती है। मानव संसाधन का प्रयोग करके हर देश तरक्की की सीढ़ियों पर चढ़ सकता है।
इसके साथ-साथ अधिक जनसंख्या का बाज़ार पर भी बड़ा प्रभाव पड़ता है क्योंकि दुनिया भर की बड़ी से बड़ी कंपनियां उस देश में पैसे इन्वेस्ट करने के लिए तैयार रहती हैं। मगर इसके नुकसान भी कम नहीं हैं। आज के समय में अगर किसी देश की जनसंख्या कम ही रहे तो ही सही है क्योंकि अधिक जनसंख्या होने पर किसी भी देश के कृषि पर भार पड़ता है।
विकास का ख्याल बाद में आता है, पहले सरकार को यह देखना पड़ता है कि सब लोग अपना पेट तो भर पा रहे हैं। जीवनस्तर पर भी बेहद बुरा प्रभाव पड़ता है क्योंकि रोटी, कपड़ा और मकान जैसी मूलभूत सुविधाएं भी कम लोगों को ही नसीब हो पाती है। अधिक जनसंख्या के कारण गरीबी, बेरोजगारी, पर्यावरणीय दुर्दशा, अत्यधिक खेती, जैसी आदि समस्याएं लगी रहती हैं।
जनसंख्या नियंत्रण आवश्यक है देश की अर्थव्यवस्था को बनाए रखने के लिए। सरकारें भी इस समस्या की ओर ध्यान केंद्रित कर रही हैं और उचित नियम कानून भी लागू करके इस पर नियंत्रण करने की कोशिश करती हैं।
लेकिन सरकार के अलावा लोगों को भी इस ओर ध्यान देने की जरूरत है जिससे कि देश में संसाधनों और सेवाओं की कमी ना हो और अर्थव्यवस्था बनी रहे। लेकिन यह एक गंभीर समस्या का विषय है राष्ट्र के निर्माण में अतः इसपर संतुलन बनाना आवश्यक कदम है।
यूएन United Nations की एक रिपोर्ट के अनुसार चीन की आबादी 1.41 अरब वहीं भारत की आबादी 1.34 अरब है। विश्व की कुल आबादी में भारत की 18% और चीन की 19% हिस्सेदारी है। इस आकड़े को देखते हूए ये कहना गलत नहीं होगा कि 2024 तक भारत, चीन की आबादी को पार कर लेगा।
हम सब इस बात को जानते हैं कि आज कई ऐसे देश हैं जो इस वजह से परेशान है कि वहां जनसंख्या दिन-ब-दिन कम होती जा रही है लेकिन भारत दिन-ब-दिन बढ़ती जनसंख्या से परेशान है। संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट के बाद तो अब यह एक और गंभीर विषय बन गया है। 2024 तक भारत चीन की आबादी को पार कर लेगा और साथ ही साथ 2030 तक भारत की आबादी लगभग 1.5 अरब तक होने की संभावना है।
सामूहिक रूप से बात की जाए तो भारत के अलावा ऐसे 9 और देश हैं जिनकी आबादी तेज़ी से बढ़ रही है और उम्मीद है कि 2050 तक इन 10 देशों की आबादी पूरी दुनिया की आधी आबादी से भी ज्यादा हो जाएगी। इन 10 देशों में भारत India, इथोपिया Ethiopia, पाकिस्तान Pakistan, इंडोनेशिया Indonesia, मिस्र Mexico, अमेरिका United States, यूगांडा Uganda तंजानिया Tanzania, नाइजीरिया Nigeria और कांगो Congo शामिल हैं।
आपको जानकर हैरानी होगी कि इन दस देशों में नाइजीरिया की आबादी सबसे तेजी से बढ़ रही है और ये भी अनुमान लगाया जा रहा है कि यह देश आबादी के मामले में अमेरिका को भी पीछे छोड़ देगा और करीब 2050 तक विश्व का तीसरा सबसे अधिक आबादी वाला देश बन जाएगा।
अधिक जनसंख्या हमारे जीवन की एक बुनियादी समस्या है और यह समस्या लंबे समय से मौजूद है। आज हम जिन पर्यावरणीय मुद्दों का सामना कर रहे हैं उनमें से कई पृथ्वी की अधिक जनसंख्या से संबंधित हैं। यदि यह उच्च विकास दर जारी रही, तो पर्यावरण तब तक खराब होता रहेगा जब तक लोग जीवित रहेंगे।
