सचिन तेंदुलकर (गॉड ऑफ क्रिकेट) का क्रिकेट करियर cricket career कई लोगों को प्रेरित करता है। भले ही उन्होंने क्रिकेट से रिटायरमेंट ले ली हो लेकिन शायद ही ऐसा कोई क्रिकेट फैन होगा जो उन्हें भूल पाए। लोग उनके क्रिकेट खेलने के तरीके से ज्यादा उनके व्यक्तित्व के फैन हैं।लक्ष्य को पाने के लिए जुनून का होना ज़रूरी है और सचिन तेंदुलकर की लाइफ से हर कोई यह सीख सकता है। आइए जानते हैं कि हर उद्यमी को सचिन तेंदुलकर से क्या सीख लेनी चाहिए।
सचिन तेंदुलकर Sachin Tendulkar, इस नाम को हर कोई जानता है। सचिन तेंदुलकर कई लोगों की इंस्पिरेशन inspiration हैं। भारत एक ऐसा देश हैं जहां क्रिकेट को आप खेल से ज्यादा एक धर्म कह सकते हैं और सचिन को गॉड ऑफ क्रिकेट God of cricket कहा जाता है। उनका क्रिकेट करियर cricket career कई लोगों को प्रेरित करता है। भले ही उन्होंने क्रिकेट से रिटायरमेंट ले ली हो लेकिन शायद ही ऐसा कोई क्रिकेट फैन होगा जो उन्हें भूल पाए।
लोग उनके क्रिकेट खेलने के तरीके से ज्यादा उनके व्यक्तित्व के फैन हैं। आप उनके क्रिकेट करियर और व्यक्तित्व से सीख सकते हैं कि ज़िंदगी में सफल कैसे बनें। आइए जानते हैं कि हर उद्यमी को सचिन तेंदुलकर से क्या सीख लेनी चाहिए-
एक क्रिकेटर बनना उनके बचपन का सपना था और वह अपने लक्ष्य पर अडिग रहे। उनके पिता को भी उन पर पूरा भरोसा था कि एक दिन सचिन एक अच्छे क्रिकेटर बनेंगे। उन्होंने अपने पिता के इस विश्वास को कभी ठेस नहीं पहुंचाई और अपने पिता की उम्मीद से भी कहीं ज्यादा हासिल किया। इसके अलावा उन्हें हमेशा से देश के लिए वर्ल्ड कप लाना था और 2007 में जब उनका यह सपना नहीं पूरा हो पाया तो वह बहुत निराश हो गए लेकिन ठीक 4 साल 2011 में भारत ने क्रिकेट विश्व कप अपने नाम किया। एक उद्यमी entrepreneur को भी ठीक इसी तरह अपने लक्ष्य पर अडिग रहना चाहिए क्योंकि अगर आप मेहनत कर रहे हैं तो चमत्कार भी होंगे।
ऐसा कहा जाता है कि वह बॉलर से ज्यादा खुद को अलग-अलग परिस्थितियों के लिए तैयार किया करते थे ताकि मैच के वक्त वह अपना 100 प्रतिशत दे पाएं। एक उद्यमी को ठीक इसी तरह अपने कंफर्ट जोन से बाहर निकलना चाहिए और रिस्क लेना चाहिए। ऐसा हो सकता है कि आप शुरुआत के कुछ दिनों में असहज और अजीब महसूस करें लेकिन ऐसा होने पर आप अपनी खामियों को पहचान पाएंगे।
परिश्रम के बिना आप अपने लक्ष्य तक नहीं पहुंच सकते। अपने लक्ष्य तक पहुंचने के लिए सचिन ने भी बहुत मेहनत की। कई बड़े-बड़े मुकाम हासिल करने के बावजूद भी वह हर मैच को उतनी की गंभीरता से लेते थे जितनी गंभीरता से उन्होंने अपने करियर के पहले मैच को लिया था।
एक बार ऐसा भी हुआ था जब बाउंसर बाल की वजह से उनकी नाक पर गंभीर चोट लग गई थी और खून भी बहने लगा था। सचिन चाहते तो उसी वक्त क्विट कर सकते थे लेकिन उस वक्त उन्होंने कहा था 'मैं खेलेगा' और अगली ही गेंद पर उन्होंने चौका लगाया था।
इसी तरह एक उद्यमी को भी कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है लेकिन अगर आपको एक ब्रांड बनना है तो आपको हार नहीं माननी है।
