यदि आप जीवन में कुछ भी बड़ा करने का सपना देखते हैं तो आपको अपने लक्ष्य और मंजिल के प्रति समर्पित होना होगा। यदि आप ऐसा करते हैं तो आपको आगे बढ़ने से कोई नहीं रोक सकता है। साथ ही यदि आपके अंदर कुछ कर गुजरने का जज़्बा होगा तो आप जीवन में जरूर सफल होंगे। ऐसे ही अपने लक्ष्य के प्रति समर्पित थे Infosys Founder Narayana Murthy इंफोसिस के फाउंडर नारायण मूर्ति। नारायण मूर्ति के सपने बड़े बनने और आगे बढ़ने के थे, जो उन्होंने हर कीमत पर पूरे किए। भारत में साफ्टवेयर उद्योग software industry की बात होते ही नारायणमूर्ति और उनकी कम्पनी इनफोसिस का जिक्र अपने आप आता है। भारतीय बहुराष्ट्रीय निगम इंफोसिस लिमिटेड की सफलता के पीछे प्रतिभाशाली दिमाग के धनी एन. आर. नारायण मूर्ति की मेहनत ही है, जिससे वह आज के समय के सबसे बड़े भारतीय उद्योगपतियों के बीच गिने जाते हैं और देश की सबसे सफल आईटी कंपनी में गिनी जाती है इंफोसिस। नारायणमूर्ति भारतीय साफ़्टवेयर उद्योग के प्रणेता तो हैं ही साथ ही विदेशों मे भारतीय कम्पनियों का नाम ऊँचा करने वाले भी हैं। उन्होने अपनी प्रतिभा और मेहनत के दम पर अपनी कम्पनी इन्फ़ोसिस को उन गिनी चुनी कम्पनियों के समकक्ष खड़ा कर दिया है जिन के बारे मे सोचने के लिये भी लोग जिन्दगी गुजार देते हैं। इंफोसिस काफी दिनों से फाउंडर नारायण मूर्ति के दामाद और ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक की वजह से भी खबरों में है। इंफोसिस एक बहुत बड़ी सूचना प्राद्योगिकी कम्पनी है, जोकि व्यापार परामर्श, सूचना प्रद्योगिकी और आउटसोर्सिंग सर्विसेज प्रदान करती है।
आपके अंदर यदि कुछ कर दिखाने का जज्बा है तो आपको आगे बढ़ने से कोई नहीं रोक सकता। क्योंकि अगर हम जीवन में हार नहीं मानते हैं तो वक्त भी हमारा साथ जरूर देता है। बस आपको सफल होने के लिए अपने लक्ष्य के प्रति एकचित्त भाव से समर्पित होना पड़ेगा। कुछ ऐसे लोग हैं जिन्होंने अपनी लगन और परिश्रम के दम पर सफलता की ऊंचाईयों को छुआ है और नामुमकिन को भी मुमकिन कर दिखाया है। यदि आप जीवन में सफल होना चाहते हैं तो आपको अपने अंदर कुछ परिवर्तन लाने जरुरी होते हैं और कुछ सिद्धांत बनाने होते हैं। इसके बाद इन पर अमल करना होता है। ऐसे ही एक शख़्स हैं Infosys Founder Narayan Murthy इंफोसिस के फाउंडर नारायण मूर्ति।
नारायण मूर्ति ने अपनी सोच और कड़ी मेहनत के दम पर एक मिसाल कायम की है। नारायणमूर्ति ने दुनिया को दिखा दिया है यदि आपके अंदर आत्मविश्वास है और कुछ कर गुजरने की क्षमता है, तो सफ़लता हमेशा आपके कदम चूमेगी। वहीं यदि आप सुनियोजित सोच के साथ आगे बढ़ते हैं तो आपकी सोच और भावनाएं भी उसी के अनुसार रहती हैं जिससे आपकी राह धीरे-धीरे मुश्किल से आसान हो जाती है। नारायणमूर्ति ने सफलता की नयी परिभाषाएं गढते हुए भारतीय कम्पनियों को बताया कि पूरी दुनिया के दरवाजे हमारे लिए खुले हुए है। फ्रेशर्स को काम देने के लिए मशहूर इस कंपनी ने 2021 में 61,000 लोगों को काम दिया। नारायण मूर्ति में बहुत ही कम उम्र से ही महानता के लक्षण विद्यमान थे। उन्होंने हमेशा