अंतर्राष्ट्रीय बालिका दिवस हर साल 11 अक्टूबर को मनाया जाता है। अंतर्राष्ट्रीय बालिका दिवस बालिकाओं के सामने आने वाली चुनौतियों पर ध्यान देने और लड़कियों के सशक्तीकरण और उनके मानवाधिकारों की पूर्ति को बढ़ावा देने की आवश्यकता पर ध्यान केंद्रित करता है। प्रथम अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस 11 अक्टूबर 2012 को मनाया गया जिसकी आधिकारिक घोषणा संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा की गई थी। विश्व के सभी देशों में स्त्री को उसका सम्मान और अधिकार दिलाने के लिए विभिन्न प्रकार के सांस्कृतिक आयोजन कर अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस International Girl Child Day मनाया जाता है। भारत में स्त्री के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए राष्ट्रीय बालिका दिवस को 24 जनवरी को मनाया जाता है लेकिन पूरे विश्व के साथ मिलकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्त्री को सम्मान देने और उसे समाज में बराबरी का दर्जा देने के लिए अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस मनाया जाता है। आज के दिन बालिकाओं के अधिकारों व लैंगिक समानता जैसे- विषयों पर विशेष जागरूकता कार्यक्रम चलाकर लोगों को जागरूक करने की मुहिम चलाई जाती है ,अंतरराष्ट्रीय दिवस पर इस दिन प्रतिवर्ष विश्व भर में महिला सशक्तिकरण और उनके उत्थान से जुड़े विषयों पर अभियान चलाए जाते हैं जिससे बालिकाओं का उचित सामाजिक विकास हो सके और साथ ही पुरुषों की भांति वे भी समान रूप से समाज में प्रत्येक गतिविधि में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सके। क्योंकि समाज में लड़कियों को लेकर व्याप्त निम्न स्तरीय भावनाएं लड़कियों के विकास के लिए सदैव बाधक बन जाती हैं जिससे समाज में ना ही उन्हें उनका अधिकार और स्थान मिल पाता है और ना ही उनका सामाजिक विकास हो पाता है। यही वजह है कि विश्व के 50 देशों की अगुवाई में प्रतिवर्ष अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस 11 अक्टूबर को बड़े ही उमंग के साथ मनाया जाता है।
अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस International Girl Child Day पूरे विश्व में प्रतिवर्ष 11 अक्टूबर को 50 से अधिक देशों के द्वारा मनाया जाता है। यह दिन बड़े ही उत्साह के साथ मनाया जाता है। इस दिन का मुख्य उद्देश्य नारी शक्ति की ओर लोगों को जागरूक करना है। साथ ही महिलाओं को आत्मनिर्भर और सशक्त बनाना है। अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस हर साल 11 अक्टूबर को मनाया जाता है ताकि बालिकाओं के सामने आने वाली चुनौतियों और उनके अधिकारों के संरक्षण के बारे में जागरूकता बढ़ाई जा सके। समाज में जितना योगदान एक पुरुष का होता है उससे कहीं ज्यादा एक स्त्री की सहभागिता होती है। लेकिन ये हमारी बदकिस्मती है कि हमारे समाज में लड़कियों और लड़कों में अंतर को लेकर बहुत भेदभाव होते हैं। भले ही समय के साथ अब सोच में लड़कियों को लेकर आधुनिक परिवर्तन ने जन्म लिया है लेकिन आज भी समाज में उन्हें उनका सम्मानित दर्जा नहीं मिल पाता जहां वह अपने लिए निर्णय खुद ले सकें और सामाजिक गतिविधियों में समान रूप से भागीदार बन सकें। आज भी महिलाओं को समाज में वह वास्तविक बराबरी का दर्जा नहीं मिल सका है। हर साल इस दिन विभिन्न प्रकार के ऑनलाइन और ऑफलाइन समारोह को आयोजित किया जाता है और विभिन्न