केंद्रीय बजट 2024-25 Union Budget 2024-25 ने भारत को 2047 तक एक 'विकसित भारत' बनाने की व्यापक रूपरेखा प्रस्तुत की। बजट ने कृषि, रोजगार, कौशल विकास, मानव विकास, विनिर्माण, सेवाएं, शहरी विकास, ऊर्जा सुरक्षा, बुनियादी ढांचे, नवाचार और अगली पीढ़ी के सुधारों पर ध्यान केंद्रित किया।
बजट का आधार समावेशी विकास पर रखा गया था, जिसमें कृषि, शिक्षा, स्वास्थ्य और सामाजिक कल्याण जैसे क्षेत्रों के लिए महत्वपूर्ण आवंटन किया गया था। इसने रोजगार सृजन, कौशल विकास और बुनियादी ढांचे के विकास को आर्थिक विकास के प्रमुख कारकों के रूप में रेखांकित किया। इसके अलावा, बजट ने नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों और परमाणु ऊर्जा में निवेश के माध्यम से ऊर्जा सुरक्षा को प्राथमिकता दी।
एक विकसित भारत के महत्वाकांक्षी लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए, सरकार ने कई प्रमुख योजनाओं Government flagship schemes की शुरुआत की, जिनमें पूर्वोदय योजना, पीएम सूर्य घर पहल, आत्मनिर्भर तिलहन अभियान, रोजगार से जुड़ी प्रोत्साहन योजनाएं, एक नया कौशल कार्यक्रम, प्रधानमंत्री जनजातीय उत्थान ग्राम अभियान, एमएसएमई के लिए क्रेडिट गारंटी योजना और एनपीएस वत्सल्य शामिल हैं। ये पहल विभिन्न क्षेत्रों में चुनौतियों का समाधान करने और अवसर पैदा करने के लिए तैयार की गई हैं।
कुल मिलाकर, बजट 2024-25 ने समावेशी विकास, रोजगार सृजन और बुनियादी ढांचे के विकास पर जोर देने के साथ भारत को एक विकसित राष्ट्र बनाने की दिशा में एक रोडमैप प्रस्तुत किया है।
केंद्रीय बजट 2024-25 ने 2047 तक भारत को एक विकसित देश बनाने की महत्वाकांक्षी योजना पेश की है। इस व्यापक लक्ष्य को हासिल करने के लिए बजट में कृषि, रोजगार, कौशल विकास, मानव विकास, विनिर्माण, सेवा क्षेत्र, शहरी विकास, ऊर्जा सुरक्षा, बुनियादी ढांचे, नवाचार और अगली पीढ़ी के सुधारों पर ध्यान केंद्रित किया गया है।
विकसित भारत पहल का एक प्रमुख हिस्सा 'पूर्वोदय' योजना है, जिसका उद्देश्य भारत के पूर्वी क्षेत्र के विकास को गति देना है। झारखंड, बिहार, ओडिशा, पश्चिम बंगाल और आंध्र प्रदेश जैसे राज्य इस विकास के केंद्र में होंगे। इस क्षेत्र में परिवहन, ऊर्जा और डिजिटल कनेक्टिविटी में महत्वपूर्ण निवेश किया जाएगा। साथ ही, शिक्षा, स्वास्थ्य और कौशल विकास पर भी ध्यान दिया जाएगा। लक्ष्य है इस क्षेत्र को एक विकास इंजन बनाना और क्षेत्रीय असमानताओं को कम करना।
पूर्वोदय योजना के तहत, क्षेत्र में परिवहन, ऊर्जा और डिजिटल कनेक्टिविटी पर जोर दिया जाएगा। बेहतर बुनियादी ढांचा क्षेत्र के विकास को गति देगा और लोगों की जीवन स्तर को बढ़ाएगा।
पूर्वी भारत के विकास के लिए शिक्षा, स्वास्थ्य और कौशल विकास महत्वपूर्ण हैं। इन क्षेत्रों में निवेश करके क्षेत्र की मानव पूंजी को मजबूत बनाया जाएगा, जिससे लोगों की उत्पादकता और रोजगार की संभावनाएं बढ़ेंगी।
पूर्वोदय योजना का उद्देश्य क्षेत्र में व्यापार और उद्योगों के लिए अनुकूल वातावरण बनाना है। इससे रोजगार के अवसर पैदा होंगे और क्षेत्र की अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलेगा।
