सस्टेनेबल फूड प्रोडक्शन खाद्य संस्कृति के बारे में है। सस्टेनेबल फूड प्रोडक्शन एक ऐसी विधि है जिसमें फूड प्रोडक्शन के दौरान प्रदूषण नहीं होता। यह रिन्यूएबल एनर्जी को भविष्य के लिए बचा कर रखता है। 1.सस्टेनेबल फूड प्रोडक्शन कर्मचारियों,समुदायों और उपभोक्ताओं के लिए बिल्कुल सुरक्षित है और साथ ही साथ यह आने वाली पीढ़ियों की जरूरतों से समझौता नहीं करता है। 2.यह फूड प्रोडक्शन और फसल की खेती के बीच में संतुलन बनाए रखने में मददगार साबित होता है।
हम सब खाने के शौकीन हैं!
यह निश्चित रूप से मनुष्यों के लिए एक जरूरी आवश्यकता से कहीं अधिक है। खाद्य उद्योग(फूड इंडस्ट्री) भारत के निर्यात में लगभग 13%, कुल औद्योगिक निवेश में 6% और मैन्युफैक्चरिंग और कृषि में लगभग 8.80% सकल मूल्य वर्धित ( ग्रास वैल्यू ऐडेड) का योगदान देता है।
इसके अलावा, वैश्विक ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन का एक तिहाई खाद्य उत्पादन(फूड प्रोडक्शन) से होता है। आपको जानके आश्चर्य होगा कि एक किलोग्राम बीफ से जितना उत्सर्जन होता है उतना ही उत्सर्जन आपकी कार को 160 मील चलाने से होता है। खाद्य परिवहन(फूड ट्रांसपोर्टेशन), कीटनाशकों का उपयोग, ऐसे फल और सब्जियों को खरीदना जो मौसमी ना हों, ये सारी चीज़े भी कार्बन फुटप्रिंट में योगदान देती हैं।
प्रोसेस्ड फूड से ताजे भोजन की तुलना में अधिक उत्सर्जन होता है क्योंकि इसमें परिवहन, कारखानों में उत्पादन और अतिरिक्त पैकेजिंग भी शामिल होती हैं।
लेकिन वास्तव में हम हर उद्योग और उसके संचालन को बंद नहीं कर सकते। अभी हम फूड इंडस्ट्री से हो रहे नुकसान के बारे में बात कर रहे थे, तो अच्छे पॉइंट्स भी बताना जरूरी है। 21वीं सदी में काफी सारी चीजों को लोग बदल रहें हैं। यह दुनिया के हर उपभोक्ता के लिए जागरूक होने का समय है। फूड इंडस्ट्री में भी आप अगर स्थिरता को अपनाते हैं तो यह एक बहुत बड़ा बदलाव लाएगा। सस्टेनेबल फूड प्रोडक्शन एक ऐसी विधि है जिसमें फूड प्रोडक्शन के दौरान प्रदूषण नहीं होता। यह रिन्यूएबल एनर्जी को भविष्य के लिए बचा कर रखती है। यह कर्मचारियों, समुदायों और उपभोक्ताओं के लिए बिल्कुल सुरक्षित है और साथ ही साथ यह आने वाली पीढ़ियों की जरूरतों से समझौता नहीं करती है।
ऐसी क्रियाएं जो टिकाऊ मानी जाती हैं-
प्राकृतिक संसाधनों का कुशलतापूर्वक और विवेकपूर्ण उपयोग करना अनिवार्य है। फॉसिल फ्यूल्स के उपयोग को कम करना और उत्पादन में पानी के उपयोग को अनुकूलित करना, भूमि उपयोग को अनुकूलित करना और कृषि के लिए भूमि के रूपांतरण को कम करना, मिट्टी और जलमार्गों के प्रदूषण से बचने के लिए उर्वरकों और कीटनाशकों का उचित उपयोग, स्थायी मछली पकड़ने की प्रथाओं को लागू करना, पैकेजिंग उपयोग और रीसाइक्लिंग सामग्री का अनुकूलन करना।
एक नया, विकसित, पर्यावरण के अनुकूल अवधारणा, 'क्लाउड किचन' आज कल काफी चलन में है। इसे "घोस्ट किचन" के रूप में भी जाना जाता है। यह एक व्यवसायिक रसोई स्थान है जो खाद्य व्यवसायों को डिलीवरी के लिए मेनू आइटम तैयार करने के लिए आवश्यक सुविधाएं और सेवाएं प्रदान करता है। पारंपरिक ईंट-और-मोर्टार स्थानों के विपरीत, क्लाउड किचन खाद्य व्यवसायों को न्यूनतम सामानों के साथ खाद्य उत्पाद बनाने और वितरित करने की अनुमति देते हैं। क्लाउड किचन कोई भी खोल सकता है और कम निवेश में ज्यादा लाभ पा सकता है। साथ ही साथ यह पर्यावरण का भी अच्छा दोस्त है।
फूड वेस्टेज भी आज एक बड़ी समस्या है। कई लोगों ने इसे कम करने की पहल की है। ये लोग गरीबों और जरूरतमंदों को खिलाने के लिए रेस्तरां, कार्यक्रमों और पार्टियों से अतिरिक्त भोजन उठाते हैं। अहमदाबाद और हैदराबाद में फूड बैंक हैं जहां आप खुद उन स्वादिष्ट भोजन को दान कर सकते हैं, जिन्हें आपने प्यार से पकाया था।
जितना आप सोचते हैं,यह उससे काफी आसान है।
इस पर विचार करें, आप फास्ट फूड जंक्शनों के बजाय घर का बना चिप्स और स्नैक्स इस्तेमाल में लाए। आप भोजन को बर्बाद करने के बजाय दान करें। आप छोटे व्यवसायों का समर्थन करें जो आपको स्वादिष्ट गुणवत्ता वाला भोजन दे रहे हैं, और आप एक आदर्श इंसान बनने के बहुत करीब हैं।