सौर ऊर्जा -पर्यावरण संरक्षण और सतत भविष्य के लिए

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14 Mar 2023
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सौर ऊर्जा सूर्य के प्रकाश से प्राप्त की जाती है और सूरज की ऊर्जा को विद्युत उर्जा में बदलने को ही मुख्य रूप से Solar Energy कहा जाता है। इसके फायदों को देखते हुए दुनिया के अधिकतम देश अब जागरूक हो रहे हैं और सौर ऊर्जा का इस्तेमाल कर रहे हैं। सौर ऊर्जा एक नवीकरणीय ऊर्जा स्रोत है, सौर ऊर्जा स्वच्छ है। यह कोई कार्बन उत्सर्जन या अन्य गर्मी-बढ़ाने वाली "ग्रीनहाउस" गैसें नहीं बनाता है।

यह जीवाश्म ईंधन के खनन या ड्रिलिंग से जुड़े पर्यावरणीय नुकसान से बचाता है। इसके अलावा, बिजली संयंत्रों के विपरीत, सौर ऊर्जा भी बहुत कम पानी का उपयोग करती है, जो भाप टर्बाइनों का उपयोग करके बिजली उत्पन्न करती है।

सौर ऊर्जा कभी खत्म न होने वाला संसाधन है और यह नवीकरणीय संसाधनों का एक बेहतर विकल्प है। साथ ही यह वातावरण के लिये भी लाभदायक है और ऊर्जा के अन्य स्रोतों की तुलना में यह काफी सस्ता भी है। ऊर्जा की मांग को पारंपरिक ऊर्जा स्रोतों के बजाय सौर ऊर्जा के ज़रिये आसानी से पूरा किया जा सकता है। 

आज के इस ब्लॉगपोस्ट में हम जानेगे की सौर ऊर्जा -पर्यावरण संरक्षण और सतत भविष्य Solar Energy - For Environmental Protection and Sustainable Future के लिए कितनी आवश्यक है।

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आज के इस टेक्नोलॉजी के युग में मनुष्य ने बहुत सारी ऐसी सफलताएं हासिल कर ली हैं जिसकी इंसान कभी कल्पना भी नहीं कर सकता था। ऐसे ही आज हमने ऐसी तकनीक विकसित कर ली है, जिससे धरती पर पड़ने वाली सूरज की किरणों को विद्युत् उर्जा में परिवर्तित किया जा सकता है।

भारत की गिनती ऐसे देशों में होती है, जहाँ साल के 365 दिनों में से लगभग 300 दिन धूप रहती है। यही कारण है कि सौर उर्जा के मामले में भारत का भविष्य काफी अच्छा है और आज भारत ही नहीं बल्कि दुनिया के अधिकतम देश सौर ऊर्जा का इस्तेमाल कर रहे हैं।

आज पारंपरिक संसाधनों के माध्यम से विद्युत उत्पन्न करना निरन्तर महंगा होता जा रहा है इसलिए इसका सिर्फ और सिर्फ एक ही विकल्प है Solar Energy सौर ऊर्जा। चलिए आज जानते हैं क्या है सौर ऊर्जा, इसके क्या फायदे हैं, सर्वश्रेष्ठ सौर कंपनियां कौन सी हैं और सोलर खरीदने से पहले किन बातों का ध्यान रखना चाहिए, आदि के बारें में आज हम यहाँ विस्तार से जानेंगे। 

सौर ऊर्जा क्या है What is Solar Energy ?

सौर उर्जा सूर्य की किरणों से प्राप्त होती है। साल 1839 में इसकी खोज अलेक्जेंडर एडमंड बेस्क़ुएरेल Alexandre-Edmond Becquerel द्वारा की गयी थी। इन्होने फोटोवोल्टिक इफ़ेक्ट के माध्यम से बताया था कि सूर्य की किरणों से विद्युत उत्पादन कैसे किया जा सकता है।

आज के समय में कई गांवों और शहरों में सोलर पैनल solar panel के द्वारा बिजली पैदा कर इसका प्रयोग किया जा रहा है। सूर्य की किरणों से आने वाली ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में बदलने को ही सौर ऊर्जा कहा जाता है। सौर ऊर्जा नवीकरणीय संसाधनों का सबसे बेहतर विकल्प है।