भारत की बढ़ती ऊर्जा मांगों को पूरा करने और कार्बन उत्सर्जन को कम करने के लिए परमाणु ऊर्जा महत्वपूर्ण है। सरकार ने निजी क्षेत्र के साथ मिलकर भारत में छोटे रिएक्टर स्थापित करने की योजना बनाई है। साथ ही, परमाणु प्रौद्योगिकी के अनुसंधान और विकास पर भी ध्यान दिया जाएगा।
कृषि, विनिर्माण, डिजिटल अर्थव्यवस्था और सामाजिक कल्याण जैसे अन्य क्षेत्रों पर भी बजट में ध्यान दिया गया है। इन क्षेत्रों में विकास के लिए सरकार विभिन्न योजनाएं और नीतियां लागू करेगी।
विकसित भारत के सफल कार्यान्वयन के लिए प्रभावी क्रियान्वयन, पर्याप्त संसाधन आवंटन और सरकार और निजी क्षेत्र दोनों की सक्रिय भागीदारी आवश्यक होगी।
भारत सरकार ने 'विकसित भारत' के अपने बड़े लक्ष्य के तहत 'पीएम सूर्य घर: मुफ्त बिजली योजना' शुरू की है। इस महत्वाकांक्षी योजना का उद्देश्य एक करोड़ घरों में छत पर सौर पैनल लगाकर उन्हें हर महीने 300 यूनिट तक मुफ्त बिजली प्रदान करना है।
ऊर्जा स्वतंत्रता (Energy Independence): पारंपरिक बिजली स्रोतों पर निर्भरता कम करना और स्वच्छ, नवीकरणीय ऊर्जा को बढ़ावा देना।
वित्तीय बचत (Financial Savings): बिजली के बिलों में कटौती करके घरों को महत्वपूर्ण बचत प्रदान करना।
रोजगार सृजन (Job Creation): सौर ऊर्जा क्षेत्र में विशेषकर निर्माण, स्थापना और रखरखाव में रोजगार के अवसर पैदा करना।
इलेक्ट्रिक वाहन को बढ़ावा देना (Electric Vehicle Promotion): छत पर लगे सौर पैनलों के माध्यम से इलेक्ट्रिक वाहनों को चार्ज करने की सुविधा प्रदान करना।
मुफ्त बिजली के अलावा, इस योजना से घरों को कई दीर्घकालिक लाभ मिलेंगे:
लागत बचत (Cost Savings): घरों को सालाना लगभग 15,000 से 18,000 रुपये की बचत होने की उम्मीद है।
पर्यावरणीय प्रभाव (Environmental Impact): स्वच्छ ऊर्जा पैदा करके घर कार्बन उत्सर्जन को कम करने में योगदान देंगे।
ऊर्जा सुरक्षा (Energy Security): छत पर लगे सौर पैनल बिजली का एक विश्वसनीय स्रोत प्रदान करेंगे, जिससे बिजली की कटौती कम होगी।
इस योजना से सौर ऊर्जा क्षेत्र में बड़ी संख्या में रोजगार पैदा होने की उम्मीद है। उद्यमी सौर पैनलों की बढ़ती मांग और स्थापना सेवाओं का लाभ उठा सकते हैं। इसके अलावा, छत पर लगे सौर पैनलों से अतिरिक्त बिजली का उत्पादन करके इसे बिजली ग्रिड में बेचकर अतिरिक्त आय अर्जित की जा सकती है।
हालांकि इस योजना में काफी संभावनाएं हैं, लेकिन शुरुआती निवेश लागत, तकनीकी विशेषज्ञता और ग्रिड एकीकरण जैसी चुनौतियों का समाधान करना होगा। सरकार को इन बाधाओं को दूर करने के लिए पर्याप्त समर्थन और प्रोत्साहन प्रदान करने की आवश्यकता होगी।
पीएम सूर्य घर: मुफ्त बिजली योजना भारत को नवीकरणीय ऊर्जा में वैश्विक नेता बनने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। घरों को अपनी बिजली स्वयं पैदा करने में सक्षम बनाकर यह योजना पर्यावरणीय स्थिरता और आर्थिक विकास दोनों में योगदान देगी।
