केंद्रीय बजट 2025 को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 1 फरवरी को प्रस्तुत किया। यह बजट भारत के आर्थिक विकास और प्रगति के लिए एक दूरदर्शी योजना पेश करता है। यह सीतारमण का लगातार आठवां बजट है, जिसमें विभिन्न क्षेत्रों में बड़े सुधारों की घोषणा की गई है।
बजट में कर प्रणाली, शहरी विकास, वित्तीय सेवाओं, ऊर्जा क्षेत्र और नियामक ढांचे पर विशेष ध्यान दिया गया है। इसका उद्देश्य निवेश को बढ़ावा देना, घरेलू उद्योगों को मजबूत करना और व्यापार को आसान बनाना है।
सरकार ने "सबका विकास" के लक्ष्य के तहत चार प्रमुख वर्गों – गरीब (गरीब), युवा (युवा), किसान (अन्नदाता) और महिलाएं (नारी) – को प्राथमिकता दी है। इस बजट में आम जनता के लिए कर में राहत, छोटे और मध्यम उद्यमों (MSMEs) और स्टार्टअप्स के लिए समर्थन, बुनियादी ढांचे के विस्तार, रोजगार सृजन और शिक्षा, स्वास्थ्य तथा नवाचार में बड़े निवेश की घोषणा की गई है।
बजट 2025 में आर्थिक वृद्धि को गति देने के लिए महत्वाकांक्षी वित्तीय लक्ष्यों और भविष्य के विकास की नीतियों को शामिल किया गया है। यह बजट न केवल देश के व्यापार और उद्योगों को मजबूती देगा, बल्कि सामाजिक कल्याण और सतत विकास को भी सुनिश्चित करेगा।
इस लेख में हम बजट 2025 की प्रमुख घोषणाओं Major announcements of Budget 2025, विभिन्न क्षेत्रों में किए गए आवंटन और इन नीतियों के आम लोगों, व्यवसायों और पूरी अर्थव्यवस्था पर पड़ने वाले प्रभाव को विस्तार से समझेंगे।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शनिवार को अपना लगातार आठवां बजट प्रस्तुत करके इतिहास रच दिया। उनका बजट भाषण 74 मिनट तक चला। इसके साथ ही वह पूर्व प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई के रिकॉर्ड के करीब पहुंच गई हैं, जिन्होंने अलग-अलग समय पर कुल 10 बजट पेश किए थे।
देसाई ने 1959 से 1964 के बीच वित्त मंत्री के रूप में छह बजट और 1967 से 1969 के बीच चार बजट पेश किए थे।
वित्त मंत्री ने 1 फरवरी को केंद्रीय बजट 2025 पेश किया, जिसमें छह प्रमुख क्षेत्रों – कराधान (Taxation), शहरी विकास (Urban Development), खनन (Mining), वित्तीय सेवाएं (Financial Services), ऊर्जा (Power) और नियामक ढांचा (Regulatory Frameworks) – में बड़े सुधारों की घोषणा की गई। इस बजट का लक्ष्य समावेशी (Inclusive) और सतत (Sustainable) विकास को प्राथमिकता देते हुए आर्थिक वृद्धि को तेज करना है।
सरकार ने अगले पांच वर्षों को "सबका विकास" के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए महत्वपूर्ण अवधि माना है। बजट में चार प्रमुख वर्गों – गरीब (Garib), युवा (Yuva), किसान (Annadata) और महिलाएं (Nari) – पर विशेष ध्यान दिया गया है।
सरकार ने कृषि क्षेत्र को मजबूत करने और किसानों की आय बढ़ाने के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। इससे कृषि उत्पादन में सुधार होगा और किसानों को आधुनिक तकनीक का लाभ मिलेगा।
ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार और बुनियादी सुविधाओं को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाएं पेश की गई हैं, जिससे गांवों की आर्थिक स्थिति मजबूत होगी।
बजट में समाज के सभी वर्गों, विशेष रूप से गरीबों, महिलाओं, युवाओं और किसानों के विकास पर जोर दिया गया है ताकि हर व्यक्ति को समान अवसर मिल सके।
घरेलू उत्पादन को बढ़ाने और भारत को एक वैश्विक विनिर्माण केंद्र बनाने के लिए सरकार ने ‘मेक इन इंडिया’ पहल के तहत नए कदम उठाए हैं।
MSMEs को बढ़ावा देने के लिए वित्तीय सहायता और नए प्रोत्साहन दिए गए हैं, जिससे छोटे व्यवसायों को मजबूती मिलेगी और नए रोजगार के अवसर बनेंगे।
बजट में नई नौकरियों के अवसर पैदा करने और कौशल विकास कार्यक्रमों को बढ़ाने पर ध्यान दिया गया है, जिससे युवाओं को बेहतर रोजगार मिल सके।
शिक्षा, स्वास्थ्य और अनुसंधान के क्षेत्र में निवेश बढ़ाकर मानव संसाधन और नवाचार को प्रोत्साहित करने पर जोर दिया गया है।
नवीकरणीय ऊर्जा (Renewable Energy) और हरित ऊर्जा (Green Energy) परियोजनाओं में निवेश कर ऊर्जा क्षेत्र को आत्मनिर्भर और पर्यावरण के अनुकूल बनाया जाएगा।
वैश्विक बाजार में भारत की स्थिति को मजबूत करने के लिए व्यापारिक नीतियों और निर्यात प्रोत्साहन योजनाओं को प्राथमिकता दी गई है।
विज्ञान, प्रौद्योगिकी और स्टार्टअप्स को आगे बढ़ाने के लिए बजट में नए शोध और नवाचार कार्यक्रमों को शामिल किया गया है।
यह बजट भारत को आत्मनिर्भर बनाने और वैश्विक अर्थव्यवस्था में मजबूत स्थिति हासिल करने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम साबित होगा।
Also Read: आर्थिक सर्वेक्षण 2025 में क्या खास? जानें निर्मला सीतारमण की बड़ी घोषणाएं
कृषि विकास योजना के पहले चरण में 100 जिलों को शामिल किया जाएगा।
छह साल का मिशन शुरू किया जाएगा, जिससे अरहर (Toor) और मसूर (Masoor) दाल के उत्पादन में आत्मनिर्भरता बढ़ेगी।
फलों और सब्जियों की खेती को बढ़ावा देने के लिए नई योजनाएँ लाई जाएँगी, जिससे किसानों को अच्छी कीमत मिले और आपूर्ति श्रृंखला बेहतर हो।
बिहार में नया मखाना बोर्ड स्थापित किया जाएगा, जिससे मखाना के उत्पादन, प्रसंस्करण और विपणन को बढ़ावा मिलेगा।
उच्च उत्पादकता वाले बीजों के लिए राष्ट्रीय मिशन शुरू किया जाएगा, जिससे खेती की उपज बढ़ाई जा सके।
मछली पालन को बढ़ावा देने के लिए नई योजनाएँ लागू की जाएँगी, खासतौर पर अंडमान-निकोबार और लक्षद्वीप में।
पाँच साल का कपास उत्पादकता मिशन शुरू किया जाएगा, जिससे उच्च गुणवत्ता वाली कपास की उपलब्धता सुनिश्चित हो सके।
किसान क्रेडिट कार्ड (KCC) Kisan Credit Scheme के तहत ऋण सीमा बढ़ाकर ₹3 लाख से ₹5 लाख कर दी गई है।
इंडिया पोस्ट को एक बड़ी लॉजिस्टिक्स कंपनी के रूप में विकसित किया जाएगा।
वित्तीय घाटे (Fiscal Deficit) का लक्ष्य FY25 के लिए 4.8% और FY26 के लिए 4.4% तय किया गया है।
पूंजीगत व्यय (Capex) का संशोधित अनुमान ₹10.18 लाख करोड़ है।
₹10 लाख करोड़ के निवेश को आकर्षित करने के लिए एसेट मोनेटाइजेशन योजना लागू की जाएगी।