सौर ऊर्जा एक नवीकरणीय ऊर्जा Renewable energy है। नवीकरणीय ऊर्जा से मतलब एक ऐसी उर्जा से है, जो कभी ख़त्म नहीं होगी। वैज्ञानिकों का मत है कि धरती पर सूर्य की किरणें आने वाले 500-600 करोड़ वर्षो तक रहेंगी इसलिए हम सौर ऊर्जा से विद्युत् पैदा करके पर्यावरण को भी सुरक्षित करके अपनी जरूरतों को पूरा कर सकते हैं।

आज पूरी दुनिया में लोग conscious of environmental protection पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूक हो रहे हैं। दरअसल पारंपरिक संसाधनों से प्राप्त होनें वाली बिजली की कीमते लगातार बढ़ रही हैं जिसके कारण भी लोगों का रुझान सौर ऊर्जा की तरफ बढ़ रहा है और सरकार की तरफ से भी लोगों को सौर उर्जा के प्रति जागरूक किया जा रहा है।

सौर ऊर्जा वातावरण के लिये अत्यधिक लाभकारी है। क्योंकि यह वातावरण में कार्बन-डाइऑक्साइड और अन्य कई हानिकारक गैसें नहीं छोड़ती है जिसकी वजह से वातावरण प्रदूषित होने से बच जाता है। सौर हीटिंग Solar Heating, कृत्रिम प्रकाश संश्लेषण Artificial Photosynthesis और तापीय ऊर्जा Thermal Energy आदि सौर ऊर्जा से ही चलती हैं। सौर उर्जा के द्वारा प्राप्त होनें वाली बिजली में किसी तरह की कोई रुकावट नहीं होती है। सरकार द्वारा भी सौर ऊर्जा से विद्युत उत्पन्न करने के लिए सोलर पैनल की सुविधा उपलब्ध कराई जाती है। 

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सोलर पैनल कैसे काम करता है और कौन सा सोलर पैनल लगवाएं How solar panels work and which solar panels to install

सोलर पैनल या सोलर सिस्टम कैसे काम करता है ये जानना भी जरुरी है। एक देश को आगे बढ़ने के लिए ऊर्जा के पर्याप्त स्रोत होने जरुरी हैं। इसी ऊर्जा के स्रोत में एक बेहतर स्रोत है सोलर पैनल। यह प्रदूषण मुक्त ऊर्जा pollution free energy पैदा करता है इसलिए इसे ऊर्जा का सबसे उपयुक्त स्रोत माना जाता है।

इसके अलावा इसमें किसी प्रकार के ईंधन, पेट्रोल या डीज़ल की आवश्यकता भी नही रहती है। यह सूरज की रोशनी से काम करता है। यह धूप के द्वारा ऊर्जा प्राप्त करके हमे ऊष्मा या विद्युत देता है। दरअसल सूर्य से निकलने वाली रोशनी में ऊर्जा के कण पाये जाते हैं, जिन्हें “फोटॉन” photon कहते हैं। इन्ही फोटॉन को ऊष्मा या विद्युत के रूप में प्राप्त करना ही “सौर ऊर्जा” कहलाता है और सूर्य से ऊर्जा प्राप्त करने के लिए ही “सोलर पैनल” का प्रयोग किया जाता है।

सौर पैनल में परस्पर सम्बद्ध सौर सेल लगे होते हैं। ये सौर सेल “सिलिकॉन” silicon की परतों से बने हुए होते हैं। जब सूरज की रोशनी इन सेल पर पड़ती है तो सेल द्वारा फोटॉन की ऊर्जा अवशोषित की जाती है। इसके बाद ऊपरी परत में पाये जाने वाले इलेक्ट्रॉन सक्रिय हो जाते हैं और ऊर्जा का प्रवाह आरम्भ हो जाता है। फिर ये ऊर्जा बहती हुई सारे पैनल में फैल जाती है बस फिर इस तरह से सोलर पैनल ऊर्जा का निर्माण करते हैं।

अब कौन सा सोलर सिस्टम लगवाएं ये जानना भी जरुरी है। सोलर सिस्टम मुख्यतः दो प्रकार के होते हैं -

