इस प्रतिस्पर्धा Competition का नाम है Ashes Series एशेज सीरीज। आज हम आपको इसका पूरा राज Secret बताएंगे कि, क्यों यह सीरीज इतनी खास है और क्यों इसे एशेज यानी कि राख की लड़ाई भी माना जाता है।
खेल Sports की दुनिया में आपने कई देशों को खेलते हुए देखा होगा। खेलते वक्त टीमें एक दूसरे से जीतने के लिए कड़ी मेहनत करती हैं। हार और जीत तो खेल का हिस्सा है, लेकिन खेल के मैदान पर कई ऐसी लड़ाईयां होती हैं, जिसके बाद वह प्रतिस्पर्धा ऐतिहासिक बन जाती है। कई देश जब आपस में खेलते नजर आते हैं तो यह नजारा किसी जंग से कम नहीं लगता। आज हम आपको इस लेख के माध्यम से ऐसी ही एक बड़ी जंग के बारे में बताने वाले हैं। वैसे तो यह क्रिकेट का एक बहुत बड़ा टूर्नामेंट है, लेकिन इस टूर्नामेंट में जैसी जंग देखने को मिलती है, इसे ऐतिहासिक प्रतिस्पर्धा माना जाता है। यह क्रिकेट की सबसे पुरानी और प्रचलित प्रतिस्पर्धा है। इस प्रतिस्पर्धा का नाम है Ashes Series एशेज सीरीज। आज हम आपको इसका पूरा राज बताएंगे कि, क्यों यह सीरीज इतनी खास है और क्यों इसे एशेज यानी कि राख की लड़ाई भी माना जाता है।
ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड की जंग है एशेज सीरीज
आजकल के इस बदलते दौर में क्रिकेट Cricket काफी बदल चुका है। जैसा पहले हुआ करता था वैसा अब क्रिकेट बिल्कुल नहीं रहा है। पहले क्रिकेट के बड़े लंबे फॉर्मेट हुआ करते थे, लेकिन आजकल फटाफट क्रिकेट भी शुरू हो चुका है। इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया के बीच होने वाली यह सीरीज बेहद पुरानी है और इसका इतिहास भी काफी पुराना है। यह टेस्ट क्रिकेट Test Cricket का वह फॉर्मेट है जो इतिहास से चला रहा है। जिसकी लोकप्रियता पहले से लेकर अब तक बनी हुई है।
इस क्रिकेट सीरीज को केवल सीरीज नहीं, एक जंग के रूप में देखा जाता है। केवल इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया England and Australia के दर्शक ही नहीं पूरी दुनिया के दर्शक इस सीरीज के लिए बेताब रहते हैं। ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड के बीच होने वाली सीरीज सन् 1882 से चली आ रही है।
क्या है एशेज का इतिहास
आपके मन में सवाल उठ रहा होगा कि, आखिर इस सीरीज का नाम एशेज सीरीज क्यों रखा गया है। एशेज का हिंदी में मतलब होता है राख और इसका नाम ऐशज क्यों रखा गया इसके पीछे भी बड़ा कारण है। दरअसल 1882 में ऑस्ट्रेलिया एक मैच की सीरीज के लिए इंग्लैंड रवाना हुई। इस दौरे पर एकमात्र मुकाबला ओवल में खेला जाना था। ओवल में हुए इस मुकाबले में ऑस्ट्रेलिया ने इंग्लैंड को पछाड़ दिया। इस हार के बाद इंग्लैंड क्रिकेट की काफी आलोचना हुई और उस पुराने दौर के एक अखबार ‘द ब्रिटिश टाइम्स’'The British Times' ने इंग्लैंड के ऊपर ताना कसते हुए एक शोक संदेश की तरह अपना आर्टिकल पेश किया। जिसमें उन्होंने लिखा था कि, इंग्लैंड क्रिकेट की मृत्यु हो गई है और इसकी चिता जलाने के बाद राख ऑस्ट्रेलिया अपने साथ ले कर जा रहा है।
अखबार के इस तरह के लेखन के बाद इस नाम ने जोर पकड़ लिया और जब अगली बार इंग्लैंड, ऑस्ट्रेलिया के दौरे पर गया, तब इंग्लिश मीडिया ने लिखा था कि Quest to recover those Ashes कि वह एशेज को वापस लेने जा रहे हैं।
यह इतिहास भी जानें
एशेज सीरीज के पीछे एक और बड़ा कारण है, जब 1883 में इंग्लैंड ने ऑस्ट्रेलिया के दौरे पर ऑस्ट्रेलिया को 2-1 से हराया, तो क्रिकेट के खेल में स्टंप्स पर लगने वाली गिल्ली को जलाकर उसकी राख, टेराकोटा के एक बर्तन में डालकर इंग्लिश कप्तान को दी गई थी। एशेज की ट्रॉफी उसी को माना जाता रहा है। यह ट्रॉफी केवल 10.5 सेंटीमीटर की है, जिसे दुनिया की सबसे छोटी ट्रॉफी में आंका जाता है।
कितने मुकाबले कौन जीता
इतने वर्षों से चली आ रही यह ‘द एशेज सीरीज’ अब तक 71 बार हो चुकी है। यह सीरीज हर 2 साल में आयोजित की जाती है। फिलहाल 2021 में भी यह सीरीज इसी महीने खेली जा रही है। अब तक इस सीरीज में ऑस्ट्रेलिया ने 33 बार और इंग्लैंड में 32 बार जीत हासिल की है। जबकि 6 सीरीज ड्रॉ रहीं। इस परिणाम से आप अंदाजा लगा सकते हैं कि जब यह दोनों टीमें आमने-सामने होती हैं, तो कितनी कड़ी टक्कर देखने को मिलती है। इसके अलावा जिस भी साल सीरीज ड्रॉ रह जाती है, ऑस्ट्रेलिया, इंग्लैंड में से पिछली बार सीरीज जीतने वाले विजेता को ही यह ट्रॉफी वापस सौंप दी जाती है।
उम्मीद करते हैं कि आपको एशेज सीरीज के इतिहास को जानकर खुशी हुई होगी। साथ ही इस पुरानी प्रतिस्पर्धा को देखने का मन भी हुआ होगा। अगर आप इस सीरीज को देखना चाहते हैं, तो फिलहाल यह सीरीज जारी है। आप बरसो पुरानी क्रिकेट की लड़ाई का लुफ्त घर बैठे उठा सकते हैं। हर बार इस सीरीज का प्रसारण केवल इंग्लिश कमेंट्री english commentary में किया जाता रहा है, लेकिन इस बार इस सीरीज को हिंदी में भी प्रसारित किया जा रहा है।