दिशि सोमानी ने कैसे शुरू किया ऑनलाइन ज्वेलरी बिज़नेस?

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26 Aug 2022
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आपने अक्सर लोगों को यह कहते हुए सुना होगा कि कुछ बड़ा अचीव करना है तो कंफर्ट जोन छोड़ो Leave your comfort zone और कुछ अलग करो क्योंकि कंफर्ट जोन में रहना तो अच्छा लगता है लेकिन यहां आपकी ग्रोथ नहीं होती है। दिशि सोमानी Dishi Somani के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ। दिशिज डिजाइनर ज्वेलरी Dishis Designer Jewellery की संस्थापक और एमडी दिशा सोमानी ने 2013 में अपनी उद्यमशीलता की यात्रा शुरू की, ताकि डिजाइनर ज्वैलरी को सुलभ और किफायती बनाने की दृष्टि से महिलाओं को अलंकृत करने के अपने सपने को पूरा किया जा सके। उन्होंने अच्छे कॉलेज से डिग्री ली, उनकी फैमिली का उन्हें हर कदम पर सपोर्ट मिला, उन्हें एक अच्छी जॉब भी मिली लेकिन कहीं ना कहीं उनके अंदर कुछ अलग करने का जुनून था और इसी से दिशिज डिजाइनर ज्वेलरी की शुरुआत हुई। 

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बिज़नेस Business के दांव-पेंच से उनका कोई रिश्ता नहीं था लेकिन आर्ट से उन्हें खास लगाव था। गहनों Jewellery में उनकी दिलचस्पी थी और इसीलिए पिता के मना करने के बावजूद भी उन्होंने खुद का बिज़नेस शुरू किया। कौन यकीन करेगा कि 2015 में मात्र 5,000 रुपए से शुरू किए गए बिजनेस 'दिशिज डिजाइनर ज्वेलरी' Dishis Designer Jewellery की मांग आज देशों और विदेशों में है। 

दिशि सोमानी Dishi Somani ने ऑनलाइन ज्वेलरी ब्रांड online jewellery brand दिशिज डिजाइनर ज्वेलरी Dishis Designer Jewellery की शुरुआत 2015 में 5,000 रुपये के साथ की थी और आज उनकी कंपनी का टर्नओवर 50,00,000 रुपए है। आइए दिशिज डिजाइनर ज्वेलरी जैसे ब्रांड को खड़ा करने की कहानी Success Story of Dishis Designer Jewellery जानते हैं।

Success Story of Dishi Somani 

आपने अक्सर लोगों को यह कहते हुए सुना होगा कि कुछ बड़ा अचीव करना है तो कंफर्ट जोन छोड़ो और कुछ अलग करो क्योंकि कंफर्ट जोन में रहना तो अच्छा लगता है लेकिन यहां आपकी ग्रोथ नहीं होती है। दिशि सोमानी Dishi Somani के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ। उन्होंने अच्छे कॉलेज से डिग्री ली, उनकी फैमिली का उन्हें हर कदम पर सपोर्ट मिला, उन्हें एक अच्छी जॉब भी मिली लेकिन कहीं ना कहीं उनके अंदर कुछ अलग करने का जुनून था और इसी से दिशिज डिजाइनर ज्वेलरी की शुरुआत हुई। 

विविध संकृति और महलों के लिए मशहूर प्रदेश मध्य प्रदेश के ग्वालियर शहर की रहने वाली दिशि बचपन से ही अपने घर में कारीगरों को आते-जाते देखा करती थीं। घर की महिलाओं के लिए ये कारीगर गहनें बनाने Jewellery making का काम करते थे। जब भी कारीगर आते थे तो दिशि बहुत बारीकी से उन गहनों को देखा करती थीं और इसी तरह ज्वेलरी मेकिंग में उन्हें इंट्रेस्ट आने लगा। उनके पिता आईआईटी और आईआईएम अहमदाबाद से ग्रेजुएट हैं और अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद उनके पिता बिज़नेस business में लग गए और वह एक सफल उद्यमी successful entrepreneur हैं। पिता बिजनेस में थे लेकिन दिशि एक कला प्रेमी थी। कला की समझ और क्रिएटिविटी का गुण उन्हें उनकी मां से मिला है क्योंकि उनकी मां पेशे से एक आर्टिस्ट हैं। 