भारत सरकार ने देश में तिलहन उत्पादन बढ़ाने और आयात पर निर्भरता कम करने के लिए एक रणनीतिक पहल 'आत्मनिर्भर तिलहन अभियान' शुरू किया है। इस महत्वाकांक्षी कार्यक्रम का लक्ष्य सरसों, मूंगफली, तिल, सोयाबीन और सूरजमुखी जैसे तिलहनों में आत्मनिर्भरता हासिल करना है।
अनुसंधान और विकास (Research and Development): सरकार विभिन्न कृषि जलवायु परिस्थितियों के लिए उच्च उत्पादकता वाली तिलहन किस्मों के विकास के लिए अनुसंधान में निवेश करेगी।
आधुनिक खेती तकनीकें (Modern Farming Techniques): यांत्रिकीकरण, सटीक खेती और मृदा स्वास्थ्य प्रबंधन जैसी उन्नत कृषि प्रथाओं को बढ़ावा दिया जाएगा ताकि तिलहन उत्पादकता में वृद्धि हो सके।
बाजार संपर्क और मूल्य वर्धन (Market Linkage and Value Addition): किसानों के लिए लाभकारी मूल्य सुनिश्चित करने और आय बढ़ाने के लिए तिलहन किसानों के लिए बाजार संपर्क को मजबूत करने और मूल्य वर्धन को बढ़ावा देने पर ध्यान दिया जाएगा।
प्रोक्योरमेंट और भंडारण (Procurement and Storage): बढ़ते तिलहन उत्पादन को संभालने के लिए सरकार खरीद बुनियादी ढांचे और भंडारण सुविधाओं का विस्तार करेगी।
फसल बीमा (Crop Insurance): किसानों को प्रतिकूल मौसम की स्थिति और अन्य जोखिमों के कारण होने वाले नुकसान से बचाने के लिए व्यापक फसल बीमा कवर प्रदान किया जाएगा।
इन व्यापक उपायों को लागू करके, सरकार का लक्ष्य घरेलू तिलहन उत्पादन में उल्लेखनीय वृद्धि करना, आयात को कम करना और किसानों की आजीविका में सुधार करना है। आत्मनिर्भर तिलहन अभियान भारत को एक आत्मनिर्भर कृषि शक्ति बनने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
भारत सरकार ने रोजगार सृजन को बढ़ावा देने और विभिन्न क्षेत्रों में नए प्रवेशकों और नियोक्ताओं दोनों का समर्थन करने के उद्देश्य से तीन रोजगार-लिंक्ड प्रोत्साहन योजनाओं की घोषणा की है। इन पहलों का उद्देश्य आर्थिक विकास को गति देना और रोजगार बाजार को बहुत जरूरी प्रोत्साहन प्रदान करना है।
औपचारिक कार्यबल में प्रवेश करने वाले युवा व्यक्तियों को लक्षित करते हुए, यह योजना नए ईपीएफओ पंजीकरणकर्ताओं को प्रत्यक्ष नकद प्रोत्साहन प्रदान करती है। हाल ही में कार्यबल में शामिल हुए पात्र व्यक्ति जो प्रति माह 1 लाख रुपये तक कमा रहे हैं, उन्हें तीन किश्तों में 15,000 रुपये तक का एकमुश्त भुगतान मिलेगा। इसका उद्देश्य औपचारिक अर्थव्यवस्था में युवाओं की भागीदारी को प्रोत्साहित करना और रोजगार के शुरुआती चरणों में वित्तीय सहायता प्रदान करना है।
विनिर्माण क्षेत्र में रोजगार वृद्धि को बढ़ावा देने के लिए, सरकार ने नियोक्ताओं और कर्मचारियों दोनों के लिए एक प्रोत्साहन योजना शुरू की है। विनिर्माण में नई नौकरियां पैदा करने वाले व्यवसाय ईपीएफओ योगदान के पहले चार वर्षों के लिए वित्तीय पुरस्कारों के लिए पात्र होंगे। इसी तरह, विनिर्माण क्षेत्र में नए भर्ती किए गए कर्मचारियों को प्रत्यक्ष प्रोत्साहन मिलेगा। इस दोहरे दृष्टिकोण का उद्देश्य एक प्रमुख आर्थिक क्षेत्र में रोजगार सृजन और रोजगार प्रतिधारण को प्रोत्साहित करना है।
