यह हम सभी जानते हैं कि भारत में इस साल गर्मी सारे पुराने रिकॉर्ड तोड़ रही है। भारत मौसम विज्ञान विभाग (India Meteorological Department) के मुताबिक मार्च में इस बार गर्मी ने 122 साल का रिकॉर्ड तोड़ दिया है। 1901 के बाद मार्च 2022 में सबसे अधिक गर्मी दर्ज की गयी थी। आईएमडी (IMD) का कहना है कि मार्च माह में अधिकतम तामपान 31.24 डिग्री के सामान्य के मुकाबले 32.65 डिग्री सेल्सियस रहा। बड़ी बात यह है कि गर्मियों की शुरुआत में ही चार हीटवेव देखी जा चुकी हैं। हालांकि, हमे इससे बचने के लिए स्वयं कुछ उपाय करने होंगे। आज इस ब्लॉग में हम बात करेंगे कि कैसे Heatwave क्लाइमेट चेंज से संबंधित है।
हीटवेव (Heatwave) मौसम संबंधी एक ऐसी तकनीकी भाषा (technical language) है जो सबसे अधिक गर्म दिनों को परिभाषित करती है। मौसम वैज्ञानिकों के अनुसार एक हीटवेव (Heatwave) तब घोषित की जाती है जब अधिकतम तामपान सामान्य से 4.5 डिग्री सेल्सियस और 6.4 डिग्री सेल्सियस के बीच बढ़ जाता है। इसके आलावा, जब अधिकतम तामपान 6.4 डिग्री सेल्सियस से अधिक बढ़ जाता है तब लू (Loo) की घोषणा कर दी जाती है। आपको बता दें कि हीटवेव 4 से 10 दिनों के बीच रहती है, और मुख्यतः बारिश न होने की वजह से यह कभी-कभी अधिक समय तक रह सकती है।
इस साल, समय से पहले गर्मियों की शुरुआत होना, लंबी अवधि तक हीटवेव का रहना, और समय-समय पर बारिश के न होने से लोग बहुत परेशान हैं। मौसम विभाग के अनुसार, भारत में बारिश में करीब 72 प्रतिशत कमी दर्ज की गई है। इसके अलावा, देश के उत्तर पश्चिमी क्षेत्रों में यह कमी बढ़कर 89 फीसदी तक दर्ज की गयी है। अगर पिछले कुछ दशकों पर नज़र डालें तो इस बार भारत में गर्मी के दौरान तापमान बढ़ता ही जा रहा है।
मौसम विभाग द्वारा जारी एक रिसर्च से पता चला है कि भारत में हर 10 साल हीटवेव की संख्या तीव्र गति से बढ़ रही है। एक रिसर्च के अनुसार, यह संख्या साल 1981-90 में 413 से साल 2001-10 में 575 और साल 2011-20 में 600 दिनों तक पहुंच चुकी है। इसके अलावा, अधिक गर्म दिनों की संख्या लगातार बढ़ी है। अतः पिछले तीन दशकों की तुलना में साल 1991 से 2020 के बीच, हीटवेव में लगातार वृद्धि हुई है।
हीटवेव, घातक बाढ़ और जंगल की आग (Heatwaves, deadly floods and wildfires) इन सभी का मतलब है कि लोग भीषण गर्म मौसम और जलवायु परिवर्तन का अनुभव कर रहे हैं। औद्योगिक युग की शुरुआत से ही जीवाश्म ईंधन के जलने (burning of fossil fuels) से होने वाला उत्सर्जन, वातावरण में गर्मी को बढ़ा रहा है। यह अतिरिक्त ऊर्जा या भीषण गर्मी असमान रूप से फैलकर हीट वेव को जन्म देती है, जैसे हम आज देख रहे हैं, और यह चक्र आगे भी चलता रहेगा।
नीचे जलवायु परिवर्तन के कारण बढ़ती गर्मी के 4 कारण दिए गए हैं।
