श्री नटराजन चंद्रशेखरन किसान परिवार में जन्म लेने से लेकर देश के सबसे पुराने और सबसे बड़े कारोबारी घराने का मुखिया यानि टाटा संस के बोर्ड के अध्यक्ष (Tata Sons Chairman N Chandrasekaran) हैं। उनकी सफलता की ये यात्रा आज निश्चित रूप से हर किसी के लिए प्रेरणा है। एन चंद्रशेखरन को 2017 में पहली बार टाटा संस का चैयरमैन बनाया गया था। टाटा संस ने एन चंद्रशेखरन को इसी 11 फरवरी को अगले 5 वर्षों के लिए फिर से अध्यक्ष नियुक्त कर दिया है। टाटा संस के चेयरमैन का पद बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि वह टाटा ग्रुप की कंपनियों का भी हेड होता है और उनकी बिजनेस ग्रोथ, स्ट्रेटेजी जैसे फैसलों में उसका सबसे बड़ा योगदान होता है। इस आर्टिकल के द्वारा जानिए एन चंद्रशेखरन की टीसीएस इंटर्न से टाटा संस के चेयरमैन तक के सफर के बारे में।
एन चंद्रशेखरन N Chandrasekaran रतन टाटा Ratan Tata के सबसे भरोसेमंद लोगों में से एक हैं। किसान परिवार से ताल्लुक रखने वाले नटराजन चंद्रशेखरन की कामयाबी की कहानी भी बहुत ही दिलचस्प है। उन्होंने सिर्फ सपने ही नहीं देखे बल्कि उनको साकार भी किया। तभी जाकर आज वो देश के सबसे बड़े टाटा ग्रुप के चैयरमैन हैं। सबसे बड़ी बात यह है कि जिस ग्रुप के वो प्रमुख हैं, उन्होंने कभी इस ग्रुप में इंटर्न के रूप में शुरुआत की थी। नटराजन चंद्रशेखरन टाटा संस के बोर्ड के अध्यक्ष (Tata Sons Chairman N Chandrasekaran) हैं, जो होल्डिंग कंपनी और 100 से अधिक टाटा ऑपरेटिंग कंपनियों के प्रमोटर हैं। आइए जानते हैं टाटा संस के चंद्रशेखरन की इस प्रेरणादायक यात्रा के बारे में।
1963 में एन चंद्रशेखरन का जन्म तमिलनाडु Tamil Nadu के एक किसान परिवार में हुआ था। एन चंद्रशेखरन ने भी अपने परिवार की तरह फार्मिंग तो की लेकिन जल्द ही उन्होंने महसूस किया कि यह उनके करियर को वो दिशा नहीं दे पाएगा जो उन्हें चाहिए। यदि वह अपना करियर खेती में बनाते तो वो कभी देश के सबसे बड़े ग्रुप टाटा Country's largest group Tata के चैयरमैन chairman नहीं बन पाते। कंप्यूटर और प्रोग्रामिंग computer and programming के लिए उनके प्यार ने उन्हें एक नयी दिशा दी और यही वजह है कि आज वो देश के सबसे बड़े ग्रुप के प्रमुख बने हुए हैं। अप्लाइड साइंस में ग्रेजुएशन करने के बाद उनके पिता ने उन्हें कंप्यूटर में आगे की पढ़ाई के लिए बढ़ावा दिया। बस फिर उसके बाद तमिलनाडु के नमक्कल जिले में परिवार के खेतों को छोड़कर, कंप्यूटर प्रोग्रामिंग की पढ़ाई करने के लिए चंद्रशेखरन ने तिरुचिरापल्ली में रीजनल इंजीनियरिंग कॉलेज Regional Engineering College in Tiruchirappalli से कंप्यूटर एप्लीकेशन में मास्टर (एमसीए) किया। वह 1986 में टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज Tata Consultancy Services (TCS) के साथ एक इंटर्न के रूप में टीसीएस में शामिल हुए और उन्होंने अगले दो दशकों में बहुत प्रगति की। टीसीएस ने खुद को सबसे बड़े निजी क्षेत्र के नियोक्ता और भारत में सबसे ज्यादा सम्मानित कंपनी के रूप में स्थापित किया है। उन्होंने कंपनी में अपनी स्थिति मजबूत की और देश में सबसे ज्यादा नौकरी देने वाले टीसीएस के उच्च पद तक पहुंचे। आज टीसीएस न सिर्फ भारत में बल्कि विश्व की मूल्यवान कंपनी world's most valuable company है।