दिशि ने स्कूल की शुरुआती पढ़ाई ग्वालियर और दिल्ली से की और वह हमेशा से अपने पिता की तरह एमबीए करना चाहती थीं। उन्होंने दिल्ली यूनिवर्सिटी से बीकॉम आनर्स की पढ़ाई पूरी की और इसके बाद उन्होंने आइएमटी दुबई से एमबीए किया। एमबीए पूरा होने पर उनकी आइसीआइसीआइ बैंक में जॉब लग गई। 

स्क्रैच से शुरू किया ज्वेलरी बिज़नेस

बैंक की जॉब अच्छी थी लेकिन कहीं ना कहीं दिशि को एक अंसतुष्टि रहती थी। वह हमेशा खुद से पूछा करती थीं कि क्या मैं जो कर रही हूं, वह सही है? वह एक कला प्रेमी थी और हमेशा से उनकी ये ख्वाहिश थी कि वह खुद कुछ शुरू करें और ग्रेजुएशन के दौरान उन्होंने मैनेजमेंट स्किल्स के उपयोग के बारे में जाना। वह मैनेजमेंट स्किल्स और अपनी क्रिएटिव सोच के साथ कुछ नया शुरू करना चाहती थीं। जब उन्होंने अपने पिता से बात की तो उन्होंने समझाया कि बिज़नेस में तमाम रिस्क लेने पड़ते हैं वहीं दूसरी ओर नौकरी में ऐसा खतरा नहीं होता है। उन्होंने सभी लोगों की बात तो सुनी लेकिन अपने मन को नहीं समझा पाईं क्योंकि उनके मन में कुछ और ही चल रहा था। दिशि सोमानी खुद को एक मौका देना चाहती थीं। तो बस, सबकी एडवाइस सुनने के बावजूद भी उन्होंने रिस्क लिया और नौकरी छोड़ दी। 

सबसे पहले उनके मन में ज्वेलरी डिजाइनिंग का विचार आया और उन्होंने दिशिज डिजाइनर ज्वेलरी नाम से एक आनलाइन वेंचर शुरू किया और घर बैठे ज्वेलरी डिजाइंस Jewellery designs को लोगों तक पहुंचाना शुरू किया। 

दिशि ने इस बिज़नेस को अकेले के दम पर शुरू किया। उनके पिता बिज़नेस बैकग्राउंड से थे लेकिन उनके परिवार में किसी का भी ज्वेलरी बिजनेस Jewellery business से दूर-दूर तक कोई नाता नहीं था और किसी को भी इस इंडस्ट्री की कोई जानकारी नहीं थी। उनके माता-पिता ने उनका मार्गदर्शन किया। ज्वेलरी डिजाइन में मां ने मदद की तो एक मेंटर के रूप में बिजनेस मैनेज करने में पिता ने मदद की। 

मात्र 5 हजार रुपयों से शुरू किया बिज़नेस 

दिशि ज्वेलरी डिजाइन के बिज़नेस के आइडिया को परखना चाहती थीं। वह देखना चाहती थीं क्या सच में उनका आइडिया कारगर साबित होगा इसीलिए उन्होंने मात्र 5 हजार रुपए लगाकर बिज़नेस की नींव रखी। उनके कुछ दोस्तों ने वेबसाइट बनाने में उनकी मदद की। कंपनी का रजिस्ट्रेशन करवाने के बाद उन्होंने अमेजन, स्नैपडील, होमशाप 18 और फ्लिपकार्ट आदि फेमस ईकॉमर्स मार्केटप्लेस Famous e-commerce marketplace के साथ टाईअप किया। दिशि ने अकेले की काम करना शुरू किया। जब ऑर्डर कन्फर्म होता था तो वह ज्वेलरी डिजाइनिंग में लग जाती थी। वह बताती हैं कि आज भी वह वही पुराना बिज़नेस मॉडल फॉलो करती हैं। 