ऑफ ग्रिड सोलर सिस्टम off grid Solar system

ऑफ ग्रिड सोलर सिस्टम off grid solar system में आपको Solar Panel सोलर पैनल, Inverter इन्वर्टर और बैटरी का उपयोग करना पड़ता है। इसमें आपको बैटरी बैकअप मिलता है। फिर आप दिन के समय सोलर पैनल के द्वारा बैटरी को चार्ज करके रात के समय में इसका उपयोग कर सकते हैं। मतलब यह आपके उपयोग के ऊपर निर्भर करता है यदि आपको बैटरी बैकअप की जरूरत है तो आपको ऑफ ग्रिड सोलर सिस्टम लगवाना होगा। 

ऑन ग्रिड On Grid Solar system-

यदि आपके यहां बिजली कम जाती है और आपको बिजली बचाने की जरूरत है तो आप ऑन ग्रिड सोलर सिस्टम लगवा सकते हैं। ऑन ग्रिड सोलर सिस्टम तभी काम करता है जब मुख्य आपूर्ति Main Supply उपलब्ध होती है। ऑन ग्रिड सोलर सिस्टम में सिर्फ सोलर पैनल और इनवर्टर का इस्तेमाल किया जाता है और इसमें इनवर्टर की मदद से आपके घर के उपकरण चलाए जाते हैं। 

सोलर पैनल दो प्रकार के होते हैं : Monocrystalline मोनोक्रिस्टेलिन और Polycrystalline पोलीक्रिस्टेलिन

मोनोक्रिस्टेलिन सोलर पैनल और पोलीक्रिस्टेलिन सोलर पैनल

आप सोलर पैनल के टाइप में मोनोक्रिस्टेलिन सोलर पैनल और पोलीक्रिस्टेलिन सोलर पैनल में से अपने अनुसार कोई भी लगा सकते हैं। मोनोक्रिस्टेलिन सोलर पैनल सूर्य की हल्की रोशनी से भी ऊर्जा प्राप्त कर विद्युत प्रदान करते हैं। 

इसलिए ये महंगे भी होते है यानि जिस क्षेत्र में सूरज कम समय के लिए ही दिखाई देता है उस क्षेत्र में Monocrystalline Solar Panel सोलर पैनल फायदेमंद होते हैं। पोलीक्रिस्टेलिन सोलर पैनल Polycrystalline का इस्तेमाल अच्छी धूप वाले क्षेत्र में किया जाता है और इनकी क्षमता Monocrystalline मोनोक्रिस्टेलिन से थोड़ी कम होती है और इनकी कीमत भी कम होती है। 

सौर ऊर्जा के लाभ, सौर ऊर्जा कृषि पम्प के फायदे Advantages of Solar Energy, Advantages of solar power agriculture pump

सौर ऊर्जा हमारे लिए अत्यंत लाभकारी है। सौर ऊर्जा का प्रयोग अनेक उद्देश्यों के लिये किया जाता है। सौर ऊर्जा निकाय को कहीं भी स्थापित किया जा सकता है। क्योंकि सौर उर्जा के पैनलों को आसानी से घरों में कहीं भी रखा जा सकता है और सबसे बड़ी बात  की यह ऊर्जा के अन्य स्रोतों की तुलना में काफी सस्ता भी है।

यह नवीकरणीय ऊर्जा है जो कभी खत्म नहीं होगी। इसके अलावा जहाँ बिजली की सुविधा नहीं है या कमी है वहां पर लोग अपने घर की छत के ऊपर सोलर पैनल लगवा कर बिजली का उपयोग कर सकते हैं। इसका कोई बिल भी नहीं भरना पड़ता है। Solar Energy सौर ऊर्जा वातावरण के लिए काफी लाभदायक है।

क्योंकि ऊर्जा उत्पादन में पूरी दुनिया में हर साल लगभग 20 अरब टन कार्बन डाइ-ऑक्साइड Carbon dioxide और कई अन्य दूषित तत्व निकलते हैं जो कि वायुमंडल को प्रदूषित करने के साथ साथ वायुमंडल में तापमान में वृद्धि का भी एक प्रमुख कारण बनते हैं।

सौर ऊर्जा के द्वारा पर्यायवरण का संरक्षण किया जा सकता है और आने वाले भविष्य को सुरक्षित रखा जा सकता है। इसके अलावा कृषि क्षेत्र में खेतों में भी सोलर पैनल का इस्तेमाल हो रहा है। इसमें बिना किसी बिजली के कनेक्शन के प्राकृतिक रूप से बिजली उपलब्ध कर सकते हैं।

