इस आर्टिकल में, भारत के युवा उद्यमियों और स्व-निर्मित करोड़पतियों की प्रेरणादायक सफलता की कहानियों के बारे में चर्चा की गयी है। जिन्होंने बहुत कम उम्र में सफल स्टार्ट-अप बनाकर या सफल उद्यमी बनकर यह साबित किया कि व्यवसाय में सफलता प्राप्त करने के लिए उम्र मायने नहीं रखती। Sustainable Ideas को व्यवसायों में बदलने के उनके दृढ़ संकल्प ने सफलता को एक नया आयाम दिया है। आइए उनकी technology learning practices के बारे में जानते हैं, जो उन्हें अपनी उम्र के युवाओं से अलग बनाती हैं।
आज एक इस ब्लॉग में हम आपको ऐसे ही तीन युवा उद्यमियों की प्रेरक कहानियां Inspiring Stories Of Three Young Entrepreneurs बताने वाले हैं, जिन्होंने भावी पीढ़ियों के लिए एक उदाहरण प्रस्तुत करते हुए उनका मार्ग भी प्रशस्त किया हैं ।
आज की युवा पीढ़ी के सपने बहुत बड़े हैं वह जीवन को जीने में और सीखने में यकीन रखती है। उनकी दृढ़ विचार प्रक्रिया और ज्ञान प्राप्त करने के तरीके काफी रोमांचक adventurous हैं, जो उन्हें यह तय करने में मदद करते हैं कि वे आज के तेजी से भागते युग में क्या बनना और हासिल करना चाहते हैं। दुनिया इन युवा उद्यमियों के विकास और सफलता की साक्षी रही है, और भारत हमेशा एक कदम आगे रहा है।
यह मुख्य रूप से देश के युवाओं की तकनीकी जानकारी (technical knowledge) के कारण है, जो adaptation और perseverance के मामले में हमेशा शीर्ष पर रही है। इसने विभिन्न क्षेत्रों में विकास के विस्तार के रास्ते बनाए हैं, जिसमें देश के युवा बड़े संगठनों के विचारों में नवाचार और उज्ज्वल भविष्य के लिए नए व्यावसायिक अवसरों के साथ बेहतर प्रदर्शन कर रहे हैं।
आइए बात करते हैं भारत के तीन सफल युवा उद्यमियों की प्रेरणादायक सफलता की कहानियों के बारे में-
"द टेक ब्रदर्स" (The Tech Brothers)
कहते हैं न कि सपने देखने और उन्हें पूरा करने की कोई उम्र नहीं होती। अगर हम कुछ करना चाहे तो क्या कुछ नहीं हासिल कर सकते। इसके लिए कोई उम्र, कोई समय आपको नहीं रोक सकता। कुछ ऐसा ही काम किया है दो भाइयों श्रवण कुमारन और संजय कुमारन ने। इतनी छोटी सी उम्र में ही इन दोनों भाईयों ने भारत के सबसे छोटे एंटरप्रेन्योर बनने का गौरव हासिल किया है।
श्रवण कुमारन और संजय कुमारन दोनों भाई चेन्नई के रहने वाले हैं। इनके पिता सुरेन्द्रन कॉग्निजेंट सॉफ्टवेयर कंपनी में एसोसिएट वाइस प्रेसिडेंट के पद पर कार्यरत है। वहीं इनकी मां एक पत्रकार रह चुकी हैं। दरअसल अपने माता-पिता से प्रेरित होकर इन दोनों ने औरों से कुछ अलग करने का सोचा था। इनके पिता ने इनसे कहा था कि आपको अपनी खुद की पहचान बनानी होगी।
फिर एप्पल के सीईओ स्टीव जॉब्स Apple CEO Steve Jobs से प्रभावित होकर सॉफ्टवेयर के क्षेत्र में काम करने का फैसला किया। उनके पिता ने भी उनका साथ दिया। वे स्कूल के बाद खाली समय में किताबें पढ़ते। इस तरह श्रवण और संजय सॉफ्टवेयर के बारे में जानकारी प्राप्त करते। फेसबुक बनाने वाले Mark Zuckerberg भी दोनो से मिल चुके हैं।
