सतत विकास के लिए जरूरी है लैंगिक समानता

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13 Oct 2021
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सतत विकास के लिए बनाए गए 17 वैश्विक लक्ष्यों में से एक लैंगिक समानता है। लैंगिक समानता एक मौलिक मानव अधिकार तो है ही लेकिन साथ ही साथ एक समृद्ध और शांतिपूर्ण विश्व बनाने का आवश्यक आधार है। सभी को यह समझने की जरूरत है कि महिलाओं और पुरूषों दोनों को शिक्षा, स्वस्थ जीवन और पूर्ण सामाजिक समावेश का पूरा हक है।

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सतत विकास के लिए बनाए गए 17 वैश्विक लक्ष्यों में से एक लैंगिक समानता है। लैंगिक समानता एक मौलिक मानव अधिकार तो है ही लेकिन साथ ही साथ एक समृद्ध और शांतिपूर्ण विश्व बनाने का आवश्यक आधार भी है। लेकिन आज भी ओशिनिया, अफ्रीका और पश्चिमी एशिया के कुछ क्षेत्रों में लड़कियों को लड़कों के समान शैक्षिक अवसर नहीं मिलते हैं। आज भी ऐसी बहुत सी जगह हैं जहाँ महिलाएं घर की साफ- सफाई, भोजन, पानी आदि के लिए जिम्मेदार हैं और घर के फैसले सिर्फ पुरुष लेते हैं। उनकी ज़िन्दगी का निर्णय भी उनके पिता, भाई या तो उनके पति ले सकते हैं। ऐसा नहीं है कि लोगों को इसके प्रति जागरूक करने के लिए कोई कदम नहीं उठाया गया लेकिन आज भी इस समस्या में कोई खास परिवर्तन देखने को नहीं मिला है। सभी को यह समझने की जरूरत है कि महिलाओं और पुरूषों दोनों को शिक्षा, स्वस्थ जीवन और पूर्ण सामाजिक समावेश का पूरा हक है।

वास्तव में लैंगिक समानता एक मानव अधिकार है। अगर किसी समाज में लैंगिक समानता नहीं है तो उस समाज का आर्थिक, राजनीतिक और सामाजिक रूप से विकसित होना असंभव है। हम सभी को यह समझने की जरूरत है कि किसी को भी उसकी जाति, धर्म, विकलांगता, उम्र और लिंग की वजह से पीछे छोड़ना और समान अवसर ना देना गलत है और अगर हम ऐसा कर रहे हैं तो हम उस इंसान का हक छीन रहे हैं। सरकार भी हर व्यक्ति को समान अवसर और अधिकार देती है ताकि सभी की आर्थिक स्वतंत्रता को मजबूत किया जा सके।

हम आपको अब एक उदाहरण देकर समझाएंगे-

विकसित और विकासशील देशों में महिलाओं और पुरूषों में फर्क नहीं किया जाता है। अपने जीवन यापन के लिए महिलाएं खुद पर निर्भर होती हैं और इतना ही नहीं, महिलाएं देश की अर्थव्यवस्था के विकास में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। 

वहीं दूसरी ओर जिन देशों में लैंगिक समानता और महिला सशक्तिकरण नहीं है, वे देश अविकसित देशों की श्रेणी में आते हैं। इसका कारण यह है कि लैंगिक भेदभाव अभी भी बहुत सी महिलाओं को पीछे खींच रहा है और इसी वजह से वो देश सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक तौर पर विकसित नहीं हो पा रहा है।

महिलाओं को समान विकल्प और अवसर नहीं देने से उनके जीवन के साथ-साथ ग्रह का भविष्य भी प्रभावित हो रहा है। अब ये हमारा फर्ज बनता है कि एक बेहतर और सुरक्षित भविष्य के लिए हम आने वाली पीढ़ी को सीख दें कि स्त्री और पुरुष समान हैं और उन्हें हर जगह बराबरी का हक मिलना चाहिए। हमें ऐसे भविष्य को बनाने की जरूरत है, जहाँ सभी एक दूसरे का सम्मान करते हों और सबसे अधिकारों की रक्षा के लिए सब मिलकर काम करते हों। हम सभी को महिलाओं को उनकी पूरी क्षमता विकसित करने के लिए हमेशा प्रोत्साहित करना चाहिए और उन्हें उनके जीवन जीने के तरीके के बारे में चुनाव करने में सक्षम बनाना चाहिए, तब जाकर सच्ची लैंगिक समानता प्राप्त होगी। लैंगिक समानता को अपनाकर हम महिलाओं के खिलाफ होने वाली हिंसा को कई हद तक कम कर सकते हैं, यह पूरे देश की अर्थव्यवस्था के लिए अच्छा है और सभी समुदाय के लोग इससे सुरक्षित रहते हैं।

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