विश्व की शांति के लिए समाज में शांति का होना अनिवार्य है। समाज की शांति का सामंजस्य सीधे मन की शांति के साथ होता है। यदि मनुष्य अपने मन को शांत नहीं रख पायेगा तो दुनिया में शांति की स्थापना असंभव है। मनुष्य के विचार, उनकी इच्छा तथा उनके कार्य उनके मन को एक दिशा देते हैं, जिसके आधार पर समाज की संरचना का निर्माण होता है। हमारा विश्व किन परिवेशों से ढ़का रहेगा, यह हमारी मानसिक परिस्थितियों पर निर्भर करता है। विश्व में शांति बनाये रखने के लिए आवश्यक है कि हम अपने मन को शांत रखें। समय, परिस्थिति कोई भी हो हम अपनी समझ बरकरार रखें। विश्व शांति कायम रखना प्रत्येक व्यक्ति की जिम्मेदारी है, जिसे हमें अपने माध्यम से जीवंत रखना है।
शांति किसी भी व्यक्ति के जीवन में एक महत्वपूर्ण स्थान रखती है। उदाहरण के तौर पर दिन भर की चहल-पहल के बाद जब व्यक्ति शाम को अपने घर पहुँचता है, तो कोशिश करता है कि अब वह आराम से अपने घर में बैठ कर केवल शांत माहौल में खुद को रखे। यदि हम ध्यान दें तो व्यक्ति के इस विचार में शारीरिक और मानसिक दोनों ही आयाम की शांति का जिक्र आता है। यदि ऐसा नहीं होता तो ऐसी दशा में किसी भी प्रकार का शोर-गुल उनकी मानसिक दशा को परेशान करता है। इसी से उसकी शारीरिक शांति भंग होती है। यहीं से शुरू होती है लोगों के बीच झुंझलाहट, हताशा और परेशानी संग प्रतिस्पर्धाओं और अपने मन को संतुष्ट करने की जंग। परन्तु क्या वास्तव में यह प्रतिस्पर्धा मन की शांति के लिए ही तत्पर रहती है? शांत और सभ्य समाज का निर्माण उसमें मौजूद लोगों के द्वारा किया जाता है। किस प्रकार के समाज का निर्माण होगा यदि उसमें मौजूद व्यक्ति मन की अशांति के कारण हीन भावना को साथ लिए चल रहा हो। एक शांत वातावरण को निर्मित करने के लिए खुद के चित्त के अस्थिर होने के कारण ऐसा होता है। मनुष्य के मन की शांति से सामाजिक शांति जन्म लेती है और इसी से विश्व में शांति का वातावरण अपना स्थान बना पाता है।
मानसिक शांति बहते पानी की भांति होती है, जो किसी भी परिस्थिति से मनुष्य को निकालने में सक्षम रहती है। रास्ते में किसी भी प्रकार का अवरोध आये वह अपने प्रवाह का माध्यम ढूंढ ही लेती है। मनुष्य का मन इसी प्रक्रिया पर कार्य करता है। यदि हम अपने मन को शांत रखें तो हम किसी भी परेशानी, चुनौती से खुद को सरलता से निकाल पाएंगे। व्यक्ति का मन जितना शांत रहता है उसका चरित्र उतना ही सरल रहता है। मन शांत रहने पर मनुष्य के समझ में वृद्धि होती है, जो उसके व्यक्तित्व को अधिक निखारने में सहायक होता है। उत्तम व्यक्तित्व से उत्तम समाज बनता है, जो विश्व को शान्ति की तरफ लेकर चलता है।
योग करे मन को शांत
मनुष्य के मन को शांत रखने के लिए कुछ ऐसे कार्य तथा क्रियाएं करना चाहिए जो उनके मानसिक स्थिति में स्थिरता लाने में प्रभावशाली हो। मन की शांति में शारीरिक क्रियाओं से बड़ा योगदान रहता है, यही कारण है कि मन को शांत करने के लिए कई प्रकार के शारीरिक क्रियाओं को करने के लिए प्रेरित किया जाता है। योग को मन की शांति का बहुत ही अच्छा माध्यम माना जाता है। इसीलिए विश्व भर में लोग दैनिक दिनचर्या में व्यस्त रहने के बाद भी योग के लिए समय निकालते हैं। कई अनुसंधानों द्वारा भी यह सिद्ध किया गया है कि योग मनुष्य के अंतःकरण को स्थिर रखने में सहायक है। दुनिया में ऐसे कई रोग हैं जिनका उपचार किसी दवाई के नहीं केवल योग के माध्यम से हो पाता है। यह लोगों को दवाइयों से बचाये रखने में एक असरकारी शस्त्र होता है। खास बात यह है कि यह शस्त्र प्रत्येक व्यक्ति के पास बराबर मात्रा में उपलब्ध रहता है। कुछ इसका उपयोग करते हैं कुछ उसको वैसे ही एक जगह पड़ा रहने देते हैं, जिसके कारण हमारे शरीर और दिमाग में जंग लगने लगता है। योग हमारे शरीर के उन मांसपेशियों पर प्रभाव छोड़ता है जो हमारे दिमाग की कोशिकाओं को नियंत्रित करती हैं। इन कोशिकाओं पर योग इस प्रकार प्रभाव डालता है कि वह हमारे मन को सकारात्मक ऊर्जा से भर देता है। शांत मन के साथ हम किसी भी परिस्थिति में घबड़ाते नहीं है। यदि हम ध्यान देंगे तो जो लोग योग को अपने जीवन का हिस्सा बनाते हैं वह अधिक ऊर्जावान और सकारात्मक प्रतीत होते हैं।
