पेड़ लगाएं, पृथ्वी बचाएं

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15 Oct 2021
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वन हमारे प्राकृतिक संसाधन और संपत्ति हैं। इनके बिना पृथ्वी पर संतुलित प्राकृतिक जीवन कभी संभव नहीं हो सकता। जो पेड़ काटा जाता है उसका मुआवजा पेड़ लगाने पर 10-15 साल में पूरा होता है। अब घने‌ जंगलों की संख्या दिन प्रतिदिन कम‌ होती जा रही है, जो चिंता का विषय है। पर्यावरण की‌ रक्षा के लिए वन संपदा की रक्षा करना और वृक्षारोपण करना अति आवश्यक है, क्योंकि अगर पेड़ काटे गए तो यह पृथ्वी नीरस हो जाएगी। इसलिए ज़रूरी है कि पेड़ों की रक्षा की जाए। खुशी की बात है कि अब हम इस ओर थोड़ा बहुत ध्यान दे रहे हैं। 

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प्राचीन काल से ही मानव और प्रकृति का घनिष्ठ सम्बन्ध रहा है। मनुष्य के वस्त्र, भोजन, और आवास सभी ज़रूरत वृक्षों से ही पूरे होते हैं। वृक्ष मनुष्य के जीवन का आधार है। वृक्षों से ही हमें फल और फूल की प्राप्ति होती है। बहुत प्रकार की जड़ी-बूटियां भी हमें वृक्षों से ही प्राप्त होती हैं। वृक्ष‌ हमें ‌अनेक‌ प्रकार से‌ लाभ‌ पहुंचाते हैं जो पृथ्वी का‌ संतुलन बनाए रखने में मददगार होते हैं। लेकिन आज के ‌बढ़ते‌ शहरीकरण और मनुष्य की‌‌ बढ़ती ज़रूरतों के कारण वृक्षों की‌ बड़ी संख्या में कटाई होती जा रही है, जो पर्यावरण के लिए हानिकारक सिद्ध हो रही है। इसलिए वृक्षारोपण अति आवश्यक कदम है, जो ‌प्रकृति‌ के लिए लाभदायक साबित होगी।

वृक्षों में जीवन

प्राचीन काल से ही वन मनुष्य की आवश्यकताओं की पूर्ति करते रहे हैं। पेड़-पौधों को पृथ्वी पर मनुष्य का सबसे अच्छा मित्र कहा जाता है। जब हम पेड़ों का सम्मानपूर्वक और आर्थिक रूप से उपयोग करते हैं, तो हमारे पास ‌यह पृथ्वी पर सबसे बड़े संसाधन के रूप में उभर कर आती है।‌ हमारे जीवन में वृक्षों का महत्वपूर्ण स्थान है। वृक्षों के अभाव में पृथ्वी पर जीवन समाप्त हो जाएगा। हमें यह ग्रह अपने पूर्वजों से कई संसाधनों के साथ विरासत में मिला है।‌ एक पेड़ के विनाश का अर्थ है पूरे पारिस्थितिकी तंत्र का विनाश। पृथ्वी के नाजुक पारिस्थितिकी तंत्र की रक्षा करने की जिम्मेदारी हम मनुष्यों पर है, ताकि आने वाली पीढ़ियों के पास एक ऐसा स्थान हो जिसे वे अपना घर कह सकें। यह वास्तव में विडंबना है कि खाद्य श्रृंखला के शीर्ष पर होने के बावजूद मनुष्य उन चीजों को नष्ट करने पर आमदा है जो उनके अस्तित्व की रक्षा करते हैं। 

वृक्ष‌ हमारे साथी

पेड़ कई तरह से पर्यावरण को बनाए रखने के लिए जिम्मेदार हैं। वे मनुष्यों को अनाज, जड़ी-बूटियाँ, फल, फूल और ईंधन प्रदान करते हैं और घर बनाने के लिए लकड़ी देते हैं। और तो और पेड़ जानवरों को शुद्ध हवा प्रदान करते हैं, प्रदूषण को रोकते हैं, पानी के बहाव को रोकते हैं, मिट्टी के कटाव को रोकते हैं और पर्यावरण को संतुलित करने में मदद करते हैं। पेड़ प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया के दौरान जीवनदायी ऑक्सीजन छोड़ते हैं और कार्बन डाइऑक्साइड जैसी हानिकारक गैसों को अवशोषित करते हैं। वे उद्योगों और वाहनों द्वारा वातावरण में छोड़े गए जहरीले उत्सर्जन और अन्य प्रदूषकों को लेकर स्पंज के रूप में कार्य करते हैं। जलवायु पेड़ों के कई असाध्य रोगों को ठीक करता है। वनों की कटाई बढ़े हुए भूस्खलन दर का प्राथमिक कारण है। स्वादिष्ट फलों के वाहक होने के अलावा पेड़ जानवरों, पक्षियों और कीड़ों की कई प्रजातियों का प्राकृतिक आवास है।