से ही एक उद्यमी बनने का सपना देखा था और उनकी एक बड़ी कंपनी का निर्माण करने की आशा थी, जिससे To create employment opportunities for the youth of the country देश के युवाओं के लिए रोजगार के अवसरों का सृजन हो सके। नारायण मूर्ति Narayan Murthy एक बेहद प्रतिभाशाली दिमाग और तेज व्यावसायिक समझ वाले व्यक्ति हैं। तो चलिए इस आर्टिकल में आज इंफोसिस के फाउंडर नारायण मूर्ति की सफलता के बारे में जानते हैं।
नारायण मूर्ति का जन्म 20 अगस्त सन 1946 में कर्नाटक Karnataka के शिदलाघट्टा में एक मध्यमवर्गीय परिवार में हुआ था। ये 8 भाई और एक बहन हैं। नारायण मूर्ति 8 भाई-बहनों में 5वें नंबर पर थे। इनके पिता का नाम एन राम राव था जो स्कूल में शिक्षक थे। उनकी माँ नाम पदवथम्मा मूर्ति था। इनके परिवार की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी। नारायण मूर्ति की शुरूआती पढ़ाई की बात करें तो इन्होंने सरकारी स्कूल से पढ़ाई पूरी की। वे एक इंजिनियर बनना चाहते थे। इन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा पूरी करने के बाद “IIT कानपूर” में प्रवेश के लिए परीक्षा पास कर ली थी लेकिन उनके पिता फीस नहीं दे सकते थे। इसलिए उन्हें एक स्थानीय इंजीनियरिंग कॉलेज में दाखिला लेना पड़ा। उनके वैवाहिक जीवन की बात करें तो उनकी शादी सुधा मूर्ति Sudha Murthy से हुई है। सुधा इंफोसिस फाउंडेशन की संस्थापक है और उन्होंने आईआईटी में पढ़ाई की है। उनके दो बच्चे एक बेटा और एक बेटी है। उनकी बेटी का नाम अक्षता मूर्ति Akshata Murthy है और उनकी शादी ब्रिटेन के पीएम ऋषि सुनक से हुई है। उनके दूसरे बच्चे का नाम रोहन मूर्ति है वह एक स्टार्टअप कंपनी सोरोको Founder of startup company Soroco के संस्थापक हैं। नागवरा रामाराव नारायण मूर्ति (Narayana Murthy) दिग्गज भारतीय टेक कंपनी इंफोसिस (Infosys) के संस्थापक और रिटार्यड अध्यक्ष हैं।
नारायण मूर्ति ने मैसूर विश्वविद्यालय के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग National Institute of Engineering, University of Mysore से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में स्नातक की डिग्री पूरी की। फिर उन्होंने इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी कानपुर से मास्टर्स किया। जब वे IIT में थे उन्हें अमेरिका से एक प्रसिद्ध कंप्यूटर वैज्ञानिक के साथ एक बैठक करने का मौका मिला, और उनकी बातों से वे बहुत प्रभावित हुए। उनसे प्रभावित होकर उन्होंने आईटी क्षेत्र में अपना कैरियर बनाने का निश्चय किया। उनका पाठ्यक्रम पूरा होने पर उनके लिए नौकरियों के ऑफर आने लगे, उस वक्त भारत में कुछ ही लोग कंप्यूटर विज्ञान से ग्रेजुएट थे। नारायण मूर्ति ने इंफोसिस शुरू करने से पहले भारतीय प्रबंधन संस्थान अहमदाबाद – आईआईएम अहमदाबाद के साथ मुख्य सिस्टम प्रोग्रामर और पुणे में पटनी कंप्यूटर सिस्टम Patni Computer Systems में काम किया।