इन दोंनो भाईयों ने मिल कर Apple और Google के लिए करीब 5 Application बनाई हैं। वर्तमान में वे याहू के एप्लीकेशन मेनेजमेंट विंग Yahoo's Application Management Wing को सेवाएं दे रहे हैं।
यह भारत के सबसे कम उम्र के उद्यमी हैं। श्रवण और संजय कुमारन ने वर्ष 2011 में 10 साल की उम्र में "गोडाइमेंशन" (GoDimensions) नाम से अपनी कंपनी लॉन्च की। इन तकनीकी भाइयों ने अपने जुनून को बरकरार रखा है। अपनी कंपनी को सफलता की ओर आगे बढ़ाने के लिए लगातार काम किया। उन्होंने बच्चों के लिए 11 एप्लिकेशन बनाए हैं, जिनमें से 7 पहले से ही ऐप्पल ऐप स्टोर / ऐप्पल स्टोर ऑनलाइन (iOS) में उपलब्ध हैं और उनमें से 3 एंड्रॉइड प्ले स्टोर (Android Play Store) पर उपलब्ध हैं।
उनके लोकप्रिय एप्लिकेशन में से एक को अल्फाबेट बोर्ड, प्रेयर प्लेनेट (Alphabet Board, Prayer Planet) के साथ कलर पैलेट (Colour Palette) के नाम से जाना जाता है। वे टेड कॉन्फ्रेंस एलएलसी नामक सबसे बड़े प्लेटफॉर्म में सबसे कम उम्र के स्पीकर भी बन गए हैं।
इसके अलावा इन दोनों भाइयों ने अपराधियों को पकड़ने वाला ‘कैच मी कॉप’ Catch Me Cop नाम का ऐप्लिकेशन बनाया। जिससे अपराधियों को पकड़ने में मदद मिल सकती है। लेकिन इस एप्लीकेशन को बनाने से पहले इन दोनों भाइयों ने 150 बार निराशा का सामना किया लेकिन फिर भी इन्होंने हिम्मत नहीं हारी।
साथ ही दोनों भाइयों ने कुछ गेम्स से जुड़े एप्स भी बनाए हैं। वे बिल गेट्स की टेक्निकल क्षमताओं और बिजनेस नालेज के कायल हैं। आपको बता दें कि उनकी कंपनी के पहले एप्लीकेशन को गूगल प्ले पर कोई डाउनलोड नहीं मिला था। उनका दूसरा एप्लीकेशन एक फोटो एडिटर था, जिसको दो दिन के अंदर अंदर 25000 डाउनलोड्स मिले थे।
ये दोनों भाई अपने पिता के सहयोग से ये सॉफ्टवेयर के क्षेत्र में आगे बढ़ते चले गए हैं। इन दोनों ने बच्चों और बुजुर्गों के लिए एक एप बनाई है। इन्होंने वर्चुअल रियलिटी जीओवीर नाम का एक हेडसेट भी बनाया। इसकी खूबी यह है कि यह बाकी वर्चुअल रियलिटी डिवाइस से पांच गुना सस्ता है। श्रवण और संजय सामाजिक कार्यों में भी शामिल हैं। दोनों भाई अपनी कमाई का 15 प्रतिशत दान दे देते हैं।
यदि आपके पास एप्पल का मोबाइल है तो आपने कैच मी काप, ए कान इस्केप्स, ए प्रिजन अप्लीकेशन Catch Me Cop, A Can Escapes, A Prison Application डाउनलोड किया होगा। यह इन यंग सीईओ ने ही बनाया है। इसके अलावा प्रेयर प्लेनेट को भी काफी पसंद किया जा रहा है।
इन दोनों भाइयों द्वारा डेवलेप की गई अप्लीकेशन बच्चों के साथ युवाओं और गेम्स के शौकीनों को लुभा रही है। उनकी कंपनी में 'सॉफ्टबैंक' ने 120 करोड का इंवेस्टमेंट किया है और 'सॉफ्टबैंक' से निवेश पाने वाले वे अब तक के सबसे कम उम्र के भारतीय हैं।
इन दोनों भाइयों ने ‘गो डोनेट’ नाम की एप बनाई है। इस एप के द्वारा बचे हुए खाने को गरीब बच्चों तक आसानी से पहुंचाया जा सकता है। श्रवण और संजय की कहानी आज सबके लिए प्रेरणास्त्रोत (Inspiration) है।
