अंतर्राष्ट्रीय ग्रामीण महिला दिवस (International day of Rural Women 2022) प्रत्येक वर्ष 15 अक्टूबर को विश्व स्तर पर मनाया जाता है। यह दिन प्रतिवर्ष 15 अक्टूबर को मनाया जाता है। यह दिन दूरस्थ, ग्रामीण स्थानों में रहने वाली लाखों महिलाओं को समर्पित है और ग्रामीण विकास और कृषि के प्रति इन महिलाओं की उपलब्धियों और योगदान का जश्न मनाता है। इस दिन का उद्देश्य ग्रामीण परिवारों, समुदायों और समग्र कल्याण के लिए महिलाओं और लड़कियों के आवश्यक योगदान के बारे में जागरूकता बढ़ाना है। 2016 से, कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय (Ministry of Farmers Welfare) द्वारा कृषि में सक्रिय रूप से लगी महिलाओं की संख्या को बढ़ावा देने के प्रयास में भारत में राष्ट्रीय महिला किसान दिवस मनाया जाता रहा है।
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15 अक्टूबर अंतरराष्ट्रीय ग्रामीण महिला दिवस (Rural Women's day) है। यह दिन, जिसे पहली बार 2008 में स्थापित किया गया था, "कृषि और ग्रामीण विकास को बढ़ाने, खाद्य सुरक्षा में सुधार और ग्रामीण गरीबी उन्मूलन (Rural Poverty Alleviation) में स्वदेशी महिलाओं सहित ग्रामीण महिलाओं (Rural Women) की महत्वपूर्ण भूमिका और योगदान" को मान्यता देता है।
1945 में अपनी स्थापना के बाद से, संयुक्त राष्ट्र (United Nations) ने दुनिया के सभी देशों के बीच शांति और दोस्ती बनाए रखने की दिशा में काम किया है। संयुक्त राष्ट्र ने कई मानवीय परियोजनाओं को अंजाम दिया है और पर्यावरण के संरक्षण के लिए संकल्प और कार्य पारित किए हैं। संयुक्त राष्ट्र के सबसे उल्लेखनीय कार्यों में से एक यह है कि इसने महिलाओं, विशेषकर ग्रामीण महिलाओं के उत्थान और कल्याण में कितना काम किया है।
1995 में चीन के बीजिंग में महिलाओं पर चौथे विश्व सम्मेलन के दौरान महिलाओं के सशक्तिकरण (Women Empowerment) और सम्मान का विचार सामने रखा गया था। चूंकि 16 अक्टूबर को विश्व खाद्य दिवस (World Food Day) के रूप में मनाया जाता था, इसलिए यह सुझाव दिया गया था कि 15 अक्टूबर को ग्रामीण महिलाओं के अंतर्राष्ट्रीय दिवस के रूप में मनाया जाए ताकि कृषि, खाद्य उत्पादन और खाद्य सुरक्षा (Agriculture, Food Production and Food Security)में ग्रामीण महिलाओं के योगदान की सराहना की जा सके।
2003 में, जिनेवा में आयोजित सूचना समाज पर विश्व शिखर सम्मेलन (World Summit) के दौरान, दूरस्थ और ग्रामीण समुदायों में महिलाओं और स्वदेशी लोगों सहित सभी के लिए सूचना और संचार प्रौद्योगिकी (Communication Technology) में क्षमता निर्माण की प्रतिबद्धता के लिए एक प्रस्ताव पारित किया गया था। यह संकल्प ट्यूनिस, ट्यूनीशिया में 2005 के ट्यूनिस एजेंडा फॉर इंफॉर्मेशन सोसाइटी (Tunis Agenda for Information Society) के दौरान भी लिया गया था।
18 दिसंबर 2007 को संयुक्त राष्ट्र महासभा (United Nations General Assembly) के दौरान इसके 62/136 के संकल्प में घोषित किया गया था कि 15 अक्टूबर को प्रतिवर्ष विश्व भर में ग्रामीण महिलाओं के अंतर्राष्ट्रीय दिवस के रूप में मनाया जाएगा। तब से, ग्रामीण महिलाओं का अंतर्राष्ट्रीय दिवस विश्व स्तर पर कई देशों में मनाया जाता है और संघर्षों और रूढ़ियों के बावजूद, ग्रामीण परिवारों की स्थिरता और समुदाय की सामान्य भलाई में इन महिलाओं की ताकत और उपलब्धियों का जश्न मनाता है।