रोजगार सृजन में नियोक्ताओं की भूमिका को पहचानते हुए, सरकार ने सभी क्षेत्रों में व्यवसायों का समर्थन करने के लिए एक योजना शुरू की है। 1 लाख रुपये प्रति माह तक के वेतन वाली नई नौकरियां पैदा करने वाले नियोक्ताओं को दो साल के लिए अपने ईपीएफओ योगदान का एक हिस्सा वापस मिल जाएगा। इस प्रोत्साहन से व्यवसायों को अपने कार्यबल का विस्तार करने और समग्र रोजगार वृद्धि में योगदान करने के लिए प्रोत्साहित करने की उम्मीद है।
ये रोजगार-लिंक्ड प्रोत्साहन योजनाएं रोजगार परिदृश्य के कई पहलुओं को संबोधित करने के लिए डिज़ाइन की गई हैं। कर्मचारियों और नियोक्ताओं दोनों को प्रत्यक्ष सहायता प्रदान करके, सरकार का लक्ष्य रोजगार सृजन और आर्थिक विकास का एक स virtuous cycle बनाना है। हालांकि, सफल कार्यान्वयन के लिए सावधानीपूर्वक योजना, निगरानी और मूल्यांकन की आवश्यकता होगी ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि प्रोत्साहन अपने इच्छित उद्देश्यों को प्राप्त करें।
धोखाधड़ी के दावों, योजनाओं की दीर्घकालिक स्थिरता और रोजगार बाजार पर समग्र प्रभाव जैसे कारकों पर बारीकी से नजर रखने की आवश्यकता होगी। फिर भी, ये पहल भारत की रोजगार चुनौतियों का समाधान करने और अधिक समावेशी और समृद्ध अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम हैं।
उद्योग सहयोग (Industry Collaboration): इस कार्यक्रम में सरकार, उद्योग और राज्य सरकारों के बीच मजबूत साझेदारी पर जोर दिया गया है। यह सहयोगात्मक दृष्टिकोण सुनिश्चित करता है कि प्रशिक्षण कार्यक्रम वास्तविक कौशल आवश्यकताओं के अनुरूप हों।
औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों (आईटीआई) का उन्नयन (Upgradation of Industrial Training Institutes (ITIs)): प्रशिक्षण की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए 1000 आईटीआई का आधुनिकीकरण और उन्नयन किया जाएगा। ये संस्थान कौशल विकास के केंद्र के रूप में काम करेंगे और उद्योग की जरूरतों के अनुसार विभिन्न पाठ्यक्रम प्रदान करेंगे।
पाठ्यक्रम प्रासंगिकता (Curriculum Relevance): प्रशिक्षण कार्यक्रमों के लिए पाठ्यक्रम उद्योग विशेषज्ञों के साथ मिलकर तैयार किया जाएगा ताकि सुनिश्चित किया जा सके कि प्रशिक्षुओं को रोजगार के लिए आवश्यक कौशल प्राप्त हो। उभरती हुई कौशल आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए नए पाठ्यक्रम भी शुरू किए जाएंगे।
परिणाम-उन्मुख दृष्टिकोण (Outcome-Oriented Approach): कार्यक्रम का ध्यान ठोस परिणाम प्राप्त करने पर होगा, जिसमें प्रशिक्षित युवाओं की नियुक्ति दर और रोजगार परिणामों पर जोर दिया जाएगा।
20 लाख युवाओं को कौशल प्रदान करके, सरकार का लक्ष्य एक कुशल कार्यबल तैयार करना है जो भारत की आर्थिक वृद्धि में योगदान दे सके। इस कार्यक्रम से रोजगार क्षमता में वृद्धि, बेरोजगारी दर में कमी और वैश्विक बाजार में देश की प्रतिस्पर्धात्मकता में वृद्धि की उम्मीद है।
इसके अलावा, आईटीआई का उन्नयन व्यावसायिक प्रशिक्षण पारिस्थितिकी तंत्र को मजबूत करेगा और आजीवन सीखने और कौशल वृद्धि के लिए एक मंच प्रदान करेगा।
यह पहल 'कौशल भारत' के दृष्टिकोण को साकार करने और युवाओं को आधुनिक अर्थव्यवस्था में सफल होने के लिए आवश्यक क्षमताओं से लैस करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