आप TEDxTalks पर उनके कुछ अनुभव देखने के लिए लिंक पर क्लिक कर सकते हैं। (TEDx Talks YouTube Channel)
"टीनएज इंटरनेट उद्यमी" (Teenage Internet Entrepreneur)
वह 12 साल की उम्र में इसके सीईओ बन गए थे। कंप्यूटर में उनकी रुचि और प्रोग्रामिंग 6 साल की उम्र में शुरू हुई और 9 साल की उम्र में उन्होंने अपनी पहली वेबसाइट लॉन्च की।
अद्वैत ठाकुर किशोरावस्था में एक सफल युवा उद्यमी बन गए हैं क्योंकि उन्होंने एपेक्स इंफोसिस इंडिया (Apex Infosys India) की स्थापना की। वह 12 साल की उम्र में इसके सीईओ बन गए थे। एपेक्स इंफोसिस घरों और व्यवसायों के लिए स्वचालन और नेटवर्किंग सिस्टम की एक अग्रणी प्रदाता कंपनी बना दी गई है. जो प्रकाश, ऑडियो, वीडियो, जलवायु नियंत्रण, इंटरकॉम और सुरक्षा सहित जुड़े उपकरणों को नियंत्रित करती है। यानि अगर किसी को किसी भी तरह का डिजिटल समाधान चाहिए तो वो सब यहां मिलेगा।
कंप्यूटर में उनकी रुचि और प्रोग्रामिंग 6 साल की उम्र में शुरू हुई और 9 साल की उम्र में उन्होंने अपनी पहली वेबसाइट लॉन्च की। क्या आप कभी सोच सकते हैं कि सिर्फ नौ साल की उम्र में कोई बच्चा अपनी खुद की वेबसाइट लॉन्च कर सकता है? नहीं ना लेकिन ऐसा सच में हुआ है। नौ साल के बच्चे ने अपनी खुद की वेबसाइट लॉन्च कर लोगों को चौंका दिया है।
नौ साल के बच्चे जिनसे ये उम्मीद की जाती है कि वो सही से स्कूल जाएं और अपनी पढ़ाई पर ध्यान दें उस उम्र में मुंबई के अद्वैत रवींद्र ठाकुर अपनी खुद की वेबसाइट लांच कर दी थी और उम्र के दोगुना होने से पहले ही अपनी कंपनी खोलकर उसके सीईओ बन गए। इतना ही नहीं आज वो गूगल जैसे समूह के साथ काम करके सैकड़ों लोगों को रोजगार दे रहे हैं।
दरअसल अद्वैत के पिता रविंद्र ठाकुर एक आईटी इंजीनियर थे इसलिए उनके गुण बेटे में ट्रांसफर होने में ज्यादा वक्त नहीं लगा। रविंद्र जब कभी घर पर बैठ कर कम्प्यूटर पर कोडिंग किया करते थे, तब अद्वैत बहुत हैरानी के साथ उन्हें देखते थे। बेटे की दिलचस्पी देखकर रवीन्द्र ने उसे महज 6 साल की उम्र में कम्प्यूटर का बेसिक पाठ पढ़ा दिया। रविन्द्र ने एक इंटरव्यू में अपने बेटे के बारे में कहा था कि वो अपने कोर्स के अलावा प्रोग्रामिंग की किताबें पढ़ता था।
वह Google के एआई और क्लाउड (Google’s AI and Cloud) के साथ भी काम कर रहे हैं। यह उनका सबसे बड़ा कॉन्टैक्ट कहलाया और इसी के दम पर भारत में अद्वैत की कंपनी को प्रतिष्ठित बना दिया। उनके पास हबस्पॉट, बिंग और Google जैसे प्लेटफॉर्म पर अच्छी विशेषज्ञता भी है। इसके साथ ही वे एक भारतीय कंप्यूटर प्रोग्रामर और टीनेज इंटरनेट उद्यमी बन गए। उनके पास वर्ष 2017 में विकिया के (Wikia’s Young Entrepreneurs under 20) के युवा उद्यमी होने का रिकॉर्ड है और उन्होंने इसमें चौथा स्थान हासिल किया है।
14 साल की उम्र में, उन्होंने "Technology Quiz" नाम से एक ऐप लॉन्च किया, जहां बच्चों को प्रौद्योगिकी और विज्ञान के बारे में शिक्षा मिलती है। जूम, सीएमओ एशिया और वर्ल्ड फेडरेशन ऑफ मार्केटिंग प्रोफेशनल्स ने ग्लोबल यूथ मार्केटिंग फोरम के जरिए साल 2019 में सबसे प्रभावशाली यंग मार्केटिंग प्रोफेशनल से भी नवाज जा चुका है।