बीमा क्षेत्र में विदेशी निवेश (FDI) सीमा 74% से बढ़ाकर 100% कर दी गई है।
विदेशी निवेश नियमों Foreign Direct Investment (FDI) को आसान बनाया जाएगा।
पेंशन से जुड़ी नीतियों के समन्वय के लिए एक नया मंच बनाया जाएगा।
नए कर प्रणाली के तहत ₹12 लाख तक की वार्षिक आय पर कोई आयकर नहीं लगेगा।
₹12.75 लाख तक वेतन पाने वाले लोगों को ₹75,000 का स्टैंडर्ड डिडक्शन मिलेगा।
कर स्लैब और दरों को आसान बनाया जाएगा।
TDS (Tax Deducted at Source) और TCS (Tax Collected at Source) के नियमों को सरल किया जाएगा।
वरिष्ठ नागरिकों के लिए कर कटौती सीमा ₹50,000 से बढ़ाकर ₹1 लाख कर दी गई है।
विदेशी शिक्षा के लिए पैसे भेजने पर लगने वाला TCS हटा दिया गया है।
किराये की आय पर सालाना TDS सीमा ₹2.4 लाख से बढ़ाकर ₹6 लाख कर दी गई है।
आयकर रिटर्न (ITR) दाखिल करने की समय सीमा 2 साल से बढ़ाकर 4 साल कर दी गई है।
केवल PAN न होने पर ही अधिक TDS लागू होगा।
₹10 लाख तक के शिक्षा ऋण पर TCS नहीं लगेगा।
TCS की न्यूनतम सीमा ₹7 लाख से बढ़ाकर ₹10 लाख कर दी गई है।
The revised income tax slabs and applicable tax rates under the new tax regime are as follows:
Total Income |
Rate of Tax |
Up to ₹4,00,000 |
Nil |
₹4,00,001 to ₹8,00,000 |
5% |
₹8,00,001 to ₹12,00,000 |
10% |
₹12,00,001 to ₹16,00,000 |
15% |
₹16,00,001 to ₹20,00,000 |
20% |
₹20,00,001 to ₹24,00,000 |
25% |
Above ₹24,00,000 |
30% |
सभी बुनियादी ढांचा मंत्रालय सार्वजनिक-निजी भागीदारी (PPP) के तहत तीन साल की परियोजना योजना तैयार करेंगे।
राज्यों को पूंजीगत व्यय (Capital Expenditure) के लिए ₹1.5 लाख करोड़ का ब्याज-मुक्त ऋण दिया जाएगा।
2025-30 के लिए एसेट मोनेटाइजेशन योजना लागू होगी, जिससे ₹10 लाख करोड़ की पूंजी नए प्रोजेक्ट्स के लिए जुटाई जाएगी।
जल जीवन मिशन (Jal Jeevan Mission) को 2028 तक बढ़ाया जाएगा और इसके लिए अधिक धनराशि उपलब्ध कराई जाएगी।
शहरी शासन, नगर पालिका सेवाओं, भूमि उपयोग और शहरी योजना को बेहतर बनाने के लिए प्रोत्साहन दिया जाएगा।
शहरों को विकास केंद्र (Cities as Growth Hubs) के रूप में विकसित करने के लिए ₹1 लाख करोड़ का अर्बन चैलेंज फंड बनाया जाएगा।
बिजली वितरण (Electricity Distribution) और राज्यों के भीतर ट्रांसमिशन क्षमता को मजबूत करने के लिए सहायता मिलेगी।
₹20,000 करोड़ के बजट के साथ न्यूक्लियर एनर्जी मिशन शुरू किया जाएगा, जिसके तहत 2033 तक 5 छोटे मॉड्यूलर रिएक्टर (SMR) विकसित किए जाएंगे।
देश में जहाज निर्माण को बढ़ावा देने के लिए नई वित्तीय सहायता नीति लागू होगी।
संशोधित उड़ान (UDAN) योजना UDAN scheme के तहत 120 नए हवाई गंतव्य जोड़े जाएंगे और अगले 10 सालों में 4 करोड़ यात्रियों को सुविधा मिलेगी।
SWAMIH योजना SWAMIH के तहत 2025 में 40,000 घरों का निर्माण पूरा किया जाएगा।
राज्यों के सहयोग से देश के शीर्ष 50 पर्यटन स्थलों का विकास किया जाएगा।
"हील इन इंडिया" (Heal in India) पहल के तहत मेडिकल टूरिज्म को बढ़ावा दिया जाएगा।
सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (MSME) के निवेश और टर्नओवर की सीमा 2.5 गुना और 2 गुना बढ़ाई जाएगी।
क्रेडिट गारंटी कवर बढ़ाया गया:
सूक्ष्म और लघु उद्यमों (Micro & Small Enterprises): ऋण सीमा ₹5 करोड़ से बढ़ाकर ₹10 करोड़ (अगले 5 वर्षों में अतिरिक्त ₹1.5 लाख करोड़ का क्रेडिट)।
स्टार्टअप्स: ऋण सीमा ₹10 करोड़ से बढ़ाकर ₹20 करोड़, साथ ही 27 विशेष क्षेत्रों के लिए गारंटी शुल्क कम किया गया।
निर्यातक MSMEs: टर्म लोन कवर ₹20 करोड़ तक बढ़ाया गया।
उद्योग पोर्टल (Udyam Portal) पर पंजीकृत छोटे उद्यमों के लिए ₹5 लाख की सीमा वाली कस्टमाइज्ड क्रेडिट कार्ड सुविधा दी जाएगी।
स्टार्टअप्स के लिए ₹10,000 करोड़ का नया फंड ऑफ फंड्स बनाया जाएगा।
SC/ST और महिला उद्यमियों के लिए पहली बार बिजनेस शुरू करने के लिए ₹2 करोड़ तक का ऋण 5 वर्षों के लिए दिया जाएगा।
जूते, चमड़ा और खिलौना उद्योग जैसे श्रम-प्रधान क्षेत्रों में रोजगार बढ़ाने के लिए विशेष योजनाएँ लागू होंगी।
बीमा क्षेत्र में विदेशी निवेश (FDI) की सीमा 100% तक बढ़ाई गई, लेकिन शर्त यह है कि कंपनियाँ अपना प्रीमियम भारत में ही पुनर्निवेश करेंगी।
ग्रामीण इलाकों में इंडिया पोस्ट पेमेंट बैंक (India Post Payment Bank) का विस्तार किया जाएगा।
बड़ी कंपनियों के बॉन्ड को सुरक्षित बनाने के लिए NaBFID एक विशेष क्रेडिट सुविधा (Partial Credit Enhancement Facility) बनाएगा।
सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक (Public Sector Banks) ग्रामीण उधारकर्ताओं और स्वयं सहायता समूहों (SHGs) के लिए "ग्रामीण क्रेडिट स्कोर" विकसित करेंगे।
केंद्रीय KYC रजिस्ट्री (Central KYC Registry) को अपडेट किया जाएगा, जिससे अनुपालन प्रक्रिया (Compliance Process) आसान होगी।
कंपनी विलय (Company Mergers) को तेज़ी से मंजूरी देने के लिए नया सिस्टम लागू किया जाएगा।
राज्यों की निवेश अनुकूलता मापने के लिए "इन्वेस्टमेंट फ्रेंडलीनेस इंडेक्स" (Investment Friendliness Index) लॉन्च किया जाएगा।
100 से अधिक नियमों को अपराध मुक्त (Decriminalize) करने के लिए "जन विश्वास विधेयक 2.0" (Jan Vishwas Bill 2.0) पेश किया जाएगा।
"सक्षम आंगनवाड़ी" (Saksham Anganwadi) और "पोषण 2.0" (Saksham Anganwadi and Poshan 2.0) कार्यक्रमों के लिए बजट बढ़ाया जाएगा।
पाँच सालों में सरकारी स्कूलों में 50,000 अटल टिंकरिंग लैब्स (Atal Tinkering Labs) स्थापित की जाएंगी।
ग्रामीण इलाकों के सरकारी सेकेंडरी स्कूलों और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों (Primary Health Centres) को ब्रॉडबैंड कनेक्टिविटी दी जाएगी।
"भारतीय भाषा पुस्तक योजना" (Bharatiya Bhasha Pustak Scheme) के तहत भारतीय भाषाओं में डिजिटल शिक्षा को बढ़ावा मिलेगा।
देशभर में 5 राष्ट्रीय उत्कृष्टता केंद्र (National Centres of Excellence) कौशल विकास (Skill Development) के लिए खोले जाएंगे।