औसत तापमान में छोटे बदलावों के प्रभाव को समझने के लिए, आपको उन्हें वक्र (Curve) के रूप में सोचना होगा। वक्र के एक छोर पर अत्यधिक ठंड और दूसरे पर अत्यधिक गर्मी है और बीच में एक केंद्र है जिससे तापमान निर्धारित होता है। केंद्र में एक छोटे से बदलाव का मतलब है कि वक्र का अधिक हिस्सा अधिक ठंडी या अधिक गर्मी को छूता है, और इसलिए हीटवेव कई बार ज्यादा भयानक हो जाती है। मौसम कार्यालय (Met Office) के अनुसार, ब्रिटेन में, पिछले 50 वर्षों में गर्म मौसम का प्रभाव दोगुने से अधिक हो गया है। हीटवेव को एक अन्य मौसमी परिवर्तन हीट डोम (heat dome) द्वारा लंबा और अधिक तीव्र बनाया जा सकता है।
इस साल भारत (India) और पाकिस्तान (Pakistan) में रिकॉर्ड गर्मी का अनुभव किया गया है। इस बार 122 साल का रिकॉर्ड टूटा है जिसके चलते लगातार उच्च गर्मी का दबाव और सामान्य से कम वर्षा दर्ज की गयी है। भारत में मार्च 2022 सबसे गर्म रहा है। कराची, पाकिस्तान ने भी रिकॉर्ड तोड़ गर्मी देखी गयी है, वहां पर भी मार्च का महीना सबसे गर्म रहा। जैसे ही अप्रैल में हीटवेव शुरू हुई, पाकिस्तान और भारत दोनों ने ही गर्मी का रिकॉर्ड तोड़ते हुए देखा। दोनों देशों में, गर्मी लहर समय से पहले शुरू ही अधिक तीव्र गति से शुरू हो गयी थी। इसके अलावा, दक्षिणी गोलार्ध में, अर्जेंटीना, उरुग्वे, पराग्वे और ब्राज़ील (Southern Hemisphere, Argentina, Uruguay, Paraguay and Brazil) सभी ने जनवरी में एक ऐतिहासिक हीटवेव देखी, और कई क्षेत्रों ने रिकॉर्ड पर अपने सबसे गर्म दिन की सूचना दी। उसी महीने में, पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया (Western Australia) के ओन्सलो (Onslow) में पारा 50.7 डिग्री सेल्सियस पर पहुंच गया, जो कि दक्षिणी गोलार्ध (Southern Hemisphere) में मज़बूती से दर्ज किया गया उच्चतम तापमान था। पिछले साल, उत्तरी अमेरिका (North America) लंबे समय तक चलने वाली हीटवेव की चपेट में था। पश्चिमी कनाडा (Western Canada) के लिटन (Lytton) में, तापमान 49.6C पर पहुंच गया। वर्ल्ड वेदर एट्रिब्यूशन नेटवर्क (World Weather Attribution network) के अनुसार, जलवायु परिवर्तन के बिना इतनी तीव्र हीटवेव लगभग असंभव होती।
जैसे-जैसे हीटवेव अधिक तीव्र और लंबी होती जाती हैं, कई क्षेत्रों में सूखा (droughts) पड़ने लगता है। हीटवेव के बीच कम बारिश होती है, इसलिए जमीन की नमी और पानी की आपूर्ति अधिक तेजी से सूख जाती है। इसका मतलब है कि जमीन अधिक तेजी से गर्म होती है, ऊपर की हवा को गर्म करती है और मौसम को अधिक तीव्र गति से गर्मी की ओर ले जाती है। पानी की कमी मनुष्यों और खेती के लिए पानी की आपूर्ति पर और भी अधिक प्रभाव डालती है।
लोगों द्वारा जंगल में छेड़छाड़ करने से जंगल में आग लग सकती है, हालांकि, प्राकृतिक कारक (natural factors) भी इसमें एक बड़ी भूमिका निभा सकते हैं। जलवायु परिवर्तन के कारण अत्यधिक और लंबे समय तक चलने वाली गर्मी का चक्र जमीन और वनस्पति (ground and vegetation) से अधिक से अधिक नमी खींचता है। ये टिंडर-ड्राई स्थितियां (tinder-dry conditions) आग के लिए ईंधन प्रदान करती हैं, जो तेज गति से फैल सकती हैं।