वनों की कटाई, गंभीर चिंता का विषय

सैकड़ों साल पहले भारत के पास अपार वन संपदा थी। लेकिन औद्योगीकरण और शहरीकरण के कारण अत्यधिक गांवों को शहरों में बदला जा रहा है। पेड़ों की अंधाधुंध कटाई की जा रही है। व्यक्ति अपनी सुख-सुविधाओं के लिए बेधड़क पेड़ पोधों की कटाई करता है। जिनकी वजह से आज दुनिया में प्रदुषण अधिक बढ़ गया है। इमारतों और कारखानों का विस्तार करके शहर सीमेंट के जंगल बनते जा रहे हैं। वनों की कटाई और वनों के विनाश के कारण भूमि क्षरण, मौसम में भारी परिवर्तन और जंगली जानवरों के विलुप्त होने की संभावना बढ़ गई है। यह एक गहरी चिंता का विषय है‌‌ जिसपर‌ ध्यान केंद्रित करना आवश्यक है। वृक्षारोपण इस समस्या का सबसे उत्तम ‌समाधान है। पृथ्वी के हरित आवरण को बहाल करके और कार्बन उत्सर्जन को कम करने के लिए ठोस उपाय करके स्थिति की कठिनाइयों को दूर किया जा सकता है।  

वृक्षारोपण का महत्त्व

शास्त्रों में वृक्षारोपण को उत्तम कार्य बताया गया है। इसका कारण यह है कि पौधे और पेड़ इस दुनिया में जीवन के लिए आवश्यक हैं। भारत में लोग सालों से ही तुलसी, पीपल, केला, बरगद आदि पेड़ों की पूजा करते आ रहे हैं। आज विज्ञान ने भी साबित कर दिया है कि ये पेड़-पौधे हमारे लिए कितने महत्वपूर्ण हैं। 

1. हरियाली के लिए

हमारी पृथ्वी का सौंदर्य हरियाली है ओर ये हमारी पृथ्वी पर बरकरार रहे इसके लिए हमे अधिक से अधिक वृक्ष लगाने की जरूरत है। पेड़-पौधे धरती को हरा-भरा रखते हैं। पृथ्वी की हरियाली इसके आकर्षण का मुख्य कारण है। जहां पर्याप्त संख्या में पेड़-पौधे हों, वहां रहना सुखद लगता है। पेड़ सुखद छाया प्रदान करते हैं जिसकी‌ ठंडी छाया में मन आनंदित होता‌ है।

2. फलों के लिए

विभिन्न प्रकार की जीवित चीजें जैसे फल, फूल, गोंद, रबर, पत्ते, लकड़ी, जड़ी-बूटी, झाडू, पंखा, चटाई आदि पेड़ों की देन हैं। ऋषि-मुनि जंगलों में रहते थे और अपने जीवन-यापन की सभी आवश्यकताओं की पूर्ति करते थे। जैसे-जैसे सभ्यता बढ़ी, लोगों ने पेड़ों को काटना शुरू कर दिया और उनकी लकड़ी से घर का फर्नीचर बनाना शुरू कर दिया। जब उद्योगों का विकास हुआ, तो लोगों ने कागज, माचिस, रेल के डिब्बे आदि बनाने के लिए जंगल के जंगल को साफ कर किया। इससे जीवों का अकाल पड़ा। साथ ही धरती की हरियाली भी कम होने लगी।