नटराजन चंद्रशेखरन वेतन (Natarajan Chandrasekaran salary)
टाटा संस के कार्यकारी अध्यक्ष एन चंद्रशेखरन को वित्त वर्ष 2019 के लिए 65.52 करोड़ रुपये का पारिश्रमिक मिला।
एन चंद्रशेखरन (N Chandrasekaran) के कार्यकाल में ग्रुप ने सफलता की कई सारी सीढ़ियां चढ़ीं हैं और एन चंद्रशेखरन (N Chandrasekaran) टाटा ग्रुप (Tata Group) के लिए एक सफल चेयरमैन successful chairman रहे हैं। इसी वजह से टाटा संस (Tata Sons) के बोर्ड ने चंद्रशेखरन को टाटा संस का एग्जीक्यूटिवचेयरमैन (executive chairman) चुना है। टाटा संस ने एन चंद्रशेखरन (Tata Sons Chairman N Chandrasekaran) को इसी 11 फरवरी को अगले 5 वर्षों के लिए फिर से अध्यक्ष नियुक्त कर दिया है। वह अक्टूबर 2016 में टाटा संस (Tata Sons) के बोर्ड में शामिल हुए और साइरस मिस्त्री को पद से हटाए जाने के बाद जनवरी 2017 में उन्हें अध्यक्ष नियुक्त किया गया था। 2017 में, वह टाटा समूह की होल्डिंग कंपनी टाटा संस के अध्यक्ष बने, जिसमें रसायन, ऑटोमोटिव, कंसल्टेंसी सर्विसेज, हॉस्पिटैलिटी और स्टील Chemicals, Automotive, Consultancy Services, Hospitality and Steel सहित 30 से अधिक कारोबार जुड़े हुए हैं। बोर्ड ने चंद्रशेखरन के पिछले पांच वर्षों के कामकाज की समीक्षा के आधार पर उन्हें फिर से पांच साल के लिए इस पद पर नियुक्त कर दिया। उनका कार्यकाल इसी 20 फरवरी को खत्म हो रहा था। दरअसल चंद्रशेखरन अक्टूबर 2016 में टाटा संस (Tata Sons) के बोर्ड में शामिल हुए और साइरस मिस्त्री को पद से हटाए जाने के बाद जनवरी 2017 में उन्हें अध्यक्ष नियुक्त किया गया और तब से लेकर आज तक उनके नेतृत्व में कंपनी सफलता की ऊँचाइयों छू रही है। रतन टाटा ने भी एन चंद्रशेखरन के नेतृत्व में टाटा समूह की प्रगति और प्रदर्शन पर संतोष व्यक्त किया। साथ ही बोर्ड के सदस्यों ने भी एन चंद्रशेखरन के एग्जीक्यूटिव चेयरमैन कार्यकाल की सराहना की। आज वह उस ग्रुप का नेतृत्व कर रहे हैं जिसके वैश्विक स्तर पर 750,000 से अधिक कर्मचारी हैं और जिसकी कीमत 10 लाख करोड़ रुपए से अधिक है।