वर्षा की कमी और बेमौसम गर्मी के कारण इस साल उत्तरी गोलार्ध के जंगल में (The Northern Hemisphere's wildfire) कुछ क्षेत्रों में आग का लगना शुरू हो गया है। आग साइबेरिया और अलास्का (Siberia and Alaska) के कुछ हिस्सों में पहले ही फैल चुकी है। आग के बढ़ने पर हीटवेव का प्रभाव पिछली गर्मियों में पश्चिमी कनाडा में विस्फोटक रूप में देखा गया था। आग इतनी तेजी से और विस्फोटक रूप से विकसित हुई कि उन्होंने अपनी खुद की मौसम प्रणाली बनाई, जिसमे पाइरोक्यूमुलोनिम्बस बादल (pyrocumulonimbus clouds) या फायर क्लाउड (Fire Cloud) बन गए, और इन विशाल बादलों ने और अधिक आग को प्रज्वलित करते हुए बिजली उत्पन्न की।
गर्म मौसम, हवा में नमी और जलवाष्प (moisture and water vapour in the air) बनाता है, जो बारिश का कारण बनती है। हालाँकि, मौसम जितना गर्म होता है, वातावरण में उतनी ही अधिक वाष्प (vapour) होती है, जिसके परिणामस्वरूप भारी वर्षा होती है। इस साल पहले ही बाढ़ ने स्पेन और पूर्वी ऑस्ट्रेलिया (Spain and eastern Australia) के कुछ हिस्सों को प्रभावित किया है। केवल छह दिनों की अवधि में ब्रिस्बेन (Brisbane) ने अपनी वार्षिक वर्षा का लगभग 80% हिस्सा देखा। इसके अलावा सिडनी (Sydney) ने तीन महीने से भी कम समय में अपनी एक वर्ष की औसत वर्षा से अधिक दर्ज की। यूएस नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज (US National Academy of Sciences) के एक जल विशेषज्ञ पीटर ग्लीक के अनुसार (Peter Gleick, a water specialist), बारिश की ये घटनाएं जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से जुड़ी हैं।
दुनिया भर में मौसम हमेशा अत्यधिक परिवर्तनशील रहेगा, लेकिन जलवायु परिवर्तन इसे और अधिक भीषण बना रहा है। और लोगों की चुनौती न केवल वातावरण पर पड़ने वाले प्रभाव से निपटना है, बल्कि इन मौसम परिवर्तनों को अपनाना और उनसे अपनी सुरक्षा करना भी है।
अत्यधिक गर्मी कई प्रकार की आपदाओं और जोखिम को बढ़ा सकती है। द्धरणउ के लिए, गर्मी सूखे को बढ़ा सकती है, और गर्म, शुष्क स्थितियां बदले में जंगल की आग की स्थिति पैदा कर सकती हैं। इमारतें, सड़कें और बुनियादी ढाँचा गर्मी को अब्सॉर्ब करते हैं, जो बाहरी क्षेत्रों की तुलना में शहरी क्षेत्रों में अधिक गर्मी का कारण भी हो सकता है।
अत्यधिक गर्मी के कारण उत्पन्न होने वाले खतरे:
मनुष्यों में हीट स्ट्रेस (Heat stress) तब होता है जब शरीर अपने आप को प्रभावी ढंग से ठंडा करने में असमर्थ होता है। आम तौर पर, शरीर पसीने के माध्यम से खुद को ठंडा कर सकता है, लेकिन जब नमी अधिक होती है, तो पसीना जल्दी से वाष्पित नहीं होता, संभावित रूप से हीट स्ट्रोक (heat stroke) हो सकता है।
