स्वच्छता, स्वास्थ्य का कारक

76489
02 Oct 2021
8 min read

Post Highlight

स्वच्छ आवरण स्वस्थ मस्तिष्क और स्वस्थ शरीर का आधार होता है। स्वच्छता हमारे विचारों से शुरू होती है। यदि हम मन में ठान लें कि स्वच्छता ही हमारा मुख्य उद्देश्य होगा, इसी से हम अपनी तथा अपनों की सुरक्षा सुनिश्चित कर पायेंगे, तो हम अपने घर को और आस-पास के स्थान को स्वच्छ रखने में अवश्य सफल होंगे। एक दृढ संकल्प न केवल हमारा वर्तमान बल्कि हमारा भविष्य भी सुनहरा करेगा।   

Podcast

Continue Reading..

हमें ऐसे स्थान कितने पसंद आते हैं, जहाँ हरियाली, खूबसूरती और स्वच्छता तीनों का समावेश होता है। ऐसे परिदृश्य मन को मोह लेते हैं। खुद के अंदर ऐसे ही परिवेश में रहने की इच्छा का जन्म होने लगता है, परन्तु हम ऐसा करने में सक्षम नहीं होते हैं। प्रकृति हमें ऐसा परिवेश भरपूर देती है और हम उसका मन भर आनंद लेते हैं। हम अपने आस-पास रहने वाले स्थान के भी स्वच्छ परिवेश में होने की कल्पना करते हैं। स्वच्छता प्रत्येक मनुष्य के जीवन में बहुत महत्वपूर्ण होती है। इसकी कामना हम सब करते हैं, परन्तु इसमें हमारी कितनी हिस्सेदरी होती है? क्या जिसकी कल्पना हम अपने मन में करते हैं, उसे अपने व्यवहार में शामिल करते हैं? क्या हम कोशिश करते हैं कि हमारा परिवेश स्वच्छ रहे? यदि करते हैं तो कितना? क्या हमें वास्तव में स्वच्छता का अर्थ पता है? किन तरीकों से हम अपने घर को, आस-पास के वातावरण को स्वच्छ रख सकते हैं? इन सब तथ्यों पर ध्यान देना प्रत्येक मनुष्य के लिए आवश्यक होता है। क्योंकि कहते हैं न कि अधूरी जानकारी अज्ञानता से अधिक घातक होती है। स्वच्छता से ही खुद को और समाज को स्वस्थ रखा जा सकता है।

Clean Thinking Clean World

स्वच्छता का अर्थ समझना ज़रूरी 

स्वच्छता वह कुंजी है, जिससे स्वस्थ जीवन का ताला खुलता है। यदि हम इस कुंजी को संभाल के नहीं रखेंगे तो हम खुद को कभी स्वस्थ नहीं रख पाएंगे। ऐसे कई लोग हैं, जो स्वच्छता की अहमियत समझते हैं और इसके लिए प्रयास भी करते हैं परन्तु उन्हें वास्तव में यह पता ही नहीं होता कि सुचारु रूप से कैसे अपने आस-पास के वातावरण को स्वच्छ रखा जाता है। 

स्वच्छता मानसिक परिस्थिती में भी सहयोगी 

दुनिया में अनेक बीमारियां ऐसी हैं, जो केवल इसलिए मानव शरीर में जन्म लेती हैं क्योंकि हम स्वच्छता की ओर ध्यान नहीं देते हैं। शरीर में ऐसा कोई भी अंग नहीं जिसकी बीमारी स्वच्छता से ना जुड़ी हो। किसी ना किसी रूप में स्वच्छता हमारे शरीर के प्रत्येक हिस्से को प्रभावित करती है। त्वचा, इन्द्रियां, लीवर, किडनी, फेफड़े तथा अन्य अंगों में स्वच्छता ना होने के कारण कई प्रकार के रोग हो जाते हैं। जो हमें मानसिक रूप से भी परेशान करते हैं। यदि हम स्वस्थ नहीं रहेंगे तो किसी भी कार्य को अच्छे से कर पाना मुश्किल है। इसलिए हमें स्वच्छता पर अधिक ध्यान देना चाहिए। 

Related: व्यक्तित्व का‌ निखार, संगति पर विचार

स्वच्छता बनाये रखने के तरीके 

घर के भीतर और बाहर ऐसी वस्तुओं का एकत्रित होना जिनसे घातक कीटों, कीड़ों तथा विषाणुओं का जन्म होता है, हमारे घर को बीमारी का घर बनाते हैं। हम अपने घर को ऐसे रूप में स्वच्छ रखते हैं, जो दिखने में साफ़ लगता है परन्तु बीमारी का कारक बनने वाले विषाणुओं को हम नग्न आँखों से नहीं देख पाते हैं। इसीलिए हम निश्चिंत रहते हैं कि हम सफाई से रह रहे हैं, जो कि केवल एक छलावा होता है। ऐसी परेशानियों के लिए बाज़ार में कई ऐसी वस्तुएं मौजूद हैं जो हमारी रक्षा करते हैं। ऐसे कई घरेलु उत्पाद भी होते हैं, जो घर को स्वच्छ रखने में हमारी सहायता करते हैं।  

बाहर खाने के समय रखें ध्यान

हमें बाहर का खाना पसंद होता है, इसलिए यह ध्यान दिए बिना कि वह कहाँ और कैसे बन रहा है, हम खाने लगते हैं। इससे हमारे भीतर कई रोग उत्पन्न होने लगते हैं। भोजन खाने तो हम बड़े मन से जाते हैं, उतावलेपन में हम ज्यादा खाना मंगा लेते हैं और फिर उसे खा नहीं पाते हैं। नतीजन वह खाना कूड़े का ढेर बन जाता है और यहाँ से शुरू होता है अस्वच्छता का दूसरा चरण, जो नई बीमारियों का कारण बनता है। 

किसी वस्तु को सड़ने ना दें 

सड़ी हुई वस्तुएं हमेशा स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होती हैं। खुद को ऐसी चीजों से दूर रखना और कोशिश करना कि ऐसे स्थानों पर इन वस्तुओं का जमावड़ा ना लग सके जहाँ मनुष्यों और जानवरों का निवास है, हम सबकी जिम्मेदारी होती है। एक जगह एकत्रित पानी भी बहुत खतरनाक सिद्ध होता है, भले ही वह शुद्ध जल क्यों ना हो। 

आज हम उस परिवेश हैं कि हम प्रत्येक बीमारी और उनके कारणों के प्रति जागरूक हैं। आज हमारे पास इन बीमरियों से बचने के तरीके और इनसे लड़ने के उपाय मौजूद हैं। बस ज़रूरत है तो हमें सतर्क रहने की। 

Related: आज का पुनर्चक्रण, एक बेहतर कल का साथ

विचारों से स्वच्छता का जन्म

स्वच्छ आवरण स्वस्थ मस्तिष्क और स्वस्थ शरीर का आधार होता है। स्वच्छता हमारे विचारों से शुरू होती है। यदि हम मन में ठान लें कि स्वच्छता ही हमारा मुख्य उद्देश्य होगा, इसी से हम अपनी तथा अपनों की सुरक्षा सुनिश्चित कर पायेंगे, तो हम अपने घर को और आस-पास के स्थान को स्वच्छ रखने में अवश्य सफल होंगे। एक दृढ संकल्प न केवल हमारा वर्तमान बल्कि हमारा भविष्य भी सुनहरा करेगा। 

TWN Special