3. ऑक्सीजन और विज्ञान अध्ययन के लिए

वैज्ञानिकों ने पेड़ों की संख्या घटने के दुष्प्रभावों का अध्ययन किया है। उन्होंने निष्कर्ष निकाला कि पेड़ों की कमी वायु प्रदूषण की एक बड़ी मात्रा के कारण है। पेड़ हवा के प्राकृतिक शोधक हैं। वे हवा से हानिकारक कार्बन डाइऑक्साइड का दोहन करके हानिकारक ऑक्सीजन छोड़ते हैं। ऑक्सीजन ही जीवन है और जीव इससे ही जीवित रहते हैं। इसलिए पृथ्वी पर पर्याप्त संख्या में वृक्षों का होना अनिवार्य है।

4. बारिश के लिए

पेड़ बारिश का बड़ा कारण हैं। वे बादलों को आकर्षित करते हैं जहां वे समूहों में होते हैं। वृक्ष मिट्टी को मजबूती से पकड़ता है और इसके कटाव को रोकता है। यह मदद बाढ़ और अकाल दोनों को रोकती है। ये रेगिस्तान के विस्तार को कम करते हैं। वातावरण की गर्मी को बढ़ने से रोकने में ये बहुत मदद करते हैं। जहां अधिक पेड़ होते हैं, वहां गर्मियों में ताजी हवा होती है। इसलिए बुद्धिमान लोग ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाने की बात करते हैं।

5. संतुलित पर्यावरण के लिए

संतुलित पर्यावरण के लिए एक बड़े क्षेत्र के एक तिहाई भाग पर वनों का होना आवश्यक माना जाता है। लेकिन वर्तमान में वन अब इस अनुपात में नहीं हैं। इसके दुष्परिणाम हर जगह दिखाई दे रहे हैं। इसलिए समय की मांग है कि ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाए जाएं। अगर एक पेड़ काटा जाता है तो तीन पेड़ लगाने चाहिए। महीने का एक दिन वृक्षारोपण के लिए समर्पित करना चाहिए। विद्यार्थियों को इस कार्य में भागीदार बनाया जाना चाहिए, जिससे ‌वे भी पेड़ों के महत्त्व को समझ सकें। उपनगरों में, सड़कों के किनारे, पहाड़ी स्थलों पर, रिहायशी इलाकों में और जहाँ भी थोड़ी खाली जगह हो, वहाँ पेड़ लगाया जाना चाहिए।

वृक्षारोपण की आवश्यकता

वृक्षारोपण की आवश्यकता इसलिए होती है ताकि वृक्ष सुरक्षित रहें, उनके स्थान रिक्त न हों। क्योंकि अगर वृक्ष या वन नहीं रहेंगे तो हमारा जीवन शून्य होने लगेगा। सिर्फ मानव‌ जीवन ही नहीं बल्कि अन्य जीव-जंतु और वातावरण भी बुरी तरह से प्रभावित होगा।‌ वृक्षारोपण की आवश्यकता हमारे देश में आदिकाल से ही रही है। बड़े-बड़े ऋषि मुनियों के आश्रम के वृक्ष-वन वृक्षारोपण के द्वारा ही तैयार किए गए हैं। वनों के अभाव में प्रकृति का संतुलन बिगड़ जाएगा। वातावरण के दूषित और अशुद्ध होने से हमारा मानसिक, शारीरिक और आत्मिक विकास कुछ नही हो सकेगा और ना ही हम किसी प्रकार से जीवन जीने में समर्थ हो सकेंगे। इसलिए वृक्षारोपण अत्यंत ही आवश्यक है, पृथ्वी का‌ संतुलन बनाए रखने के लिए।

वन हमारे प्राकृतिक संसाधन और संपत्ति हैं। इनके बिना पृथ्वी पर संतुलित प्राकृतिक जीवन कभी संभव नहीं हो सकता। जो पेड़ काटा जाता है उसका मुआवजा पेड़ लगाने पर 10-15 साल में पूरा होता है। अब घने‌ जंगलों की संख्या दिन प्रतिदिन कम‌ होती जा रही है, जो चिंता का विषय है। पर्यावरण की‌ रक्षा के लिए वन संपदा की रक्षा करना और वृक्षारोपण करना अति आवश्यक है, क्योंकि अगर पेड़ काटे गए तो यह पृथ्वी नीरस हो जाएगी। इसलिए ज़रूरी है कि पेड़ों की रक्षा की जाए। खुशी की बात है कि अब हम इस ओर थोड़ा बहुत ध्यान दे रहे हैं। 

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