उच्च आर्द्रता और ऊंचा रात का तापमान (High humidity and elevated nighttime temperatures) गर्मी से संबंधित बीमारी और मृत्यु दर के प्रमुख घटक हैं। जब रात में भी गर्मी से कोई राहत नहीं मिलती, तो यह असुविधा पैदा कर सकता है और स्वास्थ्य समस्याओं को जन्म दे सकता है, खासकर उन लोगों के लिए जिनके पास कूलर, AC या अन्य कोई साधन उपलब्ध नहीं है। इसके अलावा गर्मी के तनाव की चपेट में वृद्ध, शिशु और बच्चे और पुरानी स्वास्थ्य समस्याओं से पीड़ित लोग हैं। अत्यधिक गर्मी से हृदय और श्वसन संबंधी जटिलताएं और किडनी से संबंधित बीमारी (cardiovascular, respiratory complications and kidney disease) भी हो सकती है।
अत्यधिक तापमान में हवा की गुणवत्ता भी प्रभावित होती है। गर्म और धूप वाले दिन जमीनी स्तर पर ओजोन के(ground-level ozone) को बढ़ा सकते हैं, एक हानिकारक प्रदूषक जो स्मॉग का मुख्य घटक (the main component of smog) है, जो श्वसन प्रणाली को नुकसान (damage the respiratory system) पहुंचा सकता है और यह विशेष रूप से अस्थमा से पीड़ित लोगों के लिए हानिकारक है। इसके अलावा, एयर कंडीशनिंग (air conditioning) अधिक उपयोग के लिए अधिक बिजली की आवश्यकता होती है, जो बिजली के स्रोत के आधार पर, अन्य प्रकार के प्रदूषण का उत्सर्जन करती है, जिसमें ऐसे कण भी शामिल हैं जिनका वायु गुणवत्ता (air quality) पर भी प्रभाव पड़ता है।
उच्च तापमान कृषि के लिए हानिकारक हो सकता है। दिन के उच्च तापमान से पौधों की वृद्धि नकारात्मक रूप से प्रभावित होती है और कुछ फसलों को रात के ठंडे तापमान की आवश्यकता होती है जो उन्हें भीषण गर्मी में नहीं मिल पाता। गर्मी की लहरें पशुओं पर भी प्रभाव डालती हैं, खासकर जब रात के समय का तापमान भी अधिक गर्म रहता है और जानवर ठंडे नहीं हो पाते हैं। गर्मी की लहरें, सूखा और जंगल की आग को बढ़ा सकती हैं, जिससे कृषि क्षेत्र पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।
गर्म तापमान (Warmer temperatures) ऊर्जा प्रणाली के कई पहलुओं को प्रभावित करता है, जिसमें उत्पादन और संचरण (production, transmission) शामिल है। उच्च गर्मी के तापमान में ठंडक के लिए बिजली की मांग बढ़ जाती (increase electricity demand) है। बिजली का ज्यादा उपयोग बिजली ले जाने के लिए ट्रांसमिशन लाइनों की क्षमता को कम कर सकता है। संभवतः गर्मी की लहरों के दौरान रोलिंग ब्लैकआउट (rolling blackouts) जैसी बिजली समस्या को जन्म दे सकते हैं। इसके अलावा, जैसे-जैसे नदियाँ और झीलें गर्म होती हैं, बिजली संयंत्रों से अपशिष्ट ऊष्मा को अवशोषित करने की उनकी क्षमता कम हो जाती है।
हीटवेव स्वास्थ्य और आपातकालीन सेवाओं पर बोझ डाल सकती हैं और पानी, ऊर्जा और परिवहन पर भी दबाव बढ़ा सकती हैं जिसके परिणामस्वरूप बिजली की कमी या यहां तक कि ब्लैकआउट भी हो सकता है। यदि लोग अत्यधिक गर्मी के कारण अपनी फसल या पशुधन खो देते हैं तो खाद्य और आजीविका सुरक्षा भी तनावपूर्ण हो सकती है।
घर के अंदर या छायादार जगहों पर रहें।
धूप में निकलते समय छाता, टोपी या तौलिया का इस्तेमाल करें।
पतले, ढीले सूती, और हल्के रंग के कपड़े पहनें।
पानी, लस्सी, नींबू पानी और फलों का सेवन करें।
तरबूज, खीरा, नींबू और संतरा अवश्य खाएं।
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