इसका फायदा यह है कि खेतों में कृषि उपकरणों को चलाने में इसका प्रयोग कर सकते हैं। सर्दियों के मौसम में गरम पानी करने के लिए, विद्युत के लिए सौर ऊर्जा का उपयोग करके खर्चे में भी कटौती कर सकते हैं तथा वातावरण को भी प्रदूषण मुक्त रखने में सहयोग कर सकते हैं। साथ ही कृषि क्षेत्र में सौर ऊर्जा कृषि पम्प Solar Power Agriculture Pump के लाभ भी बेशुमार हैं। सौर ऊर्जा से चलने वाले कृषि पंप के द्वारा किसानों को irrigation सिंचाई के लिए बिजली और डीजल जैसे महंगे स्रोतों पर निर्भर नहीं रहना पड़ता है। इसके द्वारा आप फसलों तक पानी आसानी से पहुँचा सकते हैं। यह वायु प्रदूषण भी कम करते हैं और पर्यावरण के लिए भी अनुकूल वातावरण प्रदान करते हैं। 

सर्वश्रेष्ठ सौर कंपनियां और योजनाएं Best Solar Companies & Plans

आपको किस ब्रांड के सोलर पैनल लेने चाहिए इसकी भी आपको जानकारी होनी चाहिए। वैसे तो काफी ब्रांड हैं लेकिन कुछ सर्वश्रेष्ठ सौर कंपनियां हैं जैसे -लूम सोलर Loom Solar (भारत), रेन्यूसिस सोलर (इंडिया), विक्रम सोलर Vikram Solar (भारत), ट्रिना सोलर Trina solar (चीन), वारी सोलर (इंडिया), कैनेडियन सोलर Canadian solar (कनाडा), टाटा सोलर Tata Power Solar (भारत), अदानी सोलर Adani (भारत), जिंको सोलर Jinko (चीन) आदि। ये सारी कंपनियां आपको सभी अच्छे ब्रांड के सोलर सिस्टम प्रदान कर सकते हैं। 

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आज लोगो का रुझान सौर ऊर्जा की तरफ बढ़ रहा है। साथ ही भारत सरकार के प्रयास के द्वारा भी लोगो को सौर उर्जा के प्रति जागरूक करनें के लिए कई प्रकार की योजनायें भी लागू की जा रही हैं।

सरकार इन योजनाओं के द्वारा लोगो को सोलर पैनल भी दे रही है और इसके साथ साथ इन सोलर पैनल की खरीद पर सरकार द्वारा छूट के साथ सब्सिडी subsidy भी दी जा रही है। पहले सौर उर्जा के बारें में लोगो को जानकारी नहीं थी लेकिन आज लोग जागरूक हो चुके हैं।

देखा जाये तो आज सौर ऊर्जा का प्रयोग गांवों से लेकर शहरों तक किया जा रहा है और यह बहुत ही सराहनीय कदम है। सौर उर्जा को बढ़ावा देने के लिए केंद्र व राज्य सरकारों द्वारा विभिन्न प्रकार की योजनाये समय-समय पर चलायी जा रही हैं।

इन योजनाओं का एक ही मकसद है कि लोगों को सौर उर्जा के प्रति जागरूक करना। जिसका परिणाम यह हुआ कि अब सौर ऊर्जा के इस्तेमाल में काफी वृद्धि हुई है। अब लोग environmental protection and sustainable future पर्यावरण संरक्षण और सतत भविष्य के लिए सौर ऊर्जा के महत्व को समझ पा रहे हैं। लोगो को सौर उर्जा लगाने पर योजना के मुताबिक सब्सिडी दी जा रही है। कई योजनाओं को लागू किया गया है जैसे-

प्रयास योजना PRAYAS-Pradhan Mantri Yojana -

भारत सरकार ने सोलर पैनल निर्माण उद्योग को 210 अरब रुपए की सरकारी सहायता देने की योजना बनाई है और इस योजना के तहत सरकार ने साल 2030 तक कुल ऊर्जा का 40 प्रतिशत हरित ऊर्जा से उत्पन्न करने का लक्ष्य रखा है जो कि बहुत सराहनीय है। 