दूसरों की मदद, मन करे प्रसन्न
हम प्रत्येक व्यक्ति की मदद करने में सक्षम नहीं होते। परन्तु दुनिया में ऐसे कई व्यक्ति जिनकी मदद करने की क्षमता हमारे भीतर होती है। हमें कोशिश करना चाहिए कि हम उनकी मदद कर सकें। इससे हमारे मस्तिष्क के भीतर ऐसी रासायनिक क्रिया होती है जो हमें मन को स्थिर बनाता है। ऑक्सफोर्ड के अनुसंधान में यह सिद्ध भी किया गया है कि मनुष्य दूसरों की मदद करके हम अपने मन को शांत कर सकते हैं। हम सब ने किसी ना किसी क्षण यह खुद महसूस किया होगा कि जब हम किसी व्यक्ति की मदद करते हैं तो हमारे मन को कितना अच्छा लगता है। हम अपने मन में कितना सुकून महसूस करते हैं।
प्रकृति से खुद को जोड़ें
हम जब भी खुद को प्रकृति के करीब महसूस करते हैं तो हमें कितना सुकून मिलता है। ऐसा लगता है कि हम बस यहीं रुक जाएं, प्रकृति के करीब। हमारी इच्छा होती है कि जीवन का यह रूप हमेशा हमारे साथ रहे। यदि हम विचार करें तो इस क्षण में हमारे मन में किसी नकारात्मक भावना का जन्म नहीं होता है। हम खुश रहते हैं और केवल अच्छी चीजों को ही ध्यान में लाते हैं। इस चरण से निकलने के बाद भी काफी समय तक खुद को ऊर्जावान महसूस करते हैं और केवल अच्छे कार्य को करने का ख्याल ही मन में आता है। सुबह जल्दी सो कर उठने पर जब हम घर के बाहर निकलते हैं तो हमें यह माहौल कितना प्रिय लगता है। हम यह सोचते हैं कि काश यह माहौल हमेशा ही ऐसे रहे। सुबह शांत माहौल में पक्षियों की चहचहाहट हमें उस मधुर संगीत सा प्रतीत होता है जो हमारा पसंदीदा संगीत होता है। इस पल में हमारा मन खुद को कितना शांत महसूस करता है।
अधिक विचार, मन करे आघात
भविष्य के बारे में अधिक विचार भी हमारे मन को अशांत कर देता है। हम हर समय अपने और अपनों के भविष्य की चिंता करते हैं। हम भविष्य को सुरक्षित करने के लिए हमेशा कुछ न कुछ योजना बनाते रहते हैं। यह केवल भविष्य के लिए ही नहीं यह वर्तमान और भूतकाल आधारित विषयों के साथ भी होता है। जब हम किसी एक विषय के बारे में अधिक सोचने लगते हैं तो हम खुद को परेशान रखने लगते हैं। हम इन्हीं कारणों से अपने स्वभाव को परिवर्तित कर देते हैं। वैज्ञानिक तथ्यों का भी मानना है कि अधिक विचार करने से हम अपनी मानसिक स्थिति में अस्थिरता लाते हैं। तथ्यों की मानें तो चिंता के कारण मनुष्य खुद कई बीमारियों को जन्म देता है। हमें अपने मन में यह ठान लेना चाहिए तथा यह मानकर चलना चाहिए कि हम केवल कोशिश कर सकते हैं, इसके अलावा हमारे हाथ में कुछ भी नहीं होता। यदि हमारे इच्छानुसार काम हुआ तो अच्छी बात है यदि नहीं तो हम और अधिक कोशिश करेंगे। हमें मन में यह बात अवश्य रखनी चाहिए कि सफलता असफलता दोनों ही हमारे जीवन का अटूट हिस्सा हैं। इस आधार पर हम अपने मन को शांत रख पाएंगे।
हम अनेक क्रियाओं और कोशिशों द्वारा अपने मन को शांत रख सकते हैं। दुनिया में ऐसे कई कार्य हैं जो मनुष्य को खुद को शांत रखने के मौके देते हैं।
मन की शांति, प्रत्येक क्षेत्र चैतन्य
मन की शांति प्रत्येक परिपेक्ष में आवश्यक होती है। विश्व में शांति बनाये रखने के लिए आवश्यक है कि दुनिया में धार्मिक, सामाजिक, राजनैतिक शांति हमेशा चलन में रहे। इन क्षेत्रों में स्थिरता बनी रहे। यह केवल तभी संभव होता है जब मनुष्य आवेशरहित रहता है। धार्मिक विचारधारा का दुनिया के हर कोने में प्रचलन है और प्रत्येक मनुष्य के जीवन में इसकी साझेदारी। हम धर्म को आधार मानकर चलें परन्तु आवश्यक है कि हम इनकी चर्चाओं के समय अपने मन को आवेगरहित रखें। हम प्रयास करें कि धर्म के कारण किसी भी प्रकार की अशांति की आग ना जले। यह सिर्फ तभी संभव है जब हम अपने मन को शांत रख पाएंगे। राजनीति समाज के नियमों का निर्माण करता है। राजनीति की धूप से दुनिया का एक भी कोना अछूता नहीं है। आवश्यक है कि शांति का माहौल पैदा करें, क्योंकि यह विश्व शांति में मुख्य भूमिका निभाता है।