भारत सरकार ने देश भर में आदिवासी समुदायों की सामाजिक-आर्थिक स्थिति में सुधार लाने के लिए एक व्यापक पहल, प्रधानमंत्री जनजातीय उत्थान ग्राम अभियान (पीएमजेयूजीए) शुरू की है। यह महत्वाकांक्षी कार्यक्रम आदिवासी बहुल गांवों और आकांक्षी जिलों पर ध्यान केंद्रित करते हुए, आदिवासी आबादी की बहुमुखी चुनौतियों का समाधान करने का प्रयास करता है।
पीएमजेयूजीए का मुख्य लक्ष्य आदिवासी लोगों के जीवन की समग्र गुणवत्ता में सुधार करना है:
सर्वव्यापी कवरेज (Providing universal coverage): लक्षित गांवों में सभी आदिवासी परिवारों को योजना का लाभ पहुंचाना।
समग्र विकास (Addressing holistic development): शिक्षा, स्वास्थ्य, बुनियादी ढांचा, आजीविका और कौशल विकास सहित विभिन्न विकास क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करना।
अंतराल कम करना (Reducing disparities): बुनियादी सुविधाओं और अवसरों तक पहुंच के मामले में आदिवासी और गैर-आदिवासी समुदायों के बीच अंतर को कम करना।
आदिवासी समुदायों का सशक्तिकरण (Empowering tribal communities): विकास प्रक्रियाओं में भाग लेने और लाभ उठाने के लिए आदिवासी लोगों की क्षमता का निर्माण करना।
संतृप्ति कवरेज (Saturation Coverage): योजना 63,000 आदिवासी बहुल गांवों और आकांक्षी जिलों में लागू की जाएगी, जिससे लगभग 5 करोड़ आदिवासी लोगों को लाभ होगा।
बहु-क्षेत्रीय दृष्टिकोण (Multi-sectoral Approach): पीएमजेयूजीए में विकास के लिए समग्र और एकीकृत दृष्टिकोण सुनिश्चित करने के लिए विभिन्न सरकारी विभाग और मंत्रालय शामिल होंगे।
समुदाय की भागीदारी (Community Participation): योजना में आदिवासी समुदायों की योजना निर्माण और कार्यान्वयन में भागीदारी पर जोर दिया जाएगा ताकि उनकी जरूरतों और आकांक्षाओं को पूरा किया जा सके।
निगरानी और मूल्यांकन (Monitoring and Evaluation): प्रगति को ट्रैक करने, परिणामों को मापने और आवश्यक समायोजन करने के लिए एक मजबूत निगरानी और मूल्यांकन प्रणाली होगी।
आदिवासी समुदायों की विशिष्ट जरूरतों और चुनौतियों को संबोधित करके, पीएमजेयूजीए का उद्देश्य स्थायी आजीविका का निर्माण करना, आवश्यक सेवाओं तक पहुंच में सुधार करना और आदिवासी लोगों को भारत के विकास यात्रा में सक्रिय भागीदार बनने के लिए सशक्त बनाना है।
भारत सरकार ने एमएसएमई विनिर्माण क्षेत्र में निवेश और विकास को बढ़ावा देने के लिए एक नई क्रेडिट गारंटी योजना शुरू की है। यह पहल छोटे व्यवसायों की वृद्धि में बाधा डालने वाली संपत्ति-आधारित ऋण की लगातार चुनौती का समाधान करना चाहती है।
संपत्ति-मुक्त ऋण (Collateral-Free Lending): यह योजना एमएसएमई को मशीनरी और उपकरण खरीदने के लिए बिना किसी संपत्ति या तीसरे पक्ष की गारंटी के ऋण की सुविधा प्रदान करेगी। यह पारंपरिक ऋण प्रथाओं से एक महत्वपूर्ण विचलन है और इसका उद्देश्य एमएसएमई के लिए वित्त तक पहुंच में सुधार करना है।
क्रेडिट जोखिम पूलिंग (Credit Risk Pooling): यह योजना एमएसएमई के एक पूल में इसे वितरित करके ऋणदाताओं के लिए जोखिम को कम करने के लिए एक क्रेडिट जोखिम पूलिंग मॉडल पर काम करेगी।
