इसको कुछ विस्तार से जानें, एजुकेशन पॉलिसी

9344
31 Jul 2021
7 min read

Post Highlight

शिक्षा क्या है ? इस पर गौर करना आवश्यक है। शिक्षा का शाब्दिक अर्थ होता है सीखने एवं सिखाने की क्रिया, परंतु अगर इसके व्यापक अर्थ को देखें तो शिक्षा किसी भी समाज में निरंतर चलने वाली सामाजिक प्रक्रिया है। जिसका कोई उद्देश्य होता है और जिससे मनुष्य की आंतरिक शक्तियों का विकास तथा व्यवहार के स्वरुप तैयार किया जाता है। शिक्षा के द्वारा ज्ञान एवं कौशल में वृद्धि कर मनुष्य को योग्य नागरिक बनाया जाता है। इसको कुछ विस्तार से जानें एजुकेशन पॉलिसी शिक्षा नीति में बदलाव नई शिक्षा नीति के महत्त्वपूर्ण तथ्य इस नई नीति में विकलांग बच्चों के लिये विशेष बिंदु

Podcast

Continue Reading..

वैसे तो नई शिक्षा नीति को आये पूरा एक वर्ष हो चुका है। मगर जो नया है वह नया, पुराने से कितना कारगर है ये जानना आवश्यक है। क्योंकि ये जानकारी के लिए भी जरुरी है और उस ढाँचे के दूरगामी परिणाम के लिए भी जरुरी है। बिना जानकारी के हम कैसे जान सकते हैं की क्या हमारे लिए अच्छा है और क्या बुरा।

 शिक्षा को लेकर गाँधी जी ने कहा है कि “शिक्षा से मेरा तात्पर्य बालक और मनुष्य के शरीर, मन तथा आत्मा के सर्वांगीण एवं सर्वोत्कृष्ट विकास से है।” 

इसी श्रेणी को परिभाषित करते हुए विवेकानन्द जी का भी कहना था कि “मनुष्य की अंर्तनिहित पूर्णता को अभिव्यक्त करना ही शिक्षा है।”

 

शिक्षा को शिक्षा की ही परिभाषा में समझते हुए हम जानेंगे की नई शिक्षा नीति क्या कहना चाहती है।

शिक्षा क्या है ? इस पर गौर करना आवश्यक है। शिक्षा का शाब्दिक अर्थ होता है सीखने एवं सिखाने की क्रिया, परंतु अगर इसके व्यापक अर्थ को देखें तो शिक्षा किसी भी समाज में निरंतर चलने वाली सामाजिक प्रक्रिया है। जिसका कोई उद्देश्य होता है और जिससे मनुष्य की आंतरिक शक्तियों का विकास तथा व्यवहार के स्वरुप तैयार किया जाता है। शिक्षा के द्वारा ज्ञान एवं कौशल में वृद्धि कर मनुष्य को योग्य नागरिक बनाया जाता है।

इसी सिलसिले को आगे बढ़ाते हुए हम शुरू करते हैं नई शिक्षा नीति का सफर। भारत सरकार ने इसमें जो कुछ भी बदलाव किये हैं, जिसे नाम दिया गया है 2020 शिक्षा नीति। यह शिक्षा नीति 1992 की शिक्षा पद्द्ति से काफी अलग है 

शिक्षा नीति के साथ-साथ मानव संसाधन मंत्रालय का भी नाम बदल कर सरकार ने शिक्षा मंत्रालय कर दिया है। 

 

शिक्षा नीति में बदलाव

 इस नीति द्वारा देश में स्कूल एवं उच्च शिक्षा में परिवर्तनकारी सुधारों की अपेक्षा की गई है। इसके उद्देश्यों के तहत वर्ष 2030 तक स्कूली शिक्षा में 100 GER (सकल नामांकन अनुपात) के साथ-साथ पूर्व विद्यालय से माध्यमिक स्तर तक शिक्षा के सार्वभौमिकरण का लक्ष्य रखा गया है।