एन.आर.नारायणमूर्ति ने अपने करियर की शुरुआत इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ मैनेजमेंट अहमदाबाद में चीफ सिस्टम्स प्रोग्रामर Chief Systems Programmer at Indian Institute of Management Ahmedabad के तौर पर की। वहां उन्होंने भारत के प्रथम टाइम-शेयरिंग कंप्यूटर सिस्टम पर कार्य किया और इलेक्ट्रॉनिक कारपोरेशन ऑफ़ इंडिया लिमिटेड के लिए BASIC इन्त्रेप्रेटर लागू किया। उन्होंने सन 1970 के दशक में विदेशों में काम किया है कुछ वर्ष उन्होंने पेरिस में बिताया, जिससे उन पर गहरा प्रभाव पड़ा। उन्होंने पश्चिमी देशों से बहुत कुछ सीखा, लेकिन अंत में वे भारत में ही रहना चाहते थे और अपने देश में ही अपनी खुद की कंपनी शुरू करना चाहते थे। इसके बाद उन्होंने एक कंपनी ‘सॉफट्रोनिक्स’ Softtronics की स्थापना की जो सफल नहीं हो सकी फिर उन्होंने डेढ़ साल बाद पाटनी कंप्यूटर सिस्टम्स पुणे में नौकरी कर ली। यहाँ पर उनकी मुलाकात नंदन निलेकणी और अन्य लोगों से हुई जिनके साथ मिलकर उन्होंने सन 1981 में इनफ़ोसिस की स्थापना की। इनफ़ोसिस की स्थापना के लिए उन्होंने अपनी पत्नी से 10000 रुपये उधार लिए थे।
अपने काम की शुरुआत इन्होंने पाटनी कम्प्यूटर सिस्टम (PCS) , पुणे से की। इनकी मुलाकात सुधा से हुई जो उस समय टाटा में काम करतीं थी तथा आज इनकी धर्मपत्नी है। नारायण मूर्ति अपनी खुद की कंपनी शुरू करना चाहते थे लेकिन इनके पास इतने पैसे नहीं थे इसलिए अपनी पत्नी से 10,000 रुपये उधार लेकर नारायणमूर्ति ने अपने छह सहयोगियों के साथ 1981 में इन्फ़ोसिस कम्पनी की स्थापना की। पुणे के एक अपार्टमेंट में शुरू हुयी कम्पनी की सफलता की कहानी आज पूरी दुनिया के सामने है। 1991 में इन्फ़ोसिस पब्लिक लिमिटेड कम्पनी में तब्दील हुई। सन 1981 से लेकर सन 2002 तक मूर्ति इनफ़ोसिस के मुख्य कार्यकारी अधिकारी chief executive officer (सी.ई.ओ.) रहे और अपने नेतृत्व में उन्होंने एक छोटी सी सॉफ्टवेयर कंपनी को दुनिया की बड़ी कंपनियों के समकक्ष खड़ा कर दिया। इंफोसिस (Infosys) का बिजनेस अमेरिका, इंग्लैंड America, England सहित दुनिया के कई देशों में है।
लगभग 21 वर्षों तक इन्फोसिस के सीईओ के रूप में कार्य करने के बाद, 2002 में उन्होंने अपने साथी नन्दन नीलेकनी Nandan Nilekani को कमान थमा दी, लेकिन फिर भी इन्फ़ोसिस कम्पनी के साथ वे मार्गदर्शक के दौर पर जुड़े रहे। नारायणमूर्ति 1992 से 1994 तक नास्काम के भी अध्यक्ष President of NASSCOM रहे। वह सन 2002 से लेकर सन 2006 तक वे बोर्ड के अध्यक्ष रहे और उसके बाद वे कंपनी के मुख्य मेंटोर बन गए। सन 2011 में उन्होंने कंपनी के अवकाशप्राप्त अध्यक्ष के तौर पर इनफ़ोसिस से अवकाश ले लिया। नारायण मूर्ति 1 जून 2013 को एक अतिरिक्त निदेशक और कार्यकारी अध्यक्ष के रूप में इंफोसिस में वापस लौट आए। मूर्ति रणनीतिक बोर्ड में भी कार्य करते हैं।
इनफ़ोसिस के अलावा भी उन्होंने कई बड़ी और नामी कंपनियों में स्वतंत्र निदेशक और निदेशक की भूमिका निभाई। वे एच.एस.बी.सी. के कॉर्पोरेट बोर्ड पर स्वतंत्र निदेशक और डी.बी.एस. बैंक, यूनीलिवर, आई.सी.आई.सी.आई और एन.डी.टी.वी. D.B.S. Bank, Unilever, ICICI and NDTV, आदि में निदेशक रहे। वे कई शैक्षिक और लोकोपकारी संस्थानों के सलाहकार बोर्ड और समितियों के सदस्य भी हैं।
