हर साल देश में 2 अक्टूबर को महात्मा गांधी Father of the nation को श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए गांधी जयंती Gandhi Jayanti मनाई जाती है। 2 अक्टूबर के दिन राजघाट के समाधि स्थल को फूलों से सजाया जाता है और राष्ट्रपिता को याद किया जाता है और सुबह के समय समाधि पर धार्मिक प्रार्थनाएं भी रखी जाती हैं। उनकी याद में 'रघुपति राघव राजा राम' Raghupati Raghava Raja Ram गीत भी गाया जाता है। महात्मा गांधी की महानता, उनके विचारों और उनके द्वारा किए गए कार्यों के कारण ही स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस की तरह, 2 अक्टूबर को भी राष्ट्रीय पर्व National festivals का दर्जा दिया गया है।
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महान वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टीन Albert Einstein ने गांधी जी के बारे में ये कहा था कि- "भविष्य की पीढ़ियों को इस बात पर यकीन करने में मुश्किल होगी कि हाड़-मांस से बना ऐसा कोई व्यक्ति (गांधी जी) भी कभी धरती पर आया था।”
गांधी जी के अनेक विचारों ने ना सिर्फ दुनिया भर के लोगों को प्रेरित किया है बल्कि साथ-साथ सहिष्णुता tolerance, करुणा compassion और शांति peace के दृष्टिकोण से आप दुनिया को बदल सकते हैं, ये भी सिखाया है। इस बात से हम सब अच्छे से वाक़िफ हैं कि भारत और दुनिया भर को बदलने में भी गांधी जी के विचारों की कितनी महत्त्वपूर्ण भूमिका है। उनके विचार से विश्व के बड़े-बड़े नैतिक और राजनीतिक नेता जैसे नेल्सन मंडेला Nelson Mandela, मार्टिन लूथर किंग जूनियर, और दलाई लामा भी प्रेरित थे।
उन्हें महात्मा Mahatma की उपाधि रवीन्द्र नाथ टैगोर ने दी थी और रवीन्द्र नाथ टैगोर को गुरुदेव Gurudev की उपाधि महात्मा गांधी ने दी थी।
"वैसे तो देखने में थी हस्ती तेरी छोटी, लेकिन तुझे देख झुकती थी हिमालय की भी चोटी"
यह पक्तियां अगर किसी पर एकदम सटीक बैठती है तो वह हैं हमारे बापू Bapu, फादर ऑफ द नेशन- महात्मा गांधी। उस ज़माने में सूट-बूट पहनने वाले अंग्रेज हमारे बापू की धोती और लंगोटी का भेद नहीं समझ पाए और यही कारण है कि एक बार ब्रिटिश के प्रधानमंत्री विंस्टन चर्चिल Winston Churchill ने गांधी जी को नंगा फकीर half- naked fakir कहा था। वो इस बात से बेखबर थे कि एक दिन यही फ़कीर उनकी प्रतिमा के बगल खड़ा होगा।
महात्मा गांधी का जन्म पोरबंदर में 2 अक्तूबर,1869 में हुआ था। उनका पूरा नाम मोहनदास करम चंद गांधी Mohandas Karamchand Gandhi है और उन्हें बापू और राष्ट्रपिता Bapu and Father of the Nation से भी संबोधित किया जाता है। उनके पिता का नाम करमचंद गांधी और उनकी माता का नाम पुतलीबाई था। वह अपने माता-पिता की चौथी संतान थे। मात्र तेरह वर्ष की उम्र में उनका विवाह कस्तूरबा कपाड़िया से कर दिया गया था। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा राजकोट से प्राप्त की और इसके बाद वकालत की पढ़ाई करने के लिये वह लंदन चले गए। वहां उनके किसी दोस्त ने उन्हें भगवद् गीता से परिचित कराया और गांधी जी ने कई बार ऐसा कहा है कि उनके जीवन पर गीता का बहुत बड़ा प्रभाव पड़ा है।
वकील बनने के बाद जब वह लंदन से वापस आए तो उन्हें नौकरी प्राप्त करने में कई मुश्किलों का सामना करना पड़ा। इसके बाद, बात वर्ष 1893 की है जब दादा अब्दुल्ला नामक एक व्यापारी ने उन्हें दक्षिण अफ्रीका में एक मुकदमा लड़ने के लिए आमंत्रित किया और गांधी जी ने उसे स्वीकार किया और वह दक्षिण अफ्रीका के लिए रवाना हो गए।
खुद गांधी जी को भी नहीं बता था कि उनका दक्षिण अफ्रीका जाने का निर्णय उनके राजनीतिक जीवन को कितना प्रभावित करेगा। वह दक्षिण अफ्रीका चले तो गए लेकिन वहां उन्होंने अश्वेतों और भारतीयों के प्रति होने वाले भेदभाव को महसूस किया। कई अवसरों पर तो खुद गांधी जी को कई अपनाम का सामना करना पड़ा और तब गांधी जी ने इसका विरोध करने का फैसला किया। उस समय दक्षिण अफ्रीका में अश्वेतों और भारतीयों को ना तो वोट देने की आजादी थी और ना ही फुटपाथ पर चलने का अधिकार था और इसीलिए गांधी ने इसका विरोध किया और नटाल इंडियन कांग्रेस Natal Indian Congress नामक एक संगठन 1894 में स्थापित किया। वहां 21 वर्षों तक रहने के बाद गांधी जी 1915 में भारत लौट आए।