एक टेस्ट मैच में सचिन शेन वार्न की गेंद पर बहुत जल्दी आउट हो गए थे। इसके बाद उन्होंने कई ऐसी रणनीतियां बनाई ताकि वह शेन वार्न का सामना कर सकें। इसी तरह हर उद्यमी को भी खुद को पहले से बेहतर बनाते रहना चाहिए और एक प्लान बी ज़रूर रखना चाहिए क्योंकि ऐसा ज़रूरी नहीं है कि आपकी सारी स्ट्रेटजी काम करें।
सचिन हमेशा से एक बहुत अच्छे फास्ट बॉलर बनना चाहते थे लेकिन डेनिस लिली ने उन्हें समझाया कि वह एक सर्वश्रेष्ठ बैट्समैन बन सकते हैं। सचिन ने भी यह महूसस किया कि वह बल्लेबाजी में ज्यादा अच्छे हैं और उसके बाद जो हुआ वो तो हम सब जानते ही हैं।
इसके अलावा सचिन यह भी जानते थे कि कैप्टेंसी में उनका रिकॉर्ड इतना अच्छा नहीं रहा है इसीलिए जब सेलेक्टर्स ने 2007 में दोबारा से उन्हें कैप्टेंसी ऑफर की तो उन्होंने मना कर दिया। उन्होंने कहा कि महेंद्र सिंह धोनी Mahendra Singh Dhoni को टीम इंडिया का कप्तान बनाया जाए। उसके बाद हम सब यह जानते ही हैं कि एमएसडी टीम इंडिया के मोस्ट सक्सेसफुल कैप्टन most successful captain कहे जाते हैं।
एक उद्यमी को भी अपनी टीम के उन मेंबर्स को चांस देना चाहिए जहां वे आपसे बेहतर हैं।
सचिन के बारे में महेंद्र सिंह धोनी और रोहित शर्मा Rohit Sharma कहते हैं कि वह हमेशा अपना सौ प्रतिशत देने की कोशिश करते हैं और अन्य खिलाड़ियों को भी प्रेरित करते हैं। ठीक इसी तरह एक उद्यमी को भी अपनी टीम को हमेशा प्रेरित करना चाहिए।
सचिन ने खेल के किसी भी नियम का अनादर नहीं किया और उनके लिए क्रिकेट खेलना मंदिर जाने के समान था। ये उनकी लगन ही थी, जिसकी मदद से उन्होंने कई रिकॉर्ड थोड़े।
सचिन हर मैच के पहले जमकर प्रैक्टिस किया करते थे। वह टैलेंटेड तो थे ही लेकिन उतनी मेहनत भी किया करते थे क्योंकि मेहनत के बिना टैलेंट का कोई वजूद नहीं है।
इसी तरह से एक उद्यमी को भी यह समझना चाहिए कि आपके पास सिर्फ एक अच्छा आइडिया होने से कुछ नहीं होता है। इस आइडिया पर काम करके ही आप कुछ बदलाव ला सकते हैं।
अपने मेंटर के बिना सचिन अपने ट्र्यू पोटेंशियल को नहीं पहचान पाते। हम सभी को एक मेंटर की आवश्यकता है इसीलिए मेंटर की मदद लेने से पहले ज्यादा सोच विचार ना करें।
निष्कर्ष
लक्ष्य को पाने के लिए जुनून का होना ज़रूरी है और सचिन तेंदुलकर की लाइफ से हर कोई यह सीख सकता है। क्रिकेट से उन्हें इतना प्यार था कि अगर मैच खत्म होने के बाद कोई उनसे ये कहे कि यहीं सो जाओ, अगला मैच कल यहीं खेलना है तो वह इसके लिए भी तैयार हो जाएं। 30 साल तक किसी काम को एक ही जुनून के साथ करना आसान नहीं है क्योंकि आज-कल लोग किसी भी काम से बहुत जल्दी बोर हो जाते हैं लेकिन सचिन की सबसे बड़ी खासियत यही है कि उनका क्रिकेट के प्रति आज भी उतना ही जुनून है जितना पहले हुआ करता था और इतनी उपलब्धियों के बावजूद भी आज वह उतने ही विनम्र हैं, जितने विनम्र वह सफल होने से पहले हुआ करते थे।
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