आज़ाद होने के बाद से लेकर वर्तमान समय तक भारतीय नौसेना ने स्वयं को अधिक दृढ़ और स्थायी बनाया है। भारत में इसके नेतृत्वकर्ता राष्ट्रपति हैं। भारतीय नौसेना विश्व की पांचवीं सर्वाधिक शक्तिशाली नौसेना है। भारत का प्रथम विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रांत INS Vikrant था, जो अब सेवानिवृत्त हो चुका है।
इस दुनिया में सेना किसी भी देश की हो, चाहें वह जल की हो, थल की हो या वायु की, वह स्वयं में एक गौरवशाली प्रतिभा को प्रदर्शित करती है। अपने आप में अप्रतिम इतिहास को समेटे रहती है तथा सुरक्षित भविष्य का ख़्वाब संजोए रखती है। जिस पर देशवासियों को पूर्ण विश्वास रहता है और इसका नाम आते ही प्रत्येक देशवासी का सिर गर्व से ऊंचा हो जाता है। सेनाएं अपनी देश की सुरक्षा के लिए अपनी जान की परवाह किए बिना दिन-रात निरन्तर प्रयास में लगी रहती हैं। कई बार वे अपने प्राण देकर भी अपने वतन की रक्षा करती हैं। ऐसे में किसी भी व्यक्ति को अपने देश की सेना पर आखिर गर्व क्यों ना हो। सेना के जवान घने जंगलों में, तपते रेतीले स्थानों पर, असीमित आसमान में तथा समन्दर की लहरों में अपने फ़र्ज़ पर डटे रहते हैं। प्रत्येक देश की तरह भारत भी ऐसे कई ऐतिहासिक अभियानों का गवाह है, जहां पर भारतीय जल, वायु तथा नौसेना ने अपने अचम्भित कर देने वाले अदम्य साहस से कई गौरवान्वित कर देने वाली कहानियों को जन्म दिया है। भारत की नौसेना, जो जल में रहकर बाहरी दुश्मनों से अपने देश की रक्षा करती है, भी अनेक वर्षों से बिना थके देश की गरिमा बनाये हुए है।
भारतीय नौसेना Indian Navy भारत India का वह अंग है, जो समुद्र Sea की सीमा में स्वयं को बांधकर, भारत की सीमा में दुश्मनों को नहीं आने देती। यह हर एक उस गलत इरादे को निष्क्रिय करता है, जो भारत देश के लिए मन में गलत विचार लाते हैं। देश के प्रथम नागरिक महामहीम राष्ट्रपति के नेतृत्व में समन्दर में रहकर भारतीय नौसेना भारत की आन-बान-शान तथा सभ्यता की रक्षा करती है।
भारतीय नौसेना का इतिहास तब से है, जब भारत में ईस्ट इंडिया कंपनी के नियम चलते थे। सन 1612 में पहली ईस्ट इंडिया कंपनी द्वारा भारत की सीमा के भीतर समुद्री युद्ध पोतों को लाया गया। उस वक़्त यह द ऑनरेबल ईस्ट इंडिया कंपनीज़ मरीन Honorable East India Companies Marine कहलाते थे। समय-समय पर इनके नाम बदलते रहे। 1950 में भारत के स्वतंत्र होने के पश्चात यह इंडियन मरीन Indian Marine कहलाने लगे। उस समय नौसेना में लगभग 11,000 नौसैनिक तथा 32 युद्धपोत थे। आज इसमें 55,000 नौसैनिक हैं, जो यह प्रदर्शित करते हैं कि देश ने इस क्षेत्र में अपनी क्षमता और सामर्थ्य को कितना अधिक बढ़ाया है।
आज़ाद होने के बाद से लेकर वर्तमान समय तक भारतीय नौसेना ने स्वयं को अधिक दृढ़ और स्थायी बनाया है। भारत में इसके नेतृत्वकर्ता राष्ट्रपति हैं। भारतीय नौसेना विश्व की पांचवीं सर्वाधिक शक्तिशाली नौसेना है। भारत का प्रथम विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रांत INS Vikrant था, जो अब रिटायर हो चुका है।
पड़ोसी देश के साथ छिड़े युद्ध के पश्चात 4 दिसम्बर 1971 को उस देश की नौसेना को परास्त करने के कारण हम देशवासी इस दिन को भारतीय नौसेना के रूप में मनाते हैं। भारतीय नौसेना अपने युद्धपोतों का निर्माण अब स्वयं करती है। यह कुशलता इस तथ्य का साक्ष्य है कि भारतीय नौसेना स्वतंत्र रूप से बिना किसी अन्य पर निर्भर हुए भारत की सेवा की लिए पूर्ण रूप से हमेशा के लिए सज्ज है।