2014 के बाद स्थापित 5 IITs का विस्तार किया जाएगा, जिससे 6,500 अतिरिक्त छात्रों को दाखिला मिलेगा।
शिक्षा के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) में उत्कृष्टता केंद्र (Centre of Excellence in AI for Education) बनाया जाएगा।
देश में 10,000 नई मेडिकल सीटें जोड़ी जाएंगी, और अगले 5 वर्षों में 75,000 नई मेडिकल सीटों का लक्ष्य रखा गया है।
अगले 3 वर्षों में सभी जिला अस्पतालों में डे केयर कैंसर सेंटर (Day Care Cancer Centres) खोले जाएंगे।
PM स्वनिधि योजना (PM SVANidhi scheme) को नया रूप दिया जाएगा, जिसमें UPI से जुड़े क्रेडिट कार्ड और अधिक ऋण सीमा दी जाएगी।
1 करोड़ से अधिक गिग वर्कर्स (Gig Workers) को पहचान पत्र और ई-श्रम पोर्टल (e-Shram Portal) पर पंजीकरण की सुविधा दी जाएगी।
निजी क्षेत्र द्वारा अनुसंधान और विकास (R&D) पहलों के लिए ₹20,000 करोड़ का आवंटन।
उभरते स्टार्टअप्स को समर्थन देने के लिए डीप टेक फंड ऑफ फंड्स की शुरुआत।
पीएम रिसर्च फेलोशिप के तहत IITs और IISc में तकनीकी अनुसंधान के लिए 10,000 फेलोशिप।
एक राष्ट्रीय भूतल मिशन National Geospatial Mission. की शुरुआत।
MSME को समर्थन और क्रेडिट सुविधा बढ़ाने के लिए एक नया निर्यात संवर्धन मिशन।
घरेलू निर्माण को मजबूत करके वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं से जोड़ना।
एयर कार्गो के लिए बुनियादी ढांचे और गोदामों में सुधार, जिसमें नष्ट होने वाली वस्तुएं भी शामिल हैं।
निष्कर्ष (Conclusion)
संघीय बजट 2025 भारत की आर्थिक वृद्धि के लिए एक मजबूत आधार तैयार करता है, जो समावेशी विकास, वित्तीय विवेक और तकनीकी नवाचार पर ध्यान केंद्रित करता है।
यह बजट भारत की आर्थिक वृद्धि की रणनीतिक दिशा को निर्धारित करता है, जो वित्तीय विवेक के साथ विकास की प्राथमिकताओं को संतुलित करता है। कृषि, अवसंरचना, वित्तीय सेवाएं और नवाचार जैसे प्रमुख क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करके, सरकार सतत विकास को बढ़ावा देने के साथ-साथ समावेशिता को बढ़ावा देने का लक्ष्य रखती है।
कर सुधार, MSME समर्थन, रोजगार सृजन, और डिजिटल परिवर्तन पर जोर देना भारत की वैश्विक आर्थिक शक्ति बनने की प्रतिबद्धता को मजबूत करता है।
"सबका विकास" के स्पष्ट दृष्टिकोण के साथ, बजट किसानों, युवाओं, महिलाओं और गरीबों की जरूरतों को प्राथमिकता देता है, जिससे व्यापक प्रगति सुनिश्चित होती है। अनुसंधान, शिक्षा और कौशल विकास के लिए महत्वपूर्ण आवंटन भारत के नवाचार और आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने के लिए दीर्घकालिक दृष्टिकोण को उजागर करता है।
जैसे-जैसे भारत इन नीतिगत उपायों के साथ आगे बढ़ेगा, बजट 2025 की सफलता इस पर निर्भर करेगी कि इसे कैसे प्रभावी ढंग से लागू किया जाता है और सरकार, उद्योगों और नागरिकों के बीच सहयोग होता है।
यदि इसे प्रभावी रूप से लागू किया गया, तो ये सुधार आर्थिक विकास को तेज करने, वैश्विक प्रतिस्पर्धा को बढ़ाने और एक समृद्ध और मजबूत भारत के लिए मार्ग प्रशस्त करने की क्षमता रखते हैं।