इस एप की लॉचिंग के दौरान अद्वैत ने कहा था कि मैं अकेला नहीं हूं, हमारे देश में इससे भी कहीं ज्यादा प्रतिभावान बच्चे हैं जिनकी प्रतिभा को उभारने के लिए इस एप को तैयार किया गया।
अद्वैत ठाकुर Computer Programmer, Young Entrepreneur, AI Researcher, Founder of Apex Infosys India कंप्यूटर प्रोग्रामर, यंग एंटरप्रेन्योर, एआई रिसर्चर और वह एपेक्स इन्फोसिस इंडिया के संस्थापक हैं और वर्तमान में इसके मुख्य कार्यकारी अध्यक्ष भी हैं। अद्वैत फेसबुक के संस्थापक मार्क जुकरबर्ग से प्रेरित हैं। खुद को मार्क की तरह एक एक्सीडेंटल एंटरप्रेन्योर मानने वाले अद्वैत टेक्नोलाजी के जरिये एग्रीकल्चर सप्लाई चेन में सुधार लाने की कोशिश भी कर रहे हैं।
वह कई गैर सरकारी संगठनों से भी जुड़े हुए हैं और उन्होंने "ऑटिज्म अवेयरनेस" (Autism Awareness) नामक एक ऐप पेश किया है, यह एप्लिकेशन शिक्षित करने के लिए है, यह उपयोगकर्ताओं को ऑटिज़्म और बच्चों में विभिन्न विकारों के बारे में सूचित करता है जिससे विशेष रूप से विकलांग बच्चों के निदान और जरूरतों को समझने में मदद मिलती है। अद्वैत ठाकुर भारत की कुछ सबसे चुनौतीपूर्ण समस्याओं के समाधान की पेशकश के लिए IOT पर आधारित उत्पाद पर काम कर रहे हैं।
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अद्वैत ठाकुर ने अपनी मेहनत और दूरगामी सोच की बदौलत अपनी सफलता की कहानी लिखी है। उनकी यह कहानी आज सभी के लिए प्रेरणास्त्रोत (Inspirational Story) है। क्योंकि सफलता उम्र की मोहताज नहीं होती। इस कथन को साबित कर दिखाया है अद्वैत ठाकुर (Advait Thakur) ने। अद्वैत ठाकुर का कहना है कि देश को आत्मनिर्भर बनाने में युवाओं का बड़ा योगदान हो सकता है।
इसके लिए जरूरी है कि पैरेंट्स अपने बच्चों को एंटरप्रेन्योरशिप में आने के लिए प्रोत्साहित करें। वह सामान्य एंटप्रेन्योर्स की अपेक्षा लाभ-हानि से ऊपर उठकर मूल्य आधारित सिस्टम क्रिएट करने का इरादा रखते हैं। उनका मानना है कि अगर हम एक उद्देश्य के साथ बिजनेस करते हैं, कुछ क्रिएट करते हैं, तो उसका दीर्घकालिक फायदा होता है।
"किड आउट ऑफ द बॉक्स" (Kid Out of the Box)
जिस उम्र में ज्यादातर बच्चे अपने खेल औऱ पढ़ाई में लगे रहते हैं, वहीं एक ऐसा बच्चा भी है जिसने वीडियों गेम खेलने की उम्र में बिज़नेस करने पर अपना ध्यान केंद्रित किया। वो बच्चा और कोई नहीं कैनवस + के संस्थापक अर्जुन राय है। अर्जुन ने अपनी उम्र के लड़कों के विपरित फ़्लिपसाइड पर अपना ध्यान केंद्रित किया। जब उनकी उम्र के बच्चे वीडियो गेम खेलने में व्यस्त थे, तो उन्होंने एक गेराज बिक्री का आयोजन किया और अपनी पहली कमाई हासिल की।
अर्जुन राय ने 7 साल की उम्र में अपनी पहली गैरेज बिक्री की। जब वह 9 साल के थे, तब उन्होंने दुनिया भर के बड़े उद्यमियों के साथ बातचीत करने और नेटवर्क बनाने के लिए एक लिंक्डइन पेज बनाया था। 10 साल की उम्र में, उन्होंने अपने ज्ञान का इस्तेमाल एक ऑनलाइन विज्ञापन एजेंसी के सीओओ बनने के लिए किया, यह Odyssey Ads ओडिसी विज्ञापन, जिसके माध्यम से वह अन्य कंपनियों को आधुनिक विज्ञापन समाधान प्रदान करना चाहता था।