एन चंद्रशेखरन 1986 में टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (TCS) के साथ एक इंटर्न के रूप में टाटा ग्रुप में शामिल हुए। उसके बाद 1987 में फुल टाइम इंजीनियर के रूप में उन्होंने कंपनी में एंट्री ली। तब से से चंद्रशेखरन टाटा ग्रुप के एम्प्लॉयी हैं। उन्हें इस समूह में 35 वर्ष बीत चुके हैं। अपनी मेहनत और लगन से चंद्रशेखरन ने धीरे-धीरे अपने आपको और कंपनी को आगे बढ़ाया है फिर 90 के दशक में वो मैनेजमेंट में शामिल हो गए। माना जाता है कि टीसीएस को दुनिया भर में मशहूर करने में एन चंद्रशेखरन का एक बड़ा रोल रहा है। टीसीएस अब भारतीय बाजार की दूसरी सबसे मूल्यवान कंपनी है। उन्हें 2009 में कंपनी का सीईओ बना दिया गया। उनके नेतृत्व में कंपनी सफलता की ओर अग्रसर हुई है। अध्यक्ष के रूप में उनकी नियुक्ति टीसीएस में 30 साल के प्रोफेशनल करियर के बाद हुई। एन चंद्रशेखरन टीसीएस में लगातार तरक्की करते रहे और काफी सालों तक टीसीएस के सीईओ और प्रबंध निदेशक CEO and Managing Director रहे। टाटा समूह के साथ लंबे करियर ने उन्हें मुंबई में टाटा समूह के मुख्यालय बॉम्बे हाउस में चंद्रा Chandra का नाम दिया।
एन चंद्रशेखरन कॉरपोरेट वर्ल्ड में ऐसे प्रभावशाली नेता बनकर उभरे हैं जिन्होंने जेआरडी और रतन टाटा जैसे टाटा अध्यक्षों की विरासत को आगे बढ़ाया है। टाटा ग्रुप के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ जब नॉन पारसी समुदाय का शख्स टाटा ग्रुप का प्रमुख बना। कंपनी ने अपनी वेबसाइट पर कहा कि चंद्रा ने टीसीएस में ग्राहक-केंद्रित और नवाचार की संस्कृति Customer-centric and innovation culture को शामिल किया है। टाटा समूह ने एन चंद्रशेखरन के नेतृत्व में कोविड 19 COVID-19 की लड़ाई में प्रमुख भूमिका निभाई है। टाटा समूह ने कोविड महामारी के खिलाफ लड़ाई में एक प्रमुख कॉर्पोरेट यूनिट के रूप में उभरा। इसने COVID-19 से संबंधित गतिविधियों के लिए 14,000 करोड़ रुपए से ज्यादा देश को समर्पित किये। जिसमें अस्पतालों की स्थापना और गहन देखभाल इकाइयों के साथ मौजूदा सुविधाओं की क्षमता बढ़ाने तक कई सुविधायें शामिल हैं।
एन चंद्रशेखरन को बिजनेस कैटेगरी में सीएनएन-आईबीएन इंडियन ऑफ द ईयर 2014 CNN-IBN Indian of the Year 2014 से सम्मानित किया गया। 2015 में वार्षिक में उन्हें ‘सर्वश्रेष्ठ सीईओ’ best CEO नामित किया गया था। केंद्र सरकार ने टाटा समूह के चेयरमैन नटराजन चंद्रशेखरन को पद्मभूषण सम्मान Padma Bhushan Award दिया है। चंद्रशेखरन को इस साल व्यापार और उद्योग श्रेणी में तीसरा सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार third highest civilian award मिला, जिसमें साइरस पूनावाला, सुंदर पिचाई Cyrus Poonawalla, Sundar Pichai और अन्य शामिल हैं।
चंद्रशेखरन मैराथन मैन marathon man के रूप में लोकप्रिय हैं और टाटा समूह में सर्वोच्च स्थान हासिल करने के लिए वहां से 30 वर्षों तक यात्रा की।
