कितना खतरनाक है ग्लोबल वार्मिंग?

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27 Jan 2022
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वैज्ञानिकों ने ग्लोबल वार्मिंग को लेकर कई भविष्यवाणियां की हैं और ऐसा बताया जा रहा है कि 21वीं शताब्दी में पृथ्वी को ग्लोबल वार्मिंग से सबसे ज्यादा खतरा है। कई वैज्ञानिकों ने तो यह तक कह दिया है कि तृतीय विश्वयुद्ध या किसी एस्टोराइड से पृथ्वी के टकराने से भी ज्यादा खतरनाक ग्लोबल वार्मिंग है और अगर लोग इसके प्रति जागरूक नहीं हुए तो ये पृथ्वी के विनाश का कारण बनेगा।

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'ग्लोबल वार्मिंग' Global Warming, इस शब्द से हम सब वाकिफ हैं और हम सभी जानते हैं कि आज पूरी दुनिया के लिए ये एक गंभीर समस्या है लेकिन फिर भी लोग इसके बारे में और जानना नहीं चाहते हैं और इसे विज्ञान से जुड़ा कुछ समझकर इसके बारे में ज्यादा बात नहीं करते हैं। कुछ लोग इसे खतरनाक नहीं मानते हैं और वे कहते हैं कि इसके बारे में तो हम सालों से सुनते आए हैं और जब पहले कुछ गंभीर नहीं हुआ तो अब क्या होगा। आपको बता दें कि कई वैज्ञानिकों ने ग्लोबल वार्मिंग को लेकर कई भविष्यवाणियां भी की हैं और ऐसा बताया जा रहा है कि 21वीं शताब्दी में पृथ्वी को ग्लोबल वार्मिंग से सबसे ज्यादा खतरा है। कई वैज्ञानिकों ने तो यह तक कह दिया है कि तृतीय विश्वयुद्ध या किसी एस्टोराइड से पृथ्वी के टकराने से भी ज्यादा खतरनाक ग्लोबल वार्मिंग है और अगर लोग इसके प्रति जागरूक नहीं हुए तो ये पृथ्वी के विनाश का कारण बनेगा।

आप सोच रहे होंगे कि आखिर पृथ्वी का तापमान बढ़ क्यों रहा है। दरअसल, इसका सबसे बड़ा कारण तो मानव ही हैं। ग्रीन हाउस गैसेस greenhouse gases का उत्सर्जन, जंगलों में लगने वाली आग, जंगलों की कटाई deforestation, वाहनों से निकलने वाले धुएं से लेकर रेफ्रिजरेटर और एयरकंडीशनर का इस्तेमाल पृथ्वी के तापमान को बढ़ाने में मुख्य भूमिका निभाते हैं। अगर हम सभी लोगों ने सस्टेनेबल लाइफस्टाइल sustainable lifestyle नहीं अपनाई तो वे दिन दूर नहीं जब पृथ्वी का तापमान इतना बढ़ जाएगा कि ग्लेशियर की बर्फ पिघल जाएंगी और सागर और महासागर का जल स्तर भी कई फीट rise in sea level तक बढ़ जाएगा। ऐसा होने पर पृथ्वी के कई हिस्से जलमग्न हो जाएंगे और पृथ्वी पर भारी तबाही आएगी। 

ग्लोबल वार्मिंग का प्रभाव आपको अचानक से देखने को नहीं मिलेगा। इसका असर आपको धीरे-धीरे देखने को मिलेगा। आज के समय में कई प्रजातियां लुप्त हो चुकी हैं, लोगों को सांस लेने ले लिए शुद्ध ऑक्सीजन नहीं मिल रही है, गर्मी की वजह से रेगिस्तान का विस्तार हो रहा है, कहीं बहुत ठंड है तो कहीं बेहद गर्मी, कहीं सूखा है तो कहीं बाढ़ आदि। 

ग्लोबल वार्मिंग तभी कम होगा जब लोग इसके प्रति जागरूक होंगे। हम सभी को अपने कार्बन फुटप्रिंट्स carbon footprints कम करने होंगे और अपने आस-पास के वातावरण को प्रदूषण मुक्त pollution free बनाना होगा। इस पृथ्वी को बचाने में आपको अपनी भूमिका निभानी होगी। ये ख्याल अपने मत में मत लाइएगा कि मेरे अकेले के जागरूक रहने से क्या होगा। आपको लोगों को समझाना होगा। जब सभी लोग अपनी जिम्मेदारी स्वीकार करेंगे तब कहीं जाकर ग्लोबल वार्मिंग का खतरा कम होगा।

पृथ्वी ने हमेशा से हमारा ख्याल रखा है और अब यह हमारा फ़र्ज़ है कि हम फिर से पृथ्वी को हरा-भरा बनाएं। 

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