कहते हैं कि परिवार से बड़ा कोई धन नहीं होता, परिवार के मायने ही अलग है। एक छोटे बच्चे के लिए उसका परिवार ही उसकी दुनिया होती है। हम सभी के जीवन में पिता से बड़ा कोई सलाहकार नहीं होता हैं, मां के आंचल से बड़ी कोई दुनिया नहीं, भाई से अच्छा कोई भागीदार नहीं, और बहन से बड़ा कोई शुभचिंतक नहीं होता, इसलिए परिवार के बिना जीवन की कल्पना करना कठिन है। आज इस परिवार दिवस पर आइए परिवार के कुछ अलग मायनों को समझते हैं।
हर परिवार की एक अलग विशेषता होती है, और संस्कार, मर्यादा, सम्मान, समर्पण, आदर, अनुशासन एक सुखी-संपन्न एवं खुशहाल परिवार के गुण होते हैं। व्यक्ति एक परिवार में ही जन्म लेता है, और उसी से उसकी पहचान होती है। परिवार से ही हमे अच्छे-बुरे लक्षण का ज्ञान मिलता है। घर के सदस्यों के जुड़ने पर ही एक परिवार बनता है जो दुःख-सुख में सभी एक-दूसरे का साथ देते हैं। एक बच्चे के चरित्र निर्माण से लेकर उसकी सफलता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है एक परिवार। यह किसी भी सशक्त देश के निर्माण में एक आधारभूत संस्था की भांति होता है, जो विकास कार्यक्रमों से दिनोंदिन योगदान देकर प्रगति के नए सोपान तय करता है। परिवार से व्यक्ति के अस्तित्व का निर्धारण होता है इसलिए परिवार सबके लिए जरूरी है, क्योंकि लोगों से परिवार बनता हैं, परिवार से राष्ट्र और राष्ट्र से बनता है विश्व।
परिवार के महत्व (importance of family) और उसकी उपयोगिता को प्रकट करने के उद्देश्य से प्रतिवर्ष 15 मई को संपूर्ण विश्व में अंतरराष्ट्रीय परिवार दिवस (International Day of Families) मनाया जाता है। इस दिन की शुरुआत संयुक्त राष्ट्र अमेरिका (United States) ने 1994 को की थी और तभी से इस दिवस को मनाने का सिलसिला जारी है। इसलिए कहा भी जाता है 'वसुधैव कुटुंबकम्' (Vasudhaiva Kutumbakam) अर्थात पूरी पृथ्वी हमारा परिवार है। ऐसी भावना के पीछे परस्पर वैमनस्य, कटुता, शत्रुता व घृणा (animosity, bitterness, enmity and hatred) को कम करना एक महत्वपूर्ण उद्देश्य है।
संयुक्त राष्ट्र जनरल एसेंबली (United Nations General Assembly) ने 9 दिसंबर, 1989 के 44/82 के प्रस्ताव में हर साल परिवार दिवस (family day) मनाए जाने की घोषणा की थी। इसके बाद साल 1993 में महासभा ने एक संकल्प (A/RES/47/237) में हर साल 15 मई को मनाने का फैसला किया गया। संयुक्त राष्ट्र का उद्देश्य (Aim of the United Nations) दुनिया भर में परिवारों के बेहतर जीवन स्तर और सामाजिक प्रगति (social progress) के लिए लोगों को प्रोत्साहित करना है। यह दिन आर्थिक और सामाजिक संरचनाओं (economic and social structures) को संशोधित करने पर केंद्रित है जो दुनिया के विभिन्न हिस्सों में पारिवारिक इकाइयों की स्थिरता और संरचना को प्रभावित करते हैं।
अंतरराष्ट्रीय परिवार दिवस 2022 की थीम है ‘परिवार और शहरीकरण’ (family and urbanization), इसका मुख्य उद्देश्य परिवार के अनुकूल शहरी नीतियों के महत्त्व पर जागरूकता बढ़ाना है। अंतरराष्ट्रीय परिवार दिवस 2021 की थीम थी - परिवार और नई प्रौद्योगिकियां (Family and new technologies)। यह थीम परिवार और पारिवारिक संबंध पर नयी प्रौद्योगिकियों (new technologies) के प्रभाव पर केंद्रित हैं।