गारंटी कवरेज (Guarantee Coverage): एक समर्पित गारंटी फंड प्रत्येक आवेदक को 100 करोड़ रुपये तक का कवरेज प्रदान करेगा, जिससे ऋणदाताओं को वित्तीय सुरक्षा मिलेगी।
फी संरचना (Fee Structure): उधारकर्ताओं को कम ऋण शेष राशि पर एक अग्रिम गारंटी शुल्क और एक वार्षिक सेवा शुल्क का भुगतान करना होगा।
संपत्ति आवश्यकताओं की बाधा को हटाकर, इस क्रेडिट गारंटी योजना से निम्नलिखित अपेक्षा की जाती है:
वित्त तक पहुंच में वृद्धि (Enhance access to finance): बड़ी संख्या में एमएसएमई को विस्तार के लिए आवश्यक मशीनरी और उपकरण हासिल करने में सक्षम बनाना।
विनिर्माण उत्पादन में वृद्धि (Boost manufacturing output): विनिर्माण क्षेत्र में निवेश को प्रोत्साहित करना, जिससे उत्पादन और रोजगार सृजन में वृद्धि होगी।
उद्यमिता को बढ़ावा देना (Promote entrepreneurship): वित्तीय बाधाओं को कम करके नए उद्यमियों को विनिर्माण क्षेत्र में प्रवेश करने के लिए प्रोत्साहित करना।
एमएसएमई पारिस्थितिकी तंत्र को मजबूत करना (Strengthen the MSME ecosystem): एमएसएमई क्षेत्र के समग्र विकास और विकास में योगदान देना।
यह पहल एमएसएमई का समर्थन करने और आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के सरकार के व्यापक प्रयासों के अनुरूप है। क्रेडिट तक आसान पहुंच प्रदान करके, इस योजना से भारत में विनिर्माण क्षेत्र के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने की उम्मीद है।
भारत सरकार ने वित्तीय तनाव का सामना कर रहे एमएसएमई को जीवन रेखा प्रदान करने के लिए एक नई क्रेडिट सहायता योजना शुरू की है। कठिन समय में क्रेडिट प्रवाह बनाए रखने में छोटे व्यवसायों के सामने आने वाली चुनौतियों को पहचानते हुए, सरकार ने एक क्रेडिट गारंटी योजना का अनावरण किया है।
क्रेडिट अंतराल को पाटना (Bridging the Credit Gap): यह योजना वित्तीय तनाव के दौरान क्रेडिट प्राप्त करने में कठिनाइयों का सामना कर रहे एमएसएमई के महत्वपूर्ण मुद्दे को संबोधित करती है।
विशेष उल्लेख खातों (एसएमए) पर ध्यान केंद्रित करना (Focus on Special Mention Accounts (SMAs)): तनाव के शुरुआती संकेतों का संकेत देने वाले एसएमए के रूप में वर्गीकृत एमएसएमई इस योजना के प्राथमिक लाभार्थी होंगे।
सरकार समर्थित गारंटी (Government-Backed Guarantee): एक सरकारी प्रवर्तित फंड तनावग्रस्त एमएसएमई को उधार देने से जुड़े जोखिम को कम करते हुए, ऋणदाताओं को गारंटी प्रदान करेगा।
निरंतर क्रेडिट पहुंच (Continued Credit Access): निरंतर क्रेडिट उपलब्धता सुनिश्चित करके, योजना एमएसएमई को गैर-निष्पादित परिसंपत्ति (एनपीए) श्रेणी में फिसलने से रोकने का प्रयास करती है।
इस क्रेडिट गारंटी योजना से एमएसएमई क्षेत्र पर सकारात्मक प्रभाव पड़ने की उम्मीद है:
वित्त तक पहुंच में सुधार (Improving access to finance): अस्थायी कठिनाइयों का सामना कर रहे एमएसएमई को बहुत जरूरी वित्तीय जीवन रेखा प्रदान करना।
एनपीए के जोखिम को कम करना (Reducing the risk of NPAs): बैंकों और वित्तीय संस्थानों के लिए ऋण चूक के जोखिम को कम करना।