अपनी देखभाल सुविधाओं के अलावा ग्रामीण अर्थव्यवस्था में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका के कारण महिलाओं को ग्रामीण अर्थव्यवस्था की रीढ़ कहा जाता है।
ग्रामीण क्षेत्रों में स्थापित होने वाले उद्योगों एवं कुटीर उद्योगों में ग्रामीण महिलाओं के द्वारा श्रम बल के रूप में महती भूमिका निभाई जाती है।
इसी के साथ ग्रामीण महिलाएं स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से कई सारे उत्पादन गतिविधियों में शामिल होकर आपूर्ति श्रृंखला में अपना योगदान देती है।
विकासशील देशों (Developing Countries) में कृषि का अधिकांश कार्य महिलाओं के द्वारा किया जाता है जैसे विकसित देशों में कुल कृषि श्रम बल में महिलाओं का आंकड़ा 80% तक है तो वहीं भारत में है 43% है। हालांकि भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (Indian Council of Agricultural Research) और Directorate of Research on Women in Agriculture के शोध के निष्कर्षों से पता चलता है कि महत्वपूर्ण फसलों के पैदावार के संदर्भ में महिलाओं के श्रमबल का हिस्सा 75% तक है।
बागवानी और फसल कटाई के उपरांत अन्य कार्यों में महिला का श्रम बल में हिस्सा क्रमशः हिस्सा 79% और 51% है।
पशुपालन और मत्स्य उत्पादन (Animal Husbandry And Fish Production) में यदि महिला श्रम बल का हिस्सा देखा जाए तो यह क्रमशः 58% और 95% है।
आर्थिक सर्वेक्षण के अनुसार पुरुषों के शहरों की ओर पलायन होने से भारतीय कृषि में महिलाओं का हिस्सा निरंतर बढ़ता जा रहा है। महिलाएं सभी कृषि गतिविधियों उदाहरण के लिए बुवाई से लेकर रोपाई, निराई, सिंचाई, उर्वरक डालना, पौध संरक्षण, कटाई, भंडारण (Planting, Weeding, Irrigation, Fertilizing, Plant Protection, Harvesting, Storage) इत्यादि से व्यापक रूप से जुड़ी हुई है।
इसके साथ ही वह पशुपालन और अन्य सहायक कृषि गतिविधियों (Agricultural Activities) जैसे मवेशी पालन, चारे का संग्रह, दुग्ध उत्पादन, मधुमक्खी पालन, मशरूम उत्पादन, सूकर पालन, बकरी पालन, मुर्गी पालन आदि में भी अपनी पर्याप्त भूमिका सुनिश्चित कर रही है।
अपनी आर्थिक सहभागिता (Economic Participation) के साथ-साथ घरेलू कार्यों में भी ग्रामीण महिलाएं महती भूमिका निभाती हैं जिसका उन्हें कोई परिश्रमिक नहीं मिलता। इसमें खाना बनाना, साफ सफाई, बच्चों का पालन पोषण इत्यादि जैसी गतिविधियां शामिल है।
बहुत से लोग इस बात से अनजान हैं कि 15 अक्टूबर अंतर्राष्ट्रीय ग्रामीण महिला दिवस है। इस दिन को मनाने का सबसे अच्छा तरीका जागरूकता फैलाना होगा। आप या तो ब्लॉग लेख लिख सकते हैं या विषय के बारे में सोशल मीडिया (Social Media) पोस्ट कर सकते हैं।
इस दिन, टेलीविजन और रेडियो कार्यक्रमों (Television and Radio Programs) में महिला सशक्तिकरण और नीतिगत निर्णयों पर कई बहस और चर्चाएं आयोजित की जाती हैं। आप इनमें से किसी एक में शामिल हो सकते हैं या आप अपने ज्ञान का विस्तार करने के लिए टेलीकास्ट देख सकते हैं।
किसी भी धर्मार्थ गैर-सरकारी संगठन (Non Government Organization) को टीम बनाकर कुछ ऐसा करने की कोशिश करें जिससे ग्रामीण इलाकों में रहने वाली महिलाओं के जीवन में बदलाव आए। शैक्षिक सुविधाएं, महिलाओं के लिए छात्रवृत्ति, वित्तीय सहायता, और मासिक धर्म स्वास्थ्य और स्वच्छता पर सुझाव कुछ ऐसी चीजें हैं जिन पर आप विचार कर सकते हैं।