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महात्मा गांधी- ये वो व्यक्ति थे जिन्होंने भारत को स्वतंत्रता दिलाने में अपने पूरे जीवन भर संघर्ष किया था। वह अहिंसा और करुणा के माध्यम से एक अच्छे समाज का निर्माण करना चाहते थे। उन्होंने अहिंसा Ahimsa के मार्ग पर चलते हुए हमारे देश को आजादी दिलाई और दुनिया भर को सत्य और अहिंसा का पाठ पढ़ाया। सफर आसान नहीं था, उन्हें कई बार जेल जाना पड़ा, अनशन करने पड़े लेकिन बापू की प्रतिज्ञा अटल थी। गांधी जी का मानना था कि अहिंसा एक दर्शन है। अहिंसा एक सिद्धांत है। अहिंसा एक अनुभव है और इसके दम पर समाज को बेहतर बनाया जा सकता है। वह कहते थे कि समाज में रहने वाले हर व्यक्ति को समान दर्जा और अधिकार मिलना चाहिए भले ही उसका धर्म, लिंग, जाति या रंग कुछ भी हो।
हर साल देश में 2 अक्टूबर को महात्मा गांधी Father of the nation को श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए गांधी जयंती मनाई जाती है। 2 अक्टूबर के दिन राजघाट के समाधि स्थल को फूलों से सजाया जाता है और राष्ट्रपिता को याद किया जाता है और सुबह के समय समाधि पर धार्मिक प्रार्थनाएं भी रखी जाती हैं। उनकी याद में 'रघुपति राघव राजा राम' Raghupati Raghava Raja Ram गीत भी गाया जाता है।
महात्मा गांधी की महानता, उनके विचारों और उनके द्वारा किए गए कार्यों के कारण ही स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस की तरह, 2 अक्टूबर को भी राष्ट्रीय पर्व National festivals का दर्जा दिया गया है।
गांधी जी कई लोगों के आदर्श हैं लेकिन क्या बस गांधी जी को आदर्श मान लेने से ही हम समाज की सारी बुराइयों से निबट लेंगे। आज की पीढ़ी के लिए यह संदेश है कि गांधी को सिर्फ आदर्श मत बनाओ, गांधी जी को व्यवहार में उतारो। उन्हें आदर्श बनाने पर उनके जैसा बनना कठिन होगा लेकिन उन्हें व्यवहार में उतारने से उनकी विशेषताओं को आत्मसात करना इतना कठिन नहीं होगा। आइए गांधी जी के विचारों को जानते हैं-
महात्मा गांधी एक अच्छे नेता थे लेकिन उससे भी अच्छे लेखक थे। उनका जीवन काफी संघर्ष भरा रहा है लेकिन इसके बावजूद भी उन्होंने लिखना नहीं छोड़ा। अपने जीवन के हर उतार-चढ़ाव, भारत को आजाद कराने की लड़ाई, रामराज Ramraj से लेकर सत्याग्रह Satyagraha और अहिंसा का जिक्र उन्होंने अपनी किताबों में किया है।
बापू द्वारा लिखी गई किताबों की सूची-
1. हिन्द स्वराज (1909)
2. दक्षिण अफ्रीका में सत्याग्रह (1924)
3. मेरे सपनों का भारत
4. ग्राम स्वराज
5. Autobiography of Mahatma Gandhi- द स्टोरी ऑफ माय एक्सपेरिमेंट्स विथ ट्रुथ
6. स्वास्थ्य की कुंजी Key To Health
इसके साथ-साथ उन्होंने इंडियन ओपिनियन Indian opinion, नवजीवन Navjivan, हरिजन Harijan और यंग इंडिया Young India नामक समाचार पत्र में संपादक के तौर पर काम किया है।
निष्कर्ष
21वीं सदी की कई नई चुनौतियों का मुकाबला करने के लिए हमें महात्मा गांधी और उनके विचारों को शक्ति के स्रोत के रूप में देखने की आवश्यकता है। वह गांधी ही थे जिन्होंने अहिंसा और शांति के माध्यम से विरोध करने का रास्ता दिखाया था। उनका मानना था कि हिंसा से जीतने के लिए हिंसा नहीं बल्कि अहिंसा Ahimsa का मार्ग चुनना चाहिए। बापू ना सिर्फ पिछड़ी पीढ़ी के लिए बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए भी अपनी विचारधारा की वजह से एक सच्ची प्रेरणा Gandhi- an inspiration है। बापू ने यह सीख दी है कि अहिंसा, सत्य truth और सहिष्णुता tolerance समाज कल्याण के सबसे बड़े हथियार हैं। महात्मा गांधी के विचार हमेशा से ना सिर्फ भारत, बल्कि दुनिया भर का मार्गदर्शन करते आए हैं और इसी तरह आगे भी करते रहेंगे। हम सब गांधी जी का सम्मान तो करते हैं लेकिन जब तक हम उनके बताए गए रास्तों (शांति, करुणा, सत्य, समानता, महिलाओं के प्रति सम्मान और अहिंसा) पर नहीं चलेंगे, तब तक गांधी जी का वह सपना अधूरा ही रह जाएगा तो उन्होंने भारत के लिए देखा था!
वह भारत को ना सिर्फ ब्रिटिश राज से बल्कि निरक्षरता illiteracy, गरीबी poverty और अस्पृश्यता untouchability जैसी बुराइयों से भी मुक्त करने का सपना देखते थे।
गांधी जयंती पर अंग्रज़ी में एक बेहतरीन लेख पढ़ने के लिए कृपया नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें -
Gandhi Jayanti 2022: A Symbol Of Peace, Nonviolence And Truth