1993 में शेयर मार्केट में उतरने के 6 साल बाद 1999 तक इंफोसिस का रेवेन्यू 100 मिलियन डॉलर पहुंच चुका था। 1999 में वो स्वर्णिम अवसर आया और इन्फ़ोसिस ने इतिहास रचा, जब कम्पनी के शेयर अमरीकी शेयर बाज़ार NASDAQ में रजिस्टर हुए। इसी साल कंपनी नैस्डैक में लिस्ट होने वाली भारत की पहली आईटी कंपनी बन गई। यानि इन्फ़ोसिस ऐसा कर दिखाने वाली पहली भारतीय कम्पनी थी। नैस्डैक NASDAQ एक अमेरिकी स्टॉक मार्केट American stock market है। रिपोर्ट्स के अनुसार नैस्डैक दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा स्टॉक एक्सचेंज है और इसी नैस्डैक की 1999 में 20 सबसे ज्यादा मार्केट कैप वाली कंपनियों में इंफोसिस भी शामिल थी।
ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक का इंफोसिस कनेक्शन UK Prime Minister Rishi Sunak's Infosys Connection
ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बनते ही ऋषि सुनक Rishi Sunak अभी कुछ समय से चर्चा का विषय बने हुए हैं। दरअसल ऋषि सुनक का इंफोसिस कनेक्शन यह है कि वो को-फाउंडर एनआर नारायण मूर्ति के दामाद हैं। इंफोसिस इन दिनों फाउंडर नारायण मूर्ति के दामाद ऋषि सुनक के एक बयान की वजह से खबरों में है। दरअसल ऋषि सुनक ने अपने एक बयान में इंफोसिस और अपने ससुर मूर्ति की तारीफ की और उसके बाद से तो हर कोई इंफोसिस एम्पायर के बारे में जानना चाहता है। दामाद ऋषि सुनक भी नारायण मूर्ति के संघर्ष पर गर्व करते हैं और उन्होंने कुछ दिन पहले कहा कि मेरे ससुर के पास कुछ भी नहीं था बस उनकी आंखों में सिर्फ एक सपना था और मेरी सास के द्वारा दिए गए कुछ पैसे, जिनसे उन्होंने दुनिया की सबसे बड़ी और प्रतिष्ठित कंपनियों में से एक कंपनी खड़ी कर दी। सुनक ने कहा था कि यह एक ऐसी कहानी है, जिस पर मुझे वास्तव में गर्व है। इंग्लैंड में भी इस कंपनी के हजारों कर्मचारी हैं।
इंफोसिस देश की दूसरी सबसे सफल आईटी कंपनी है। नारायण मूर्ति की बेटी और ऋषि सुनक की पत्नी अक्षता मूर्ति Akshata Murthy की भी इंफोसिस में 0.93% की हिस्सेदारी है और ब्रिटेन की महारानी से भी अमीर हैं अक्षता मूर्ति। स्टॉक एक्सचेंज को दी गई सूचना के मुताबिक 42 वर्षीय अक्षता मूर्ति के पास कुल लगभग एक अरब डॉलर यानी 7600 करोड़ रुपए मूल्य के इंफोसिस के शेयर मौजूद हैं। इसलिए वह इंग्लैंड की महारानी से भी ज्यादा अमीर हैं। दरअसल महारानी के पास कुल निजी संपत्ति 460 मिलियन डॉलर यानी 3400 करोड़ रुपए के लगभग है। इस तरह से सुनक की पत्नी के पास महारानी से लगभग दोगुनी दौलत है।
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दुनिया का सबसे बड़ा एम्पलाई ट्रेनिंग सेंटर