व्यवसाय निरंतरता का समर्थन करना (Supporting business continuity): एमएसएमई को वित्तीय चुनौतियों को दूर करने और अपने संचालन को बनाए रखने में सक्षम बनाना।
आर्थिक विकास को बढ़ावा देना (Boosting economic growth): एमएसएमई क्षेत्र का समर्थन करके, योजना समग्र आर्थिक विकास और रोजगार सृजन में योगदान देती है।
तनावग्रस्त एमएसएमई की विशिष्ट जरूरतों को संबोधित करने के लिए सरकार की पहल भारत में अधिक लचीले और स्थायी व्यावसायिक वातावरण बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
सरकार ने अगले पांच वर्षों में एक करोड़ युवाओं को व्यावहारिक कार्य अनुभव प्रदान करने के उद्देश्य से एक महत्वाकांक्षी इंटर्नशिप कार्यक्रम की घोषणा की है। इस पहल का उद्देश्य शिक्षा और व्यावसायिक दुनिया के बीच की खाई को पाटना है, जिससे रोजगार क्षमता में वृद्धि होगी और युवाओं में उद्यमशीलता कौशल को बढ़ावा मिलेगा।
बड़े पैमाने पर इंटर्नशिप के अवसर (Large-Scale Internship Opportunities): यह कार्यक्रम विभिन्न क्षेत्रों में 500 शीर्ष कंपनियों में इंटर्नशिप की पेशकश करेगा, जिससे विविध कार्य वातावरण का अनुभव मिलेगा।
स्टाइपेंड सहायता (Stipend Support): इंटर्न को इंटर्नशिप अवधि के दौरान उनके रहने के खर्च का समर्थन करने के लिए प्रति माह 5,000 रुपये का स्टाइपेंड और 6,000 रुपये की एकमुश्त सहायता मिलेगी।
उद्योग सहयोग (Industry Collaboration): योजना में भाग लेने वाली कंपनियों को प्रशिक्षण लागत वहन करनी होगी और कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व (सीएसआर) फंड से इंटर्नशिप लागत का 10% योगदान देना होगा।
अवधि और फोकस (Duration and Focus): इंटर्नशिप 12 महीने की अवधि की होगी, जिसमें संगठन के विभिन्न भूमिकाओं और कार्यों का व्यापक अनुभव मिलेगा।
इस इंटर्नशिप कार्यक्रम से निम्नलिखित अपेक्षा की जाती है:
रोजगार क्षमता में वृद्धि (Enhance employability): युवा व्यक्तियों को व्यावहारिक कौशल और उद्योग के अनुभव से लैस करना, जिससे उन्हें अधिक रोजगार योग्य बनाया जा सके।
उद्यमिता को बढ़ावा देना (Foster entrepreneurship): इंटर्न के बीच नवाचार और उद्यमशीलता की संस्कृति को बढ़ावा देना।
उद्योग-अकादमिक संबंधों को मजबूत करना (Strengthen industry-academia linkages): शैक्षणिक संस्थानों और कंपनियों के बीच ज्ञान साझाकरण और सहयोग की सुविधा प्रदान करना।
कौशल अंतराल को संबोधित करना (Address skill gaps): कौशल की कमी की पहचान करना और उसके अनुसार प्रशिक्षण कार्यक्रमों को संरेखित करना।
युवा प्रतिभा को वास्तविक दुनिया का अनुभव हासिल करने के लिए एक मंच प्रदान करके, सरकार का लक्ष्य एक कुशल और रोजगार योग्य कार्यबल तैयार करना है जो भारत की आर्थिक वृद्धि और विकास में योगदान दे सके।
शुरुआती शुरुआत (Early Start): माता-पिता या अभिभावक अपने बच्चे के जन्म के समय से ही एनपीएस वत्सल्य खाता खोल सकते हैं, जिससे लंबी अवधि में चक्रवृद्धि की शक्ति का लाभ मिल सकता है।
सीमलेस ट्रांजिशन (Seamless Transition): बच्चे के वयस्क होने पर, एनपीएस वत्सल्य खाते को आसानी से नियमित एनपीएस खाते में परिवर्तित किया जा सकता है, जिससे निवेश और लाभों की निरंतरता सुनिश्चित होती है।