तरीकों का इस्तेमाल करके समाज के लोगों को औरतों के प्रति जागरूक किया जाता है। साथ ही बालिकाओं के सामाजिक विकास के उत्थान के लिए आज देश-विदेश में लड़कियों को प्रोत्साहित कर समाज में उन्हें उनका वास्तविक दर्जा दिलाने के लिए कई प्रकार के अभियान और कार्यक्रम चलाए जाते हैं। इसका मकसद समाज में संचालित प्रत्येक गतिविधि में लड़कियों की समान सहभागिता सुनिश्चित की जाती है। तो चलिए आज इस आर्टिकल के द्वारा विस्तार से अंतर्राष्ट्रीय बालिका दिवस (International Girl Child Day) के बारे में जानते हैं और साथ ही ये भी जानते हैं कि इस वर्ष की थीम क्या है और इस दिन को मनाने का क्या उद्देश्य है।
“कोमल है, कमजोर नहीं तू, शक्ति का नाम ही नारी है
जग को जीवन देने वाली, मौत भी तुझसे हारी है”
वैश्विक स्तर पर गर्ल चाइल्ड डे मनाने की शुरुआत एक गैर-सरकारी संगठन 'प्लान इंटरनेशनल' प्रोजेक्ट के रूप में की गई थी। इस संगठन ने 'क्योंकि मैं एक लड़की हूं' Because I Am a Girl campaign नाम से एक अभियान की शुरुआत की थी। इस संगठन ने लड़कियों के लिए उच्च शिक्षा, बेहतर चिकित्सक सुविधा और कानूनी अधिकार जैसी जरूरतों के लिए यह अभियान चलाया। फिर इस अभियान को इंटरनेशनल स्तर पर विस्तार करने के लिए कनाडा सरकार से संपर्क किया। कनाडा की सरकार ने इस मुद्दे को संयुक्त राष्ट्र सभा में उठाया जिसके बाद संयुक्त राष्ट्र सभा ने इस आग्रह को स्वीकार करते हुए अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस मनाने का प्रस्ताव पारित कर दिया। आखिरकार संयुक्त राष्ट्र ने 19 दिसंबर, 2011 को इस प्रस्ताव को पारित किया और इसके लिए 11 अक्टूबर का दिन चुना। संयुक्त राष्ट्र महासभा United Nations General Assembly ने औपचारिक रूप से 11 अक्टूबर को अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस मनाने की घोषणा कर दी इसके बाद साल 2012 से अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस प्रतिवर्ष मनाया जाता है। अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस के मौके पर विश्व के 50 से अधिक देशों में बालिकाओं को सम्मान और आत्म निर्भर बनाने की विभिन्न प्रकार की विशेष मुहिम चलाई जाती है। संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 11 अक्टूबर को अंतर्राष्ट्रीय बालिका दिवस के रूप में घोषित करने, लड़कियों के अधिकारों और दुनिया भर में लड़कियों के सामने आने वाली अनूठी चुनौतियों को पहचानने के लिए इस दिन को अपनाया। इस प्रकार पहला अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस (International Girl Child Day ) 11 अक्टूबर, 2012 को मनाया गया और उस समय इसकी थीम थी 'बाल विवाह को समाप्त करना' विश्व के 50 से अधिक देशों में अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस के अवसर पर विभिन्न प्रकार के समारोह के जरिए स्त्री के प्रति लोगों को जागरूक करने का प्रयास शुरू किया गया। संयुक्त राष्ट्र महासभा ने लड़कियों के अधिकारों और दुनिया भर में लड़कियों के सामने आने वाली चुनौतियों के बारे में जानने के लिए 11 अक्टूबर को अंतरराष्ट्रीय बालिका के दिवस के रूप में घोषित किया था।
अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस मनाने का उद्देश्य लड़कियों के सामने आने वाली विषमताओं को उजागर करना, उनके अधिकारों, उनकी शिक्षा आदि कई विषयों पर जागरूकता बढ़ाना है। यानि इस दिन को मनाने का मुख्य उद्देश्य देश की बालिकाओं को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक करना Making girls aware of their rights है। बेटियों के साथ-साथ समाज को भी इस लैंगिग भेदभाव के बारे में जागरूक करना Raising awareness of gender discrimination है। पूरे भारत में इस दिन जागरूकता कार्यक्रम awareness program आयोजित किए जाते हैं। इसके अलावा अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस मनाने का मुख्य उद्देश्य महिलाओं के सामने आने वाली चुनौतियों और उनके अधिकारों के संरक्षण के बारे में जागरूकता पैदा करना है। इस दिन की महत्ता इसलिए भी है क्योंकि यह लिंग-आधारित चुनौतियों को समाप्त करता eliminates gender-based challenges है और इन चुनौतियों का सामना दुनिया भर में लड़कियां करती हैं, जिसमें बाल विवाह child marriage, उनके प्रति भेदभाव और हिंसा शामिल है। आज सबसे अच्छा उपहार जो हम एक लड़की को दे सकते हैं वह है शिक्षा education, यह वास्तव में बालिकाओं के लिए श्रेष्ठ उपहार है। अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस मनाने के पीछे उद्देश्य है कि दुनियाभर की बालिकाओं की आवाज का सशक्त करना Empowering the voice of girls around the world है। इस दिन लोगों को यह बताया जाता है कि बालिकाओं की क्षमताओं और शक्तियों को पहचान कर उनके लिए दिल खोलकर अवसर मुहैया कराने चाहिए।
अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस प्रतिवर्ष मनाया जाता है और इस दिन नारी शक्ति के प्रति हर किसी को जागरूक किया जाता है। अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस का त्यौहार हर साल बड़े ही उमंग के साथ 50 से अधिक देशों में विभिन्न समारोहों को आयोजित करके मनाया जाता है। आज के दिन बालिकाओं के अधिकारों व लैंगिक समानता जैसे- विषयों पर विशेष जागरूकता कार्यक्रम चलाकर लोगों को जागरूक किया जाता है। अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस (International Day of Girl Child) बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस विश्व भर में अलग-अलग प्रकार के समारोह आयोजित कर के स्त्री को उसकी खुद की पहचान देने के लिए मनाया जाता है। इस दिन विभिन्न प्रकार के समारोह आयोजित किए जाते हैं जिससे बालिकाओं की शिक्षा जन्म और नौकरी की जागरूकता को विश्व भर में फैलाया जा सके और उनके जीवन को आसान बनाया जा सके। अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस समाज में स्त्री को पुरुष के बराबर का सम्मान देने के लिए मनाया जाता है। इस विशेष दिन को मनाए जाने का मुख्य उद्देश्य महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाना making women self-reliant और उन्हें समाज में सम्मान और सुरक्षा का एहसास कराना है। बालिका दिवस मनाने का उद्देश्य स्त्री के जीवन में आने वाली कठिनाईयों के बारे में समाज के लोगों को जागरूक करना है। एक महिला के साथ होने वाले भेदभाव के बारे में लोगों को बताया जाता है ताकि वह समझ सके कि समाज में किस स्तर पर स्त्रियों के साथ किस प्रकार के भेदभाव होते हैं। इस खास दिन पर परिवार, समाज और देश के लिए बालिकाओं के महत्व को दर्शाया जाता है। आज इंटरनेट युग चल रहा है इसलिए लोग इंटरनेट पर बालिकाओं के जीवन में आने वाली परेशानियों को दर्शाने के लिए विभिन्न प्रकार के वीडियो और एनीमेशन, और कंटेंट के द्वारा लोगों तक जानकारी पहुंचाते हैं। इस दिन शैक्षणिक