प्रधानमंत्री सोलर पैनल योजना Prime Minister Solar Panel Scheme-

इसके अंतर्गत प्रधानमंत्री द्वारा गांव में बिजली प्रदान करने के लिए सौर योजना शुरू की है। इस योजना का उद्देश्य छोटे बड़े किसानों को सोलर पैनल के माध्यम से बिजली उपलब्ध करवाना है। अलावा नवीकरणीय ऊर्जा पर सब्सिडी भी दी जाती है। 

सोलर रूफटॉप योजना Solar Rooftop Scheme-

इसके अंतर्गत आवासीय, सामाजिक, सरकारी और संस्‍थागत क्षेत्रों में सीएफए/प्रोत्‍साहन के द्वारा 2100 मेगावाट की क्षमता स्‍थापित की जा रही है।

वैश्विक स्तर पर ऊर्जा उत्पादन में विंड और सोलर की हिस्सेदारी अपने रिकॉर्ड स्तर पर 

ये हम सब भली भांति जानते हैं कि यदि हमें जलवायु लक्ष्यों को हासिल करना है तो ग्लोबल लेवल पर ऊर्जा उत्पादन में सोलर और विंड solar and wind जैसे स्रोतों की हिस्सेदारी को बढ़ाना होगा।

आपको बता दें कि वैश्विक स्तर पर ऊर्जा उत्पादन में विंड और सोलर की हिस्सेदारी अपने रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई है जो 2021 में 10.3 फीसदी दर्ज की गई थी। 2020 में विंड और सोलर की मदद से 9.3 फीसदी बिजली पैदा की गई थी।

2021 में ऊर्जा उत्पादन में कोयले की हिस्सेदारी 36.5 फीसदी थी जबकि साफ-सुथरे ऊर्जा स्रोतों की हिस्सेदारी बढ़कर 38.3 फीसदी पर पहुंच गई है। दरअसल यह जानकारी क्लाइमेट थिंक टैंक एम्बर Climate Think Tank Amber द्वारा जारी रिपोर्ट "ग्लोबल इलेक्ट्रिसिटी रिव्यु 2022" Global Electricity Review 2022 में सामने आई है।

भारत का अक्षय ऊर्जा क्षेत्र बना रहा है कीर्तिमान India's renewable energy sector is making records

भारत अक्षय ऊर्जा क्षेत्र में नये कीर्तिमान बना रहा है। यह ऊर्जा के लिए अच्छी खबर तो है ही साथ ही जलवायु के दृष्टिकोण से भी अच्छी बात है। इस क्षेत्र में निवेश के बारे में एक नई रिपोर्ट से पता चला है कि 31 मार्च, 2022 को समाप्त हुए वित्तीय वर्ष के दौरान इस क्षेत्र में रिकॉर्ड 1.13 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा का निवेश हुआ है।

इंस्टीट्यूट फॉर एनर्जी इकोनॉमिक्स एंड फाइनेंसियल एनालिसिस Institute for Energy Economics and Financial Analysis (आईईईएफए) द्वारा जारी रिपोर्ट के मुताबिक यदि पिछले वर्ष के आंकड़ों से तुलना करें तो इस क्षेत्र में होते निवेश में 125 फीसदी की वृद्धि हुई है।

दरअसल अक्षय ऊर्जा में बढ़ते निवेश का सबसे बड़ा कारण महामारी के बाद से इसकी मांग में लगातार वृद्धि होना है। वहीं दूसरी तरफ बैंक, निगमों और अन्य वित्तीय संस्थानों ने जीवाश्म ईंधन से दूर जाने पर अपनी प्रतिबद्धता जताई है और उसका असर अक्षय ऊर्जा में होते निवेश पर भी पड़ा है। यही वजह है कि इस क्षेत्र में होता निवेश तेजी से बढ़ रहा है।

अक्षय ऊर्जा क्षेत्र में एक साल में 7 लाख नए रोजगार हुए पैदा

किसी भी क्षेत्र में रोजगार का मिलना एक बड़ी बात होती है लेकिन बात जब अक्षय ऊर्जा क्षेत्र की हो तो इसका महत्व और भी अधिक बढ़ जाता है। हम जानते हैं कि किसी भी अर्थव्यवस्था में रोजगार बहुत महत्वपूर्ण होता है। क्योंकि रोजगार ही लोगों के जीवन यापन करने में मुख्य भागीदार है।

साथ ही यह देश के विकास में भी पूरी भूमिका निभाता है। अक्षय ऊर्जा क्षेत्र में अधिक निवेश के साथ-साथ वैश्विक स्तर पर पिछले एक साल में रोजगार के लगभग 7 लाख नए अवसर पैदा हुए हैं जो कि बहुत ही अच्छी बात है। ऐसे में अक्षय ऊर्जा क्षेत्र में रोजगार पाने वालों का आंकड़ा बढ़कर 1.27 करोड़ पर पहुंच गया है इसमें एक तिहाई महिलाओं की हिस्सेदारी भी है।

यानि अब उन देशों की संख्या बढ़ रही है जहां अक्षय ऊर्जा क्षेत्र में रोजगार New job opportunities in renewable energy sector के नए अवसर पैदा हो रहे हैं। आपको बता दें कि यह जानकारी इंटरनेशनल रिन्यूएबल एनर्जी एजेंसी Renewable Energy Agency (आईआरईएनए) द्वारा जारी नई रिपोर्ट “अक्षय ऊर्जा और रोजगार: वार्षिक समीक्षा 2022” Renewable Energy and Employment: Annual Review 2022” में सामने आई है। कुल मिलाकर महामारी, यूक्रेन में चलते संघर्ष और बढ़ते ऊर्जा संकट के बीच रोजगार के नए अवसर पूरी दुनिया के लिए एक राहत की खबर है।

अक्षय ऊर्जा क्षेत्र में 1.27 करोड़ नौकरियों में से अकेले चीन ही 42 फीसदी रोजगार दे रहा है। इसके बाद यूरोप और ब्राजील का स्थान आता है जिनकी हिस्सदारी 10-10 फीसदी है। इसके अलावा अमेरिका और भारत की बात करें तो यह दोनों ही देश 7-7 फीसदी रोजगार दे रहे हैं। 

2050 तक ऊर्जा क्षेत्र में 84 फीसदी नौकरियां अक्षय ऊर्जा के क्षेत्र में 

जर्नल वन अर्थ Journal One Earth में छपी एक रिपोर्ट से पता चला है कि 2050 तक ऊर्जा क्षेत्र में 84 फीसदी नौकरियां अक्षय ऊर्जा के क्षेत्र में होगी। अनुमान है कि आने वाले 28 वर्षों में यदि वैश्विक तापमान में हो रही वृद्धि 2 डिग्री सेल्सियस से नीचे रहती है तो इस परिदृश्य में ऊर्जा क्षेत्र में कुल नौकरियां बढ़कर 2.6 करोड़ हो जाएंगी।

वर्तमान में ऊर्जा क्षेत्र ने करीब 1.3 करोड़ लोगों को रोजगार दिया हुआ है। यानि ऊर्जा क्षेत्र में आज के मुकाबले 80 लाख नए अवसर पैदा होंगे।

जंगल में लगने वाली आग का सौर ऊर्जा उत्पादन में प्रभाव 

एक बहुत ही महत्वपूर्ण बात जिससे शायद आप लोग अनभिज्ञ होंगे, आर्यभट्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट ऑफ ऑब्जर्वेशनल साइंसेज Aryabhatta Research Institute of Observational Sciences (एआरआईईएस), नैनीताल और यूनान स्थित नेशनल ऑब्जर्वेटरी ऑफ एथेंस (एनओए) के शोधकर्ताओं द्वारा किए अध्ययन से पता चला है कि, बादलों और वातावरण में मौजूद एरोसोल के साथ-साथ जंगल में लगने वाली आग भी सौर ऊर्जा उत्पादन को कम करने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।

मतलब साफ़ है कि जंगल में लगने वाली आग, भारत में सौर ऊर्जा उत्पादन को प्रभावित कर सकती है। भारतीय वन सर्वेक्षण के अनुसार देश में करीब 36 फीसदी वन क्षेत्र में बार-बार आग लगने का खतरा है। यदि सिर्फ उत्तराखंड की बात करें तो 2021 के दौरान जंगलों में लगी आग के चलते करीब 1,300 हेक्टेयर वन क्षेत्र स्वाहा हो गया था।

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