दीर्घकालिक वित्तीय सुरक्षा (Long-Term Financial Security): एनपीएस वत्सल्य भविष्य के लिए बचत और निवेश की आदत को बढ़ावा देता है, जिससे बच्चे के लिए एक मजबूत वित्तीय आधार तैयार होता है।
सरकारी समर्थन (Government Backing): सरकार द्वारा प्रायोजित योजना के रूप में, एनपीएस वत्सल्य सरकार द्वारा समर्थित निवेशों से जुड़ी सुरक्षा और स्थिरता प्रदान करता है।
शुरुआती शुरुआत का लाभ (Early Start Advantage): बच्चे के जीवन में जल्दी निवेश शुरू करने से चक्रवृद्धि की शक्ति के कारण महत्वपूर्ण धन संचय होता है।
कर लाभ (Tax Benefits): एनपीएस वत्सल्य में योगदान आयकर अधिनियम की धारा 80 सी के तहत कर कटौती के लिए योग्य हो सकता है।
बाजार से जुड़े रिटर्न (Market-Linked Returns): एनपीएस में निवेश बाजार से जुड़े होते हैं, जो पारंपरिक बचत साधनों की तुलना में अधिक रिटर्न की संभावना प्रदान करते हैं।
पेंशन लाभ (Pension Benefits): सेवानिवृत्ति पर, संचित कोष को नियमित पेंशन में परिवर्तित किया जा सकता है, जिससे नियमित आय प्राप्त होती है।
माता-पिता को अपने बच्चों के वित्तीय भविष्य की योजना बनाने के लिए प्रोत्साहित करके, एनपीएस वत्सल्य का उद्देश्य वित्तीय रूप से सुरक्षित और स्वतंत्र व्यक्तियों की एक पीढ़ी का निर्माण करना है।
निष्कर्ष Conclusion
केंद्रीय बजट 2024-25 भारत को 2047 तक एक 'विकसित भारत' बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण मोड़ है। कृषि, ऊर्जा, रोजगार और सामाजिक कल्याण सहित व्यापक पहलों के साथ, बजट समावेशी विकास और विकास के लिए एक व्यापक रणनीति को दर्शाता है।
पूर्वोदय योजना, पीएम सूर्य घर और आत्मनिर्भर तिलहन अभियान जैसी प्रमुख योजनाएं क्षेत्रीय विकास, ऊर्जा स्वतंत्रता और कृषि में आत्मनिर्भरता में महत्वपूर्ण प्रगति करने के लिए तैयार हैं। रोजगार से जुड़ी प्रोत्साहन योजनाएं, एक नया कौशल कार्यक्रम और एमएसएमई के लिए क्रेडिट सहायता उपायों का परिचय रोजगार सृजन, छोटे व्यवसायों का समर्थन और युवाओं को सशक्त बनाने के उद्देश्य से है। इसके अलावा, प्रधानमंत्री जनजातीय उत्थान ग्राम अभियान और एनपीएस वत्सल्य आदिवासी समुदायों के जीवन में सुधार और बच्चों के लिए दीर्घकालिक वित्तीय सुरक्षा को बढ़ावा देने के लिए सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
ये पहल केवल नीतिगत परिवर्तन नहीं हैं, बल्कि एक रणनीतिक ढांचे का प्रतिनिधित्व करते हैं, जिसे महत्वपूर्ण चुनौतियों का समाधान करने और स्थायी विकास के लिए अवसरों का लाभ उठाने के लिए डिज़ाइन किया गया है। सरकार इन कार्यक्रमों के कार्यान्वयन पर ध्यान केंद्रित करते हुए, एक विकसित और समृद्ध भारत के विजन को साकार करने के लिए संसाधन आवंटन और हितधारकों के साथ सहयोग करेगी।
केंद्रीय बजट 2024-25 ने भारत के आर्थिक परिदृश्य को आकार देने, जीवन की गुणवत्ता में सुधार करने और सभी नागरिकों के लिए एक लचीले और समावेशी भविष्य का निर्माण करने के लिए एक महत्वाकांक्षी रोडमैप तैयार किया है।