अंतर्राष्ट्रीय परिवार दिवस पारिवारिक मुद्दों (family issues) के बारे में जागरूकता बढ़ाने और परिवारों को प्रभावित करने वाले सामाजिक और आर्थिक मुद्दों (social and economic issues) के ज्ञान को बढ़ाने के लिए मनाया जाता है। इसी प्रकार परिवार के महत्व को बनाए रखने के लिए परिवार के प्रति सभी के प्रेम और सम्मान (love and respect) को बढ़ाने के लिए इस दिन को मनाया जाता है।
परिवार दो प्रकार के होते हैं:
एक एकाकी परिवार (nuclear family) और दूसरा संयुक्त परिवार (joint family)।
भारत में प्राचीन काल से ही संयुक्त परिवार (joint family) की धारणा रही है। संयुक्त परिवार में वृद्धों को संबल (elderly support) प्रदान होता रहा है और उनके अनुभव व ज्ञान से युवा व बाल पीढ़ी लाभान्वित होती रही है। संयुक्त पूंजी, संयुक्त निवास व संयुक्त उत्तरदायित्व (Joint Capital, Joint Residence and Joint Liability) के कारण वृद्धों का प्रभुत्व रहने के कारण परिवार में अनुशासन व आदर का माहौल हमेशा बना रहता है। लेकिन बदलते समय में तीव्र औद्योगीकरण, शहरीकरण, आधुनिकीकरण व उदारीकरण (Rapid Industrialization, Urbanization, Modernization and Liberalization) के कारण संयुक्त परिवार की परंपरा चरमराने लग गई है और संयुक्त परिवारों का बिखराव होने लगा है।
एकाकी परिवारों (nuclear family) की जीवनशैली ने दादा-दादी और नाना-नानी की गोद में खेलने व लोरी सुनने वाले बच्चों का बचपन छीनकर उन्हें मोबाइल और टेक्नोलॉजी (Mobile & technology) का आदी बना दिया है। उपभोक्तावादी संस्कृति, अपरिपक्वता, व्यक्तिगत आकांक्षा, स्वकेंद्रित विचार, व्यक्तिगत स्वार्थ सिद्धि, लोभी मानसिकता आपसी मनमुटाव और सामंजस्य की कमी (Consumerist culture, immaturity, individual aspirations, self-centered thoughts, individual selfishness, greedy mentality, mutual disharmony and lack of harmony) के कारण संयुक्त परिवार की संस्कृति बदल गयी है। गांवों में रोजगार का अभाव (lack of employment) होने के कारण अक्सर एक बड़ी आबादी का विस्थापन शहरों की ओर गमन करता है। शहरों में भीड़भाड़ और महंगाई के कारण बच्चे अपने माता-पिता को चाहकर भी पास नहीं रख पाते हैं। यदि रख भी ले तो माता-पिता शहरी जीवन के अनुसार खुद को ढाल नहीं पाते हैं। क्योंकि गांवों की खुली हवा में सांस लेने वाले लोगों का शहर की संकरी गलियों में दम घुटने लगता है। इसके अलावा पश्चिमी संस्कृति (Western culture) का प्रभाव बढ़ने के कारण आधुनिक पीढ़ी (modern generation) का अपने बुजुर्गों व अभिभावकों के प्रति आदर कम होने लगा है।
तो आज इस परिवार दिवस पर अपने परिवार के साथ बैठिये, उनसे बात कीजिये और कुछ खूबसूरत यादगार पल फिरसे साझा कीजिये, क्योंकि बाकी सब सपने होते हैं, अपने तो अपने होते हैं।
अंतर्राष्ट्रीय परिवार दिवस, प्रतिवर्ष 15 May को आयोजित किया जाता है, परिवारों के महत्व का जश्न मनाता है और यह कार्य अंतर्राष्ट्रीय परिवारों के वर्ष के दौरान शुरू हुआ।
"Happy International Family Day"
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