पहला ऑर्डर मिलने पर उनकी खुशी का ठिकाना नहीं था क्योंकि लोगों ने कहा था कि ये बिज़नेस नहीं चलेगा लेकिन फिर भी उन्हें इस बिज़नेस में संभावनाएं दिखाई दे रही थीं। दरअसल, लोगों का यह मानना था कि डायमंड और गोल्ड जैसे लग्जरी आइटम को ऑनलाइन बेचना मुश्किल है लेकिन जब दिशि को ज्वेलरी डिजाइन के ऑर्डर आने लगे तो उन्हें यकीन हो गया कि इस बिज़नेस को शुरू करके उन्होंने कुछ गलत नहीं किया है और रिस्क लेना उनके लिए अच्छा साबित हुआ। जैसे-जैसे ऑर्डर्स बढ़ रहे थे वैसे-वैसे वह बिज़नेस में और पूंजी लगा रही थीं। 

चुनौतियों से कैसे हैंडल किया?

अगर आप गोल्ड और डायमंड का बिज़नेस का कर रहे हैं तो आपको विश्वासी कारीगरों को चुनना पड़ता है। दिशि बताती हैं कि शुरुआत में कारीगरों के साथ टाईअप करना मुश्किल था। जब कुछ कारीगर मिले तो पूरी जांच पड़ताल के साथ उन्होंने काम शुरू किया। इसके साथ-साथ प्रोडक्ट क्वालिटी product quality को लेकर भी कुछ चुनौतियां आईं लेकिन वह एक अच्छे उद्यमी की तरह हर चुनौतियों के लिए तैयार थीं। खुद दिशि बताती हैं कि चाहे आप कोई भी बिज़नेस शुरू कर लें, आपको संयम रखना होता है नहीं तो फेलियर के चांसेज बढ़ जाते हैं। वह कहती हैं कि उन्होंने लगातार कड़ी मेहनत की और अपने दिल की सुनी इसीलिए आज वह इस मुकाम पर पहुंच पाई हैं। हर उद्यमी की तरह उन्होंने भी रोज़ कुछ नया सीखा, उन्हें कई नए सबक मिले और हर परिस्थिति का उन्होंने डट कर सामना किया।

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इस सफर में क्या सीख मिली?

बिज़नेस शुरू करने से पहले कई लोगों ने उन्हें यह कहा था कि बिज़नेस नहीं चलेगा, इस बिजनेस में रिस्क है, जॉब करना बेहतर ऑप्शन है लेकिन दिशि ने वही किया जो उनके दिल ने कहा। दिशि को जो सबसे बड़ी सीख मिली वह ये थी कि परिस्थिति चाहे जैसी भी हो, हमेशा अपने दिल की सुनो और कभी हार मत मानो क्योंकि चुनौतियां का आना तय है। लोग आपके बारे में बात करेंगे, आपको डिमोटिवेट करेंगे पर आपको आपके जुनून से समझौता नहीं करना है क्योंकि धैर्य और मेहनत से आप जीवन में सब कुछ हासिल कर सकते हैं। 

निष्कर्ष

अगर उस दिन दिशि सोमानी सबकी बातों में आ जाती और अपनी बैंक की नौकरी नहीं छोड़ती तो शायद आज वह एक सफल उद्यमी नहीं होती। उन्होंने रिस्क लिया, अपने पैशन को फॉलो किया, कड़ी मेहनत की और आज नतीजा हम सबके सामने हैं। अगर आप अपने जुनून से समझौता नहीं करते हैं और मेहनत और लगन के साथ कर काम करते हैं तो आपको जीतने से कोई नहीं रोक सकता, खुद आप भी नहीं। 

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