नारायण मूर्ति ने अपने जिन 6 दोस्तों के साथ मिलकर अपनी कंपनी शुरू की थी ये सभी लोग पाटनी कंप्यूटर सिस्टम्स में इंजीनियर्स थे। नारायण मूर्ति के अलावा इस कंपनी में थे- नंदन नीलेकणि, एसडी शिबुलाल, क्रिस गोपालकृष्णन, अशोक अरोड़ा, एनएस राघवन Nandan Nilekani, SD Shibulal, Kris Gopalakrishnan, Ashok Arora, NS Raghavan और K Dinesh के दिनेश। देश की दूसरी सबसे सफल आईटी कंपनी और फ्रेशर्स को काम देने के लिए मशहूर इंफोसिस कंपनी ने 2021 में 61,000 लोगों को काम दिया। इंफोसिस, 10 हजार रुपए से शुरु हुई कंपनी कंपनी के पास 2.92 लाख कर्मचारी हैं। करीब 1 लाख करोड़ रुपए इसका रेवेन्यू है और करीब 8 लाख करोड़ रुपए मार्केट कैप है। इंफोसिस आज भारत की दूसरी सबसे बड़ी आईटी कंपनी है। यहीं नहीं, इंफोसिस ने अपने युवा कर्मचारियों की ट्रेनिंग के लिए मैसूर में 370 एकड़ में फैला एक ट्रेनिंग सेंटर भी बनाया है। माना जा रहा है कि यह दुनिया का सबसे बड़ा ट्रेनिंग सेंटर है।
एन आर नारायण मूर्ति (N.R. Narayana Murthy) ये नाम आज किसी पहचान का मोहताज नहीं, बल्कि देश- दुनिया के कारोबारी जगत के लिए यह नाम एक मिसाल बन चुका है। उनकी कंपनी इंफोसिस (Infosys) दुनियाभर में कारोबार कर रही है और लाखों लोगों को रोजगार दे रही है। सादगी के साथ जीवन जीने वाले नारायण मूर्ति ऐसे इंसान हैं, जिन्होंने अपनी मेहनत और काबिलयत के दम पर अपनी किस्मत को बदला और आज सभी के लिए एक प्रेरणा हैं। फोर्ब्स Forbes की रियल टाइम लिस्ट के अनुसार, भारतीय उद्योगपति और इंफोसिस के को-फाउंडर (Infosys Co-Founder), एन आर नारायण मूर्ति की कुल नेट वर्थ (N R Narayana Murthy Net Worth) 3.8 अरब डॉलर है। आज इंफोसिस एक शीर्ष सॉफ्टवेयर कंपनी है, जो व्यापार परामर्श, सूचना प्रद्योगिकी और आउटसोर्सिंग सर्विसेज Business Consulting, Information Technology and Outsourcing Services मुहैया कराती है। नारायण मूर्ति की एक बात जिसे उन्होंने कई बार कहा है, सफलता की कुंजी मानी जाती है। नारायण मूर्ति कहते हैं कि आपने किस संस्थान से शिक्षा प्राप्त की है, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता बल्कि आप अपने कठिन परिश्रम से अपने अपने पूरे जीवन को बदल सकते हैं।
नारायण मूर्ति ने कई उपलब्धियाँ हासिल की हैं जो निम्न हैं -
2000- पद्मा श्री अवार्ड Padma Shri Award, भारत सरकार द्वारा दिया गया
2003- साल के एर्न्स्ट एवं युवा विश्व उद्यमी अवार्ड, जूरी साल के एर्न्स्ट एवं युवा विश्व उद्यमी द्वारा दिया गया
2007- IEEE एर्न्स्ट वेबर इंजीनियरिंग लीडरशिप मान्यता, इलेक्ट्रिकल और इलेक्ट्रॉनिक इंजिनियर्स संस्थान द्वारा दिया गया
2007- CBE (कमांडर ऑफ़ दी ऑर्डर ऑफ़ दी ब्रिटिश एम्पायर) अवार्ड, यूनाइटेड किंगडम सरकार द्वारा दिया गया
2008- पद्मा विभूषण अवार्ड Padma Vibhushan Award, भारत सरकार द्वारा दिया गया
2009- कॉर्पोरेट नागरिकता के लिए वुडरो विल्सन पुरस्कार Woodrow Wilson Award, वुडरो विल्सन इंटरनेशनल सेंटर द्वारा दिया गया
2010- IEEE आनरेरी मेम्बरशिप अवार्ड, इलेक्ट्रिकल और इलेक्ट्रॉनिक इंजिनियर्स संस्थान द्वारा दिया गया
2011- भारत के NDTV इंडियन ऑफ़ दी ईयर्’स आइकॉन अवार्ड, NDTV द्वारा दिया गया
2013- साल के परोपकारीअवार्ड, दी एशियाई अवार्ड्स द्वारा दिया गया
2013- सायाजी रत्न अवार्ड, बड़ौदा मैनेजमेंट एसोसिएशन, वड़ोदरा द्वारा दिया गया
2016- साल के परोपकारी अवार्ड, दी एशियाई अवार्ड्स द्वारा दिया गया