संस्थाओं में विशेष सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। साथ ही ऑनलाइन और ऑफलाइन कार्यक्रमों के जरिए बालिका दिवस बड़े ही उत्साह के साथ मनाया जाता है। बालिका दिवस के बारे में लोगों को जागरूक करने के लिए विभिन्न प्रकार के समारोह आयोजित किए जा रहे हैं। धीरे-धीरे अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस का असर लोगों पर दिख रहा है और स्त्री को समाज में सम्मान और एक नया दर्जा देने का प्रयास किया जा रहा है। अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस का त्यौहार मुख्य रूप से सभी स्त्रियों को उनका हक और पुरुष के बराबर का सम्मान, समाज में दिलाने के लिए मनाया जाता है। इस दिन पूरे विश्व में संगीत और खेल जैसे कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं जिससे लोगों में जागरूकता फैले ।
अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस 11 अक्टूबर को पूरे विश्व भर में स्त्री सम्मान को दर्शाने के लिए मनाया जाता है। यह दिन पूरी दुनिया में लड़कियों के महत्व, शक्ति और क्षमता का जश्न मनाता है। यह दिन लड़कियों की आवश्यकताओं और उनके सामने आने वाली समस्याओं पर भी प्रकाश डालता है। इस दिन का महत्व बालिकाओ की उच्च शिक्षा, पोषण और कानूनी अधिकार के लिए प्रयास करना है। यानि बालिका दिवस का महत्व बहुत ही अधिक है, यह बालिकाओं को शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार के प्रति जागरूक Makes girls aware of education, health and employment करता है। हर साल अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस का त्यौहार सभी स्त्रियों को उनके हक और सम्मान की लड़ाई सबके समक्ष रखने के लिए विभिन्न देशों के द्वारा मनाया जाता है। इस दिन समाज के विभिन्न सम्मानित व्यक्तियों द्वारा लड़कियों को उनके मौलिक अधिकार Girls' fundamental rights, शिक्षा का महत्व, स्वतंत्रता importance of education, freedom जैसे विषयों के महत्व के बारे में लोगों को बताया जाता है। बालिकाओं को जीवन में किस प्रकार की समस्या का सामना करना पड़ता है उसके बारे में इस दिन हर किसी को प्रेरित किया जाता है। बालिकाओं के विकास के लिए आज कई देशों में विभिन्न प्रकार के कार्यक्रम चलाए जाते हैं जिससे लोग बालिकाओं के महत्व को समझ पाएं। अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस हर साल स्त्री और पुरुष की समानता को दर्शाता है। भारत अंतर्राष्ट्रीय बालिका दिवस और राष्ट्रीय बालिका दिवस दोनों मनाता है। भारत में राष्ट्रीय बालिका दिवस 24 जनवरी और 11 अक्टूबर को अंतर्राष्ट्रीय बालिका दिवस के रूप में मनाया जाता है। समाज में लड़कियों को लेकर व्याप्त निम्न स्तरीय भावनाएं लड़कियों के विकास के लिए हमेशा बाधक बन जाती हैं। जिसके कारण समाज में उन्हें उनका अधिकार नहीं मिल पाता है और उनका सामाजिक विकास नहीं हो पाता है। अतः विश्व के अधिकांश लोग इस दिन के द्वारा बालिकाओ के हो रहे शोषण, हिंसा, भ्रूण हत्या, रेप, दहेज उत्पीड़न Exploitation, violence, feticide, rape, dowry harassment और बाल विवाह जैसे चीजों के खिलाफ आवाज उठाते हैं। आज देश की बेटियां हर क्षेत्र में अपना परचम लहरा रही हैं। धीरे धीरे समय बदल रहा है। पहले जहां बेटियों के पैदा होने पर उन्हें बाल विवाह जैसे कुप्रथा में झोंक दिया जाता था, वहीं आज बेटी होने पर लोग गर्व महसूस करते हैं। क्योंकि स्त्री सबसे शक्तिशाली होती है, स्त्री साक्षात दुर्गा का अवतार होती है जिसे ऊर्जा का सृजन और स्वरूप माना जाता है।