नई शिक्षा नीति के महत्त्वपूर्ण तथ्य

अंतिम राष्ट्रीय शिक्षा नीति 1986 में बनाई गई थी जिसमें वर्ष 1992 में संशोधन किया गया था।

वर्तमान नीति अंतरिक्ष वैज्ञानिक के. कस्तूरीरंगन की अध्यक्षता वाली समिति की रिपोर्ट पर आधारित है।

  1. नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 2020 के तहत वर्ष 2030 तक सकल नामांकन

         अनुपात (gross eurolment ratio) लाने का लक्ष्य रखा गया है।

  1. नई शिक्षा नीति के अंतर्गत केंद्र व राज्य सरकार के सहयोग से शिक्षा क्षेत्र पर जीडीपी के 6% हिस्से के सार्वजनिक व्यय का लक्ष्य रखा गया है।

  2. नई शिक्षा नीति की घोषणा के साथ ही मानव संसाधन प्रबंधन मंत्रालय का नाम परिवर्तित कर शिक्षा मंत्रालय कर दिया गया है।

  3. राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद द्वारा वर्ष 2022 तक शिक्षकों के लिये राष्ट्रीय व्यावसायिक मानक(National Professional Standards for Teachers- NPST ) का विकास किया जाएगा।

  4. वर्ष 2030 तक अध्यापन के लिये न्यूनतम डिग्री योग्यता 4 वर्षीय एकीकृत बी.एड. डिग्री का होना अनिवार्य किया जाएगा।

  5. नई शिक्षा नीति के तहत M.PHIL.कार्यक्रम को समाप्त कर दिया गया।

  6. नई शिक्षा नीति (NEW EDUCATION POLICY) में देश भर के उच्च शिक्षा संस्थानों के लिये एक एकल नियामक अर्थात् भारतीय उच्च शिक्षा

  7. परिषद परिकल्पना की गई है जिसमें विभिन्न भूमिकाओं को पूरा करने हेतु कई कार्यक्षेत्र होंगे। भारतीय उच्च शिक्षा आयोग चिकित्सा एवं कानूनी शिक्षा को छोड़कर पूरे उच्च शिक्षा क्षेत्र के लिये एक एकल निकाय के रूप में कार्य करेगा।

इस नई नीति में विकलांग बच्चों के लिये क्रास विकलांगता प्रशिक्षण, संसाधन केंद्र, आवास, सहायक उपकरण, उपर्युक्त प्रौद्योगिकी आधारित उपकरण, शिक्षकों का पूर्ण समर्थन एवं प्रारंभिक से लेकर उच्च शिक्षा तक नियमित रूप से स्कूली शिक्षा प्रक्रिया में भागीदारी सुनिश्चित करना आदि प्रक्रियाओं को सक्षम बनाया जाएगा।

 

  विशेष बिंदु

  1. आकांक्षी जिले जैसे क्षेत्र जहाँ बड़ी संख्या में आर्थिक, सामाजिक या जातिगत बाधाओं का सामना करने वाले छात्र पाए जाते हैं, उन्हें शैक्षिक के रूप में नामित किया जाएगा।

  2. देश में क्षमता निर्माण हेतु केंद्र सभी लड़कियों और ट्रांसजेंडर छात्रों को समान गुणवत्ता प्रदान करने की दिशा में एक ‘जेंडर इंक्लूजन फंड’ की स्थापना करेगा।

गौरतलब है कि 8 वर्ष की आयु के बच्चों के लिये प्रारंभिक बचपन देखभाल और शिक्षा हेतु एक राष्ट्रीय पाठ‍्यचर्या और शैक्षणिक ढाँचे का निर्माण एनसीआरटीई द्वारा किया जाएगा।

इस प्रकार हम समझ सकते हैं की इस तरह से नई शिक्षा नीति का स्वरूप कई अर्थों में बदला है। अगले अध्याय में इसके धनात्मक व् ऋणात्मक पहलुओं पर एक नज़र डालने का प्रयास करेंगे 

शिक्षा से हर घर रौशन है 

रौशन घर से वतन रौशन है

TWN In-Focus