युवाओं को एक बात हमेशा ध्यान रखना चाहिए कि विज्ञान, तकनीक और गैजेट से लेकर हर चीज़ का इस्तेमाल ज़रूरी है, लेकिन एक सीमा तक ही। क्योंकि तकनीक और गैजेट आवश्यक हैं लेकिन सिर्फ तकनीक और गैजेट ही ज़रूरी नहीं हैं…
बदलाव ही समय का नियम है। जो समय के साथ खुद को ढाल सके वही बदलाव की राह पर चल सकता है और यह बात सिर्फ इंसानों पर ही नहीं विज्ञान पर भी लागू होती है। समय के साथ कदम से कदम मिलाकर न चल पाने पर कंपनियों को भारी नुकसान उठाना पड़ता है। जिसका एक बड़ा उदाहरण है नोकिया जैसी विश्व विख्यात कंपनी। जिसने बदलाव को नकार कर एक बंधे हुए ढर्रे पर चलने की कोशिश की और बाजार में उल्टे मुंह गिरी।
लेकिन नोकिया से परे कुछ ऐसे भी कंपनियां हैं, जिन्होंने बदलाव को समझा और खुद को समय के साथ कदम से कदम मिलाकर चलती रही और आज वह कंपनियां नए कीर्तिमान रच रही हैं। इन्हीं में से एक है एलॉन मस्क की टेस्ला। एलोन मस्क ने इंधन के दामों और बढ़ती हुई गाड़ियों की भीड़ को देखकर इस बात का अंदाजा लगा लिया था कि आने वाले कल में इलेक्ट्रिक वाहनों की होड़ मचने वाली है और उन्होंने इस बात को समझा और जल्द ही इस पर तत्काल निर्णय लिया और उसके बाद उन्होंने अपनी टेस्ला नाम की कंपनी का गठन किया। जिसमें वह ढर्रे से हटकर और समय के साथ कदम से कदम मिलाकर पेट्रोल-डीजल से अलग उन्होंने इलेक्ट्रिक वाहनों पर अपना दांव खेला।
पहले तो बोला गया कि यह बहुत ही खराब निर्णय है लेकिन समय के साथ-साथ बोलने वालों की बोलती बंद होते हुए देर नहीं लगी और मार्केट में मस्क की वाहवाही और तूती बोलने लगी और जल्दी उन्होंने समय को और उसकी जरूरतों को समझा और उसके बाद पहले "स्पेस एक्स" ने फिर, "बोरिंग कंपनी" जो कि लंबे ट्रैफिक जाम से बचने के लिए एक सुरंग नुमा बना कर, कार या भारी वाहनों के उपयोग से बिना ट्रैफिक के उस सुरंग के अंदर से होते हुए हम लंबी दूरी कम ही समय में जल्दी और पूरी सुरक्षा के साथ तय कर सकने में सक्षम होंगे।
यहां पर समझने वाली बात यह है कि अगर हम तकनीक और विज्ञान का सही इस्तेमाल करते हैं, तो जाहिर सी बात है यह हमारे लिए बहुत ही सकारात्मक तरह से काम करती है। लेकिन हममें से ज्यादातर लोग और खासकर बच्चे यानी कि युवा वर्ग ऐसा है जो, यूट्यूब, इंस्टाग्राम और बाकी सोशल मीडिया पर अपना समय खराब करते हैं। ऐसे में संतुलन बना कर रखना बहुत ही जरूरी है क्योंकि हमारे देश के युवा ही हमारा भविष्य है और आने वाले कल में हमारे देश की कमान इसी युवा वर्ग के हाथ में होगी तो ऐसे में संतुलन बनाए रखना बहुत आवश्यक है।
तकनीकी बात हो और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की बात ना हो तो यह तो नहीं हो सकता है। आज से कुछ साल पहले हमने शायद ही सोचा हो कि हम बोल कर भी अपनी बातें लिख या अपने छोटे-मोटे दैनिक कार्य रोबोट्स की मदद से कर सकते हैं लेकिन समय बदला रफ्तार का पहिया घूमा और आज यह संभव है। इसी के बाद नंबर आता है रोबोट्स का जो कि आज लगभग वह हर चीज कर सकते हैं, जो मानव कर सकता है। घर के छोटे-मोटे काम से लेकर बर्तन साफ करने तक। चाय बनाने से लेकर खाना बनाने तक। जानवरों को टहलाने से लेकर बड़े बुजुर्गों की मदद करने तक आज रोबोट्स हर वह काम कर सकते हैं जो हम सोच सकते हैं। लेकिन ध्यान देने वाली बात यह है कि यह रोबोट्स भी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस द्वारा दिए गए निर्देशों का पालन करते हैं।
आजकल जो सबसे प्रचलित आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस हमारे बीच है वह है एलेक्सा .. हममें से कितनों ने ही वह विज्ञापन देखा होगा- Hello! Alexa…
यह भी विज्ञान और समय के अनुसार खुद को ढाल लेने वाली और अपनी ज़िन्दगी को आसान बनाने के लिए एक छोटा सा प्रयास है। विज्ञान भले कितनी ही तरक्की कर ले लेकिन वह कभी भी मानव की जगह नहीं ले सकता इसलिए हमको इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि हमने विज्ञान और बाकी रोबोट्स या गैजेट्स इत्यादि का निर्माण किया है। विज्ञान ने हमारा निर्माण नहीं किया।
आज की युवा पीढ़ी ज्यादातर ज्यादा से ज्यादा समय गैजेट के इर्द-गिर्द ही गुजारते हैं तो ऐसे में उनका अपने परिवार या करीबियों से ज्यादा तालमेल कम हो गया है इसी वजह से युवाओं की ज़िन्दगी में तनाव भी बढ़ता जा रहा है।