स्थायी व्यवसाय बनाने की आवश्यकता- किसी भी व्यवसाय में पैसा लगाना तब ही सार्थक रूप लेता है जब वह सुचारु रूप से कार्यरत रहे, यानी व्यवसाय चलता रहे। व्यवसाय को स्थायित्व प्रदान करने की आवयश्कता इसलिए भी पड़ती है ताकि उस व्यवसाय के प्रति लोगों में विश्वास पनपे लोग उस काम, उस सामान, उस फर्म पर भरोसा कर सकें तथा लोगों की जरूरत पूरी हो सके।
कोई भी व्यवसाय तब स्थायित्व की स्थिति में आ पाता है, जब व्यवसायिक यह ध्यान में रखें कि वह व्यवसाय मनुष्य जाति के लिए कितना लाभकारी है। साथ ही साथ ये बात भी ख़्याल में ले लेना उचित रहेगा कि उस व्यवसाय से प्रकृति पर कैसा प्रभाव पड़ रहा है। क्योंकि कहीं न कहीं हम जितने भी प्राकृतिक संसाधनों का प्रयोग करेंगे अपने व्यवसाय को बनाने में, हमें उतना ही प्रकृति को वापस भी लौटना होगा। इसको यूँ समझें अगर आपको घर में रौशनी करनी है, तो ज़ाहिर सी बात है आप दिया जलाएंगे घर जलाने तो बैठ नहीं जाएँगे। ठीक वैसे ही हमें पर्यावरण से जो कुछ मिल रहा है अपने व्यवसाय को चलाने हेतु उसे किसी न किसी दूसरे रूप में वापस भी करना होगा। अगर सब संसाधन प्रयोग ही करते रहेंगे तो एक रोज़ सब खत्म हो जाएगा। दिया जलता रहेगा तो रौशनी बनी रहेगी और घर भी बचा रहेगा। घर जलेगा तो रौशनी तो होगी पर घर नहीं बचेगा और एक पल बाद रौशनी भी अँधेरा हो जाएगी।
स्थायी कारोबार या स्थायी व्यवसाय बनाने के लिए मानवीय आवश्यकताओं और पारिस्थितिकी को अधिक से अधिक लाभ पहुँचाना अति आवश्यक है। आजकल का मनुष्य तमाम व्यवसायों में घोड़े की दौड़ जैसा लगा है। रूपया-पैसा कमाने की होड़ में लगा हुआ है। वह जाने अनजाने पर्यावरण रौंदे चला जा रहा है। वह भूल ही गया है कि वह किस तरह जाने अनजाने आने वाली पीढ़ी की सांसें छीन रहा है।
स्थायी व्यवसाय बनाने की आवश्यकता, किसी भी व्यवसाय में पैसा लगाना तब ही सार्थक रूप लेता है, जब वह सुचारु रूप से कार्यरत रहे। यानी व्यवसाय चलता रहे। व्यवसाय को स्थायित्व प्रदान करने की आवयश्कता इसलिए भी पड़ती है ताकि उस व्यवसाय के प्रति लोगों में विश्वास पनपे। लोग उस काम, उस सामान, उस फर्म पर भरोसा कर सकें
तथा लोगों की जरूरत पूरी हो सके। दूसरी बात जो ख़्याल में आती है स्थायी व्यवसाय बनाने की आवयश्कता के संदर्भ में वह ये है कि आप अपने व्यवसाय के द्वारा स्वयं को और दूसरों को लाभ कैसे और किस-किस तरह से पहुँचा सकते हैं। दूसरे शब्दों में कहूँ तो यदि आप अपने व्यवसाय को स्थायी करना चाहते हैं, तो आपको व्यापक स्तर पर काम-काज प्रसारित करना होगा। लोगों को नौकरियाँ देनी होंगीं लोगों के जीवन स्तर को सुधारने हेतु कार्य करना होगा और सामाजिक समानता की ओर पाँव पसारने होंगें।
जिससे आपकी फर्म या किसी भी व्यवसाय को लाभ होगा जो कि स्थिति को स्थायी करने में आवश्यक है।
आवयश्कता ही अविष्कार की जननी है मगर किसी भी कार्य की सार्थकता इस बात पर ही निर्भर करती है कि उसके द्वारा कितना लाभ आपको और आपके समाज को होगा। स्थायी व्यवसाय का महत्व अगर हम स्थायी व्यवसाय के महत्व की बात करें तो बहुत सी बातें सामने निकल कर आती हैं। कुछ बातें आपके समक्ष रखना चाहूँगा।
(1) पहली बात तो यह है जो मोटे तौर पर समझी जा सकती कि पैसे से ही पैसा बनता है और यदि आपका व्यवसाय स्थायित्व को प्राप्त हो गया है, तो आप स्वयं तो उसका लाभ कामाएँगे ही साथ ही साथ औरों को भी उसका लाभ होगा इसको एक उदाहरण के द्वारा समझते हैं : माना आपने एक फ़र्म खोली अगर वह ठीक रूप लेने में सक्षम हो जाती है, तो आप समाज को एक नई दिशा दे सकते हैं और अपने राष्ट्र को एक नया आईना प्रदान कर सकते हैं।
(2) दूसरी बात स्थायी व्यवसाय के बाबत ये है कि लोगों के जीवन स्तर पर उसका सकारात्मक प्रभाव देखने को मिलता है या नहीं जैसे कि, आप यदि कृषि के क्षेत्र में यदि वैज्ञानिक पद्दति का प्रयोग करते हैं, जिससे किसानों को लाभ मिलता है, तो आपका कार्य स्थायी महत्व को बढ़ावा देता मालूम पड़ेगा।
(3) तीसरी और अंतिम बात ये भी देखी जा सकती है कि स्थायी व्यवसाय पर लोगों का भरोसा तथा मनुष्य जाति और प्रकृति को नए आयामों से अभिभूत करा सकता है कि नहीं जो कि एक महत्पूर्ण बात है व्यवसाय के संदर्भ में।
अंततः स्थायी व्यवसाय बनाने हेतु अंतिम बात कहते हुए कि सारा अस्तित्व लेन देंन पर चलता है। ये महत्वपूर्ण है और आवश्यक भी है समानता के सिद्धांत को स्थापित करने के लिए। फिर चाहें हम मनुष्य से कुछ लेने की अनुकम्पा करें या प्रकृति से। दोनों को ही उतने ही तौल में वापस लौटाना जरूरी है वरना अस्तित्व में असमानता की स्थिति जल्द ही पतन का रूप धारण कर सकती है।