उनके नेतृत्व में टाटा समूह ने एयर इंडिया का अधिग्रहण Air India acquisition करके विमानन क्षेत्र में इतिहास रच दिया। यह भी टाटा समूह में अपने कार्यकाल के लिए चंद्रशेखरन की कई उपलब्धियों में से एक है। एन चंद्रशेखरन ने 27 जनवरी को एअर इंडिया को आधिकारिक रूप से समूह को सौंपने से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की। टाटा संस ने 27 जनवरी को आधिकारिक तौर पर एअर इंडिया का अधिग्रहण करने के साथ, मैराथन मैन एन चंद्रशेखरन ने अपने नाम एक और उपलब्धि को जोड़ दिया। मतलब एयर इंडिया वापस लाने में भी चंद्रशेखरन का अहम् रोल है। टाटा ग्रुप ने 18,000 करोड़ रुपये के इस सौदे में एयर इंडिया को खरीद लिया है। इस तरह एयर इंडिया फिर से अपने पुराने मालिक टाटा ग्रुप के पास आ गई है। चंद्रशेखरन के नेतृत्व में, टीसीएस ने 2015-16 में कुल 16.5 अरब अमेरिकी डॉलर का राजस्व अर्जित किया और भारत में सबसे बड़े निजी क्षेत्र के नियोक्ता largest private sector employers और देश की सबसे मूल्यवान कंपनी के रूप में अपनी स्थिति को मजबूत किया।
चंद्रशेखरन रिजर्व बैंक के लिए भी काम कर चुके हैं । चंद्रशेखरन को 2016 में भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा अपने बोर्ड में भी नियुक्त किया गया था। उन्होंने यूएसए, यूके, ऑस्ट्रेलिया और जापान USA, UK, Australia and Japan सहित भारत के द्विपक्षीय व्यापार मंचों में एक सक्रिय सदस्य होने के अलावा, 2013-13 में NASSCOM के अध्यक्ष के रूप में भी कार्य किया है। चंद्रशेखर के ही नेतृत्व में फोर्ब्स द्वारा दुनिया की सबसे इनोवेटिव कंपनियों The World's Most Innovative Companies by Forbes में से एक के रूप में टीसीएस को स्थान दिया गया है। उन्होंने ई-कॉमर्स कारोबार में भी प्रवेश किया। मई 2021 में टाटा ग्रुप ने चंद्रशेखरन के नेतृत्व में ई-कॉमर्स कारोबार में प्रवेश किया। टाटा ग्रुप ने ऑनलाइन ग्रॉसरी डिलीवरी प्लेटपॉर्म बिगबॉस्केट (BigBasket) का अधिग्रहण कर लिया।
एन चंद्रशेखरन (N Chandrasekaran) को जब 2017 में पहली बार टाटा संस का चैयरमैन बनाया गया था, तो तब टाटा ग्रुप मुश्किल दौर से गुजर रहा था। साइरस मिस्त्री को चेयरमैन पद से हटाया गया था। उनके और रतन टाटा के बीच मनमुटाव चल रहा था। मिस्त्री ने इसके खिलाफ कानूनी रास्ता अपनाया था। यह टाटा संस के लिए एक तनाव भरा समय था।
एन चंद्रशेखरन ने टाटा संस के पूर्व अध्यक्ष साइरस मिस्त्री के साथ लंबी कानूनी लड़ाई में टाटा समूह की जीत में एक प्रमुख भूमिका निभाई थी। दरअसल मिस्त्री को 2012 में रतन टाटा ने टाटा संस के अध्यक्ष के रूप में स्थान दिया था, लेकिन चार साल बाद गोपनीयता भंग करने के आरोप में उन्हें बाहर कर दिया गया था। पूर्व अध्यक्ष रतन टाटा फिर अंतरिम अध्यक्ष के रूप में लौटे और कुछ महीने बाद चंद्रशेखरन को कंपनी का नया अध्यक्ष बना दिया। ऐसे में चंद्रशेखरन ने न केवल टाटा ग्रुप को संकट से उबारा, बल्कि इसे नई ऊंचाई तक पहुंचाया। उन्होंने फर्म का नेतृत्व किया और कुछ ही समय में उन्होंने टाटा संस को विकास की ओर अग्रसर किया। चंद्रशेखरन को टाटा समूह में काम करने का 34 साल का अनुभव है। उनके नेतृत्व में देश की सबसे मूल्यवान कंपनी के रूप में अपनी स्थिति को मजबूत करने के साथ टीसीएस दुनिया की चार सबसे बड़ी आईटी कंपनियों में आ गई।
एन चंद्रशेखरन का नेतृत्व और उनकी कड़ी मेहनत उनकी प्रेरक बातें बड़ी संख्या में युवाओं को प्रेरित करती हैं उनकी बातें सुनकर लाखों युवा किसी भी तरह की प्रतिकूलता का सामना कर सकते हैं और अपने लक्ष्यों को प्राप्त कर सकते हैं। टाटा संस के चेयरमैन एन चंद्रशेखरन आज युवाओं के लिए प्रेरणास्रोत हैं। उनका कहना है कि जब भी टेक्नोलॉजी के मामले में कोई नई राह बनी, कोई बड़ी सफलता हाथ लगी है, तब इकोनॉमी ने शानदार ग्रोथ दर्ज की क्योंकि ऐसी कामयाबी कई चीजों को मुमकिन बना देती है। चंद्रशेखरन के अनुसार, पिछले तीस-चालीस सालों में कंप्यूटर हमारे सामने आए। इसके चलते फर्क यह पड़ा कि अगर आप 1950 और 60 के दशक से तुलना करें तो आज इकोनॉमी ग्रोथ 37 गुना बढ़ चुकी है और अब डिजिटल कहीं ज्यादा बड़ा फर्क लाने वाला है।
चंद्रशेखरन के अनुसार अब तो तमाम तरह की टेक्नोलॉजी आ रही हैं। वे एक साल, दो साल, तीन साल की रफ्तार के साथ आ रही हैं और इनमें से हर एक से पावर बढ़ रही है। चाहे मैन्युफैक्चरिंग हो या सर्विसेस, पिछले कई दशकों में जो तमाम बिजनेस सफल रहे,
चंद्रशेखरन का मानना है कि बदलाव ऐसा होगा, जहां बात बिजनेस को टेक्नोलॉजी के सपोर्ट से कहीं आगे ले जाएगी। कई नए बिजनेस और कुछ स्टार्टअप में बिजनेस और टेक्नोलॉजी business and technology को मिला दिया गया है। यह एक बहुत बड़ा बदलाव है। वह कहते हैं कि बिजनेस मॉर्डल इनोवेशन की बात होनी चाहिए। चंद्रशेखरन कहते हैं कि डिजिटल इंडस्ट्रीज digital industries की जो मार्केट वैल्यू है, वह फिजिकल इंडस्ट्रीज से कई गुना ज्यादा है। इससे अब रोजगार के अवसर मिलेंगे। अब हम दुनिया की दूसरी बड़ी कंज्यूमर इकोनॉमी World's second largest consumer economy बनने जा रहे हैं।
हमारे यहां दुनिया का तीसरा बड़ा स्टार्टअप इकोसिस्टम startup ecosystem है। उनका कहना है कि कई देशों के बीच हमारी जीडीपी ग्रोथ सबसे ज्यादा है, एफडीआई काफी बढ़ा है। उनके अनुसार हमारे देश में टेक्नोलॉजी को अपनाने की रफ्तार दूसरी जगहों से तेज है। वह कहते हैं कि हमें इनोवेशन innovation करने होंगे, आंत्रप्रेन्योरशिप entrepreneurship पर जोर देना होगा ताकि जॉब की डिमांड पूरी की जा सके। साथ ही चंद्रशेखरन कहते हैं कि हमें कुशल लोगों की, विशेषज्ञों की तादाद भी बढ़ानी होगी जिससे अस्पताल, स्कूल हों या फैक्ट्री हर जगह हम डिमांड पूरी कर सकें। यहाँ पर आंत्रप्रेन्योरशिप के लिए बहुत मौके बनेंगे और इनोवेशन भी। उन इनोवेशन से रोजगार के ढेरों अवसर सामने आएंगे। यानि सिर्फ स्पेशलिस्ट लोगों के लिए ही मौके नहीं होंगे बल्कि उन सबके लिए जॉब्स के मौके मिलेंगे जिनके पास कोई स्किल हो और देश में कई आंत्रप्रेन्योर सामने आएंगे यह एक बहुत ही शानदार वक्त होगा।