इससे अन्य प्रजातियों के विलुप्त होने में भी तेजी आएगी। संसाधनों की कमी, बेहतर नौकरी, रोजगार, इत्यादि में भी कमी आएगी। साथ ही बढ़ती जनसंख्या के कारण वस्तुओं का निर्यात जो अन्य देशों में होता है उन में कमी आने के कारण देश की अर्थव्यवस्था भी डगमगा सकती है।
इसलिए आवश्यकता है कि जनसंख्या नियंत्रण के बारे में विचार किया जाना चाहिए और लोगों को इसके प्रति जागरूक करना चाहिए।
किसी देश की जनसंख्या अधिक या कम होने के अपने फायदे और नुकसान हैं। इस बात से हम सब वाकिफ हैं कि अधिक जनसंख्या होने पर जनसंख्या एक संसाधन के रूप में काम आ सकती है। मानव संसाधन का प्रयोग करके हर देश तरक्की की सीढ़ियों पर चढ़ सकता है। इसके साथ साथ अधिक जनसंख्या का बाज़ार पर भी बड़ा प्रभाव पड़ता है क्योंकि दुनिया भर की बड़ी से बड़ी कंपनियां उस देश में पैसे इन्वेस्ट करने के लिए तैयार रहती हैं।
मगर इसके नुकसान भी कम नहीं हैं। आज के समय में अगर किसी देश की जनसंख्या कम ही रहे तो ही सही है क्योंकि अधिक जनसंख्या होने पर किसी भी देश के कृषि पर भार पड़ता है। विकास का ख्याल बाद में आता है, पहले सरकार को यह देखना पड़ता है कि सब लोग अपना पेट तो भर पा रहे हैं।
जीवनस्तर पर भी बेहद बुरा प्रभाव पड़ता है क्योंकि रोटी, कपड़ा और मकान जैसी मूलभूत सुविधाएं भी कम लोगों को ही नसीब हो पाती है। अधिक जनसंख्या के कारण गरीबी, बेरोजगारी, पर्यावरणीय दुर्दशा, अत्यधिक खेती, जैसी आदि समस्याएं लगी रहती हैं।
अब आपके लिए एक सवाल है- आपको क्या लगता है कि जब 2025 तक भारत चीन China को मात देकर दुनिया की सर्वश्रेष्ठ आबादी वाला देश बन जाएगा तो इससे भारत के विकास पर क्या-क्या असर पड़ेगा?
ज़रा सोचिए, भारत का दुनिया की सबसे बड़ी जनसंख्या वाला देश बनना आने वाले समय में वरदान साबित होगा या अभिशाप!
अधिक जनसंख्या उस स्थिति को कहते हैं, जहां मौजूदा मानव आबादी की कुल संख्या वास्तविक वहन क्षमता से अधिक पहुंच जाती है। आज हमारा ग्रह जिन सभी पर्यावरणीय समस्याओं का सामना कर रहा है, उनमें से अधिक जनसंख्या वह है जो कभी-कभी रडार से फिसल जाती है।
अधिक जनसंख्या संसाधनों और भूमि पर एक बड़ी मांग रखती है, जो वैश्विक अर्थव्यवस्थाओं और जीवन स्तर को प्रभावित करने के अलावा व्यापक पर्यावरणीय मुद्दों का कारण हो सकती है। अधिक जनसंख्या कई कारकों के कारण होती है जैसे मृत्यु दर में कमी, बेहतर चिकित्सा सुविधाएं, कीमती संसाधनों की कमी कुछ ऐसे कारण हैं जिनके परिणामस्वरूप जनसंख्या पर बोझ पड़ता है।
गरीबी को अधिक जनसंख्या का प्रमुख कारण माना जाता है। उच्च मृत्यु दर और उचित शिक्षा में कमी, जन्म दर को बढ़ाती है, जिसके परिणामस्वरूप एक बड़ी आबादी होती है। बेहतर प्रजनन उपचार ने अधिक लोगों के लिए बच्चे पैदा करना संभव बना दिया है और इसी तरह जनसंख्या बढ़ रही है। हालांकि अधिक जनसंख्या के अन्य कारणों की तुलना में एक छोटी भूमिका निभाती है। महिलाएं अब विभिन्न प्रजनन उपचारों का उपयोग कर रही हैं।
अब ज्यादातर महिलाओं के पास गर्भधारण करने का विकल्प होता है, भले ही वे पहले इस तरह के उपचार के बिना ऐसा करने में सक्षम नहीं थीं। साथ ही साथ चिकित्सा प्रौद्योगिकी में कई सुधारों ने कई गंभीर बीमारियों के कारण हो रही मृत्यु दर को कम किया है।
विशेष रूप से खतरनाक वायरस, पोलियो, चेचक और खसरा जैसी बीमारियों को इस तरह की प्रगति ने व्यावहारिक रूप से लगभग समाप्त कर दिया है। जबकि यह कई मायनों में सकारात्मक खबर है लेकिन अधिक जनसंख्या का एक मुख्य कारण भी है।
देशों में अनियंत्रित अप्रवासन भी जनसंख्या में बढ़ोतरी की एक वजह है। इसके कारण किसी देश में भीड़ इतनी अधिक हो जाती है कि उन देशों के पास अपनी आबादी के लिए आवश्यक संसाधन नहीं रह जाते हैं। यह विशेष रूप से उन देशों में एक समस्या बन जाती है जहां आप्रवासन संख्या उस विशेष देश की प्रवासन संख्या से कहीं अधिक होती है।
सीरियल नंबर |
देश |
जनसंख्या |
विश्व की कुल जनसंख्या का प्रतिशत |
1. |
चीन China |
142 करोड़ |
18.27 |
2. |
भारत India |
136 करोड़ |
17.58 |
3. |
संयुक्त राज्य अमेरिका United States |
34 करोड़ |
4.43 |
4. |
इंडोनेशिया Indonesia |
22 करोड़ |
2.96 |
5. |
पाकिस्तान Pakistan |
21 करोड़ |
2.8 |
6. |
ब्राजील Brazil |
21 करोड़ |
2.76 |
7. |
बांग्लादेश Bangladesh |
16 करोड़ |
2.09 |
8. |
नाईजीरिया Nigeria |
15 करोड़ |
1.99 |
9. |
रूस Russia |
14 करोड़ |
1.82 |
10. |
मेक्सिको Mexico |
12.6 करोड़ |
1.63 |
अधिक जनसंख्या के कई प्रभाव हो सकते हैं, जो देश पर कई नकारात्मक प्रभाव डालते हैं। जैसे :-
अधिक जनसंख्या के प्रभाव काफी गंभीर हैं और इन्हीं में से एक है प्राकृतिक संसाधनों की कमी। पृथ्वी में एक सीमित मात्रा में भोजन और पानी का उत्पादन करने की क्षमता होती है, जो लोगों की वर्तमान जरूरतों से कम हो रही है और तो और ये दिन-प्रतिदिन बढ़ती ही जा रही है।
पिछले पचास वर्षों में देखी गई अधिकांश पर्यावरणीय क्षति ग्रह पर लोगों की बढ़ती संख्या के कारण हुई है। इनमें वनों की कटाई, लापरवाह वन्यजीव शिकार, प्रदूषण पैदा करना और अन्य समस्याएं शामिल हैं।
जैसे-जैसे जनसंख्या का आकार बढ़ता है, अधिक खाद्य उत्पादों की आवश्यकता होती है। अधिक खाद्य उत्पादों के लिए अधिक अनाज और नई कृषि तकनीकों के साथ अधिक किसानों की आवश्यकता भी होती है। इसलिए देश की जरूरत है कि किसानों की ओर से आबादी के लिए अधिक से अधिक खाद्य उत्पाद उगाया जाए।
दुनिया के वन्यजीवों के अति प्रयोग का प्रभाव भी एक प्रमुख मुद्दा है जनसंख्या वृद्धि का। जैसे-जैसे भूमि की मांग बढ़ती है, यह वनों जैसे प्राकृतिक संसाधनों का विनाश करती है। वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है कि अगर मौजूदा प्रवृत्ति जारी रही, तो दुनिया की कुल वन्यजीव प्रजातियों का 50% विलुप्त होने का खतरा होगा। डेटा से पता चलता है कि मानव आबादी में वृद्धि और ग्रह पर प्रजातियों की संख्या में कमी के बीच सीधा संबंध है।
तीव्र जनसंख्या वृद्धि भविष्य में अधिक खपत लाने के लिए आवश्यक उच्च खपत और निवेश के बीच चुनाव को और अधिक दुर्लभ बना देती है। आर्थिक विकास निवेश पर निर्भर करता है। इसलिए, तेजी से जनसंख्या वृद्धि भविष्य में उच्च खपत के लिए आवश्यक निवेश को पीछे छोड़ सकती है।
तेजी से बढ़ती आबादी के साथ, आर्थिक और सामाजिक परिवर्तन के साथ समायोजन करना मुश्किल हो जाता है। शहरीकरण के कारण आवास, बिजली, पानी, परिवहन आदि जैसी समस्याएं पैदा होती हैं। इसके अलावा, बढ़ती आबादी के कारण, ग्रामीण क्षेत्रों में शहरीकरण के माध्यम से स्थायी पर्यावरणीय क्षति का खतरा भी होता है।
तेजी से बढ़ती जनसंख्या अर्थव्यवस्था को बड़े पैमाने पर बेरोजगारी और कम रोजगार में बदल देती है। इसका परिणाम यह होता है कि श्रम शक्ति में वृद्धि के साथ बेरोजगारी और कम रोजगार में वृद्धि होती है। जनसंख्या की तीव्र वृद्धि बचत और निवेश को कम करती है।
तेजी से जनसंख्या वृद्धि के साथ निर्यात योग्य वस्तुओं की घरेलू खपत भी बढ़ती है। नतीज़तन, निर्यात योग्य अधिशेष में गिरावट आती है। तेजी से बढ़ती जनसंख्या की मांग को पूरा करने के लिए अधिक भोजन और अन्य उपभोक्ता वस्तुओं की आवश्यकता होती है ताकि मांग को पूरा किया जा सके। जिसके कारण निर्यात वस्तुओं में कमी आती है।
ज्यादातर देशों में यह पाया गया है कि अधिक जनसंख्या होने के कारण वहां पर काम करने वाले लोगों की संख्या भी अधिक होती है और इसीलिए ऐसे देशों में जनसंख्या वृद्धि के कारण आर्थिक लाभ के ज्यादा अवसर रहते हैं।
चीन का ही उदाहरण ले लीजिए। चीन में बड़े पैमाने पर जनसंख्या वृद्धि के बारे में हम सब जानते हैं लेकिन इस बात पर भी गौर करिए कि दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में से एक चीन है।
ये ज़रूरी नहीं है कि अधिक जनसंख्या का मतलब हमेशा आर्थिक बढ़ावा होता है लेकिन कुछ देशों में ऐसा पाया गया है कि जनसंख्या बढ़ने के कारण उन देशों की आर्थिक स्थिति में काफी सुधार आया है।
अब जापान का उदाहरण लीजिए। आज जापान की आबादी में युवा से ज्यादा अधिक उम्र के लोग शामिल हैं। दुनिया में सबसे ज्यादा उम्र के लोग जापान में रहते हैं और यह जापान के लिए चिंता का विषय है। दिन-ब-दिन घटती जनसंख्या की वजह से जापान को कामगारों की कमी का सामना करना पड़ रहा है।
निष्कर्ष
मृत्यु दर में गिरावट, बेहतर चिकित्सा सुविधाओं, घटती गरीबी दर, प्रजनन उपचार की प्रगति, अप्रवास की कमी और परिवार नियोजन के कारण जनसंख्या में अतिवृद्धि होती है। नतीजतन, अधिक जनसंख्या हमारे पर्यावरण को नकारात्मक रूप से प्रभावित कर रही है क्योंकि यह हमारे प्राकृतिक संसाधनों को कम कर रही है और हमारे पर्यावरण को खराब कर रही है।
अधिक जनसंख्या एक संकट है जो संभावित रूप से जलवायु परिवर्तन के साथ आज मानवता के सामने सबसे बड़ी चुनौतियों के रूप में खड़ा है। इसके बावजूद, विशेष रूप से स्कूलों में इस मुद्दे से संबंधित शिक्षा या संवाद के बारे में बहुत कम जानकारी दी जाती है। यदि इन बातों पर ध्यान दिया जाए तो कुछ सुधार की उम्मीद हो सकती है।
जनसंख्या नियंत्रण आवश्यक है देश की अर्थव्यवस्था को बनाए रखने के लिए। सरकारें भी इस समस्या की ओर ध्यान केंद्रित कर रही हैं और उचित नियम कानून भी लागू करके इस पर नियंत्रण करने की कोशिश करती हैं। लेकिन सरकार के अलावा लोगों को भी इस ओर ध्यान देने की जरूरत है जिससे कि देश में संसाधनों और सेवाओं की कमी ना हो और अर्थव्यवस्था बनी रहे। लेकिन यह एक गंभीर समस्या का विषय है राष्ट्र के निर्माण में अतः इसपर संतुलन बनाना आवश्यक कदम है।