इस साल की थीम "अब हमारा समय है - हमारे अधिकार, हमारा भविष्य" "Our time is now—our rights, our future" है। आज हम अगर देखें तो पाएंगे कि बेटियां किसी भी क्षेत्र में बेटों से कम नहीं हैं। इसलिए हमें बेटियों पर भी उतना ही गर्व होना चाहिए जितना बेेटे पर। हमें बालिकाओं को शिक्षित करने, उनके सशक्तीकरण और उनके मानवाधिकारों की पूर्ति को बढ़ावा देने की आवश्यकता पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। दुनिया भर में लड़कियों को उनकी शिक्षा, उनके शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य और आवश्यक सुरक्षा के लिए अभूतपूर्व चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। हम सबको मिलकर समाज में लड़कियों के साथ होने वाली लैंगिक असमानताओं को खत्म करने के लिए संपूर्ण समाज को जागरूक करना है जिससे बालिकाओं को समाज में उनका उचित अधिकार मिल सके। पिछले साल अंतर्राष्ट्रीय बाल दिवस 2021 की थीम डिजिटल पीढ़ी, हमारी पीढ़ी (Digital Generation. Our generation) थीम के साथ मनाया गया था। साल 2021 दसवीं अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस के रूप में मनाया गया था।
ये सच है कि भारत सरकार भी बालिकाओं के सामने आने वाली चुनौतियों पर ध्यान दे रही है और सरकार ने भी बालिकाओं को सशक्त बनाने के लिए कई प्रकार की योजनाओं को लागू किया है, जो निम्न हैं -
"बेटी बचाओ और बेटी पढ़ाओ" एक उल्लेखनीय योजना है। योजना का मुख्य उद्देश्य बालिकाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करना है। साथ ही इसका उद्देश्य देश में हर बालिका को शिक्षा प्रदान करना है। दरअसल कन्या भ्रूण हत्या के कारण बेटियों की संख्या लगातार बेटों से कम होती रही है जिसके बाद सरकार को बेटी बचाओ जैसे कार्यक्रमों को शुरू करना पड़ा। यह बाल लिंग अनुपात में गिरावट के मुद्दे को भी संबोधित करता है। भारत सरकार ने बेटियों और बेटों में भेदभाव को खत्म करने के लिए कई योजनाएं चलाई हैं और बेटियों को देश में पहले पायदान पर लाने के लिए कई कानून लागू किए गए। केंद्र सरकार समेत राज्य सरकारें भी अपने अपने राज्यों में बेटियों के प्रति लोगों में जागरूकता बढ़ाने के लिए कई कदम उठाते हैं और अपने स्तर पर कई अन्य महत्वपूर्ण योजनाएं शुरू कर रही हैं। भारत अंतर्राष्ट्रीय बालिका दिवस और राष्ट्रीय बालिका दिवस दोनों मनाता है।
इसके अलावा बालिका समृद्धि योजना, लड़कियों के लिए यह सरकारी योजना, बीपीएल परिवारों में जन्म के लिए है। इस योजना में जन्म के बाद 500 रुपए की अनुदान राशि दी जाती है। इस योजना का मुख्य उद्देश्य जन्म के समय बालिका और उसकी माँ के प्रति लोगों का जो नकारात्मक रवैया होता है उसको बदलना है।
सुकन्या समृद्धि योजना Sukanya Samriddhi Yojana
यह योजना एक बचत जमा योजना है। इस योजना का उद्देश्य माता पिता को लड़की की शिक्षा को पूरा करना है साथ ही उसकी शादी के खर्चों को पूरा करने में सक्षम बनाना है।
इसके अलावा सिंगल गर्ल चाइल्ड के लिए सीबीएसई मेरिट स्कॉलरशिप योजना भी है। एक अन्य योजना कस्तूरबा गाँधी बालिका विद्यालय योजना जिसका उद्देश्य शैक्षिक रूप से पिछड़े लोगों को उच्च प्राथमिक स्तर पर मुफ्त आवासीय विद्यालय की सुविधा देती है। ऐसी कई योजनाएं सरकार द्वारा बालिकाओं के हित में शुरू की जाती हैं।