अर्जुन राय (Arjun rai) हमेशा यह मानते हैं कि खुद को ऐसे लोगों के बीच रखना चाहिए जो आपको महान काम करने के लिए प्रेरित करें। अर्जुन राय उन किशोरों में से एक हैं जो मार्केटिंग और प्रचार के क्षेत्र में एक अलग आयाम बनाना चाहते थे, और उन्होंने इसे संभव भी बनाया। अर्जुन राय उन किशोरों में से एक हैं जो मार्केटिंग और प्रचार के क्षेत्र में एक अलग आयाम बनाना चाहते थे, और उन्होंने इसे संभव भी बनाया।
अर्जुन ने एक विज्ञापन कंपनी में सीओओ का पद हासिल किया जो 2010 में तेजी से बढ़ रही थी; बाद में उन्होंने Odysseys Ads नामक अपना स्वयं का स्टार्टअप शुरू करके अपने main interest पर स्विच किया; जो marketers और businesses के लिए एक बड़ी सफलता बन गई। बाद में, उन्होंने और अधिक स्टार्ट-अप बनाए जो सफल हुए, उनमें शामिल हैं, "द बिज़डेन" (The BizDen), "फ्यूलब्राइट डॉट कॉम"(FuelBrite.com), "वर्डडाटा एआई" (WordData AI), और HelloWoofy.com आदि।
उनका ज्ञान और रुचि एक बॉक्स में नहीं रखी जा सकती थी और इस तरह "कैनव्स +" (Canvs+) अस्तित्व में आया। 21 साल की छोटी उम्र में, अर्जुन राय की निजी वेबसाइट ने खुद को एक स्व-निर्मित करोड़पति के रूप में स्थापित किया है।
अर्जुन के विचारों ने तकनीक के क्षेत्र में हमारे विज्ञापन और विपणन (Advertisement & Marketing) के तरीके को बदल दिया। अर्जुन आज लिंक्डइन जैसे सोशल प्लेटफार्मों की मदद से, वह अन्य उद्यमियों (Entrepreneurs ) के साथ मिलकर एक सफल बिज़नेसमैन बनने की ओर कदम बढ़ा रहे हैं। अर्जुन राय दूसरों के लिए एक प्रेरणा (Inspiration) बन चुके हैं।
उनकी सफलता की कहानी (Success Story) सभी को मोटिवेट (Motivate) करती है। अर्जुन राय को देखकर हम कह सकते हैं कि कुछ बच्चे सामान्य से परे सोचने की हिम्मत रखते हैं एवं दुनिया को कुछ कर दिखाने की क्षमता दिखाते हैं।
निष्कर्ष
इन युवा स्टार्टअप विशेषज्ञों ने अपने लिए एक भविष्य बनाया है और कई युवाओं को अपने सपनों को पूरा करने के लिए प्रेरित किया। दुनिया में एक नया परिवर्तन लाने की उनकी क्षमता की हमेशा प्रशंसा की जानी चाहिए लेकिन जैसा कि हम जानते हैं, बच्चों का विकास परिवार से शुरू होता है, इसलिए माता-पिता का मार्गदर्शन ऐसी प्रेरणादायक सफलता की कहानियां बनाने के लिए मुख्य प्रेरणा शक्ति बन जाता है।
जब आने वाली पीढ़ी के लिए एक उज्ज्वल विकासशील भविष्य बनाने की बात आती है, तो मानसिकता बहुत प्रभाव डालती है। इसी प्रकार अन्य उद्यमियों की सफलता की कहानियों को पढ़ने के लिए, ThinkWithNiche को सब्सक्राइब कीजिये।
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(यह लेख सम्मानीय यतीश कुकरेती जी द्वारा लिखे गए लेख का हिंदी रूपांतरण है। इसे इंग्लिश में पढ़ने के लिए कृपया नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें)